दिल्ली में मायावती को औवेसी से भी कम वोट मिले:68 सीटों पर लड़ीं, सभी पर जमानत जब्त; चंद्रशेखर भी फेल

दिल्ली में मायावती को औवेसी से भी कम वोट मिले:68 सीटों पर लड़ीं, सभी पर जमानत जब्त; चंद्रशेखर भी फेल

हरियाणा चुनाव के बाद अब दिल्ली के चुनाव में बसपा जीरो पर रही। लगातार फ्लॉप हो रही पार्टी का परफार्मेंस इस बार AIMIM से भी नीचे चला गया। बसपा ने यहां 68 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसे 0.58% वोट मिले। बसपा के मुकाबले आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लेमीन यानी AIMIM को 0.78% वोट मिले। जबकि ओवैसी ने केवल 5 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लगातार गिरता जा रहा बसपा का ग्राफ
बहुजन समाज पार्टी के कभी दिल्ली में भी विधायक हुआ करते थे। 2008 में पार्टी के दो विधायक थे। लेकिन वक्त के साथ-साथ बसपा का ग्राफ गिरता चला गया। 2008 के दिल्ली चुनाव में बसपा का वोट शेयर 14 प्रतिशत से ज्यादा था। उस समय बसपा अपने सबसे अच्छे दौर से गुजर रही थी। यूपी में उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार थी। लेकिन उसके बाद से पार्टी लगातार धरातल में जाती रही। 2013 के चुनाव में बसपा का वोट शेयर 5.35% पर आ गया, जो 2015 में और गिरकर 1.30% रह गया। 2020 के चुनाव में बसपा का वोट शेयर मात्र 0.71% रह गया। दिल्ली में मायावती ने एक भी रैली नहीं की। पूरा चुनाव आकाश आनंद के चेहरे पर लड़ा गया। सबसे ज्यादा देवली सुरक्षित सीट पर 2581 वोट मिले
बसपा को सबसे ज्यादा देवली सुरक्षित सीट पर 2581 वोट मिले, वहीं सबसे कम वोट मटिया में महल 130 वोट मिले। 53 सीटें ऐसी रहीं जहां बसपा को एक हजार से कम वोट मिले। वहीं 68 में से 42 सीट ऐसी रही जहां नोटा से भी कम वोट बसपा को मिले। छाप छोड़ने में नाकाम रही आजाद समाज पार्टी
यूपी के नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी कांशीराम भी दिल्ली की 8 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी। लेकिन वह भी अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रही। केवल 2 सीटें ही ऐसी रहीं, जहां उन्हें बसपा के उम्मीदवार से अधिक वोट मिला। चंद्रशेखर के प्रत्याशी को नार्थ ईस्ट दिल्ली में सबसे अधिक 3080 वोट मिले। AIMIM ने 2 सीटों पर दी कड़ी टक्कर
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली की 2 सीटों मुस्तफाबाद और ओखला में अपने प्रतिद्वंदी को कड़ी टक्कर दी। हालांकि दोनों ही स्थान पर पार्टी को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। AIMIM ने सबसे ज्यादा ओखला में 39558 वोट हासिल किए। यहां आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खां 23 हजार वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। ओखला के अलावा मुस्तफाबाद में AIMIM के मोहम्मद ताहिर हुसैन को 33470 वोट मिले। यहां भाजपा ने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को 17 हजार से अधिक वोटों से हराया। बसपा को करीब से कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार सैयद कासिम कहते हैं कि कांग्रेस जैसी पार्टी जिसने सालों से दिल्ली में हुकूमत की, वह भी इस समय अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए जूझ रही है। मुकाबला जब सीधा होता है तो उसमें दूसरी पार्टियां का महत्व खत्म हो जाता है। मतदाता भी अपना वोट बर्बाद करने के बजाय मुकाबले में मौजूद दो में से एक को अपना वोट देता है। ओवैसी की परफार्मेंस को लेकर यूपी में अखिलेश यादव को चिंता करने की जरूरत है। क्योंकि जिस तरह से उन्होंने दो मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ा, वह मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वालों के लिए खतरे की घंटी नजर आ रही है। देखना दिलचस्प होगा कि यूपी में अखिलेश यादव इस चुनौती से किस तरह पार पाते हैं। दिल्ली में हारे यूपी के दो दिग्गज
दिल्ली के चुनाव में यूपी के कई नेताओं की साख भी दांव पर लगी थी। इसमें कुछ पार्टी के प्रचार प्रसार का काम देख रहे थे जो कुछ सीधे तौर पर चुनाव लड़ रहे थे। मनीष सिसोदिया दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मूल रूप से हापुड़ के रहने वाले हैं। वे 545 वोटों से चुनाव हार गए। आम आदमी पार्टी में वह केजरीवाल के बाद दूसरे नंबर की हैसियत रखते हैं। अवध ओझा गोंडा के रहने वाले अवध ओझा जो आईएएस की कोचिंग चलाते हैं, उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। अवध ओझा पटपड़गंज सीट से चुनाव लड़ रहे थे। इस सीट पर दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तीन बार विधायक चुने गए थे। इस बार उन्होंने अपनी सीट बदल ली थी। यहां से अवध को भाजपा के रविंदर सिंह नेगी ने 28072 वोटों के अंतर से चुनाव हराया है। यूपी की बहू आतिशी जीतीं दिल्ली की निवर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना यूपी के मिर्जापुर जिले की बहू हैं। उनकी शादी यहां के प्रवीण सिंह से हुई है। वे दिल्ली की कालका से चुनाव लड़ रही थीं। आतिशी कई राउंड तक पीछे रहीं, हालांकि आखिर में उन्हें जीत नसीब हुई और उन्होंने रमेश बिधूड़ी को करीब साढ़े तीन हजार वोटों से हरा दिया। ———————————————————— ये खबर भी पढ़ें… BJP ने केजरीवाल समेत 26 में से 16 किले ढहाए:जाट बहुल सभी 10 सीटें भी छीन लीं; AAP कहां बिखरी, 8 अंदरूनी फैक्टर्स BJP ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 26 में से 16 किले ढहा दिए हैं। इनमें अरविंद केजरीवाल की नई दिल्ली विधानसभा सीट भी शामिल है। इन 26 सीटों पर AAP लगातार 3 विधानसभा चुनावों से जीत रही थी। BJP को सबसे ज्यादा फायदा वेस्ट और नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली में हुआ है। 2020 में यहां की 20 सीटों में से BJP सिर्फ 1 सीट जीती थी, लेकिन इस बार बढ़कर 16 सीटें जीत गई है। पढ़ें पूरी खबर… हरियाणा चुनाव के बाद अब दिल्ली के चुनाव में बसपा जीरो पर रही। लगातार फ्लॉप हो रही पार्टी का परफार्मेंस इस बार AIMIM से भी नीचे चला गया। बसपा ने यहां 68 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसे 0.58% वोट मिले। बसपा के मुकाबले आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लेमीन यानी AIMIM को 0.78% वोट मिले। जबकि ओवैसी ने केवल 5 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लगातार गिरता जा रहा बसपा का ग्राफ
बहुजन समाज पार्टी के कभी दिल्ली में भी विधायक हुआ करते थे। 2008 में पार्टी के दो विधायक थे। लेकिन वक्त के साथ-साथ बसपा का ग्राफ गिरता चला गया। 2008 के दिल्ली चुनाव में बसपा का वोट शेयर 14 प्रतिशत से ज्यादा था। उस समय बसपा अपने सबसे अच्छे दौर से गुजर रही थी। यूपी में उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार थी। लेकिन उसके बाद से पार्टी लगातार धरातल में जाती रही। 2013 के चुनाव में बसपा का वोट शेयर 5.35% पर आ गया, जो 2015 में और गिरकर 1.30% रह गया। 2020 के चुनाव में बसपा का वोट शेयर मात्र 0.71% रह गया। दिल्ली में मायावती ने एक भी रैली नहीं की। पूरा चुनाव आकाश आनंद के चेहरे पर लड़ा गया। सबसे ज्यादा देवली सुरक्षित सीट पर 2581 वोट मिले
बसपा को सबसे ज्यादा देवली सुरक्षित सीट पर 2581 वोट मिले, वहीं सबसे कम वोट मटिया में महल 130 वोट मिले। 53 सीटें ऐसी रहीं जहां बसपा को एक हजार से कम वोट मिले। वहीं 68 में से 42 सीट ऐसी रही जहां नोटा से भी कम वोट बसपा को मिले। छाप छोड़ने में नाकाम रही आजाद समाज पार्टी
यूपी के नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी कांशीराम भी दिल्ली की 8 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी। लेकिन वह भी अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रही। केवल 2 सीटें ही ऐसी रहीं, जहां उन्हें बसपा के उम्मीदवार से अधिक वोट मिला। चंद्रशेखर के प्रत्याशी को नार्थ ईस्ट दिल्ली में सबसे अधिक 3080 वोट मिले। AIMIM ने 2 सीटों पर दी कड़ी टक्कर
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली की 2 सीटों मुस्तफाबाद और ओखला में अपने प्रतिद्वंदी को कड़ी टक्कर दी। हालांकि दोनों ही स्थान पर पार्टी को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। AIMIM ने सबसे ज्यादा ओखला में 39558 वोट हासिल किए। यहां आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खां 23 हजार वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। ओखला के अलावा मुस्तफाबाद में AIMIM के मोहम्मद ताहिर हुसैन को 33470 वोट मिले। यहां भाजपा ने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को 17 हजार से अधिक वोटों से हराया। बसपा को करीब से कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार सैयद कासिम कहते हैं कि कांग्रेस जैसी पार्टी जिसने सालों से दिल्ली में हुकूमत की, वह भी इस समय अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए जूझ रही है। मुकाबला जब सीधा होता है तो उसमें दूसरी पार्टियां का महत्व खत्म हो जाता है। मतदाता भी अपना वोट बर्बाद करने के बजाय मुकाबले में मौजूद दो में से एक को अपना वोट देता है। ओवैसी की परफार्मेंस को लेकर यूपी में अखिलेश यादव को चिंता करने की जरूरत है। क्योंकि जिस तरह से उन्होंने दो मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ा, वह मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वालों के लिए खतरे की घंटी नजर आ रही है। देखना दिलचस्प होगा कि यूपी में अखिलेश यादव इस चुनौती से किस तरह पार पाते हैं। दिल्ली में हारे यूपी के दो दिग्गज
दिल्ली के चुनाव में यूपी के कई नेताओं की साख भी दांव पर लगी थी। इसमें कुछ पार्टी के प्रचार प्रसार का काम देख रहे थे जो कुछ सीधे तौर पर चुनाव लड़ रहे थे। मनीष सिसोदिया दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मूल रूप से हापुड़ के रहने वाले हैं। वे 545 वोटों से चुनाव हार गए। आम आदमी पार्टी में वह केजरीवाल के बाद दूसरे नंबर की हैसियत रखते हैं। अवध ओझा गोंडा के रहने वाले अवध ओझा जो आईएएस की कोचिंग चलाते हैं, उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। अवध ओझा पटपड़गंज सीट से चुनाव लड़ रहे थे। इस सीट पर दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तीन बार विधायक चुने गए थे। इस बार उन्होंने अपनी सीट बदल ली थी। यहां से अवध को भाजपा के रविंदर सिंह नेगी ने 28072 वोटों के अंतर से चुनाव हराया है। यूपी की बहू आतिशी जीतीं दिल्ली की निवर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना यूपी के मिर्जापुर जिले की बहू हैं। उनकी शादी यहां के प्रवीण सिंह से हुई है। वे दिल्ली की कालका से चुनाव लड़ रही थीं। आतिशी कई राउंड तक पीछे रहीं, हालांकि आखिर में उन्हें जीत नसीब हुई और उन्होंने रमेश बिधूड़ी को करीब साढ़े तीन हजार वोटों से हरा दिया। ———————————————————— ये खबर भी पढ़ें… BJP ने केजरीवाल समेत 26 में से 16 किले ढहाए:जाट बहुल सभी 10 सीटें भी छीन लीं; AAP कहां बिखरी, 8 अंदरूनी फैक्टर्स BJP ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 26 में से 16 किले ढहा दिए हैं। इनमें अरविंद केजरीवाल की नई दिल्ली विधानसभा सीट भी शामिल है। इन 26 सीटों पर AAP लगातार 3 विधानसभा चुनावों से जीत रही थी। BJP को सबसे ज्यादा फायदा वेस्ट और नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली में हुआ है। 2020 में यहां की 20 सीटों में से BJP सिर्फ 1 सीट जीती थी, लेकिन इस बार बढ़कर 16 सीटें जीत गई है। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर