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दिसंबर में सिपाही भर्ती का रिजल्ट…6 महीने में नौकरी:जनवरी में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट; इस हफ्ते आएगी ANSWER-KEY
दिसंबर में सिपाही भर्ती का रिजल्ट…6 महीने में नौकरी:जनवरी में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट; इस हफ्ते आएगी ANSWER-KEY यूपी सिपाही के लिए 60 हजार 244 पदों पर भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा का रिजल्ट दिसंबर के अंत तक आ जाएगा। भर्ती बोर्ड के अधिकारियों का कहना है, भर्ती की प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 6 महीने का समय लगेगा। बोर्ड परीक्षा की आंसर-की इसी हफ्ते वेबसाइट पर अपलोड कर देगा। लिखित परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद जनवरी तक डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन और फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट होगा। भर्ती बोर्ड के अधिकारियों ने बताया, लिखित परीक्षा के जो नतीजे आएंगे, उनसे आरक्षण के अनुसार मेरिट तय करके ढाई गुना लोगों को डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट (DV-PST) के लिए बुलाया जाएगा। यानी डेढ़ लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों को DV-PST के लिए बुलावा भेजा जाएगा। नजदीकी जोनल मुख्यालय पर होगा फिजिकल टेस्ट
भर्ती बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि DV-PST जोनल मुख्यालय पर होगा। अभ्यर्थियों को उसके नजदीकी जोनल मुख्यालय पर दौड़ और अन्य फिजिकल मापदंडों की जांच के लिए बुलाया जाएगा। जो दूसरे राज्य के अभ्यर्थी हैं, उन्हें उनके राज्य के नजदीक जो जोन पड़ेगा, वहां बुलाया जाएगा। मसलन बिहार के अभ्यर्थियों को गोरखपुर और वाराणसी, राजस्थान के अभ्यर्थियों को आगरा, हरियाणा और पंजाब के अभ्यर्थियों को मेरठ बुलाया जाएगा। ट्रेनिंग के लिए करना पड़ेगा इंतजार
बताया जा रहा है, भर्ती पूरी होने में कम से कम 6 महीने का और समय लगेगा। भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रशिक्षण में भी लंबा समय लगेगा। क्योंकि प्रदेश सरकार के पास उतने संसाधन नहीं हैं कि इतनी बड़ी संख्या में सिपाहियों को एक साथ प्रशिक्षित कर सके। इसके लिए कम से कम तीन चरणों में व्यवस्था करनी होगी। अभी कितनी 12 हजार को ट्रेनिंग देने की क्षमता है
प्रदेश सरकार के पास पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए क्षमता करीब 12 हजार की है। इसके लिए 11 पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, कॉलेज और स्कूल हैं। इसके अलावा विभिन्न PAC बटालियन को मिलाकर कुल 103 इकाइयां हैं, जहां पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में चयनित अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण देना चुनौती होगी। हिंदी भाषी राज्यों की ली जा सकती है मदद
सूत्रों का कहना है, पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षण कम समय में पूरा कराने के लिए हिंदी भाषी राज्यों की भी मदद ली जाएगी। इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के अलावा अर्धसैनिक बलों की बटालियन में भी प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा सकती है। इससे पहले 2018 में 49 हजार 568 सिपाहियों की भर्ती हुई थी। उस समय न सिर्फ दूसरे राज्यों के प्रशिक्षण केंद्रों की मदद ली गई, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के प्रशिक्षण केंद्रों पर भी ट्रेनिंग दी गई। एक साल के बाद पक्की होती है नौकरी
भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद नौकरी पक्की होने में एक साल का समय लगता है। इसमें 6 महीने का बेसिक प्रशिक्षण होता है। जिसके बाद पासिंग आउट परेड होती है। प्रशिक्षण के बाद सिपाहियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए जिलों में तैनाती दी जाती है। 6 महीने का व्यावहारिक प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ही नौकरी पक्की मानी जाती है। एक साल से जारी है मौजूदा भर्ती प्रक्रिया
मौजूदा भर्ती प्रक्रिया के लिए विज्ञप्ति अक्टूबर, 2023 में निकली थी। इसके लिए पहले फरवरी में परीक्षा हुई, लेकिन पेपर लीक होने के कारण परीक्षा दोबारा करानी पड़ी। अगस्त में इसकी परीक्षा संपन्न हुई। अब संबंधित एजेंसी इसका परिणाम जारी करने की तैयारी कर रही है। यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष राजीव कृष्ण कहते हैं- 60 हजार 244 पदों पर सिपाही भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। एजेंसी और बोर्ड दोनों पूरी तैयारी कर रहे हैं। पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ चल रही है। बोर्ड का पूरा फोकस इसी भर्ती पर है। यह भर्ती पूरी होने के बाद नई भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पुलिस में 27 हजार पदों पर भर्ती लंबित
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के पास 27 हजार पदों भर्ती लंबित है। इनमें दरोगा, प्लाटून कमांडर, कंप्यूटर आपरेटर, फायरमैन समेत तमाम पद शामिल हैं। भर्ती के लिए जो प्रस्ताव DGP मुख्यालय भर्ती बोर्ड को भेजता है। 49 हजार सिपाहियों की भर्ती पूरी करने में लगे थे ढाई साल
योगी सरकार ने इससे पहले 49 हजार 568 पदों पर सिपाहियों की भर्ती के लिए नवंबर, 2018 में विज्ञापन निकाला था। इस भर्ती को पूरा होने में ढाई साल लग गए थे। क्योंकि बड़ी संख्या में हुई भर्ती के कारण प्रशिक्षण तीन चरणों में कराया गया था। हालांकि, तब प्रशिक्षण की क्षमता मात्र 6 हजार थी, जिसे बढ़ाकर 12 हजार किया जा चुका है। सुल्तानपुर और जालौन में नए प्रशिक्षण केंद्र खुले हैं। यहां पहली बार सिपाहियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। ये भी पढ़ें… पुलिस भर्ती एग्जाम चौथा दिन…सोफिया कहां की राजधानी?:दोनों शिफ्ट की ANSWER KEY में 300 सवालों के सही जवाब 4 एक्सपर्ट से जानिए यूपी पुलिस भर्ती की चौथे दिन (शुक्रवार) की दोनों शिफ्ट की परीक्षा खत्म हो गई। रीजनिंग और जनरल स्टडीज ने छात्रों को उलझाया। कानपुर की श्रीराम एकेडमी के एक्सपर्ट ने दोनों शिफ्ट के पेपर के जवाब तैयार करके दैनिक भास्कर को दिए। 300 सवालों के सही जवाबों को पीले रंग से हाईलाइट किए गए हैं। पूरी खबर पढ़ें
पानीपत की महिला पर करनाल ससुराल में अत्याचार:गाड़ी की मांग के लिए मारपीट-प्रताड़नाएं; बच्ची को मोबाइल दिखा रही थी सास, विरोध करने पर पीटा
पानीपत की महिला पर करनाल ससुराल में अत्याचार:गाड़ी की मांग के लिए मारपीट-प्रताड़नाएं; बच्ची को मोबाइल दिखा रही थी सास, विरोध करने पर पीटा हरियाणा के पानीपत शहर की रहने वाली महिला के साथ करनाल स्थित उसकी ससुराल में दहेज के लिए प्रताड़नाएं की गई। महिला के साथ खूब मारपीट की गई। गाड़ी की मांग के लिए उस पर अत्याचार किया गया। ढाई साल की बेटी को सास मोबाइल फोन दिखा रही थी। जिसका विरोध महिला ने करते हुए कहा कि इसे फोन की आदत मत डालो। इस बात पर पति ने उसे खूब पीटा और घर से निकाल दिया। जिसके बाद महिला ने मामले की शिकायत पुलिस को दी है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया है। बता दें कि महिला और उसके पति की ये दूसरी शादी है, जोकि अब टूटने के कगार पर पहुंच चुकी है। गर्भवती हुई तो मायका भेज दिया, फिर 8 माह बेटी को भी नहीं देखने आए मॉडल टाउन थाना पुलिस को दी शिकायत में एक महिला ने बताया कि वह विराट नगर की रहने वाली है। अप्रैल 2021 में उसकी शादी हर्ष चड्ढा निवासी नीलोखेड़ी करनाल के साथ हुई थी। ये उसकी व उसके पति की दूसरी शादी है। महिला का आरोप है कि शादी के अगले दिन ही ससुराल वालों ने दहेज के लिए उसे तंग करना शुरू कर दिया था। प्रताड़ित करने में पति के अलावा ससुर भूपेंद्र, सास रीता के अलावा यमुनानगर की रहने वाली सीमा भाटिया, दीपा मुंजाल, वंदना मुंजाल भी शामिल है। सभी गाड़ी की मांग के चलते उसे ताना मारते थे। महिला का कहना है कि जून 2021 में जब वह गर्भवती हुई, तो आरोपियों ने उसे घर से निकाल दिया। जिसके बाद वह अपने मायका रही और यही पर 2 फरवरी 2022 में बड़ी को जन्म दिया। इसके 8 माह बाद तक वह अपने घर पर ही रही, लेकिन ससुराल वाले उनसे मिलने तक नहीं आए। इसके बाद एक पंचायत की गई, जिसमें ससुराल वालों ने गलती मानी और भविष्य में ऐसा न करने की बात कहते हुए उन्हें अपने साथ घर ले गए। जुलाई 2024 में निकाल दिया था घर से बाहर जहां 4 दिन बाद फिर उससे गाड़ी की मांग की गई। अब विरोध करने पर उसके साथ मारपीट की जाने लगी। जुलाई 2024 में महिला किचन में काम कर रही थी, वह अपनी बेटी को सास को दे दी गई। दूध से भरी बोतल देते हुए कहा कि इसे दूध पिला दें, वह रसोई में काम कर रही है। कुछ देर बाद महिला कमरे में लौटी, तो देखा कि सास उसे सिर्फ मोबाइल फोन दिखा रही थी। जिस पर उसने कहा कि इसे मोबाइल फोन की आदत मत डालो, यह आगे बहुत परेशान करेगी। इस पर सास ने मोबाइल फोन पटका और वहां से चली गई। शाम को पति घर लौटा, तो सास ने उसे भड़काना शुरू कर दिया। पति ने उसे खूब पीटा। उसके मायका वालों को भी फोन कर खूब भला-बुरा कहा। इसके बाद महिला को घर से बाहर निकाल दिया। तब से महिला अपने मायका ही रह रही है।
हर्षा रिछारिया महाकुंभ छोड़ेंगी, छोटे टेंट में हुईं कैद:बोलीं- न मैं मॉडल हूं, न संत; बदनाम करने वालों को पाप लगेगा
हर्षा रिछारिया महाकुंभ छोड़ेंगी, छोटे टेंट में हुईं कैद:बोलीं- न मैं मॉडल हूं, न संत; बदनाम करने वालों को पाप लगेगा ‘मैं न कोई मॉडल हूं और न ही कोई संत…मैं सिर्फ एक एंकर और एक्ट्रेस थी। संतों ने महिला होने के बावजूद मेरा अपमान किया। आनंद स्वरूप को पाप लगेगा।’ यह कहकर हर्षा रिछारिया रो पड़ती हैं। प्रयागराज के महाकुंभ नगर में पेशवाई के रथ पर बैठने के बाद चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने खुद को 10 बाई 10 के टेंट में कैद कर लिया है। 24 घंटे से वह इसी टेंट में हैं। हर्षा मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली हैं। दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत में हर्षा ने कहा- अब मुझे डर लग रहा है। मेरे ऊपर लग रहे आरोपों से मैं त्रस्त हूं, परेशान हूं। अब मैं महाकुंभ मेला छोड़कर चली जाऊंगी। मैं पूरे महाकुंभ में रहने के लिए यहां आई थी। मैं सिर्फ महाराज जी की भक्त हूं। कैलाश आनंद के विचारों से प्रभावित होकर उनके साथ आई थी। हर्षा ने एक-एक कर हमारे सवालों के जवाब दिए, पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: आप मॉडल, संत या सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर…क्या हैं?
जवाब: मैं संत नहीं हूं। संत अपने आप में बहुत बड़ी पदवी होती है, इसका टैग मुझे नहीं दिया जाए। मैं कभी भी मॉडल नहीं रही हूं। इसलिए मैं यह टैग भी एक्सेप्ट नहीं कर सकती। मैं सिर्फ एक साधारण सी शिष्या हूं, जो अपने गुरुदेव के सानिध्य में महाकुंभ को जानने, महसूस करने और समझने के लिए तीर्थराज प्रयागराज में आई है। सवाल: आप महामंडलेश्वर के रथ में सवार हुईं, संतों ने इसका विरोध किया, क्या कहेंगी?
जवाब: मुझे जो पर्सनली फील होता है, वो यह है कि अगर कोई भी इंसान वेस्टर्न कल्चर को छोड़कर, सनातन धर्म की संस्कृति से जुड़ना चाहता है, समझना चाहता है, उसमें समाना चाहता है, उसमें रम जाना चाहता है। तो मुझे लगता है कि हिंदू होने के नाते, सनातनी होने के नाते हमें खुशी से उसे परिवार में, धर्म में शामिल करना चाहिए, न कि उसका विरोध करना चाहिए। उसे बच्चे की तरह ट्रीट करना चाहिए। उसका विरोध करना बहुत गलत बात है। सवाल : कैलाशानंद गिरी महाराज के संपर्क में कैसे आईं और कैसे धर्म अध्यात्म समझा?
जवाब : परम पूज्य गुरुदेव की बात है, तो मैंने उनसे कुछ समय पहले ही शिक्षा-दीक्षा ली। मंत्र दीक्षा ली है। उनके जो लाखों शिष्य हैं, बच्चे हैं। उन बच्चों में से मैं उनकी एक बेटी हूं, शिष्या हूं। मैं खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानती हूं कि मुझे उनका सानिध्य मिला। वह सिद्ध पुरुष हैं। विश्व में उनकी ख्याति है। पूरी दुनिया के लोग उनसे जुड़ना चाहते हैं। सवाल: आपके संगम में शाही स्नान को लेकर विवाद हुआ, क्या कहेंगी?
जवाब : हर कोई संगम या अमृत स्नान के लिए तड़पता है। हर कोई चाहता है कि साधु-संतों के सानिध्य में, उनकी छत्र-छाया में हमको यह अमृत स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त हो। रही बात मेरी शाही सवारी में बैठने की, जिसके लिए विवाद हो रहा है, तो बता दूं- वो विवाद का मुद्दा नहीं था। उसमें सिर्फ मैं नहीं बैठी थी। सिर्फ मैंने भगवा शॉल नहीं ओढ़ा था। सबसे बड़ी बात अगर हिंदू होने के नाते, सनातनी होने के नाते अगर मैंने भगवा शॉल ओढ़ा तो यह गर्व की बात होनी चाहिए थी। लोगों को गर्व होना चाहिए था कि आज युवा सनातन धर्म में रम रहा है। यह तो पूरे सनातन धर्म के लिए गर्व की बात है। मैं प्रयासरत हूं कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रेरित कर सकूं, लेकिन अगर मैं ही ऐसा नहीं कर पाऊंगी, तो दूसरों को क्या जागरूक कर पाऊंगी। मीडिया ने मुझे टारगेट किया
शाही सवारी में उस वक्त मेरे अलावा बहुत से गृहस्थ लोग भी बैठे हुए थे। जिनका अपना परिवार है, बच्चे हैं, मां-बाप हैं, लेकिन मुझे लगता है कि मीडिया ने मुझे टारगेट किया हुआ था। सिर्फ हमारे निरंजनी अखाड़े में गृहस्थ लोग नहीं थे। अलग-अलग अखाड़ों की शाही सवारी में गृहस्थ लोग बैठे थे। ये कोई विवाद का मुद्दा नहीं था। अगर किसी बच्चे से गलती होती है, तो उसे समझाना चाहिए। लेकिन उसे विवादों में घेरना, नाम खराब करना गलत है। उसे पहले साध्वी का टाइटल देना, फिर मॉडल का टाइटल दे देना। यह बहुत गलत बात है। सवाल : अब कैसा फील कर रही हैं? क्या लग रहा है?
जवाब : मुझे अब बहुत कष्ट हो रहा है। मैंने सोचा था कि 144 साल बाद ये पूर्ण महाकुंभ आया है। मैं बहुत-सी उम्मीदें लेकर आई थी। शायद यह जिंदगी का पहला और आखिरी पूर्ण महाकुंभ है। मैंने सोचा था कि पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में धर्म-संस्कृति और कुंभ के बारे में जानूंगी। युवा होने के नाते मैंने सोचा था कि ऐसे संतों से मिलूंगी, जो आम लाइफ से बहुत दूर रहते हैं। हमारे यहां विदेशी आ रहे हैं, हम वाहवाही कर रहे हैं। लेकिन, भारतीय बेटी के लिए तरह-तरह की बातें हो रही हैं। विवादों में घेरा जा रहा है। ऐसे में कष्ट तो होगा ही। सवाल: आपकी पुरानी तस्वीरों को वायरल किया जा रहा है, आप ट्रोल हो रहीं हैं, क्या कहना चाहेंगी?
जवाब : मेरी पुरानी तस्वीरों में कुछ भी गलत नहीं है। मैंने कुछ भी नहीं छिपाया। मैंने सभी को खुलकर बताया कि मैं एक्टर थी, एंकर थी। अब उससे बाहर निकलकर धर्म से जुड़ गई हूं। मैंने खुद ही सबको बताया। मेरा खुद का कंटेंट वायरल करना, गलत बात है। जिस प्रोफेशन में थी, वहां छोटे कपड़े पहनना, जींस-टॉप पहनना चलता है। भारत में बड़े-बड़े शहरों में लड़कियां हर तरह के कपड़े पहन रही हैं। लेकिन मुझे मेरी मर्यादा का हमेशा ध्यान रहा है। मैंने कभी नॉनवेज खाते हुए फोटो-वीडियो सामने नहीं आई। सिर्फ कपड़ों को लेकर मेरा चरित्र जस्टिफाई किया जा रहा है। ऐसे में यह गलत बात है, समस्त नारी जाति का अपमान किया जा रहा है। अगर कपड़ों की बात कर रहे हैं, तो महाकुंभ में नागा साधु भी हैं। फिर आप नारी को ही क्यों ट्रोल कर रहे हैं। एक बेटी को बचाना चाहिए। लेकिन लोग मुझे ट्रोल कर रहे हैं। गलत कमेंट कर रहे हैं। सवाल : आनंद स्वरूप महाराज ने आपको लेकर कमेंट किया है, क्या कहना चाहेंगी?
जवाब : मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है। आनंद स्वरूप के स्टेटमेंट पर हंसी भी आ रही है। क्योंकि हम तब किसी पर उंगली उठाने लायक होते हैं, जब हम खुद में ठीक होते हैं। मैंने उनके बारे में पता किया। मुझे पता चला कि वो खुद को संत और तपस्वी बताते हैं, लेकिन उनकी खुद की फैमिली है। बीवी और बच्चे हैं। लेकिन, वो अपने परिवार के बारे में किसी को नहीं बताते। आनंद स्वरूप का एक काम है, वो खाली बैठे हैं। उनका काम है कि आगे बढ़ रहे लोगों को पीछे करें। उन्होंने जब देखा कि मेरे परम पूज्य गुरुदेव का नाम हो रहा है, लोग मांस-मदिरा को छोड़कर गुरुदेव के सानिध्य में बैठे हैं। तभी जलन की भावना में उन्होंने ऐसा किया। किन्नर अखाड़े और जूना अखाड़े को लेकर बहुत कुछ बोला था, लेकिन वहां उनकी दाल नहीं गली। अब वो मेरे कंधों पर बंदूक रखकर चला रहे हैं। सवाल : अब कुंभ में रहेंगी या नहीं?
जवाब : मैंने सोचा था कि पूरे कुंभ मेले में रहूंगी। इसी मंशा से यहां आई थी। अब मुझे कैद होकर रहना पड़ रहा है। जिस उद्देश्य के साथ आई थी, वो पूरा नहीं हो पा रहा। लोगों से और उनके सवालों से बचना पड़ रहा है। मुझे अब फील हो रहा है कि मैंने बहुत बड़ा गुनाह कर दिया। मुझे टारगेट किया जा रहा है। अब मैं यहां नहीं रह पाऊंगी, क्योंकि खुलकर सांस नहीं ले पा रही। इससे अच्छा है कि मैं यहां से चली जाऊं। मैं कुंभ छोड़कर जाने का प्लान कर चुकी हूं। खुद को बड़ा साधु-संत बताने वाले अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। जो उनकी बेटी समान है, उस पर कमेंट करने वालों को शर्म आनी चाहिए। आपने ऐसा कमेंट किया कि एक बेटी महाकुंभ छोड़ने को मजबूर हो रही है। वो महाकुंभ, जो लाइफ में एक बार आएगा। इस आनंद स्वरूप को पुण्य नहीं, पाप जरूर लगेगा। इतना मैं बोलकर जा रही हूं। पूरे युवाओं से धर्म को जानने का मौका छीना गया
हर्षा ने कहा- मैं यहां युवाओं को प्रेरित करने आई थी। धर्म और संस्कृति से जोड़ने के लिए आई थी, लेकिन यहां कुछ लोगों ने मुझसे ही यह मौका छीन लिया। इन्होंने मुझसे नहीं, पूरे युवाओं से यह मौका छीना है। इनका मानना है कि जो वेस्टर्न कल्चर में था, तो उसे कोई हक नहीं कि वह अपने धर्म और संस्कृति को जाने। भगवान भी यह अधिकार नहीं छीन सकते
हर्षा ने रोते हुए कहा- भगवान ने भी हमसे कभी पूजा करने का हक नहीं छीना। भगवान के पास भी यह अधिकार नहीं कि वह हमसे धर्म और संस्कृति को जानने का हक छीन लें। लेकिन इन लोगों ने मुझे मॉडल और नाचने-गाने वाला करार दिया। मैं अपनी मर्यादा में थी। मैंने महाकुंभ में आकर क्या अभद्र और क्या गलत कर दिया? इन लोगों ने मुझे परेशान कर दिया, त्रस्त कर दिया है। —————————- यह खबरें भी पढ़ें… महाकुंभ से चर्चा में आईं हर्षा ने संन्यास नहीं लिया, पिता का दावा, बोले- बेटी ने सिर्फ गुरु दीक्षा ली, जल्द शादी करेंगे प्रयागराज महाकुंभ में पेशवाई के रथ पर बैठने के बाद चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने संन्यास नहीं लिया है। ऐसा दावा उनके माता-पिता ने किया। पिता दिनेश रिछारिया ने कहा- बेटी पर साध्वी का टैग गलत लगाया गया। उसने सिर्फ दीक्षा ली है। संन्यास नहीं लिया है, जल्द ही उसकी शादी करेंगे। पढ़ें पूरी खबर… महाकुंभ में मॉडल को रथ पर बैठाने पर भड़के संत: कहा- धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक, परिणाम भुगतने होंगे प्रयागराज महाकुंभ में पेशवाई के दौरान मॉडल को रथ पर बैठाने को लेकर विवाद छिड़ गया है। शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा- यह उचित नहीं है। इससे समाज में गलत संदेश फैलता है। धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक है। साधु-संतों को इससे बचना चाहिए, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। पढ़ें पूरी खबर…