हरियाणा सीएम नायाब सिंह सैनी और प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के खिलाफ बयान देने पर BJP ने मंत्री अनिल विज को कारण बताओ नोटिस जारी किया। बड़ौली ने सोमवार को 3 दिन में जवाब मांगा है। बड़ौली के खिलाफ हिमाचल में गैंगरेप की FIR दर्ज होने के बाद अनिल बिज ने पिछले 2 महीने में दो बार इस्तीफा मांगा था। वहीं, CM पर भी उन्होंने लगातार निशाना साधा। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि हमारे मुख्यमंत्री, जब से CM बने हैं, तब से उड़नखटोले पर ही हैं। इसके बाद बड़ौली ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। हरियाणा BJP ने अनिल विज को भेजा नोटिस
नोटिस में कहा, ‘दिल्ली में चुनाव के दौरान इस प्रकार की बयानबाजी से पार्टी की छवि को नुकसान होगा, यह जानते हुए आपने ये बयान दिए हैं। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश अनुसार आपको यह कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। आपसे अपेक्षा करते हैं कि 3 दिन में आप इस विषय पर लिखित स्पष्टीकरण दें।’ विज के वो बयान पढ़िए जो उन्होंने CM-प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ दिए… 2 बार बड़ौली से इस्तीफा मांगा पहला बयान: 14 जनवरी को बड़ौली के खिलाफ हिमाचल में दर्ज गैंगरेप की FIR सामने आने के बाद अनिल विज ने 18 जनवरी को उनसे इस्तीफा मांगा। उन्होंने कहा कि बड़ौली पर लगे आरोपों की जांच हो रही है। गवाह ने कहा है कि मैं निर्दोष हूं और बड़ौली भी कह रहे हैं कि मैं निर्दोष हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि हिमाचल पुलिस की जांच में वे निर्दोष साबित होंगे। जब तक हिमाचल प्रदेश पुलिस उन्हें निर्दोष साबित नहीं कर देती या जब तक जांच पूरी न हो, तब तक पार्टी की पवित्रता को बनाए रखने के लिए उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। दूसरा बयान: अनिल विज ने 2 फरवरी को सोनीपत के गोहाना में दिया। कहा, ‘मोहनलाल बड़ौली को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहिए। जिस व्यक्ति पर IPC की धारा-376D (महिला से गैंगरेप) के आरोप हों, वह महिलाओं की मीटिंग किस तरह ले सकता है। अब हम यह तो कह नहीं सकते कि महिलाओं को BJP से बैन कर दिया गया है। हम तो महिलाओं को 30% बढ़ा रहे हैं। ऐसे में धारा-376 का आरोपी शख्स प्रदेशाध्यक्ष नहीं रह सकता। हमारे बड़े-बड़े नेताओं पर भी आरोप लगे थे। आडवाणी पर भी आरोप लगे थे, उनका नाम आया था और उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था। बड़ौली उनसे बड़े तो नहीं हैं।’ विज ने कहा- CM बनने के बाद उड़न खटोले पर सैनी
अनिल विज ने 31 जनवरी को अंबाला में कहा, ‘जिन लोगों ने मुझे चुनाव हराने की कोशिश की, चाहे वह अधिकारी थे, कर्मचारी थे या छुटभैये नेता थे। मैंने इन सबके बारे में लिखकर दिया। 100 दिन हो चुके हैं, इस मामले में न तो मुझसे पूछा गया, न ही कोई कार्रवाई हुई। मुझे शक था कि मुझे हराने के लिए किसी बड़े नेता के द्वारा ये काम किया गया है। यहां तक कि मुझे मारने का भी प्रयास किया गया। मैं सबसे सीनियर नेता हूं, अगर मैं कह रहा हूं मेरे खिलाफ हराने की कोशिश की है, तो तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी। 100 दिन तक कुछ नहीं किया गया, अब तो वह करें न करें मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हमारे मुख्यमंत्री, जब से CM बने हैं तब से उड़नखटोले पर ही हैं। नीचे उतरे तो जनता के प्रति देखें। ये मेरी आवाज नहीं है, सारे एमएलए सारे मंत्रियों की आवाज है। अंबाला छावनी की जनता ने मुझे यहां से जिताया है। उनके कामों के लिए मुझे जो भी करना पड़ेगा वह करूंगा। जान देनी पड़े तो दूंगा। धरना देना पड़े दूंगा। अनशन करना पड़े करूंगा। सरकार से क्यों नाराज हुए अनिल विज, 5 पॉइंट्स में जानिए… 2024 के चुनाव में कड़े मुकाबले में फंसे विज
अनिल विज ने BJP की टिकट पर अंबाला कैंट से चुनाव लड़ा। पहली बार यहां विज कड़े मुकाबले में फंसे। उन्हें पूर्व कांग्रेसी मंत्री निर्मल सिंह की निर्दलीय उम्मीदवार बेटी चित्रा सरवारा टक्कर दे रहीं थी। विज ने 2019 के चुनाव में चित्रा को 20,165 वोटों से हराया था लेकिन इस बार यह मार्जिन महज 7,277 रह गया। ऐसे में विज ने शक जाहिर किया था कि उन्हीं की पार्टी के लोगों ने उन्हें हराने के लिए चित्रा सरवारा का साथ दिया। जीत के बाद कहा- मेरे खिलाफ साजिश हुई, सरकार ने एक्शन नहीं लिया
अनिल विज चुनाव जीतने के बाद मंत्री भी बन गए। इसके बाद अंबाला कैंट के धन्यवादी दौरे में अनिल विज ने अधिकारियों से लेकर अपनी पार्टी के नेताओं पर सवाल खड़े किए। विज ने कहा कि अधिकारियों ने उनकी सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए। उनकी हत्या की साजिश रची गई। उन्हें हराने के लिए लोगों को चित्रा सरवारा का कैंप जॉइन कराया गया। विज ने सरकार से अंबाला DC पार्थ गुप्ता पर कार्रवाई की मांग की, जो चुनाव के वक्त जिला चुनाव अधिकारी थे। मगर, सरकार ने 100 दिन के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया। अनिल विज ने ग्रीवेंस कमेटी में न जाने से लेकर मंत्री पद छीनने की बात कही
इसके बाद अनिल विज ने 20 जनवरी को कहा कि अब मैं ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में शायद न जाऊं। हमारे आदेशों का पालन नहीं हो रहा। अंबाला कैंट विधानसभा क्षेत्र के कामों के लिए डल्लेवाल (किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल) की तरह अनशन भी करूंगा। 31 जनवरी को विज ने कहा- जिन लोगों ने मुझे चुनाव में हराने की कोशिश की, चाहे वह अधिकारी थे, कर्मचारी थे या छुटभैये नेता थे। मैंने इन सबके बारे में लिखकर दिया। 100 दिन हो चुके हैं, इस मामले में न तो मुझसे पूछा गया, न ही कोई कार्रवाई हुई। 1 फरवरी को विज ने कहा- मैं कुछ नहीं बोलता, मेरी क्या हैसियत है। मैं जो बोलता हूं, आत्मा से बोलता हूं और आत्मा की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। 2 फरवरी को विज ने रोहतक में कहा- मैंने न कभी मुख्यमंत्री का पद मांगा और न मंत्री का। मंत्री रहते हुए भी मैंने कोई आवास नहीं लिया। अगर अब इस पद को कोई छीनना चाहता है तो बेशक छीन ले, मुझे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है, लेकिन मेरी सीनियॉरिटी और मेरी विधायकी नहीं छीन सकते। कैबिनेट मीटिंग से एक दिन पहले सीधे CM पर अटैक
सरकार ने अनिल विज को मनाने के लिए अंबाला DC पार्थ गुप्ता को हटा दिया। मगर, विज इससे खुश नहीं हुए। उन्होंने कहा- सरकार के 100 दिन होने के बाद डीसी बदले या न बदले, कोई फर्क नहीं पड़ता। मैंने चुनाव होते ही कहा था कि अधिकारियों ने मेरे खिलाफ काम किया है। इसके बाद 3 फरवरी को विज ने सोशल मीडिया पर 17 तस्वीरों का 52 सेकेंड का वीडियो बनाकर डाल दिया। जिसमें दावा किया कि CM के साथ घूमने वाले नेता उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाली चित्रा सरवारा के साथ घूम रहे हैं। विज ने इन्हें गद्दार कहा। विज ने बैकग्राउंड में ‘क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे, नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे’ गाना लगाया। सरकार की हर कार्रवाई विज को नहीं मना पाई
विज की नाराजगी देख सरकार ने पहले अंबाला DC पार्थ गुप्ता को हटाया। इसके बाद सिरसा में हैफेड मैनेजर मुकेश कुमार को चार्जशीट कर दिया। विज की नाराजगी पर सीएम नायब सैनी ने भी कहा कि अनिल विज हमारे नेता हैं। पार्टी के नेता हैं। उनको क्या हुआ होगा, मुझे इस बारे में मालूम नहीं है। पार्टी ने अंबाला कोषाध्यक्ष निकाला
अनिल विज ने जिस भाजपा नेता आशीष तायल की फोटो जारी कर गद्दार कहा था, पार्टी ने उन्हें अंबाला जिला भाजपा के कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया है। इसका लेटर 4 फरवरी को पार्टी के प्रदेश प्रभारी सतीश पूनिया की विज से 2 घंटे मीटिंग के बाद सामने आया। हालांकि इस पर 30 जनवरी की डेट लिखी हुई है। नायब सैनी से पहले भी 2 बार टकराव हुआ
अनिल विज का नायब सैनी के मुख्यमंत्री बनने से पहले भी टकराव रहा। दरअसल, नायब सैनी जब अंबाला में BJP के अध्यक्ष थे तो भी विज की नाराजगी उनसे बनी रही। विज ने इस बात पर एतराज किया था कि उनकी सहमति के बगैर उनके अंबाला कैंट में मीटिंग क्यों की जा रही है। वहीं नायब सैनी 2014 की खट्टर सरकार में राज्य मंत्री थे। वह नारायणगढ़ से विधायक थे। वहीं विज अंबाला कैंट से विधायक और सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। अंबाला कैंट और नारायणगढ़ विधानसभा साथ में सटी हुई है। ऐसे में नायब सैनी ने अंबाला कैंट के रेस्ट हाउस में जनता दरबार लगाना शुरू कर दिया। विज भी तब जनता दरबार लगाते थे। सैनी के दरबार से विज नाराज हो गए और उन्होंने रेस्ट हाउस में सैनी का जनता दरबार परमानेंट बंद करा दिया। हरियाणा सीएम नायाब सिंह सैनी और प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के खिलाफ बयान देने पर BJP ने मंत्री अनिल विज को कारण बताओ नोटिस जारी किया। बड़ौली ने सोमवार को 3 दिन में जवाब मांगा है। बड़ौली के खिलाफ हिमाचल में गैंगरेप की FIR दर्ज होने के बाद अनिल बिज ने पिछले 2 महीने में दो बार इस्तीफा मांगा था। वहीं, CM पर भी उन्होंने लगातार निशाना साधा। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि हमारे मुख्यमंत्री, जब से CM बने हैं, तब से उड़नखटोले पर ही हैं। इसके बाद बड़ौली ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। हरियाणा BJP ने अनिल विज को भेजा नोटिस
नोटिस में कहा, ‘दिल्ली में चुनाव के दौरान इस प्रकार की बयानबाजी से पार्टी की छवि को नुकसान होगा, यह जानते हुए आपने ये बयान दिए हैं। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश अनुसार आपको यह कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। आपसे अपेक्षा करते हैं कि 3 दिन में आप इस विषय पर लिखित स्पष्टीकरण दें।’ विज के वो बयान पढ़िए जो उन्होंने CM-प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ दिए… 2 बार बड़ौली से इस्तीफा मांगा पहला बयान: 14 जनवरी को बड़ौली के खिलाफ हिमाचल में दर्ज गैंगरेप की FIR सामने आने के बाद अनिल विज ने 18 जनवरी को उनसे इस्तीफा मांगा। उन्होंने कहा कि बड़ौली पर लगे आरोपों की जांच हो रही है। गवाह ने कहा है कि मैं निर्दोष हूं और बड़ौली भी कह रहे हैं कि मैं निर्दोष हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि हिमाचल पुलिस की जांच में वे निर्दोष साबित होंगे। जब तक हिमाचल प्रदेश पुलिस उन्हें निर्दोष साबित नहीं कर देती या जब तक जांच पूरी न हो, तब तक पार्टी की पवित्रता को बनाए रखने के लिए उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। दूसरा बयान: अनिल विज ने 2 फरवरी को सोनीपत के गोहाना में दिया। कहा, ‘मोहनलाल बड़ौली को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहिए। जिस व्यक्ति पर IPC की धारा-376D (महिला से गैंगरेप) के आरोप हों, वह महिलाओं की मीटिंग किस तरह ले सकता है। अब हम यह तो कह नहीं सकते कि महिलाओं को BJP से बैन कर दिया गया है। हम तो महिलाओं को 30% बढ़ा रहे हैं। ऐसे में धारा-376 का आरोपी शख्स प्रदेशाध्यक्ष नहीं रह सकता। हमारे बड़े-बड़े नेताओं पर भी आरोप लगे थे। आडवाणी पर भी आरोप लगे थे, उनका नाम आया था और उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था। बड़ौली उनसे बड़े तो नहीं हैं।’ विज ने कहा- CM बनने के बाद उड़न खटोले पर सैनी
अनिल विज ने 31 जनवरी को अंबाला में कहा, ‘जिन लोगों ने मुझे चुनाव हराने की कोशिश की, चाहे वह अधिकारी थे, कर्मचारी थे या छुटभैये नेता थे। मैंने इन सबके बारे में लिखकर दिया। 100 दिन हो चुके हैं, इस मामले में न तो मुझसे पूछा गया, न ही कोई कार्रवाई हुई। मुझे शक था कि मुझे हराने के लिए किसी बड़े नेता के द्वारा ये काम किया गया है। यहां तक कि मुझे मारने का भी प्रयास किया गया। मैं सबसे सीनियर नेता हूं, अगर मैं कह रहा हूं मेरे खिलाफ हराने की कोशिश की है, तो तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी। 100 दिन तक कुछ नहीं किया गया, अब तो वह करें न करें मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हमारे मुख्यमंत्री, जब से CM बने हैं तब से उड़नखटोले पर ही हैं। नीचे उतरे तो जनता के प्रति देखें। ये मेरी आवाज नहीं है, सारे एमएलए सारे मंत्रियों की आवाज है। अंबाला छावनी की जनता ने मुझे यहां से जिताया है। उनके कामों के लिए मुझे जो भी करना पड़ेगा वह करूंगा। जान देनी पड़े तो दूंगा। धरना देना पड़े दूंगा। अनशन करना पड़े करूंगा। सरकार से क्यों नाराज हुए अनिल विज, 5 पॉइंट्स में जानिए… 2024 के चुनाव में कड़े मुकाबले में फंसे विज
अनिल विज ने BJP की टिकट पर अंबाला कैंट से चुनाव लड़ा। पहली बार यहां विज कड़े मुकाबले में फंसे। उन्हें पूर्व कांग्रेसी मंत्री निर्मल सिंह की निर्दलीय उम्मीदवार बेटी चित्रा सरवारा टक्कर दे रहीं थी। विज ने 2019 के चुनाव में चित्रा को 20,165 वोटों से हराया था लेकिन इस बार यह मार्जिन महज 7,277 रह गया। ऐसे में विज ने शक जाहिर किया था कि उन्हीं की पार्टी के लोगों ने उन्हें हराने के लिए चित्रा सरवारा का साथ दिया। जीत के बाद कहा- मेरे खिलाफ साजिश हुई, सरकार ने एक्शन नहीं लिया
अनिल विज चुनाव जीतने के बाद मंत्री भी बन गए। इसके बाद अंबाला कैंट के धन्यवादी दौरे में अनिल विज ने अधिकारियों से लेकर अपनी पार्टी के नेताओं पर सवाल खड़े किए। विज ने कहा कि अधिकारियों ने उनकी सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए। उनकी हत्या की साजिश रची गई। उन्हें हराने के लिए लोगों को चित्रा सरवारा का कैंप जॉइन कराया गया। विज ने सरकार से अंबाला DC पार्थ गुप्ता पर कार्रवाई की मांग की, जो चुनाव के वक्त जिला चुनाव अधिकारी थे। मगर, सरकार ने 100 दिन के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया। अनिल विज ने ग्रीवेंस कमेटी में न जाने से लेकर मंत्री पद छीनने की बात कही
इसके बाद अनिल विज ने 20 जनवरी को कहा कि अब मैं ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में शायद न जाऊं। हमारे आदेशों का पालन नहीं हो रहा। अंबाला कैंट विधानसभा क्षेत्र के कामों के लिए डल्लेवाल (किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल) की तरह अनशन भी करूंगा। 31 जनवरी को विज ने कहा- जिन लोगों ने मुझे चुनाव में हराने की कोशिश की, चाहे वह अधिकारी थे, कर्मचारी थे या छुटभैये नेता थे। मैंने इन सबके बारे में लिखकर दिया। 100 दिन हो चुके हैं, इस मामले में न तो मुझसे पूछा गया, न ही कोई कार्रवाई हुई। 1 फरवरी को विज ने कहा- मैं कुछ नहीं बोलता, मेरी क्या हैसियत है। मैं जो बोलता हूं, आत्मा से बोलता हूं और आत्मा की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। 2 फरवरी को विज ने रोहतक में कहा- मैंने न कभी मुख्यमंत्री का पद मांगा और न मंत्री का। मंत्री रहते हुए भी मैंने कोई आवास नहीं लिया। अगर अब इस पद को कोई छीनना चाहता है तो बेशक छीन ले, मुझे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है, लेकिन मेरी सीनियॉरिटी और मेरी विधायकी नहीं छीन सकते। कैबिनेट मीटिंग से एक दिन पहले सीधे CM पर अटैक
सरकार ने अनिल विज को मनाने के लिए अंबाला DC पार्थ गुप्ता को हटा दिया। मगर, विज इससे खुश नहीं हुए। उन्होंने कहा- सरकार के 100 दिन होने के बाद डीसी बदले या न बदले, कोई फर्क नहीं पड़ता। मैंने चुनाव होते ही कहा था कि अधिकारियों ने मेरे खिलाफ काम किया है। इसके बाद 3 फरवरी को विज ने सोशल मीडिया पर 17 तस्वीरों का 52 सेकेंड का वीडियो बनाकर डाल दिया। जिसमें दावा किया कि CM के साथ घूमने वाले नेता उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाली चित्रा सरवारा के साथ घूम रहे हैं। विज ने इन्हें गद्दार कहा। विज ने बैकग्राउंड में ‘क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे, नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे’ गाना लगाया। सरकार की हर कार्रवाई विज को नहीं मना पाई
विज की नाराजगी देख सरकार ने पहले अंबाला DC पार्थ गुप्ता को हटाया। इसके बाद सिरसा में हैफेड मैनेजर मुकेश कुमार को चार्जशीट कर दिया। विज की नाराजगी पर सीएम नायब सैनी ने भी कहा कि अनिल विज हमारे नेता हैं। पार्टी के नेता हैं। उनको क्या हुआ होगा, मुझे इस बारे में मालूम नहीं है। पार्टी ने अंबाला कोषाध्यक्ष निकाला
अनिल विज ने जिस भाजपा नेता आशीष तायल की फोटो जारी कर गद्दार कहा था, पार्टी ने उन्हें अंबाला जिला भाजपा के कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया है। इसका लेटर 4 फरवरी को पार्टी के प्रदेश प्रभारी सतीश पूनिया की विज से 2 घंटे मीटिंग के बाद सामने आया। हालांकि इस पर 30 जनवरी की डेट लिखी हुई है। नायब सैनी से पहले भी 2 बार टकराव हुआ
अनिल विज का नायब सैनी के मुख्यमंत्री बनने से पहले भी टकराव रहा। दरअसल, नायब सैनी जब अंबाला में BJP के अध्यक्ष थे तो भी विज की नाराजगी उनसे बनी रही। विज ने इस बात पर एतराज किया था कि उनकी सहमति के बगैर उनके अंबाला कैंट में मीटिंग क्यों की जा रही है। वहीं नायब सैनी 2014 की खट्टर सरकार में राज्य मंत्री थे। वह नारायणगढ़ से विधायक थे। वहीं विज अंबाला कैंट से विधायक और सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। अंबाला कैंट और नारायणगढ़ विधानसभा साथ में सटी हुई है। ऐसे में नायब सैनी ने अंबाला कैंट के रेस्ट हाउस में जनता दरबार लगाना शुरू कर दिया। विज भी तब जनता दरबार लगाते थे। सैनी के दरबार से विज नाराज हो गए और उन्होंने रेस्ट हाउस में सैनी का जनता दरबार परमानेंट बंद करा दिया। हरियाणा | दैनिक भास्कर