मैं 5 भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थी। मां पढ़ी-लिखी नहीं थीं। बचपन में मां अपने बगल में मुझे बैठाकर गीता और भागवत पुराण आदि सुनाने को कहती थीं। मैं पढ़ाई के साथ शास्त्रों का भी अध्ययन करती थी। पढ़ाई के बाद एक इंटरनेशनल कंपनी में मैनेजर बन गई, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया और संन्यास की तरफ बढ़ गई। यह कहना है श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर जय अंबानंद गिरि का। अंबानंद गिरि को 6 भाषाएं आती हैं। इनके इंस्टाग्राम पर 78 हजार, फेसबुक पर 3.50 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। देखिए वीडियो स्टोरी… मैं 5 भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थी। मां पढ़ी-लिखी नहीं थीं। बचपन में मां अपने बगल में मुझे बैठाकर गीता और भागवत पुराण आदि सुनाने को कहती थीं। मैं पढ़ाई के साथ शास्त्रों का भी अध्ययन करती थी। पढ़ाई के बाद एक इंटरनेशनल कंपनी में मैनेजर बन गई, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया और संन्यास की तरफ बढ़ गई। यह कहना है श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर जय अंबानंद गिरि का। अंबानंद गिरि को 6 भाषाएं आती हैं। इनके इंस्टाग्राम पर 78 हजार, फेसबुक पर 3.50 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। देखिए वीडियो स्टोरी… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
मां को गीता सुनाते-सुनाते बनीं संन्यासिनी, VIDEO:मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ी; जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर जय अंबानंद गिरि की कहानी
