हिमाचल सरकार ने कृषि और बागवानी विभाग IAS के हवाले कर रखे है। इन दोनों विभागों में पूर्व में 50 सालों तक कृषि और बागवानी विशेषज्ञों में से डायरेक्टर लगाए जाते रहे हैं। मगर चार-पांच सालों से सरकार ने टेक्नोक्रेट की जगह ब्यूरोक्रेट बिठा रखे हैं। सरकार को इन दोनों विभागों में डायरेक्टर बनने के लिए कोई क़ाबिल टेक्नोक्रेट नहीं मिल रहा, जबकि कृषि और बागवानी की वजह से हिमाचल ने देश-विदेश में पहचान बनाई है। ऑफ सीजन वेजिटेबल के लिए ठियोग क्षेत्र एशिया में मशहूर है। इसी तरह सेब की खेती की वजह से भी देशभर में हिमाचल का नाम लिया जाता है। एग्रीकल्चर और हॉर्टीकल्चर डायरेक्टर की तैनाती में भर्ती एवं पदोन्नति नियम (RP) आड़े आ रहे है। RP नियमों में बतौर जॉइंट व एडिशनल डायरेक्टर 5 साल की सर्विस अनिवार्य की गई है। इस शर्त को दोनों विभागों में कोई अधिकारी पूरी नहीं कर पा रहे। इससे टेक्निकल अधिकारी डायरेक्टर नहीं बन पा रहे। कृषि-बागवानी अधिकारी संघ लंबे समय से आरएंडपी में संशोधन की मांग कर रहे हैं। 5 साल से सचिवालय में घूम रही आरएंडपी बदलने की फाइल इस शर्त को हटाने के लिए पूर्व BJP सरकार में दोनों विभागों के डायरेक्टर के RP रुल्स में संशोधन को फाइल मूव जरूर की गई, लेकिन पांच साल तक फाइल सचिवालय में एक कमरे से दूसरे कमरे में घूमती रही। मौजूदा सरकार का भी दो साल से ज्यादा समय से इस पर ध्यान नहीं दे पाई। हिमाचल सरकार ने कृषि विभाग में IAS कुमुद सिंह और बागवानी विभाग में IAS विनय कुमार को डायरेक्टर लगा रखा है। IAS को ऐसे वक्त में टेक्निकल डिपार्टमेंट में लगाया जा रहा है, जब राज्य सरकार ब्यूरोक्रेट की कमी से जूझ रही है। धर्माणी उठा चुके टेक्नोक्रेट की तैनाती का मसला हिमाचल विधानसभा में ब्यूरोक्रेट को टेक्निकल डिपार्टमेंट में लगाने का मामला गूंज चुका हैं। घुमारवी से विधायक एवं मंत्री राजेश धर्माणी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के फैलियर की यह बड़ी वजह बताई थी। उन्होंने कहा था कि टेक्निकल डिपार्टमेंट में टेक्नोक्रेट को ही लगाया जाए। जयराम सरकार ने शुरू की थी यह रिवायत कृषि और बागवानी दोनों टेक्निकल विभाग है। सरकार IAS से टेक्निकल काम करवाना चाह रही है। चार साल पहले तक कभी भी इन दोनों विभाग में IAS नहीं लगाया गया। पूर्व जयराम सरकार ने यह रिवायत शुरू की और सुक्खू सरकार भी इसी नक्शे कदम पर चल रही है। इससे हिमाचल के एक हजार से ज्यादा कृषि व बागवानी अधिकारी भी नाराज है। जब से विभाग बने तब से सीनियर अधिकारी बनता है डायरेक्टर हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट वर्ष 1970 में बना। तब से हर साल सीनियर जॉइंट डायरेक्टर को ही बागवानी निदेशक लगाया जाता रहा। डायरेक्टर RP नियम भी यही बोलते है। इसी तरह कृषि विभाग में भी 2021 तक एडिशनल डायरेक्टर को कृषि निदेशक लगाया जाता रहा। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या पूरे कृषि व बागवानी विभाग तथा नौणी व एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पालमपुर में भी ऐसा कोई विशेषज्ञ नहीं, जो डायरेक्टर बन सके। बागवानी अधिकारी में से लगाया जाए डायरेक्ट: रंजन बागवानी अधिकारी संघ (HDO) के अध्यक्ष डॉ. रंजन शर्मा ने सरकार से लैंथ ऑफ सर्विस में छूट देकर बागवानी अधिकारियों में से डायरेक्टर लगाने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि आरएंडपी नियमों में IAS में से डायरेक्टर लगाने का प्रावधान ही नहीं है। हिमाचल सरकार ने कृषि और बागवानी विभाग IAS के हवाले कर रखे है। इन दोनों विभागों में पूर्व में 50 सालों तक कृषि और बागवानी विशेषज्ञों में से डायरेक्टर लगाए जाते रहे हैं। मगर चार-पांच सालों से सरकार ने टेक्नोक्रेट की जगह ब्यूरोक्रेट बिठा रखे हैं। सरकार को इन दोनों विभागों में डायरेक्टर बनने के लिए कोई क़ाबिल टेक्नोक्रेट नहीं मिल रहा, जबकि कृषि और बागवानी की वजह से हिमाचल ने देश-विदेश में पहचान बनाई है। ऑफ सीजन वेजिटेबल के लिए ठियोग क्षेत्र एशिया में मशहूर है। इसी तरह सेब की खेती की वजह से भी देशभर में हिमाचल का नाम लिया जाता है। एग्रीकल्चर और हॉर्टीकल्चर डायरेक्टर की तैनाती में भर्ती एवं पदोन्नति नियम (RP) आड़े आ रहे है। RP नियमों में बतौर जॉइंट व एडिशनल डायरेक्टर 5 साल की सर्विस अनिवार्य की गई है। इस शर्त को दोनों विभागों में कोई अधिकारी पूरी नहीं कर पा रहे। इससे टेक्निकल अधिकारी डायरेक्टर नहीं बन पा रहे। कृषि-बागवानी अधिकारी संघ लंबे समय से आरएंडपी में संशोधन की मांग कर रहे हैं। 5 साल से सचिवालय में घूम रही आरएंडपी बदलने की फाइल इस शर्त को हटाने के लिए पूर्व BJP सरकार में दोनों विभागों के डायरेक्टर के RP रुल्स में संशोधन को फाइल मूव जरूर की गई, लेकिन पांच साल तक फाइल सचिवालय में एक कमरे से दूसरे कमरे में घूमती रही। मौजूदा सरकार का भी दो साल से ज्यादा समय से इस पर ध्यान नहीं दे पाई। हिमाचल सरकार ने कृषि विभाग में IAS कुमुद सिंह और बागवानी विभाग में IAS विनय कुमार को डायरेक्टर लगा रखा है। IAS को ऐसे वक्त में टेक्निकल डिपार्टमेंट में लगाया जा रहा है, जब राज्य सरकार ब्यूरोक्रेट की कमी से जूझ रही है। धर्माणी उठा चुके टेक्नोक्रेट की तैनाती का मसला हिमाचल विधानसभा में ब्यूरोक्रेट को टेक्निकल डिपार्टमेंट में लगाने का मामला गूंज चुका हैं। घुमारवी से विधायक एवं मंत्री राजेश धर्माणी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के फैलियर की यह बड़ी वजह बताई थी। उन्होंने कहा था कि टेक्निकल डिपार्टमेंट में टेक्नोक्रेट को ही लगाया जाए। जयराम सरकार ने शुरू की थी यह रिवायत कृषि और बागवानी दोनों टेक्निकल विभाग है। सरकार IAS से टेक्निकल काम करवाना चाह रही है। चार साल पहले तक कभी भी इन दोनों विभाग में IAS नहीं लगाया गया। पूर्व जयराम सरकार ने यह रिवायत शुरू की और सुक्खू सरकार भी इसी नक्शे कदम पर चल रही है। इससे हिमाचल के एक हजार से ज्यादा कृषि व बागवानी अधिकारी भी नाराज है। जब से विभाग बने तब से सीनियर अधिकारी बनता है डायरेक्टर हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट वर्ष 1970 में बना। तब से हर साल सीनियर जॉइंट डायरेक्टर को ही बागवानी निदेशक लगाया जाता रहा। डायरेक्टर RP नियम भी यही बोलते है। इसी तरह कृषि विभाग में भी 2021 तक एडिशनल डायरेक्टर को कृषि निदेशक लगाया जाता रहा। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या पूरे कृषि व बागवानी विभाग तथा नौणी व एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पालमपुर में भी ऐसा कोई विशेषज्ञ नहीं, जो डायरेक्टर बन सके। बागवानी अधिकारी में से लगाया जाए डायरेक्ट: रंजन बागवानी अधिकारी संघ (HDO) के अध्यक्ष डॉ. रंजन शर्मा ने सरकार से लैंथ ऑफ सर्विस में छूट देकर बागवानी अधिकारियों में से डायरेक्टर लगाने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि आरएंडपी नियमों में IAS में से डायरेक्टर लगाने का प्रावधान ही नहीं है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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