‘यहां सब देखकर मन खुश हो गया। मेरी बेटी अपने 2 महीने के बेटे के साथ हरियाणा से आई है। यह महाकुंभ 144 साल बाद आएगा, इसलिए इसे भी स्नान कराएंगे।’ यह बात बनारस से आए 55 साल के अनुज तिवारी बड़े गर्व से कहते हैं। उनके साथ परिवार के 7 लोग आए हैं। महाकुंभ आने वाले सिर्फ अनुज तिवारी का ही यह सोचना नहीं है, बल्कि 144 साल बाद आए महाकुंभ में स्नान से चूक न जाएं यह मानकर करोड़ों लोग संगम में डुबकी लगाने पहुंच गए। सरकार ने महाकुंभ शुरू हाेने से पहले 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई, लेकिन इस उम्मीद से 20 करोड़ ज्यादा लोग पहुंच चुके हैं। 22 फरवरी तक 60 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु महाकुंभ में आए हैं। यह आंकड़ा दुनिया में रहने वाले 120 करोड़ हिंदुओं का 50 फीसदी है। यानी दुनिया के आधे हिंदू संगम में स्नान कर चुके हैं। अब सवाल है कि आखिर इतनी भीड़ पहुंचने के पीछे वजह क्या रही? दैनिक भास्कर की टीम ने कुछ वजहों की तलाश की। यह भी समझने की कोशिश की कि अधिक भीड़ होने से क्या चुनौती आई? इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए सबकुछ… सबसे पहले महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं ने क्या कहा… महाराष्ट्र से आए सचिन यादव भी 144 साल बाद लगे इस महाकुंभ की बात कहते हैं। उन्होंने बताया- 50 करोड़ लोग आए, हम कैसे पीछे रह जाएं। वो 2 बड़ी वजह, जिससे इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए 1- भव्यता, जो रील्स और सोशल मीडिया में दिखा महाकुंभ की भव्यता, जो रील्स और सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए वीडियो में दिखी। सीएम योगी ने कुंभ शुरू होने से पहले सोशल मीडिया के बड़े क्रिएटर्स के साथ लखनऊ में बैठक की। इसमें 100 से ज्यादा क्रिएटर्स शामिल हुए। यह वो लोग हैं जो कुंभ से जुड़ी रील्स, वीडियो बनाते हैं और उसे अपने प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हैं। 15 दिसंबर के बाद जब अखाड़ों की पेशवाई शुरू हुई तभी से कुंभ ट्रेंडिंग टॉपिक्स में आ गया। देशभर के छोटे से बड़े सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर महाकुंभ पहुंच गए और रील्स बनाकर पोस्ट करने लगे। हर वीडियो के साथ लोगों से यह अपील की जाती कि आप इस महा आयोजन में जरूर शामिल हों। रील्स में महाकुंभ की भव्यता देखकर लोग मेले में आए। 2- 144 साल बाद महाकुंभ वाली बात महाकुंभ को लेकर कहा गया कि यह 144 साल बाद आया है। 2025 के महाकुंभ में अमृत योग बन रहा। इसका भी जमकर प्रचार हुआ। लोगों के दिमाग में यह बात बैठ गई कि हमारी पहले की पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को यह मौका नहीं मिलेगा, इसलिए प्रयागराज चलकर संगम में डुबकी लगा ली जाए। ज्योतिषी आशुतोष वार्ष्णेय ने बताया कि 144 साल पर लगे इस कुंभ का बहुत ही अधिक महत्व है। हमारे यहां बहुत ही प्रसिद्ध श्लोक है ‘जो पिंड में है वही ब्रह्मांड में और जो ब्रह्मांड में है वही पिंड में है।’ इस बार जनमानस यह सोच रहा है कि त्रिवेणी संगम में स्नान कर लें, क्योंकि 144 साल बाद कौन जिंदा रहेगा। प्रयागराज के आईजी रहे केपी सिंह कहते हैं- मैं जब 2019 के अर्धकुंभ में प्रयागराज में तैनात था, उस वक्त शुरुआत में कम भीड़ आई, लेकिन वसंत पंचमी के बाद लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। जो लोग सोच रहे थे, मेला खत्म हो गया, वह भीड़ देखकर चौंक गए थे। इस बार लोगों में फीयर ऑफ मिसिंग यानी अमृत स्नान से चूक जाने का डर दिखा है। इस साल यह डर ज्यादा हावी रहा, क्योंकि कहा गया कि 144 साल बाद यह अमृत महाकुंभ आया है। एक आम व्यक्ति ने धारणा बना ली कि वह अपने आगे आने वाली और पीछे जा चुकी पीढ़ियों के बीच अकेला ऐसा व्यक्ति है, जिसे कुंभ में अमृत स्नान का मौका मिला है। कुंभ पर किताब लिख चुके डॉ. धनंजय चोपड़ा कहते हैं- इसके पीछे डिजिटल मीडिया बड़ी वजह है, क्योंकि इसके जरिए खूब प्रचार हुआ। सबके मन में यह आया कि हम किसी तरह कुंभ पहुंचें। दूसरी बात, 144 साल बाद जो कुंभ आने की बात कही गई है तो लोगों को लगता है कि यही वह कुंभ है जो उनके जीवन में आया है, इसलिए स्नान कर लेना चाहिए। ये 3 और वजहें, जिससे लाेग महाकुंभ की तरफ आकर्षित हुए 1- प्रचार प्रयागराज महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से शुरू हुआ, लेकिन इसका प्रचार 6 महीने पहले शुरू हो गया था। ‘चलो कुंभ चले’ टैगलाइन के साथ पूरे देश के लोगों को प्रयागराज आने का आमंत्रण दिया गया। यूपी के सभी जिला मुख्यालयों पर तो बैनर-होर्डिंग लगाए ही गए। साथ ही दूसरे प्रदेशों में भी खूब सारे बैनर-होर्डिंग्स लगाए गए। दिल्ली मेट्रो में कुंभ से जुड़े पोस्टर लगाए गए। इसमें टैगलाइन ‘जयतु महाकुंभ, जयतु सनातन’ रखी गई। कुंभ में प्रमुख स्नान पर्व को हाईलाइट किया गया। जहां भी डिजिटल स्क्रीन दिखी, वहां भी कुंभ से संबंधित वीडियो दिखाए गए। इधर, श्रद्धालु स्नान के बाद अपने सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करने लगे। इससे दूसरे भी महाकुंभ में आने के लिए प्रेरित हो गए। 2- VVIP और सेलिब्रिटी महाकुंभ में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी समेत केंद्र के लगभग सभी बड़े चेहरों ने संगम में डुबकी लगाई। यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत 8 राज्यों के सीएम समेत कई राज्यों के राज्यपाल और मंत्री स्नान के लिए आए। बिजनेसमैन मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी परिवार समेत पहुंचे। भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और नेपाल के पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा समेत 77 देशों के डेलिगेट्स ने महाकुंभ में स्नान किया। बॉलीवुड की कई हस्तियां पहुंचीं। इसे देखकर आम लोग महाकुंभ जाने के लिए उतावले हो गए। इसलिए भगदड़ के बाद यह संख्या और बढ़ गई। 3- बड़े धर्मगुरुओं, संतों और जनप्रतिनिधियों की अपील महाकुंभ शुरू होने से पहले बागेश्वर पीठाधीश्वर, देवकीनंदन ठाकुर समेत अखाड़ों के महामंडलेश्वर हिंदुओं से आने की अपील करने लगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि एकता के इस महाकुंभ में समाज से नफरत और विभाजन को दूर करने का संकल्प लेकर इसमें शामिल हों। सीएम योगी जिन भी सीटों पर जाते, वहां स्थानीय मुद्दों के साथ कुंभ में लोगों के आने की बात कहते। हरियाणा-महाराष्ट्र, झारखंड तक के चुनाव प्रचार में कुंभ में शामिल होने की बात कही। इसका असर भी हुआ। कुंभ में शामिल बड़ी आबादी इन राज्यों से आई। उम्मीद से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने पर अफसर क्या कहते हैं… सरकार को उम्मीद थी कि 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ आएंगे, लेकिन 22 फरवरी तक 60 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आ चुके हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन महाकुंभ का समापन है, तब तक अनुमान लगाया जा रहा है कि 65 करोड़ से ज्यादा की संख्या हो जाएगी। इस आयोजन से जुड़े अफसर अच्छी तैयारियों को इसकी वजह बताते हैं। महाकुंभ मेले के नोडल और नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने दैनिक भास्कर से कहा, यह जो भीड़ बढ़ रही है, इसका जीता जागता प्रमाण है कि यहां पर अंतरराष्ट्रीय और अविस्मरणीय स्तर की तैयारी गई है। सरकार की कुंभ में की गई व्यवस्था में उनकी आस्था बढ़ी है। एक बात और साफ है कि ऐसी व्यवस्था है कि लोग देर-सवेर यहां पहुंच रहे हैं। कुंभ मेला क्षेत्र के अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी कहते हैं कि 26 फरवरी तक यानी महाशिवरात्रि तक श्रद्धालुओं की संख्या 65 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए हम लोग सुचारु व्यवस्था कर रहे हैं। ये जरूर है कि 144 साल पर लगा ये महाकुंभ सबके लिए आस्था का एक संगम है। आने वाले सभी श्रद्धालु अपने साथ कम से कम सामान लेकर आएं। अनुमान से ज्यादा भीड़ आने से क्या व्यवस्था बिगड़ी 1- भीड़ नहीं संभली, भगदड़ मची
महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से हुई। पौष पूर्णिमा व मकर संक्रांति पर भारी भीड़ आई। लेकिन इसके बाद 20 जनवरी तक भीड़ सीमित दिखी। प्रशासन ने भी ऐसी ही भीड़ की उम्मीद की थी। लेकिन 21 जनवरी से भीड़ बहुत तेजी से बढ़ने लगी। इसके बाद प्रशासन की व्यवस्था भीड़ के आगे कमजोर होने लगी। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर भगदड़ भी इसी का नतीजा रहा। 2- 7 फरवरी से फिर बढ़ी भीड़
3 फरवरी को आखिरी शाही स्नान और 6 फरवरी को पीएम मोदी प्रयागराज आए। उस वक्त तक भीड़ कम रही। लेकिन 7 फरवरी से एक बार फिर से भीड़ बढ़ने लगी। 8 और 9 फरवरी को तो पूरे शहर का ट्रैफिक ध्वस्त हो गया। प्रयागराज आने वाले सभी 7 रास्तों पर 25 से 30 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। इसके बाद अब तक हर दिन शहर और शहर के बाहर जाम लग रहा है। 3- कई किलोमीटर चलकर संगम पहुंचना पड़ा
भीड़ बढ़ी तो शहर के अंदर गाड़ियों के प्रवेश को रोका गया। सारी गाड़ियां शहर के एंट्री पॉइंट पर ही रोकी जाने लगीं। इसके चलते लोगों को 10 से 15 किलोमीटर चलकर संगम पहुंचना पड़ा। यह क्रम अब भी जारी है। हालांकि अब प्रयागराज जिले व आसपास के जिलों की गाड़ियों को छूट मिली है। उन्हें शहर के अंदर एंट्री दी गई है। स्थानीय लोग हर गली में बैरिकेडिंग से परेशान हो गए हैं। ——————— ये खबर भी पढ़ें… महाकुंभ से वाराणसी ही क्यों जाते हैं नागा साधु:12 साल में दो ही ऐसे मौके; महाशिवरात्रि और मसाने की होली से क्या है संबंध प्रयागराज महाकुंभ में तीन अमृत स्नान के बाद सभी 7 शैव यानी संन्यासी अखाड़े वाराणसी कूच कर गए हैं। अब काशी के घाटों और मठों में नागा संन्यासियों के दर्शन हो रहे हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर अखाड़ों के नागा साधु और महामंडलेश्वर अपने मठ-मंदिर में लौटने की जगह काशी ही क्यों जाते हैं, वहां क्या करेंगे, ऐसा क्या रहस्य और परंपरा है?…पढ़ें पूरी खबर ‘यहां सब देखकर मन खुश हो गया। मेरी बेटी अपने 2 महीने के बेटे के साथ हरियाणा से आई है। यह महाकुंभ 144 साल बाद आएगा, इसलिए इसे भी स्नान कराएंगे।’ यह बात बनारस से आए 55 साल के अनुज तिवारी बड़े गर्व से कहते हैं। उनके साथ परिवार के 7 लोग आए हैं। महाकुंभ आने वाले सिर्फ अनुज तिवारी का ही यह सोचना नहीं है, बल्कि 144 साल बाद आए महाकुंभ में स्नान से चूक न जाएं यह मानकर करोड़ों लोग संगम में डुबकी लगाने पहुंच गए। सरकार ने महाकुंभ शुरू हाेने से पहले 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई, लेकिन इस उम्मीद से 20 करोड़ ज्यादा लोग पहुंच चुके हैं। 22 फरवरी तक 60 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु महाकुंभ में आए हैं। यह आंकड़ा दुनिया में रहने वाले 120 करोड़ हिंदुओं का 50 फीसदी है। यानी दुनिया के आधे हिंदू संगम में स्नान कर चुके हैं। अब सवाल है कि आखिर इतनी भीड़ पहुंचने के पीछे वजह क्या रही? दैनिक भास्कर की टीम ने कुछ वजहों की तलाश की। यह भी समझने की कोशिश की कि अधिक भीड़ होने से क्या चुनौती आई? इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए सबकुछ… सबसे पहले महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं ने क्या कहा… महाराष्ट्र से आए सचिन यादव भी 144 साल बाद लगे इस महाकुंभ की बात कहते हैं। उन्होंने बताया- 50 करोड़ लोग आए, हम कैसे पीछे रह जाएं। वो 2 बड़ी वजह, जिससे इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए 1- भव्यता, जो रील्स और सोशल मीडिया में दिखा महाकुंभ की भव्यता, जो रील्स और सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए वीडियो में दिखी। सीएम योगी ने कुंभ शुरू होने से पहले सोशल मीडिया के बड़े क्रिएटर्स के साथ लखनऊ में बैठक की। इसमें 100 से ज्यादा क्रिएटर्स शामिल हुए। यह वो लोग हैं जो कुंभ से जुड़ी रील्स, वीडियो बनाते हैं और उसे अपने प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हैं। 15 दिसंबर के बाद जब अखाड़ों की पेशवाई शुरू हुई तभी से कुंभ ट्रेंडिंग टॉपिक्स में आ गया। देशभर के छोटे से बड़े सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर महाकुंभ पहुंच गए और रील्स बनाकर पोस्ट करने लगे। हर वीडियो के साथ लोगों से यह अपील की जाती कि आप इस महा आयोजन में जरूर शामिल हों। रील्स में महाकुंभ की भव्यता देखकर लोग मेले में आए। 2- 144 साल बाद महाकुंभ वाली बात महाकुंभ को लेकर कहा गया कि यह 144 साल बाद आया है। 2025 के महाकुंभ में अमृत योग बन रहा। इसका भी जमकर प्रचार हुआ। लोगों के दिमाग में यह बात बैठ गई कि हमारी पहले की पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को यह मौका नहीं मिलेगा, इसलिए प्रयागराज चलकर संगम में डुबकी लगा ली जाए। ज्योतिषी आशुतोष वार्ष्णेय ने बताया कि 144 साल पर लगे इस कुंभ का बहुत ही अधिक महत्व है। हमारे यहां बहुत ही प्रसिद्ध श्लोक है ‘जो पिंड में है वही ब्रह्मांड में और जो ब्रह्मांड में है वही पिंड में है।’ इस बार जनमानस यह सोच रहा है कि त्रिवेणी संगम में स्नान कर लें, क्योंकि 144 साल बाद कौन जिंदा रहेगा। प्रयागराज के आईजी रहे केपी सिंह कहते हैं- मैं जब 2019 के अर्धकुंभ में प्रयागराज में तैनात था, उस वक्त शुरुआत में कम भीड़ आई, लेकिन वसंत पंचमी के बाद लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। जो लोग सोच रहे थे, मेला खत्म हो गया, वह भीड़ देखकर चौंक गए थे। इस बार लोगों में फीयर ऑफ मिसिंग यानी अमृत स्नान से चूक जाने का डर दिखा है। इस साल यह डर ज्यादा हावी रहा, क्योंकि कहा गया कि 144 साल बाद यह अमृत महाकुंभ आया है। एक आम व्यक्ति ने धारणा बना ली कि वह अपने आगे आने वाली और पीछे जा चुकी पीढ़ियों के बीच अकेला ऐसा व्यक्ति है, जिसे कुंभ में अमृत स्नान का मौका मिला है। कुंभ पर किताब लिख चुके डॉ. धनंजय चोपड़ा कहते हैं- इसके पीछे डिजिटल मीडिया बड़ी वजह है, क्योंकि इसके जरिए खूब प्रचार हुआ। सबके मन में यह आया कि हम किसी तरह कुंभ पहुंचें। दूसरी बात, 144 साल बाद जो कुंभ आने की बात कही गई है तो लोगों को लगता है कि यही वह कुंभ है जो उनके जीवन में आया है, इसलिए स्नान कर लेना चाहिए। ये 3 और वजहें, जिससे लाेग महाकुंभ की तरफ आकर्षित हुए 1- प्रचार प्रयागराज महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से शुरू हुआ, लेकिन इसका प्रचार 6 महीने पहले शुरू हो गया था। ‘चलो कुंभ चले’ टैगलाइन के साथ पूरे देश के लोगों को प्रयागराज आने का आमंत्रण दिया गया। यूपी के सभी जिला मुख्यालयों पर तो बैनर-होर्डिंग लगाए ही गए। साथ ही दूसरे प्रदेशों में भी खूब सारे बैनर-होर्डिंग्स लगाए गए। दिल्ली मेट्रो में कुंभ से जुड़े पोस्टर लगाए गए। इसमें टैगलाइन ‘जयतु महाकुंभ, जयतु सनातन’ रखी गई। कुंभ में प्रमुख स्नान पर्व को हाईलाइट किया गया। जहां भी डिजिटल स्क्रीन दिखी, वहां भी कुंभ से संबंधित वीडियो दिखाए गए। इधर, श्रद्धालु स्नान के बाद अपने सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करने लगे। इससे दूसरे भी महाकुंभ में आने के लिए प्रेरित हो गए। 2- VVIP और सेलिब्रिटी महाकुंभ में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी समेत केंद्र के लगभग सभी बड़े चेहरों ने संगम में डुबकी लगाई। यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत 8 राज्यों के सीएम समेत कई राज्यों के राज्यपाल और मंत्री स्नान के लिए आए। बिजनेसमैन मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी परिवार समेत पहुंचे। भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और नेपाल के पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा समेत 77 देशों के डेलिगेट्स ने महाकुंभ में स्नान किया। बॉलीवुड की कई हस्तियां पहुंचीं। इसे देखकर आम लोग महाकुंभ जाने के लिए उतावले हो गए। इसलिए भगदड़ के बाद यह संख्या और बढ़ गई। 3- बड़े धर्मगुरुओं, संतों और जनप्रतिनिधियों की अपील महाकुंभ शुरू होने से पहले बागेश्वर पीठाधीश्वर, देवकीनंदन ठाकुर समेत अखाड़ों के महामंडलेश्वर हिंदुओं से आने की अपील करने लगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि एकता के इस महाकुंभ में समाज से नफरत और विभाजन को दूर करने का संकल्प लेकर इसमें शामिल हों। सीएम योगी जिन भी सीटों पर जाते, वहां स्थानीय मुद्दों के साथ कुंभ में लोगों के आने की बात कहते। हरियाणा-महाराष्ट्र, झारखंड तक के चुनाव प्रचार में कुंभ में शामिल होने की बात कही। इसका असर भी हुआ। कुंभ में शामिल बड़ी आबादी इन राज्यों से आई। उम्मीद से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने पर अफसर क्या कहते हैं… सरकार को उम्मीद थी कि 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ आएंगे, लेकिन 22 फरवरी तक 60 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आ चुके हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन महाकुंभ का समापन है, तब तक अनुमान लगाया जा रहा है कि 65 करोड़ से ज्यादा की संख्या हो जाएगी। इस आयोजन से जुड़े अफसर अच्छी तैयारियों को इसकी वजह बताते हैं। महाकुंभ मेले के नोडल और नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने दैनिक भास्कर से कहा, यह जो भीड़ बढ़ रही है, इसका जीता जागता प्रमाण है कि यहां पर अंतरराष्ट्रीय और अविस्मरणीय स्तर की तैयारी गई है। सरकार की कुंभ में की गई व्यवस्था में उनकी आस्था बढ़ी है। एक बात और साफ है कि ऐसी व्यवस्था है कि लोग देर-सवेर यहां पहुंच रहे हैं। कुंभ मेला क्षेत्र के अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी कहते हैं कि 26 फरवरी तक यानी महाशिवरात्रि तक श्रद्धालुओं की संख्या 65 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए हम लोग सुचारु व्यवस्था कर रहे हैं। ये जरूर है कि 144 साल पर लगा ये महाकुंभ सबके लिए आस्था का एक संगम है। आने वाले सभी श्रद्धालु अपने साथ कम से कम सामान लेकर आएं। अनुमान से ज्यादा भीड़ आने से क्या व्यवस्था बिगड़ी 1- भीड़ नहीं संभली, भगदड़ मची
महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से हुई। पौष पूर्णिमा व मकर संक्रांति पर भारी भीड़ आई। लेकिन इसके बाद 20 जनवरी तक भीड़ सीमित दिखी। प्रशासन ने भी ऐसी ही भीड़ की उम्मीद की थी। लेकिन 21 जनवरी से भीड़ बहुत तेजी से बढ़ने लगी। इसके बाद प्रशासन की व्यवस्था भीड़ के आगे कमजोर होने लगी। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर भगदड़ भी इसी का नतीजा रहा। 2- 7 फरवरी से फिर बढ़ी भीड़
3 फरवरी को आखिरी शाही स्नान और 6 फरवरी को पीएम मोदी प्रयागराज आए। उस वक्त तक भीड़ कम रही। लेकिन 7 फरवरी से एक बार फिर से भीड़ बढ़ने लगी। 8 और 9 फरवरी को तो पूरे शहर का ट्रैफिक ध्वस्त हो गया। प्रयागराज आने वाले सभी 7 रास्तों पर 25 से 30 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। इसके बाद अब तक हर दिन शहर और शहर के बाहर जाम लग रहा है। 3- कई किलोमीटर चलकर संगम पहुंचना पड़ा
भीड़ बढ़ी तो शहर के अंदर गाड़ियों के प्रवेश को रोका गया। सारी गाड़ियां शहर के एंट्री पॉइंट पर ही रोकी जाने लगीं। इसके चलते लोगों को 10 से 15 किलोमीटर चलकर संगम पहुंचना पड़ा। यह क्रम अब भी जारी है। हालांकि अब प्रयागराज जिले व आसपास के जिलों की गाड़ियों को छूट मिली है। उन्हें शहर के अंदर एंट्री दी गई है। स्थानीय लोग हर गली में बैरिकेडिंग से परेशान हो गए हैं। ——————— ये खबर भी पढ़ें… महाकुंभ से वाराणसी ही क्यों जाते हैं नागा साधु:12 साल में दो ही ऐसे मौके; महाशिवरात्रि और मसाने की होली से क्या है संबंध प्रयागराज महाकुंभ में तीन अमृत स्नान के बाद सभी 7 शैव यानी संन्यासी अखाड़े वाराणसी कूच कर गए हैं। अब काशी के घाटों और मठों में नागा संन्यासियों के दर्शन हो रहे हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर अखाड़ों के नागा साधु और महामंडलेश्वर अपने मठ-मंदिर में लौटने की जगह काशी ही क्यों जाते हैं, वहां क्या करेंगे, ऐसा क्या रहस्य और परंपरा है?…पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
दुनिया के आधे हिंदू, 20 करोड़ ज्यादा श्रद्धालु महाकुंभ पहुंचे:144 साल का संयोग, रील्स की भव्यता ने खींचा… लोग इतने क्रेजी क्यों
