कुंभ का इकलौता आश्रम, जहां सभी 9 महामंडलेश्वर विदेशी:हिंदी नहीं आती, पर संस्कृत के श्लोक याद; 40 देशों के भक्त अब सनातनी प्रयागराज महाकुंभ के सेक्टर-17 में निर्मोही अनी अखाड़े से जुड़ीं साईं मां का आश्रम। यह आश्रम शक्ति धाम नाम से जाना जाता है। इसमें 40 से ज्यादा देशों के भक्त हैं। यहां नौ महामंडलेश्वर हैं, सभी विदेशी हैं। एक को छोड़कर बाकी हिंदी नहीं जानते, लेकिन संस्कृत के श्लोक सभी को बखूबी याद हैं। इनमें कोई अमेरिका में डॉक्टर रहा, तो कोई जापान में टीचर। ये सभी अपने-अपने देशों में ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं। दैनिक भास्कर ऐप टीम आश्रम पहुंची तो विदेशी मूल के 6 महामंडलेश्वर से मुलाकात हुई। जापान से दीक्षा लेने आए लोगों के विचार जाने। हिंदुत्व और सनातन के प्रति उनके झुकाव को समझा। जानिए इस विशेष आश्रम और महामंडलेश्वरों के बारे में… सबसे ज्यादा विदेशी सनातनी वाला आश्रम आश्रम को भव्य तरीके से बनाया गया है। गेट और उसके आसपास साईं मां के पोस्टर लगे हैं। हम अंदर पहुंचे तो विदेशी भक्तों का एक ग्रुप खड़ा था। थोड़ी देर बाद ही वह पूरा ग्रुप गंगा स्नान के लिए निकल गया। अंदर बात हुई तो पता चला साथ में सभी महामंडलेश्वर भी गए हैं। इस दौरान हमने साईं मां और आश्रम के बारे में वहां के लोगों से बात की। साईं मां का पूरा नाम मीराबाई सर्वानंदमयी लक्ष्मी देवी साईंं मां मिश्रा है। जन्म मॉरीशस में हुआ। परवरिश फ्रांस में हुई और अब अमेरिका में रहती हैं। वह विष्णु-स्वामी वंश के अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े से जुड़ी हैं। 2019 में साईं मां ने 9 विदेशी शिष्यों को अपने निर्मोही अनी अखाड़े से महामंडलेश्वर बनाया था। इसमें 3 महिला और 6 पुरुष हैं। सभी सनातन धर्म को स्वीकार कर चुके हैं और इसके प्रचार-प्रसार में लगे हैं। आइए महामंडलेश्वर को जानते हैं… अनंत दास…इकलौते महामंडलेश्वर, जो हिंदी बोलते हैं हम आश्रम के लोगों से बात कर ही रहे थे कि पूरा ग्रुप गंगा स्नान कर वापस आ गया। हमारी मुलाकात सबसे पहले अनंत दास महाराज से हुई। अनंत ही एकमात्र ऐसे महामंडलेश्वर हैं, जो हिंदी बोल लेते हैं। अनंत दास महाराज का जन्म अमेरिका में हुआ। अनंत दास कहते हैं- 2010 में यूएस की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में फाइनेंस की पढ़ाई कर रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि जीवन में क्या करना है, मैं अपने जीवन में उदास था। उस वक्त मुझे एक गुरु की जरूरत थी, तभी हमें साईंं मां मिलीं। उनसे हमने साधना, मंत्र और सत्संग सीखा। इसके बाद हमने यह समझा कि सनातन ही सत्य है और इसे अपना लिया। 2013 में प्रयागराज कुंभ में संन्यास ले लिया। अनंत 2019 में महामंडलेश्वर बनाए गए। वह अब अमेरिका नहीं जाते। वाराणसी के शक्तिधाम आश्रम में ही रहते हैं। हमने उनसे पूछा कि सनातन में सबसे अच्छा क्या लगा? अनंत कहते हैं, ‘सनातन के लोग लकी (भाग्यशाली) हैं। यहां कोई वॉर (युद्ध) नहीं है। किसी से कोई फाइटिंग नहीं है। सब शांति से रह सकते हैं।’ हमने कुंभ के बारे में पूछा तो वह कहते हैं, गंगा मइया में शक्ति है, जब हम स्नान करते हैं तो गंगा मां की शक्ति हमारे अंदर जाती है, एक नया जीवन जैसा लगता है। अमेरिका में सनातन का प्रचार करती हैं देवी मां इसके बाद हमारी मुलाकात महामंडलेश्वर श्री देवी मां से हुई। वह साउथ अमेरिका की हैं। पिछले 22 साल से सनातन धर्म से जुड़ी हैं। वह कहती हैं, ‘मुझे हमेशा लगता था कि मेरे जीवन का बहुत ही गहरा उद्देश्य है। जब गुरु मां से मिली, तब जीवन का महत्व समझा। 2005 में पहली बार भारत आई और यही इच्छा हुई कि अब संन्यास ले लिया जाए। मैं पहले सोशल वर्कर थी और फिर छोड़ दिया। संन्यास के बाद ही सनातन धर्म स्वीकार कर लिया।’ देवी मां जब भारत से वापस अपने देश जाती हैं, तो सनातन धर्म का प्रचार करती हैं। लोगों को योग सिखाती हैं। स्वामी परमेश्वर दास आश्रम के सबसे पुरानी संन्यासी स्वामी परमेश्वर दास अमेरिका के हैं। साईं मां के आश्रम के सबसे पुराने संन्यासी और महामंडलेश्वर। पिछले 30 सालों से वह साईंं मां से जुड़े हैं। वह शक्तिधाम फाउंडेशन के आध्यात्मिक सलाहकार हैं। महिला सशक्तीकरण को लेकर लगातार काम करते रहे हैं। साइकोलॉजी पर अब तक 6 किताबें लिख चुके हैं। खुद भी पीएचडी की है। हमने पूछा कि आपने सनातन धर्म को क्यों अपनाया? परमेश्वर दास कहते हैं, साधना के लिए इससे अच्छा रास्ता कोई नहीं है। मैं पिछले 4 साल से वापस अपने देश नहीं गया। काशी में ही रहता हूं। एक्टर-म्यूजिशियन बनीं महामंडलेश्वर, अब साइकोलॉजी पढ़ाती हैं हमारी मुलाकात यूएसए के कोलोराडो की ललिता श्री मां से हुई। वह कहती हैं, ‘मैं पिछले 20 साल से संन्यास का जीवन जी रही हूं। उसके पहले मैं स्टूडेंट थी। उस वक्त साईं मां से मिली तो जीवन का उद्देश्य पता चला। मोक्ष के लिए मैंने सनातन धर्म अपना लिया। जब अपने देश जाती हूं तो लोगों को साइकोलॉजी पढ़ाती हूं। सनातन धर्म का प्रचार करती हूं। कुंभ को लेकर ललिता श्री मां कहती हैं, कुंभ एक ऐसी पवित्र जगह है, जहां दुनिया भर के लोग धर्म के लिए इकट्ठा होते हैं।’ ललिता मां को संस्कृत के तमाम श्लोक याद हैं। इजराइल में सनातन धर्म पढ़ाते हैं दयानंद दास पांचवें महामंडलेश्वर के रूप में हमारी मुलाकात इजराइल से आए दयानंद दास से हुई। उन्होंने भी साईंं मां से मिलने के बाद संन्यास लिया और सनातन धर्म अपना लिया। दयानंद से हमने पूछा कि जब आप अपने देश जाते हैं तो क्या पढ़ाते हैं। वह कहते हैं, जब मैं अपने देश जाता हूं तो युवाओं को सनातन धर्म, योग, प्राणायाम, टेक्नोलॉजी पढ़ाता हूं। कुंभ मुझे बहुत पसंद है। दुनिया के किसी भी हिस्से में ऐसा नहीं है। यह हमारा और इस देश के लोगों का इमोशन है। पेशे से डॉक्टर, अब सनातन धर्म का प्रचार कर रहीं राजेश्वरी मां हमने जापान के टोक्यो शहर की रहने वाली महामंडलेश्वर राजेश्वरी मां से बात की। इस वक्त उनके साथ बहुत सारे स्टूडेंट जापान से आए हुए हैं। वह यहां अध्यात्म और साधना की शिक्षा ले रहे हैं। राजेश्वरी मां जापान में साईंं मां के विचारों का प्रचार करती हैं। वह पेशे से डॉक्टर हैं, लोगों का इलाज करती हैं। वह भी ब्रह्मचर्य का पालन करती हैं। सनातन धर्म का प्रचार करती हैं। कुंभ को लेकर बेहद खुश हैं। आश्रम के जो भी काम होते हैं, वह उसमें सबसे आगे दिखती हैं। इन 6 महामंडलेश्वर के अलावा तीन और महामंडलेश्वर हैं। एक अमेरिका के फ्लोरिडा के त्रिवेणी दास महाराज, दूसरे फ्रांस निवासी महामंडलेश्वर जयेंद्र दास महाराज और तीसरे जीवन दास महाराज। त्रिवेणी दास महाराज दुनियाभर में सनातन धर्म का प्रचार करने के लिए जाते हैं। साईंं मां के विचारों का वहां प्रचार करते हैं। वहीं, जीवन दास साइकोलॉजिस्ट हैं। डिप्रेशन में जा चुके युवाओं को पिछले 20 साल से ट्रेनिंग देते आ रहे हैं। 2019 में उन्हें भी साईंं मां ने महामंडलेश्वर बनाया था। उसके बाद से वह आश्रम में कार्यकारी सहायक के रूप में काम करते आ रहे हैं। पूरे दिन यज्ञ चलता है, विदेशी बैठते हैं आश्रम में सबकुछ बहुत व्यवस्थित तरीके से बनाया और उसे बसाया गया है। जैसे ही आप आश्रम में जाएंगे, सामने यज्ञ होता दिखेगा। 4 पुरोहित लगातार मंत्र जाप कर रहे हैं, विदेशी श्रद्धालु यहां बैठकर सबकुछ सुन रहे होते हैं। यह क्रम हर दिन सुबह शुरू होता है और देर रात तक चलता है। कुंभ शुरू होने के बाद अब तक हवन कुंड में लगातार आग बनी रही है। जब तक यज्ञ होता है, तब तक किसी एक विदेशी भक्त का वहां बैठना अनिवार्य होता है। इस आश्रम में 40 से ज्यादा देशों के भक्त हैं। आज सभी सनातन धर्म अपना चुके हैं। अब सभी शाकाहारी हैं। सभी एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। आश्रम में शाम को भजन-कीर्तन होता है और सभी इसमें शामिल हैं। साईंं मां अपने विदेशी भक्तों को प्रवचन देती हैं। यह प्रवचन अंग्रेजी में ही होता है। ——————— ये खबर भी पढ़ें… बीयर बार मालिक से लेकर रेप के आरोपी बने महामंडलेश्वर:अखाड़ों में पावरफुल पद; प्रोटोकॉल तक मिलता है, इसलिए क्रेज प्रयागराज महाकुंभ के बीच किन्नर अखाड़ा विवादों में है। पूर्व एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के फैसले का विरोध हो रहा है। खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक बताने वाले ऋषि अजय दास ने सवाल उठाया- जिस पर देशद्रोह का आरोप हो, उसे महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? ये कोई बिग बॉस का शो नहीं है। पढ़ें पूरी खबर…