पंजाब सरकार ने सीनियर आईएएस अधिकारी विवेक प्रताप सिंह को गवर्नर गुलाब चंद कटारिया का प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया है। वह 1992 बैच के IAS अधिकारी है। साथ ही सरकार के कई पदों पर काम कर चुके हैं। इससे पहले इस पद की जिम्मेदारी के शिव प्रसाद संभाल रहे थे। हालांकि उन्होंने कुछ दिन पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन किया था। सरकार ने उनके आवेदन को मंजूरी दे दी थी। साथ ही उनकी फाइल केंद्र सरकार को भेज दी थी। आदेश की कॉपी पंजाब सरकार ने सीनियर आईएएस अधिकारी विवेक प्रताप सिंह को गवर्नर गुलाब चंद कटारिया का प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया है। वह 1992 बैच के IAS अधिकारी है। साथ ही सरकार के कई पदों पर काम कर चुके हैं। इससे पहले इस पद की जिम्मेदारी के शिव प्रसाद संभाल रहे थे। हालांकि उन्होंने कुछ दिन पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन किया था। सरकार ने उनके आवेदन को मंजूरी दे दी थी। साथ ही उनकी फाइल केंद्र सरकार को भेज दी थी। आदेश की कॉपी पंजाब | दैनिक भास्कर
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चंडीगढ़ में मां ने कराया बेटे का यौन शोषण:HC ने जमानत याचिका की खारिज, प्रेमी के साथ मिलकर की घिनौना काम
चंडीगढ़ में मां ने कराया बेटे का यौन शोषण:HC ने जमानत याचिका की खारिज, प्रेमी के साथ मिलकर की घिनौना काम चंडीगढ़ में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां एक मां ने अपने 2 साल के बेटे का अपने प्रेमी के साथ मिलकर यौन शोषण करवाया। इसकी जानकारी जब महिला के पति को हुई तो उसने पुलिस से इसकी शिकायत कर दी। जिसके बाद महिला ने हाईकोर्ट में अग्रीम जमानत याचिका लगाई थी। अपने प्रेमी की इच्छापूर्ति के लिए 2 वर्षीय बेटे का यौन शोषण करवाने के गंभीर आरोपों का सामना कर रही महिला की अग्रिम जमानत याचिका को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने इसे मां-बच्चे के रिश्ते को शर्मसार करने वाला कृत्य बताते हुए कहा कि यह न केवल मानवता के खिलाफ है, बल्कि समाज पर भी गलत प्रभाव डालता है। पति ने मोबाइल में देखी शर्मनाक तस्वीरें
शिकायतकर्ता पति ने पुलिस में दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया कि उनकी पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर उनके मासूम बेटे का शोषण करवाया। उन्होंने अपनी पत्नी के मोबाइल में बेटे की आपत्तिजनक तस्वीरें देखीं, जिनमें कथित प्रेमी बच्चे के साथ घिनौना कृत्य करता नजर आ रहा था। यह देख पति ने तुरंत पुलिस को सूचित किया और एफआईआर दर्ज कराई। कोर्ट का सख्त रुख: मां का कर्तव्य निभाने में असफल
जस्टिस सुमीत गोयल ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, “मां का सबसे बड़ा दायित्व अपने बच्चे की सुरक्षा और देखभाल करना है, लेकिन इस मामले में मां ने अपने कर्तव्यों को गंभीरता से तोड़ा है। यह कृत्य न केवल मां-बच्चे के रिश्ते को शर्मसार करता है, बल्कि पूरे समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।” गंभीर आरोप, जमानत की हकदार नहीं
कोर्ट ने कहा कि आरोपी महिला के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। इस तरह के गंभीर आरोपों में अग्रिम जमानत देना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच जरूरी है। न्यायिक संतुलन जरूरी: हाईकोर्ट
जस्टिस गोयल ने अपने फैसले में कहा कि अपराध की गंभीरता, आरोपी की भूमिका और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए न्यायालय को संतुलन बनाना होगा। उन्होंने कहा, “अग्रिम जमानत का उद्देश्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करना है, लेकिन जब मामला समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला हो, तो कठोर निर्णय लेना आवश्यक हो जाता है। याचिका खारिज, जांच के निर्देश
कोर्ट ने आरोपी महिला की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में सच्चाई सामने लाने के लिए गहन जांच जरूरी है। पुलिस को मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
पंजाब में शिअद के लिए SGPC चुनाव होंगे चुनौती:लगातार हार से पार्टी में बगावत; निशाने पर सुखबीर; बड़े बादल से अनुभव की कमी
पंजाब में शिअद के लिए SGPC चुनाव होंगे चुनौती:लगातार हार से पार्टी में बगावत; निशाने पर सुखबीर; बड़े बादल से अनुभव की कमी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में बगावत ने पार्टी नेतृत्व को पूरी तरह उलझा दिया है। बागी गुट के नेता पार्टी की इस हालत के लिए प्रधान सुखबीर बादल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और उनके इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं। पार्टी में फूट का असर जालंधर पश्चिम विधानसभा उपचुनाव में भी साफ देखने को मिला। जहां शिअद के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 1500 से भी कम वोट मिले और उसकी जमानत तक जब्त हो गई। वहीं, अगर यह बगावत जल्द नहीं थमी तो शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) चुनाव भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन जाएंगे। ऐसे में आइए समझते हैं कि पार्टी में बगावत क्यों पैदा हुई। 10 साल सत्ता में रहने के बाद लगातार हार शिरोमणि अकाली दल वो पार्टी है जो 2017 तक लगातार दो बार सरकार बनाने में सफल रही। हालांकि, साल 2015 में बेअदबी कांड और डेरा प्रमुख को माफ़ी देने का मामला हुआ। इससे लोगों की नाराज़गी बढ़ती चली गई। जिसका असर 2017 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। पार्टी सिर्फ़ 15 सीटों पर सिमट गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी दो सीटें जीतने में कामयाब रही। कार्यकर्ता भी पार्टी से दूर होने लगे और 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ़ 3 सीटें मिलीं। सभी बड़े नेता चुनाव हार गए। हालांकि, उस समय प्रकाश सिंह बादल ज़िंदा थे। ऐसे में उन्होंने झुंडा कमेटी बनाकर संगठनात्मक ढांचे को भंग कर दिया। हालांकि, सुखबीर बादल को प्रधान बनाए रखा। लोकसभा चुनाव में एक सीट तक सीमित 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी प्रमुख ने पंजाब बचाओ यात्रा निकाली। लोगों से जुड़ने की कोशिश की गई। साथ ही पार्टी को मजबूत किया गया। लेकिन इससे भी पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ। पार्टी बठिंडा सीट को छोड़कर किसी भी सीट पर चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हुई। यह सीट भी बादल परिवार की बहू हरसिमरत कौर ने जीती। इसके बाद जैसे ही चुनाव के लिए मंथन शुरू हुआ, उससे पहले ही पार्टी प्रमुख से इस्तीफा मांग लिया गया। इसके बाद बागी गुट श्री अकाली तख्त पहुंच गया। माफी के लिए अर्जी भी लगा दी। अब आइए जानते हैं एसजीपीसी चुनाव की चुनौतियां इस बार एसजीपीसी चुनाव में शिअद को किसी और से नहीं बल्कि अपने ही लोगों से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि अकाली दल के बागी गुट में शामिल हुए नेता ही अकाली दल की ताकत हैं। इन लोगों का अपना प्रभाव है। चाहे वो वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा हों, प्रो. प्रेम चंदूमाजरा हों, बीबी जागीर कौर हों या कोई और नाम। अमृतपाल और खालसा की तरफ झुकाव खडूर साहिब से अमृतपाल सिंह और फरीदकोट से सरबजीत सिंह खालसा ने चुनाव जीता है। वे शिरोमणि अकाली दल के थिंक टैंक की भी नींद उड़ा रहे हैं। माना जा रहा है कि वे इस बार एसजीपीसी चुनाव में अपने समर्थकों को भी उतारेंगे। सरबजीत सिंह खालसा ने कुछ दिन पहले दिल्ली में मीडिया से बातचीत में इस बात के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि आने वाले दिनों में इस बारे में फैसला लिया जाएगा। दोनों का अपने इलाकों में अच्छा प्रभाव है। एसजीपीसी में बड़े नेताओं की दिलचस्पी बीजेपी और आप में शामिल कई सिख नेता भी एसजीपीसी चुनाव में काफी दिलचस्पी रखते हैं। ऐसे में अकाली दल के लिए सीधी चुनौती है। अगर पिछले ढाई दशक की बात करें तो कभी ऐसा मौका नहीं आया जब किसी ने पार्टी द्वारा नामित उम्मीदवार को चुनौती दी हो। लेकिन अगर वे चुनाव में कमजोर पड़ गए तो यह भी देखने को मिलेगा। अकालियों के पास जो ताकत है वह भी उनके हाथ से निकल जाएगी। बड़े बादल जैसे अनुभव की कमी भले ही पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के पास करीब 29 साल का राजनीतिक अनुभव है, लेकिन उनके पास अपने पिता स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल जैसा अनुभव नहीं है, जो नाराज लोगों को मनाने और दुश्मन को गले लगाने में माहिर थे। इसका फायदा अब विपक्ष उठा रहा है। हालांकि प्रकाश सिंह बादल के बाद तीन बार सरकार बनी। उस समय भी कई नेता पार्टी में घुटन महसूस कर रहे थे, लेकिन उन्होंने किसी को बगावत का मौका नहीं दिया।
पंजाब पुलिस ने बनाया NDPS का झूठा केस:साइड नहीं दी तो किया गिरफ्तार, जांच में निकली पैरासिटामोल, HC में पेश होंगे कपूरथला SSP
पंजाब पुलिस ने बनाया NDPS का झूठा केस:साइड नहीं दी तो किया गिरफ्तार, जांच में निकली पैरासिटामोल, HC में पेश होंगे कपूरथला SSP पंजाब पुलिस द्वारा एक निर्दोष व्यक्ति को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट के तहत झूठे मामले में फंसाने का मामला सामने आया है। हाईकोर्ट ने पुलिस की इस मनमानी पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि एनडीपीएस एक्ट का इस प्रकार दुरुपयोग जनता के विश्वास को कमजोर करता है। मामला तब प्रकाश में आया जब फॉरेंसिक जांच में बरामद सैंपल पैरासिटामोल निकले, ना कि कोई अवैध नशीला पदार्थ। क्या है पूरा मामला ? याचिकाकर्ता लवप्रीत सिंह ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया कि जब उसने पुलिस वाहन को ओवरटेक करने के लिए साइड नहीं दी, तो पुलिस ने उस पर एनडीपीएस एक्ट के तहत झूठा मामला दर्ज कर दिया। लवप्रीत का आरोप है कि पुलिस ने उसे रोककर झूठा आरोप लगाते हुए उसकी गाड़ी और मोबाइल फोन जब्त कर लिए और उसे गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में पुलिस ने दावा किया था कि लवप्रीत के पास से नशीले पदार्थ बरामद हुए हैं। फॉरेंसिक रिपोर्ट ने खोली पोल फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) द्वारा की गई जांच में पुलिस के दावे की पोल खुल गई। रिपोर्ट के अनुसार, जिस सामग्री को नशीला पदार्थ बताया गया था, वह वास्तव में पैरासिटामोल निकली। जो एक सामान्य दर्द निवारक दवा है। हाईकोर्ट ने इस तथ्य को देखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को झूठे आरोपों में फंसाया गया है और उसे जमानत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने जताई नाराजगी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिस की इस साजिश पर सख्त नाराजगी जाहिर की। जस्टिस कीर्ति सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पुलिस द्वारा एनडीपीएस एक्ट का दुरुपयोग गंभीर चिंता का विषय है। ऐसे मामलों में निर्दोष लोगों को कानूनी लड़ाई में फंसाकर उनकी प्रतिष्ठा और जीवन को नुकसान पहुंचाया जाता है। कोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया है कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच की जाए और इस मामले में क्या कार्रवाई की गई, इसकी जानकारी स्टेटस रिपोर्ट के रूप में 20 सितंबर तक अदालत में पेश की जाए। कपूरथला एसएसपी को पेश होने का आदेश हाईकोर्ट ने कपूरथला के एसएसपी को 20 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोषी अधिकारियों पर सख्त जुर्माना लगाया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो।