<p style=”text-align: justify;”><strong>Union Budget 2025:</strong> जैसे जैसे विकास की रफ्तार बढ़ रही है, वैसे वैसे शहरों की आब-ओ-हवा भी बदलती जा रही है. मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट कहा जाने वाला कानपुर शहर भी इस खराब प्रदूषण की स्थिति में शामिल है. एक फरवरी शनिवार को केंद्रीय आम बजट सरकार ने पेश किया, जिसमें अलग अलग वर्गों और क्षेत्रों को बाजार में कई राहतें दी गई. वहीं उन शहरों को भी बजट के दायरे में रखा गया है, जहां की हवा अब बड़े पैमाने पर खराब हो चुकी है. अब सरकार ऐसे शहरों की हवा को अर्बन चैलेंज फंड के माध्यम से ठीक करने की कवायत में दिखाई दे रही है. आम बजट में इसे सही करने के लिए बड़ा पैकेज दिया गया है. इस लिस्ट कानपुर शहर के लिए बजट का प्रावधान किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अत्यधिक डीजल और पेट्रोल वाहनों की बढ़ती हुई संख्या इस प्रदूषण का बड़ा कारण माना जा रहा है, उद्योगों की इकाइयों में प्रयोग किया जाने वाला ईंधन जैसे लकड़ी, कोयला, ओर भूंसा प्रदूषण की बड़ी वजह मानी जा रही है. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में पराली के जलने, औद्योगिक इकाइयों में प्रयोग किया जाने वाला ईधन कोयला और लकड़ी भी इसकी वजह है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>चंद्र शेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉक्टर सुनील पांडे ने बताया कि इस तरह से शहरों में जो जलवायु दूषित हो रही है उसके लिए बहुत से कारण है कानपुर उन दूषित शहरों की आब -ओ – हवा की लिस्ट में शामिल है. कानपुर की हवा बेहद खराब है इसके लिए शहर की आबादी में प्रयोग होने वाले मुख्य रूप से जिम्मेदार है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अगले पांच साल में एक अरब टन कार्बन उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य</strong><br />उन्होंने बताया कि, हर परिवार में एक वाहन है जोकि पेट्रोल या डीजल से चलता है. इनसे निकलने वाला कार्बन शहर की हवा को दूषित कर रहा है. क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों में प्रयोग होने वाले कोयला और लकड़ी के जलावन से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि सरकार को और जनता को प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ पौधे लगाने पर जोर देना चाहिए. भारत में लक्ष्य रखा गया है कि साल 2030 तक भारत एक अरब टन तक का कार्बन उत्सर्जन में कमी करेगा. कार्बन, नाइट्रोजन, हाइड्रो फ्लोरो कार्बन का उत्सर्जन कम किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/ayodhya-dalit-girl-murder-samajwadi-party-mp-awadhesh-prasad-wept-bitterly-says-i-will-resign-2875734″><strong>फफक कर रोए अयोध्या के सपा सांसद अवधेश प्रसाद, कहा- ‘न्याय नहीं मिला तो मैं लोकसभा से इस्तीफा दे दूंगा'</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Union Budget 2025:</strong> जैसे जैसे विकास की रफ्तार बढ़ रही है, वैसे वैसे शहरों की आब-ओ-हवा भी बदलती जा रही है. मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट कहा जाने वाला कानपुर शहर भी इस खराब प्रदूषण की स्थिति में शामिल है. एक फरवरी शनिवार को केंद्रीय आम बजट सरकार ने पेश किया, जिसमें अलग अलग वर्गों और क्षेत्रों को बाजार में कई राहतें दी गई. वहीं उन शहरों को भी बजट के दायरे में रखा गया है, जहां की हवा अब बड़े पैमाने पर खराब हो चुकी है. अब सरकार ऐसे शहरों की हवा को अर्बन चैलेंज फंड के माध्यम से ठीक करने की कवायत में दिखाई दे रही है. आम बजट में इसे सही करने के लिए बड़ा पैकेज दिया गया है. इस लिस्ट कानपुर शहर के लिए बजट का प्रावधान किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अत्यधिक डीजल और पेट्रोल वाहनों की बढ़ती हुई संख्या इस प्रदूषण का बड़ा कारण माना जा रहा है, उद्योगों की इकाइयों में प्रयोग किया जाने वाला ईंधन जैसे लकड़ी, कोयला, ओर भूंसा प्रदूषण की बड़ी वजह मानी जा रही है. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में पराली के जलने, औद्योगिक इकाइयों में प्रयोग किया जाने वाला ईधन कोयला और लकड़ी भी इसकी वजह है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>चंद्र शेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉक्टर सुनील पांडे ने बताया कि इस तरह से शहरों में जो जलवायु दूषित हो रही है उसके लिए बहुत से कारण है कानपुर उन दूषित शहरों की आब -ओ – हवा की लिस्ट में शामिल है. कानपुर की हवा बेहद खराब है इसके लिए शहर की आबादी में प्रयोग होने वाले मुख्य रूप से जिम्मेदार है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अगले पांच साल में एक अरब टन कार्बन उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य</strong><br />उन्होंने बताया कि, हर परिवार में एक वाहन है जोकि पेट्रोल या डीजल से चलता है. इनसे निकलने वाला कार्बन शहर की हवा को दूषित कर रहा है. क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों में प्रयोग होने वाले कोयला और लकड़ी के जलावन से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि सरकार को और जनता को प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ पौधे लगाने पर जोर देना चाहिए. भारत में लक्ष्य रखा गया है कि साल 2030 तक भारत एक अरब टन तक का कार्बन उत्सर्जन में कमी करेगा. कार्बन, नाइट्रोजन, हाइड्रो फ्लोरो कार्बन का उत्सर्जन कम किया जाएगा.</p>
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