हरियाणा में 9 नगर निगमों का कानूनी अस्तित्व पर सवाल:एक्ट में संशोधन कर नगर परिषद बनी; जिला मुख्यालय निकाय से जनसंख्या शर्त हटी

हरियाणा में 9 नगर निगमों का कानूनी अस्तित्व पर सवाल:एक्ट में संशोधन कर नगर परिषद बनी; जिला मुख्यालय निकाय से जनसंख्या शर्त हटी

हरियाणा की कुल 11 में से 9 नगर निगम वास्तव में एवं कानूनन‌ नगर परिषदें हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि 19 सितंबर 2020 से हरियाणा म्युनिसिपल (संशोधन) एक्ट, 2020 लागू किया गया। यह कानून विधानसभा से इसलिए पारित करवाया गया था, ताकि प्रदेश में नूंह जिला मुख्यालय पर स्थापित नगर परिषद, जो हालांकि तब नगर पालिका समिति (म्यूनिसिपल कमेटी) थी, उसे कानूनी तौर पर नगर परिषद ( म्यूनिसिपल काउंसिल) घोषित किया जा सके। संशोधन से नूंह जिला मुख्यालय पर तत्कालीन नगर पालिका 50 हजार की आबादी के कम होने के बावजूद नगर परिषद बन गई। इन नगर निगमों के अस्तित्व पर उठ रहे सवाल इस संशोधन के ढाई साल बाद जून, 2022 में प्रदेश में 46 नगर निकायों के आम चुनाव दौरान नूंह नगर परिषद के प्रथम चुनाव भी करवा लिए गए, हालांकि इस संशोधन कानून के लागू होने के फलस्वरूप प्रदेश के 9 जिला मुख्यालयों, अंबाला, पंचकूला, करनाल, पानीपत, यमुनानगर, हिसार, रोहतक, सोनीपत और गुरुग्राम पर बीते कई वर्षो से स्थापित नगर निगमें कानूनी और आधिकारिक तौर पर नगर परिषदें बन गई हैं। इसलिए दो नगर निगमों का बच गया अस्तित्व पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हेमंत ने बताया कि चूंकि फरीदाबाद नगर निगम का स्पष्ट उल्लेख हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 3 में किया गया है, इसलिए उसका कानूनी अस्तित्व बच गया। वहीं पांच वर्ष पूर्व दिसंबर, 2020 में घोषित मानेसर नगर निगम भी इस आधार पर‌ वैध है क्योंकि मानेसर जिला मुख्यालय नहीं है। हालांकि 1 लाख 61 हजार अर्थात कानूनन आवश्यक तीन लाख की जनसंख्या से कम आबादी होने कारण मानेसर नगर निगम के कानूनी अस्तित्व पर गंभीर सवाल है। वैसे क्या है नियम? हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 2 ए में हरियाणा की सभी मुनिसिपलिटीस का वर्गीकरण किया गया है, जिसके अनुसार 50 हज़ार तक की जनसंख्या वाले छोटे शहरों में नगरपालिका समिति, 50 हजार से तीन लाख तक आबादी वाले मध्यम शहरों में नगर परिषद, जबकि तीन लाख से ऊपर की जनसंख्या वाले बड़े शहरों, महानगरों में नगर निगम का प्रावधान है। बीजेपी-जजपा गठबंधन सरकार में हुआ संशोधन 12 फरवरी 2021 से पूर्व नूंह जिला मुख्यालय पर नगरपालिका समिति होती थी। वहां की जनसंख्या कानूनन आवश्यक 50 हजार की जनसंख्या से कम होने के कारण आधिकारिक तौर पर नूहं नगर पालिका को नगर परिषद घोषित नहीं किया जा सकता था, इसलिए तत्कालीन तत्कालीन भाजपा – जजपा गठबंधन सरकार द्वारा विधानसभा से संशोधन करवा कानूनी धारा में यह उल्लेख कर दिया गया था कि हर जिला मुख्यालय पर स्थापित म्युनिसिपेलिटी ( नगर निकाय) वहां की जनसंख्या पर विचार किए बिना नगर परिषद होगी, बेशक वहां की जनसंख्या कितनी हो। स्टेट इलेक्शन कमीशन से की जा चुकी शिकायत हेमंत ने बीते चार वर्षों में प्रदेश के शहरी स्थानीय निकाय विभाग के तत्कालीन मंत्रियों पहले अनिल विज, तत्पश्चात डा. कमल गुप्ता और गत चार माह से मौजूदा मंत्री विपुल गोयल, विभाग के प्रशासनिक सचिव और निदेशक और उच्च अधिकारियों को इस विषय पर कई बार लिखकर हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 2 ए में पुनः संशोधन करने की अपील की जा चुकी है, ताकि प्रदेश की 9 नगर निगमों का कानूनी अस्तित्व कायम रखा जा सके। 16 दिसंबर 2024 को हरियाणा चुनाव आयोग द्वारा इस मामले पर शहरी निकाय विभाग के निदेशक को इस विषय पर पत्र भेजा गया, हालांकि आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। हरियाणा की कुल 11 में से 9 नगर निगम वास्तव में एवं कानूनन‌ नगर परिषदें हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि 19 सितंबर 2020 से हरियाणा म्युनिसिपल (संशोधन) एक्ट, 2020 लागू किया गया। यह कानून विधानसभा से इसलिए पारित करवाया गया था, ताकि प्रदेश में नूंह जिला मुख्यालय पर स्थापित नगर परिषद, जो हालांकि तब नगर पालिका समिति (म्यूनिसिपल कमेटी) थी, उसे कानूनी तौर पर नगर परिषद ( म्यूनिसिपल काउंसिल) घोषित किया जा सके। संशोधन से नूंह जिला मुख्यालय पर तत्कालीन नगर पालिका 50 हजार की आबादी के कम होने के बावजूद नगर परिषद बन गई। इन नगर निगमों के अस्तित्व पर उठ रहे सवाल इस संशोधन के ढाई साल बाद जून, 2022 में प्रदेश में 46 नगर निकायों के आम चुनाव दौरान नूंह नगर परिषद के प्रथम चुनाव भी करवा लिए गए, हालांकि इस संशोधन कानून के लागू होने के फलस्वरूप प्रदेश के 9 जिला मुख्यालयों, अंबाला, पंचकूला, करनाल, पानीपत, यमुनानगर, हिसार, रोहतक, सोनीपत और गुरुग्राम पर बीते कई वर्षो से स्थापित नगर निगमें कानूनी और आधिकारिक तौर पर नगर परिषदें बन गई हैं। इसलिए दो नगर निगमों का बच गया अस्तित्व पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हेमंत ने बताया कि चूंकि फरीदाबाद नगर निगम का स्पष्ट उल्लेख हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 3 में किया गया है, इसलिए उसका कानूनी अस्तित्व बच गया। वहीं पांच वर्ष पूर्व दिसंबर, 2020 में घोषित मानेसर नगर निगम भी इस आधार पर‌ वैध है क्योंकि मानेसर जिला मुख्यालय नहीं है। हालांकि 1 लाख 61 हजार अर्थात कानूनन आवश्यक तीन लाख की जनसंख्या से कम आबादी होने कारण मानेसर नगर निगम के कानूनी अस्तित्व पर गंभीर सवाल है। वैसे क्या है नियम? हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 2 ए में हरियाणा की सभी मुनिसिपलिटीस का वर्गीकरण किया गया है, जिसके अनुसार 50 हज़ार तक की जनसंख्या वाले छोटे शहरों में नगरपालिका समिति, 50 हजार से तीन लाख तक आबादी वाले मध्यम शहरों में नगर परिषद, जबकि तीन लाख से ऊपर की जनसंख्या वाले बड़े शहरों, महानगरों में नगर निगम का प्रावधान है। बीजेपी-जजपा गठबंधन सरकार में हुआ संशोधन 12 फरवरी 2021 से पूर्व नूंह जिला मुख्यालय पर नगरपालिका समिति होती थी। वहां की जनसंख्या कानूनन आवश्यक 50 हजार की जनसंख्या से कम होने के कारण आधिकारिक तौर पर नूहं नगर पालिका को नगर परिषद घोषित नहीं किया जा सकता था, इसलिए तत्कालीन तत्कालीन भाजपा – जजपा गठबंधन सरकार द्वारा विधानसभा से संशोधन करवा कानूनी धारा में यह उल्लेख कर दिया गया था कि हर जिला मुख्यालय पर स्थापित म्युनिसिपेलिटी ( नगर निकाय) वहां की जनसंख्या पर विचार किए बिना नगर परिषद होगी, बेशक वहां की जनसंख्या कितनी हो। स्टेट इलेक्शन कमीशन से की जा चुकी शिकायत हेमंत ने बीते चार वर्षों में प्रदेश के शहरी स्थानीय निकाय विभाग के तत्कालीन मंत्रियों पहले अनिल विज, तत्पश्चात डा. कमल गुप्ता और गत चार माह से मौजूदा मंत्री विपुल गोयल, विभाग के प्रशासनिक सचिव और निदेशक और उच्च अधिकारियों को इस विषय पर कई बार लिखकर हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 2 ए में पुनः संशोधन करने की अपील की जा चुकी है, ताकि प्रदेश की 9 नगर निगमों का कानूनी अस्तित्व कायम रखा जा सके। 16 दिसंबर 2024 को हरियाणा चुनाव आयोग द्वारा इस मामले पर शहरी निकाय विभाग के निदेशक को इस विषय पर पत्र भेजा गया, हालांकि आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।   हरियाणा | दैनिक भास्कर