अमृतसर | रायन इंटरनेशनल स्कूल अमृतसर में चेयरमैन सर डॉ. एएफ पिंटो और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. ग्रेस पिंटो की अध्यक्षता में 76वां गणतंत्र दिवस मनाया गया। इस दौरान प्रिंसिपल कंचन मल्होत्रा और गुरमिंदर सिंह (सहायक कमांडेंट आईटीबीपी) मुख्यातिथि द्वारा ध्वजारोहण किया गया। पौधा देकर मुख्यातिथि का अभिनंदन किया गया तथा एक स्वच्छ तथा हरी भरी धरती का संदेश प्रेषित किया गया। छात्रों ने मनमोहक देशभक्ति गीत गाए, देशभक्ति नृत्य और नाटक की प्रस्तुत किए गए। विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को जिसमें अनमोल जीत सिंह (चौथी बी, कराटे) नमन साहनी (10वीं बी, किक बॉक्सिंग और कराटे), परिनाज कौर (नवमी डी, रोलर स्केटिंग), दिशिका स्री (नवमी बी., बैडमिंटन) प्रमाण पत्र तथा मेडल देकर सम्मानित किया गया। मुख्यातिथि ने छात्रों को लग्न, परिश्रम, साधना तथा एकाग्रता के साथ अनुशासन सहित जीवन व्यतीत करने का संदेश दिया। अमृतसर | रायन इंटरनेशनल स्कूल अमृतसर में चेयरमैन सर डॉ. एएफ पिंटो और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. ग्रेस पिंटो की अध्यक्षता में 76वां गणतंत्र दिवस मनाया गया। इस दौरान प्रिंसिपल कंचन मल्होत्रा और गुरमिंदर सिंह (सहायक कमांडेंट आईटीबीपी) मुख्यातिथि द्वारा ध्वजारोहण किया गया। पौधा देकर मुख्यातिथि का अभिनंदन किया गया तथा एक स्वच्छ तथा हरी भरी धरती का संदेश प्रेषित किया गया। छात्रों ने मनमोहक देशभक्ति गीत गाए, देशभक्ति नृत्य और नाटक की प्रस्तुत किए गए। विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को जिसमें अनमोल जीत सिंह (चौथी बी, कराटे) नमन साहनी (10वीं बी, किक बॉक्सिंग और कराटे), परिनाज कौर (नवमी डी, रोलर स्केटिंग), दिशिका स्री (नवमी बी., बैडमिंटन) प्रमाण पत्र तथा मेडल देकर सम्मानित किया गया। मुख्यातिथि ने छात्रों को लग्न, परिश्रम, साधना तथा एकाग्रता के साथ अनुशासन सहित जीवन व्यतीत करने का संदेश दिया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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डिंपी ढिल्लों ने SAD छोड़ा, आप में जाने की चर्चा:मनप्रीत बादल की वजह से पार्टी छोड़ी, दलजीत सिंह चीमा की सफाई
डिंपी ढिल्लों ने SAD छोड़ा, आप में जाने की चर्चा:मनप्रीत बादल की वजह से पार्टी छोड़ी, दलजीत सिंह चीमा की सफाई शिरोमणि अकाली दल (SAD) को एक और झटका लगा है। गिद्दड़बाहा के सीनियर अकाली नेता और हलका प्रभारी हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाकर इस बारे में ऐलान किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने भरे मन से यह फैसला लिया है। वह करीब 39 से चालीस सालों से पार्टी जुड़े हुए थे। बादल साहब से उनकी पुरानी दोस्ती परिवारवाद की भेंट चढ़ गई। उन्होंने मनप्रीत बादल को एक वजह बताया है। वहीं, उनके आम आदमी पार्टी जॉइन करने की चर्चा है।हालांकि उनका कहना है कि वह पार्टी वर्करों से मीटिंग कर अगला फैसला लेंगे। अकाली दल ढिल्लों का करता है समर्थन दूसरी तरफ अकाली दल के सीनियर नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि गिद्दड़बाहा हलके में किसी अन्य पार्टी के किसी भी नेता को आगामी उपचुनाव में उम्मीदवार के रूप में उतारने का कोई इरादा नहीं है। इस तरह की सभी अटकलें झूठी और निराधार हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी ने इस तरह के किसी भी कदम के बारे में किसी से चर्चा नहीं की है। डाॅ. चीमा ने यह भी स्पष्ट किया कि आगामी उपचुनाव के लिए अकाली दल पूरी तरह से भरोसेमंद हरदीप सिंह ढिल्लों का समर्थन करती है। उन्होने ढिल्लों से अकाली दल की विरोधी ताकतों द्वारा फैलाए जा रहे दुष्प्रचार से गुमराह न होने का भी आग्रह किया है। वरिष्ठ अकाली नेता ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने मीटिंगों में खुले तौर पर कहा है कि डिंपी ढिल्लों गिद्दड़बाहा से पार्टी के लिए सबसे अच्छे उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा कि ढिल्लों की उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा नहीं की जा सकती, क्योंकि संसदीय बोर्ड अभी भी उपचुनाव वाले सभी चार हलकों से उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने की प्रक्रिया में है। पार्टी अध्यक्ष सहित पूरी पार्टी उनके साथ है और उनसे पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करने की उम्मीद करती है। 15 मिनट में गिनाया 38 साल का सफर डिंपी ढिल्लों पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने से पहले फेसबुक पर लाइव हुए। उन्होंने कहा जिस पार्टी से आदमी 37- 38 साल से जुड़ा हूं, उसे छोड़ने का फैसला बडे़ भावुक होकर लेने जा रहा हूं। सबसे बड़ा इमोशन मेरे स्व. पिता शिवराज सिंह ढिल्लों साहब थे। जो कि सारे परिवार काे बादल साहिब की बाजू पकड़ाकर गए थे। साथ ही कहकर गए थे अच्छा बुरा समय पार्टी पर आता है। लेकिन पार्टी का साथ नहीं छोड़ना है। 1989 से पार्टी से जुड़े थे, पीछे मुड़कर नहीं देखा डिंपी ने कहा 1989 में पार्टी में पहली बार भाई शमिंदर सिंह चुनाव लड़े थे, तो मैंने काम किया। 1992 में पार्टी ने चुनाव का बायॅकाट किया था। 1995 में पार्टी ने गिद्दड़बाहा उपचुनाव जीता था। 1997 में पार्टी की पंजाब में सरकार बनी। बादल साहब पंजाब के मुख्यमंत्री बने। 2002 तक सरकार का लाभ उठाया। 2002 में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार की सरकार बनी। उनकी वजह से हमारा भी काफी नुकसान हुआ। लेकिन हम बादल परिवार के साथ खड़े । हमने मनप्रीत की बजाए सुखबीर बादल को चुना डिंपी ने कहा कि जब भी बादल साहब या सुखबीर जी का जो भी मैसेज आता था। हमेशा उस फैसले काे स्वीकार करते थे। पांच साल की कड़ी मशक्त बाद 2007 में अकाली दल की सरकार बनी । सब कुछ ठीक चल रहा था। 2010 में पार्टी पर संकट आया। मनप्रीत बादल ने एक और पार्टी बना ली। फिर हमारे लिए दो रास्ते बन गए। एक रास्ता मनप्रीत बादल की तरफ जाता था तो दूसरा सुखबीर सिंह बादल की तरफ जाता था। हमने सुखबीर बादल का रास्ता चुना। 2012 में ऐसा लग रहा था पीपीपी की सरकार बनेगी, मनप्रीत बादल मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन हम ढोले नहीं है। लेकिन अकाली दल पार्टी की डटकर सेवा की और हमारी सरकार बनी। सरकार बनने के बाद हलके की सेवा मुझे दी गई। कभी बादल साहब की पगड़ी को दाग नहीं लगने दिया। पांच साल काम किया। 2017 में पहला चुनाव लड़ा। उस समय पार्टी का स्तर काफी नीचे गिर गया था, बेअदबी व नशों के चलते पार्टी का ग्राफ काफी नीचे था। लेकिन 49 हजार वोट मिले। चुनाव हार गया। पर्चे हुए, लेकिन पार्टी के वर्करों के साथ खड़े रहे डिंपी ने कहा कि फिर कांग्रेस की सरकार आई। कांग्रेस सरकार में बड़े पर्चे हमारे ऊपर करवाए गए। वर्करों को कभी पीठ नहीं दिखाई। 2022 के चुनाव भी डकटर चुनाव लड़े। 50 हजार के करीब वोट पड़े। आम आदमी पार्टी की हवा के बीच 1300 वोटों से चुनाव हार गए। अचानक जनवरी में बादल साहब से मैंने पूछा मनप्रीत ने गिद्दड़बाहा सरगर्मियां बढ़ा दी हैं। क्या आपके ध्यान में है। उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी जॉइन करना चाहता है। उसका कहना है कि गिद्दड़बाहा से चुनाव लड़ेगा। इसके बाद बादल ने मुझे कहा कि डिंपी सियासत करनी है या नहीं। यह बात मुझे बड़ी चुबी। फिर कहा कि सियासत करनी है तो तू तलवंडी साबो चला जा। मैंने कहा कि मैं वहां नहीं जाऊंगा। मैं घर पर बैठ गया। फिर सुखबीर का फोन आया और कहा मैं तो वैसे ही मजाक किया था, तू तो सीरियस हो गया। तू मेरी किचन कैबिनेट का मेंबर हो, हलका संभाल। फिर दोबारा उपचुनाव की स्थिति बनी तो पूछा प्रधान जी क्या आदेश है। उन्होंने कहा कि तैयारियां शुरू करो। मैंने पूछा कि इलेक्शन कौन लड़ेगा,बता देंगे। एक दिन बीबा जी ने एनाउंस कर दिया कि सुखबीर बादल इलेक्शन लड़ेंगे। हालांकि अगले दिन सुखबीर बादल ने कहा कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा। तू इलेक्शन लड़ेगा। फिर मैंने उन्हें कहा कि स्थिति साफ करो। मनप्रीत बादल बोले हम घी खिचड़ी डिंपी ने कहा कि मनप्रीत सिंह बादल साहब फिर एक्टिव हो गए। वह बीजेपी के नेता है। मनप्रीत बीजेपी में शामिल किसी को करवाते नहीं है। मेरे सारे समर्थक कहने लगे पडे़ कि धोखा न हो जाए। गांवों के प्रोग्राम बने गए हैं। फिर मैंने सुखबीर को कहा कि मनप्रीत बादल के बारे में स्थिति साफ करो। मुझे या खुद को उम्मीदवार घोषित कर दो। आखिर में मुझे लगा कि मैं दोनों भाईयों के बीच रोड़ा बन रहा हूं। मनप्रीत बादल गांवों में कहते हैं कि सुखबीर और वह घी खिचड़ी है। ऐसे में हमने तय किया कि इस सिसासत की भेंट नहीं चड़ सकता हूं। इतनी बात जरूर बता दूं कि मैंने किसी से कोई गदारी नहीं की है। मैं घर बैठने जा रहा हूं। 36 -37 साल पुरानी परिवारवाद की भेंट चढ़ गई है।बादल साहब ने मेरे से आंखे फेर ली, लेकिन मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। 2022 में मात्र 1349 वोटों से हारे थे डिंपो ढिल्लों की गिदड़बाहा सीट पर अच्छी पकड़ है। दो बार चुनावों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा है। साल 2012 से यहां से लगातार कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वरिंग चुनाव जीतने आ रहे है। 2017 में उन्होंने हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को राजा वड़िंग ने हराया था। चुनाव में डिंपी को 47288 को वोट मिले थे, जबकि वड़िंग को 63500 मत मिले थे। जबकि 2022 में जब पूरे राज्य में आम आदमी पार्टी की हवा थी। लेकिन इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के बीच में ही मुकाबला था। इस दौरान राजा वड़िंग के वोट कम होकर 50998 रह गए। जबकि डिंपी को 49649 वोट मिले। दोनों में जीत का अंतर 1349 वोट का था। ऐसे में डिंपी ढिल्लों खुद को काफी मजबूत दावेदर इस सीट से मानते हैं। गिद्दड़बाहा सीट SAD का गढ़ गिद्दड़बाहा सीट 1967 में बनी थी। पहला चुनाव यहां से कांग्रेस नेता हरचरण सिंह बराड़ जीते थे। इसके बाद लगातार पांच बार 1969, 72, 77, 80 और 85 में इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जीते। 1992 में कांग्रेस नेता रघुबीर सिंह जीते। इसके बाद 1995, 97, 2002 और 2007 में सीट से शिरोमणि अकाली दल की टिकट पर मनप्रीत बादल जीतते रहे। जबकि 2012, 2017 और 2022 में इस सीट से कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग जीते हैं। लेकिन अब वह लुधियाना से लोकसभा सांसद हैं। उन्होंने इस सीट के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। इस वजह से यह सीट खाली हुई है।
40 के पार हुआ फरीदकोट का तापमान:लुधियाना में 9.8mm बारिश दर्ज, रविवार बारिश के आसार; देश में सबसे सूखा राज्य पंजाब
40 के पार हुआ फरीदकोट का तापमान:लुधियाना में 9.8mm बारिश दर्ज, रविवार बारिश के आसार; देश में सबसे सूखा राज्य पंजाब पंजाब में तकरीबन 3 दिन के बाद तापमान में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। इसके बावजूद तापमान सामान्य से 3.1 डिग्री अधिक दर्ज किया गया। पर्याप्त बारिश ना होने के चलते तापमान फिर 40 डिग्री के पार चला गया है। वहीं, आज शनिवार भी बारिश को लेकर कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया। लेकिन रविवार को कुछ इलाकों में बारिश की संभावनाएं बन रही हैं। जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी। मौसम विज्ञान केंद्र (IMD) के अनुसार बीते दिन लुधियाना में 9.8mm बारिश रिकॉर्ड की गई। जबकि अन्य पूरे राज्य में सूखे की स्थिति रही। जिसके चलते पंजाब के फरीदकोट में तापमान 40.3 डिग्री दर्ज किया गया। IMD की तरफ से आज किसी भी तरह का कोई अलर्ट नहीं है। लेकिन, हिमाचल प्रदेश के साथ सटे इलाकों में बारिश की संभावनाएं 25 से 50% तक बनी हुई हैं। जबकि अन्य पंजाब में संभावनाएं काफी कम हैं। रविवार को पंजाब के पठानकोट व होशियारपुर में बारिश की प्रबल संभावनाएं बन रही हैं। जबकि माझा व दोआबा के अन्य जिलों में 50% तक बारिश बारिश की संभावनाएं बन रही हैं। पंजाब में सबसे कम बारिश पूरे देश में सबसे कम बारिश इस सीजन पंजाब में दर्ज की जा रही है। 1 जून से शुरू हुए इस सीजन के अनुसार अभी तक पंजाब में मात्र 107.3mm बारिश रिकॉर्ड हुई है, जो देश में सबसे कम है। जबकि अभी तक पंजाब में 189mm बारिश हो जानी चाहिए थी। वहीं हरियाणा दूसरे स्थान पर है, जहां मात्र 109.4mm बारिश दर्ज की गई है, जबकि यहां समान्यता 179.9mm बारिश होती है। बंगाल में दबाव के चलते बढ़ी मुश्किलें इस मानसून बंगाल की खड़ी में दबाव की स्थिति लगातार बनी हुई है। जिसके चलते मानसून पंजाब- हरियाणा में पूरी तरह से एक्टिव नहीं हो पा रहा। यही कारण है कि पंजाब- हरियाणा के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश व चंडीगढ़ में भी खुल कर बारिश नहीं हो रही। पंजाब के प्रमुख शहरों का तापमान अमृतसर- बीती शाम अधिकतम तापमान 36.8 डिग्री दर्ज किया गया। आज हल्के बादल छाए रहेंगे। तापमान 27 से 37 डिग्री के बीच रह सकता है। जालंधर- शुक्रवार अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री दर्ज किया गया। आज हल्के बादल छाए रहेंगे। तापमान 30 से 37 डिग्री के बीच रह सकता है। लुधियाना- शुक्रवार शाम अधिकतम तापमान 37 डिग्री दर्ज किया गया। आज हल्के बादल छाए रहेंगे। तापमान 27 से 37 डिग्री के बीच रह सकता है। पटियाला- शुक्रवार का अधिकतम तापमान 36.3 डिग्री दर्ज किया गया। आज हल्के बादल छाए रहेंगे। तापमान 29 से 36 डिग्री के बीच रह सकता है। मोहाली- शुक्रवार शाम अधिकतम तापमान 36.3 डिग्री दर्ज किया गया। आज हल्के बादल छाए रहेंगे। तापमान 27 से 37 डिग्री के बीच रह सकता है।
भगत सिंह को आतंकी बताने पर घमासान:पाकिस्तान ने कहा- वह स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, पंजाब के AAP सांसद कंग बोले- भारत सरकार दखल दे
भगत सिंह को आतंकी बताने पर घमासान:पाकिस्तान ने कहा- वह स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, पंजाब के AAP सांसद कंग बोले- भारत सरकार दखल दे शहीद-ए-आजम भगत सिंह को पाकिस्तान क्रांतिकारी नहीं बल्कि आतंकी मानता है। यह बात पाकिस्तान की पंजाब सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह रखने से जुड़े मामले की सुनवाई में रखी गई है। वहीं, पाकिस्तान सरकार ने कहा कि चौक का नाम बदलने और प्रतिमा लगाने की योजना रद्द कर दी गई है। शहीद के नाम पर चौक का नाम रखने की लड़ाई लड़ने वाली भगत सिंह फाउंडेशन ने कहा कि वह इस मामले कानूनी लड़ाई लड़ेगी। इस मामले में भारत के पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और सांसद मालविंदर सिंह ने कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह करोड़ों लोगों के प्रेरणा स्त्रोत हैं। पाकिस्तान में भी उनके समर्थक हैं। पाकिस्तान पंजाब की सरकार का हाईकोर्ट में इस तरफ का हल्फनामा देना यह बहुत दुखदाई और पीड़ा दायक है। आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करती है कि इस मामले में दखल दे। साथ ही जो शब्दाबली प्रयोग की गई है, उसकी हम निंदा करते हैं। हाईकोर्ट के रिकॉर्ड से यह शब्द हटाए जाने चाहिए। अदालत में पाकिस्तान पंजाब सरकार ने रखे तीन तर्क पंजाब पाकिस्तान सरकार की तरफ से उच्च अदालत में तीन तर्क दिए गए हैं। जिसके आधार पर उन्होंने अपनी योजना को रद्द करने के बारे में बताया है। सरकार द्वारा बनाई कमेटी में शामिल कमोडोर सेवानिवृत तारिक मजीद की तरफ से यह जवाब दाखिल किया गया है। फर्जी प्रचार पर आधारित है योजना लाहौर हाईकोर्ट में पाकिस्तान की पंजाब सरकार की कमेटी ने अपने जवाब में कहा है कि एक गैर सरकारी संगठन भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन लाहौर में शादमान चौक का नाम बदल कर भगत सिंह चौक रखने का मामला बना रहा है। यह फर्जी प्रचार पर आधारित एक भयावह योजना है और इसे सफल नहीं होने दिया जाना चाहिए। भगत सिंह के चरित्र को एक महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी और शहीद के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। ये झूठे सम्मान हैं। इनमें से कोई भी उसे किसी भी तरह से प्रभावित नहीं कर सकता। आजादी की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं भगत सिंह की उपमहाद्वीप के स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं थी। वह एक क्रांतिकारी नहीं बल्कि एक कॉमिनल-आज के शब्दों में एक आतंकवादी था, क्योंकि उसने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी और इसके लिए उसे और उसके साथियों को फांसी की सजा दी गई थी। वह एक अपराधी था। इस अपराधी को शहीद कहना एक अपमानजनक और इस्लाम में शहीद की अवधारणा का जानबूझकर अपमान है। इस्लाम विरोधी के लिए अनुकूल प्रचार भगत सिंह के बारे में समाचार-पत्रों में अक्सर खबरें छपती रहती थीं और मैं (कमोडोर सेवानिवृत तारिक मजीद) सोचता था कि पाकिस्तान के लिए काम करने वाले में पाकिस्तानी विचारधारा के दुश्मन इस किरदार को इतनी लोकप्रियता क्यों मिल रही है, लेकिन मैंने इसे नजर अंदाज कर दिया। फिर 23 मार्च 2015 को दीवान में छपी एक खबर ने मेरा ध्यान खींचा, जिसमें कहा गया था कि भगत सिंह को याद किया जाता है। पंजाब के लोक रहवासियों द्वारा फरीद टाउन में आयोजित एक संवादात्मक संवाद भगत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर फोर्ट स्ट्रीट पर आयोजित किया गया। इसमें कहा गया था कि भगत सिंह संघर्ष वंचितों के उत्थान के लिए था। इस अवसर पर इस बात पर जोर दिया गया कि स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनकी भूमिका को इतिहास में अवश्य स्वीकार किया जाना चाहिए।