भिवानी से दुल्हन की हेलिकॉप्टर में विदाई:पेशे से डाइटीशियन, पिता पॉलिटिशियन, फूफा हरियाणा विधानसभा स्पीकर रहे; रेवाड़ी का IT इंजीनियर ब्याह ले गया

भिवानी से दुल्हन की हेलिकॉप्टर में विदाई:पेशे से डाइटीशियन, पिता पॉलिटिशियन, फूफा हरियाणा विधानसभा स्पीकर रहे; रेवाड़ी का IT इंजीनियर ब्याह ले गया

हरियाणा के रेवाड़ी जिले में एक दुल्हन की विदाई क्षेत्र के लोगों के लिए यादगार घटना बन गई। यहां का दूल्हा अपनी दुल्हन को भिवानी से हेलिकॉप्टर में विदा कर लाया है। इसके लिए दूल्हे के पिता ने 8 लाख रुपए खर्च किए। हालांकि, दूल्हा और दुल्हन दोनों के परिवार संपन्न हैं। दुल्हन के फूफा तो हरियाणा विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं। फिर भी दूल्हे के पिता का कहना है कि उन्होंने पुत्रवधु की विदाई बेटी समझकर करवाई है, क्योंकि 45 वर्षों से उनके परिवार में कोई बेटी पैदा नहीं हुई। वह पुत्रवधु के रूप में बेटी के आगमन को यादगार बनाना चाहते थे। दूल्हा इंजीनियर तो दुल्हन डाइटीशियन
जानकारी के अनुसार, दूल्हा रेवाड़ी के गांव चिराहड़ा का रहने वाला है। उसका नाम हिमांशु चौहान है और वह एक IT इंजीनियर है। वहीं, दुल्हन का नाम गरिमा चौहान है, जो पेशे से एक डाइटिशियन है। वह भिवानी जिले के गांव तिगड़ाना की रहने वाली है। 7 फरवरी को हिमांशु बारात लेकर गरिमा के द्वार पर भिवानी पहुंचा था। वहां सभी रीति-रिवाजों के साथ दोनों ने 7 फेरे लिए और विवाह संपन्न हुआ। इसके बाद 8 फरवरी को दुल्हन की विदाई को यादगार बनाने के लिए हेलिकॉप्टर मंगाया गया। दूल्हा बोला- कुछ अलग करना चाहते थे
दूल्हे हिमांशु ने बताया है कि शादी में पापा कुछ अलग करना चाहते थे। ऐसा कुछ स्पेसिफिक नहीं सोचा था, लेकिन कुछ तो करना था। इसलिए, उन्होंने विदाई के लिए ही हेलिकॉप्टर बुक करा लिया। मेरी समझ में अब तक आसपास के इलाके में कोई दुल्हन हेलिकॉप्टर से विदा होकर नहीं आई। दुल्हन बोली- बहुत स्पेशल फील हो रहा है
वहीं, दुल्हन गरिमा का कहना था कि मेरे पापा पॉलिटिशियन हैं। उन्हें उम्मीद थी कि उनकी बेटी की शादी धूमधाम से होगी। हुआ भी ऐसा ही। पहली बार मैं हेलिकॉप्टर में बैठी और वह भी अपनी शादी में, तो मुझे बहुत ही स्पेशल फील हो रहा है। 8 लाख में बुक किया हेलिकॉप्टर
दूल्हे के पिता जमींदार वीरेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि उन्होंने बहू के स्वागत के लिए 8 लाख रुपए में हेलिकॉप्टर किराए पर लिया था। शुरुआत में केवल 2 सीटर हेलिकॉप्टर ही बुक किया गया था। लेकिन, बाद में अपने बड़े बेटे और उसकी बहू को भी साथ बैठाने के लिए 5 सीटर हेलिकॉप्टर की व्यवस्था की गई। वीरेंद्र सिंह ने बताया है कि वह एक बेटी चाहते थे, लेकिन उनके परिवार में 45 साल से किसी बेटी का जन्म नहीं हुआ। जब जमाना बेटियों का है और घर में बेटी नहीं है तो थोड़ी निराशा होती थी। आज मैंने अपने बेटे का विवाह किया तो उसके जरिए हमारे परिवार में एक बेटी का आगमन हो रहा था। मैंने उसकी पत्नी को ही अपनी बेटी मान लिया। वीरेंद्र सिंह कहते हैं कि घर में बेटी के आगमन को यादगार बनाना था, इसलिए भिवानी से दुल्हन की विदाई हमने हेलिकॉप्टर में करवाई। अब यह यह मेरे लिए ही नहीं, बल्कि पूरे इलाके लिए यादगार विदाई बन गई है। उनका कहना है कि हमें बेटियों का सम्मान करना चाहिए, और उन्हें सम्मान देने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहिए। दुल्हन के पिता राजनीति में सक्रिय, फूफा विधानसभा स्पीकर रहे
दुल्हन के पिता परमजीत सिंह चौहान राजनीति में सक्रिय हैं। वह भिवानी जिले में कई चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं, दुल्हन के फूफा छत्तर सिंह थे, जो हरियाणा विधानसभा स्पीकर रह चुके हैं। हालांकि, करीब एक साल पहले उनका देहांत हो गया। छत्तर सिंह चौहान 1991 में पहली बार विधायक बने थे। वह साल 1996 से 1999 तक विधानसभा के अध्यक्ष रहे। उन्हें बंसीलाल की सरकार में विधानसभा स्पीकर बनाया गया था। उन्होंने लंबी बीमारी के बाद रोहतक PGI में आखिरी सांस ली थी। हरियाणा के रेवाड़ी जिले में एक दुल्हन की विदाई क्षेत्र के लोगों के लिए यादगार घटना बन गई। यहां का दूल्हा अपनी दुल्हन को भिवानी से हेलिकॉप्टर में विदा कर लाया है। इसके लिए दूल्हे के पिता ने 8 लाख रुपए खर्च किए। हालांकि, दूल्हा और दुल्हन दोनों के परिवार संपन्न हैं। दुल्हन के फूफा तो हरियाणा विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं। फिर भी दूल्हे के पिता का कहना है कि उन्होंने पुत्रवधु की विदाई बेटी समझकर करवाई है, क्योंकि 45 वर्षों से उनके परिवार में कोई बेटी पैदा नहीं हुई। वह पुत्रवधु के रूप में बेटी के आगमन को यादगार बनाना चाहते थे। दूल्हा इंजीनियर तो दुल्हन डाइटीशियन
जानकारी के अनुसार, दूल्हा रेवाड़ी के गांव चिराहड़ा का रहने वाला है। उसका नाम हिमांशु चौहान है और वह एक IT इंजीनियर है। वहीं, दुल्हन का नाम गरिमा चौहान है, जो पेशे से एक डाइटिशियन है। वह भिवानी जिले के गांव तिगड़ाना की रहने वाली है। 7 फरवरी को हिमांशु बारात लेकर गरिमा के द्वार पर भिवानी पहुंचा था। वहां सभी रीति-रिवाजों के साथ दोनों ने 7 फेरे लिए और विवाह संपन्न हुआ। इसके बाद 8 फरवरी को दुल्हन की विदाई को यादगार बनाने के लिए हेलिकॉप्टर मंगाया गया। दूल्हा बोला- कुछ अलग करना चाहते थे
दूल्हे हिमांशु ने बताया है कि शादी में पापा कुछ अलग करना चाहते थे। ऐसा कुछ स्पेसिफिक नहीं सोचा था, लेकिन कुछ तो करना था। इसलिए, उन्होंने विदाई के लिए ही हेलिकॉप्टर बुक करा लिया। मेरी समझ में अब तक आसपास के इलाके में कोई दुल्हन हेलिकॉप्टर से विदा होकर नहीं आई। दुल्हन बोली- बहुत स्पेशल फील हो रहा है
वहीं, दुल्हन गरिमा का कहना था कि मेरे पापा पॉलिटिशियन हैं। उन्हें उम्मीद थी कि उनकी बेटी की शादी धूमधाम से होगी। हुआ भी ऐसा ही। पहली बार मैं हेलिकॉप्टर में बैठी और वह भी अपनी शादी में, तो मुझे बहुत ही स्पेशल फील हो रहा है। 8 लाख में बुक किया हेलिकॉप्टर
दूल्हे के पिता जमींदार वीरेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि उन्होंने बहू के स्वागत के लिए 8 लाख रुपए में हेलिकॉप्टर किराए पर लिया था। शुरुआत में केवल 2 सीटर हेलिकॉप्टर ही बुक किया गया था। लेकिन, बाद में अपने बड़े बेटे और उसकी बहू को भी साथ बैठाने के लिए 5 सीटर हेलिकॉप्टर की व्यवस्था की गई। वीरेंद्र सिंह ने बताया है कि वह एक बेटी चाहते थे, लेकिन उनके परिवार में 45 साल से किसी बेटी का जन्म नहीं हुआ। जब जमाना बेटियों का है और घर में बेटी नहीं है तो थोड़ी निराशा होती थी। आज मैंने अपने बेटे का विवाह किया तो उसके जरिए हमारे परिवार में एक बेटी का आगमन हो रहा था। मैंने उसकी पत्नी को ही अपनी बेटी मान लिया। वीरेंद्र सिंह कहते हैं कि घर में बेटी के आगमन को यादगार बनाना था, इसलिए भिवानी से दुल्हन की विदाई हमने हेलिकॉप्टर में करवाई। अब यह यह मेरे लिए ही नहीं, बल्कि पूरे इलाके लिए यादगार विदाई बन गई है। उनका कहना है कि हमें बेटियों का सम्मान करना चाहिए, और उन्हें सम्मान देने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहिए। दुल्हन के पिता राजनीति में सक्रिय, फूफा विधानसभा स्पीकर रहे
दुल्हन के पिता परमजीत सिंह चौहान राजनीति में सक्रिय हैं। वह भिवानी जिले में कई चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं, दुल्हन के फूफा छत्तर सिंह थे, जो हरियाणा विधानसभा स्पीकर रह चुके हैं। हालांकि, करीब एक साल पहले उनका देहांत हो गया। छत्तर सिंह चौहान 1991 में पहली बार विधायक बने थे। वह साल 1996 से 1999 तक विधानसभा के अध्यक्ष रहे। उन्हें बंसीलाल की सरकार में विधानसभा स्पीकर बनाया गया था। उन्होंने लंबी बीमारी के बाद रोहतक PGI में आखिरी सांस ली थी।   हरियाणा | दैनिक भास्कर