<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Assembly Election 2025: </strong>क्या आम आदमी पार्टी (AAP) के सामने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई है? य़ह सवाल तब उठने लगा है कि जब भारत के सबसे तेजी से प्रगति करने वाले पॉलिटिकल स्टार्ट-अप के रूप में सराही जा रही थी और दिल्ली विधानसभा के पिछले दो चुनावों में इसने प्रचंड जीत हासिल की थी लेकिन इसका विजयी रथ 2025 में बीजेपी ने रोक दिया. पार्टी के कद्दावर नेताओं को बीजेपी प्रत्याशियों ने धूल चटा दी तो यहां तक आप संयोजक भी हार गए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>आंकड़ों में देखें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 में से 48 सीट पर शनिवार को जीत दर्ज की, लेकिन अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप को सिर्फ 22 सीट पर जीत हासिल हुई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>माना जा रहा है कि इस हार के साथ ‘आप’ ने ना केवल अपनी राजनीतिक ताकत खो दी, बल्कि पिछले दशक में बनी अपराजेय रहने की अपनी प्रतिष्ठा भी गंवा दी. दिल्ली में ही ‘आप’ का उदय हुआ था, जहां इसने अपनी सफलता की इबारत लिखी थी. यहीं सबसे पहले इसने अपनी सरकार बनाई. इसके बाद गुजरात और गोवा में भी सीट जीती. फिर पंजाब में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. यहां तक कि 2024 विधानसभा में कश्मीर में भी अपना खाता खोला लेकिन यह दिल्ली ही हार गई. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि गढ़ने की कोशिश, नहीं मिला फायदा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>केजरीवाल नई दिल्ली सीट से हार गए और मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन,सौरभ भारद्वाज और दुर्गेश पाठक जैसे पार्टी के बड़े नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा. मुफ्त बिजली, पानी और शिक्षा सुधारों पर केंद्रित पार्टी का शासन मॉडल शहर के निवासियों के साथ तालमेल बिठाने में स्पष्ट रूप से विफल रहा. केजरीवाल द्वारा मंदिर के पुजारियों को मासिक भत्ता देने का वादा करने के साथ उनका नरम हिंदुत्व भी मतदाताओं को रास नहीं आया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इन चुनौतियों से आप को है निपटना</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पार्टी को अब अपनी रणनीति को फिर से परिभाषित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. इसे मतदाताओं के बीच विश्वास बहाल करने, भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटने और अपने शासन मॉडल को मजबूत करने की भी जरूरत है. पार्टी पर अन्य राज्यों में पैठ बनाकर यह साबित करने का भी भारी दबाव होगा कि पंजाब में जीत कोई संयोग नहीं है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें- <a title=”केवल चुनावी वादे नहीं, इस खास चीज ने भी दिल्ली में दिलाई BJP को जीत! चारों तरफ रही इसकी चर्चा” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-bjp-election-songs-by-manoj-tiwari-and-nirahua-bahane-nahin-badlav-chahiye-helped-in-bjp-victory-2880645″ target=”_self”>केवल चुनावी वादे नहीं, इस खास चीज ने भी दिल्ली में दिलाई BJP को जीत! चारों तरफ रही इसकी चर्चा</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Assembly Election 2025: </strong>क्या आम आदमी पार्टी (AAP) के सामने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई है? य़ह सवाल तब उठने लगा है कि जब भारत के सबसे तेजी से प्रगति करने वाले पॉलिटिकल स्टार्ट-अप के रूप में सराही जा रही थी और दिल्ली विधानसभा के पिछले दो चुनावों में इसने प्रचंड जीत हासिल की थी लेकिन इसका विजयी रथ 2025 में बीजेपी ने रोक दिया. पार्टी के कद्दावर नेताओं को बीजेपी प्रत्याशियों ने धूल चटा दी तो यहां तक आप संयोजक भी हार गए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>आंकड़ों में देखें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 में से 48 सीट पर शनिवार को जीत दर्ज की, लेकिन अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप को सिर्फ 22 सीट पर जीत हासिल हुई है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>माना जा रहा है कि इस हार के साथ ‘आप’ ने ना केवल अपनी राजनीतिक ताकत खो दी, बल्कि पिछले दशक में बनी अपराजेय रहने की अपनी प्रतिष्ठा भी गंवा दी. दिल्ली में ही ‘आप’ का उदय हुआ था, जहां इसने अपनी सफलता की इबारत लिखी थी. यहीं सबसे पहले इसने अपनी सरकार बनाई. इसके बाद गुजरात और गोवा में भी सीट जीती. फिर पंजाब में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. यहां तक कि 2024 विधानसभा में कश्मीर में भी अपना खाता खोला लेकिन यह दिल्ली ही हार गई. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि गढ़ने की कोशिश, नहीं मिला फायदा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>केजरीवाल नई दिल्ली सीट से हार गए और मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन,सौरभ भारद्वाज और दुर्गेश पाठक जैसे पार्टी के बड़े नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा. मुफ्त बिजली, पानी और शिक्षा सुधारों पर केंद्रित पार्टी का शासन मॉडल शहर के निवासियों के साथ तालमेल बिठाने में स्पष्ट रूप से विफल रहा. केजरीवाल द्वारा मंदिर के पुजारियों को मासिक भत्ता देने का वादा करने के साथ उनका नरम हिंदुत्व भी मतदाताओं को रास नहीं आया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इन चुनौतियों से आप को है निपटना</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पार्टी को अब अपनी रणनीति को फिर से परिभाषित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. इसे मतदाताओं के बीच विश्वास बहाल करने, भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटने और अपने शासन मॉडल को मजबूत करने की भी जरूरत है. पार्टी पर अन्य राज्यों में पैठ बनाकर यह साबित करने का भी भारी दबाव होगा कि पंजाब में जीत कोई संयोग नहीं है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें- <a title=”केवल चुनावी वादे नहीं, इस खास चीज ने भी दिल्ली में दिलाई BJP को जीत! चारों तरफ रही इसकी चर्चा” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-bjp-election-songs-by-manoj-tiwari-and-nirahua-bahane-nahin-badlav-chahiye-helped-in-bjp-victory-2880645″ target=”_self”>केवल चुनावी वादे नहीं, इस खास चीज ने भी दिल्ली में दिलाई BJP को जीत! चारों तरफ रही इसकी चर्चा</a></strong></p> दिल्ली NCR Varanasi News: काशी विश्वनाथ के दरबार में बिछड़ गया परिवार, मंदिर प्रशासन ने बच्ची को मिलवाया
Delhi Election Result 2025: दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद क्या आप पर गहराया अस्तित्व बचाने का खतरा? समझें
![Delhi Election Result 2025: दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद क्या आप पर गहराया अस्तित्व बचाने का खतरा? समझें](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/02/09/14d63a8c13edfb4ae97bd9dea18b86a61739090421813490_original.jpg)