महिला ने इस वजह से बॉम्बे हाई कोर्ट से गर्भपात की मांगी इजाजत, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

महिला ने इस वजह से बॉम्बे हाई कोर्ट से गर्भपात की मांगी इजाजत, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

<p style=”text-align: justify;”>महाराष्ट्र में एक महिला ने पति के साथ वैवाहिक समस्याओं के चलते अदालत से 20 सप्ताह के अपने गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगी है. महिला ने इस सिलसिले में बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) में एक याचिका दायर की है. हाई कोर्ट ने महिला की याचिका पर फैसला लेने से पहले दंपती से कहा है कि वे अपने विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास करें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस प्रवीण पाटिल की बेंच ने 27 जनवरी को पारित आदेश में कहा कि दंपती के बीच विवाद कोई बड़ा नहीं है और इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है. अदालत ने पति-पत्नी को निर्देश दिया कि वे इस सप्ताह तीन दिन तक पुणे मजिस्ट्रेट अदालत परिसर में मिलें और अपने मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हाई कोर्ट के जजों ने दोनों पक्षों से क्या कहा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट के जजों ने कहा कि दोनों पक्षों के वकीलों को उन्हें सुलह करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि एक सौहार्दपूर्ण माहौल बनाया जा सके, यह ध्यान में रखते हुए कि अगर बच्चा पैदा होता है, तो यह उनका पहला बच्चा होगा. महिला ने अपने पति के साथ तनावपूर्ण संबंधों का हवाला देते हुए इस महीने की शुरुआत में अदालत में याचिका दायर कर गर्भपात कराने की अनुमति मांगी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महिला का क्या है आरोप?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिका में कहा गया है कि पति ने महिला को ताना मारा कि वह उससे कभी शादी नहीं करना चाहता था क्योंकि वह किसी दूसरी महिला से प्यार करता है. महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति ने यहां तक ​​दावा किया कि जो बच्चा पैदा होगा वह उसका नहीं है और वह उसे स्वीकार नहीं करेगा. इस जोड़े की शादी मई 2023 में हुई थी. इसके बाद महिला ने पुणे की एक मजिस्ट्रेट अदालत में घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पति ने याचिका में लगाए गए आरोपों से इनकार किया</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट के समक्ष दायर जवाबी हलफनामे में पति ने याचिका में लगाए गए आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने और उनके माता-पिता ने कई बार विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने की कोशिश की, लेकिन उनकी पत्नी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. जजों ने सोमवार (27 जनवरी) को पुरुष और महिला से बातचीत की और पाया कि दोनों में एक-दूसरे को समझने और अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए पर्याप्त परिपक्वता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ”पत्नी ने कहा है कि अगर उसका पति बच्चे की अच्छी देखभाल करने और उसके साथ उचित व्यवहार करने के लिए तैयार है, तो उसके पास गर्भावस्था को समाप्त करने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि यदि बच्चा पैदा होता है, तो यह उनका पहला बच्चा होगा.” इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”पुणे के कई इलाकों में GBS के मरीज मिलने से हड़कंप, कुएं के पानी की जांच करेगी केंद्रीय टीम” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/gbs-patients-in-pune-maharashtra-central-government-active-gbs-cases-in-pune-2873060″ target=”_self”>पुणे के कई इलाकों में GBS के मरीज मिलने से हड़कंप, कुएं के पानी की जांच करेगी केंद्रीय टीम</a></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”>महाराष्ट्र में एक महिला ने पति के साथ वैवाहिक समस्याओं के चलते अदालत से 20 सप्ताह के अपने गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगी है. महिला ने इस सिलसिले में बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) में एक याचिका दायर की है. हाई कोर्ट ने महिला की याचिका पर फैसला लेने से पहले दंपती से कहा है कि वे अपने विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास करें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस प्रवीण पाटिल की बेंच ने 27 जनवरी को पारित आदेश में कहा कि दंपती के बीच विवाद कोई बड़ा नहीं है और इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है. अदालत ने पति-पत्नी को निर्देश दिया कि वे इस सप्ताह तीन दिन तक पुणे मजिस्ट्रेट अदालत परिसर में मिलें और अपने मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हाई कोर्ट के जजों ने दोनों पक्षों से क्या कहा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट के जजों ने कहा कि दोनों पक्षों के वकीलों को उन्हें सुलह करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि एक सौहार्दपूर्ण माहौल बनाया जा सके, यह ध्यान में रखते हुए कि अगर बच्चा पैदा होता है, तो यह उनका पहला बच्चा होगा. महिला ने अपने पति के साथ तनावपूर्ण संबंधों का हवाला देते हुए इस महीने की शुरुआत में अदालत में याचिका दायर कर गर्भपात कराने की अनुमति मांगी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महिला का क्या है आरोप?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिका में कहा गया है कि पति ने महिला को ताना मारा कि वह उससे कभी शादी नहीं करना चाहता था क्योंकि वह किसी दूसरी महिला से प्यार करता है. महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति ने यहां तक ​​दावा किया कि जो बच्चा पैदा होगा वह उसका नहीं है और वह उसे स्वीकार नहीं करेगा. इस जोड़े की शादी मई 2023 में हुई थी. इसके बाद महिला ने पुणे की एक मजिस्ट्रेट अदालत में घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पति ने याचिका में लगाए गए आरोपों से इनकार किया</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हाई कोर्ट के समक्ष दायर जवाबी हलफनामे में पति ने याचिका में लगाए गए आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने और उनके माता-पिता ने कई बार विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने की कोशिश की, लेकिन उनकी पत्नी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. जजों ने सोमवार (27 जनवरी) को पुरुष और महिला से बातचीत की और पाया कि दोनों में एक-दूसरे को समझने और अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए पर्याप्त परिपक्वता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ”पत्नी ने कहा है कि अगर उसका पति बच्चे की अच्छी देखभाल करने और उसके साथ उचित व्यवहार करने के लिए तैयार है, तो उसके पास गर्भावस्था को समाप्त करने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि यदि बच्चा पैदा होता है, तो यह उनका पहला बच्चा होगा.” इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी.</p>
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