हरियाणा के सोनीपत में कांग्रेस पार्टी के मेयर प्रत्याशी कमल दीवान ने सोनीपत में 2 मार्च 2025 को संपन्न हुए नगर निगम उपचुनाव में गड़बडिय़ों का आरोप लगाया है। उन्होंने इस संबंध में हरियाणा के मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई की मांग की है। 2 मार्च 2025 को हुए सोनीपत नगर निगम के मेयर उपचुनाव को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी कमल दीवान ने चुनाव में अनियमितताओं का आरोप लगाया है कि गांव में पहले से सरपंच मौजूद है। फिर भी गांव बैंयापुर में प्रशासन ने मिलीभगत करके वोटिंग करवाई गई। मांग की गई है कि गांव बैंयापुर में हुए मतदान को चुनाव परिणाम से अलग रखा जाए। गांव बैंयापुर का विवाद कमल दीवान ने अपने पत्र में बताया कि गांव बैंयापुर, जो कि सोनीपत-रोहतक रोड पर स्थित है, नगर निगम की सीमा से बाहर है। इस गांव में 2022 में पंचायती चुनाव हुए थे और वर्तमान में एक निर्वाचित सरपंच कार्यरत है। उन्होंने बताया कि संविधान के अनुसार, जहां पंचायती राज प्रणाली लागू हो, वहां नगर निगम चुनाव नहीं हो सकते। मतदान से ठीक पहले नगर निगम में शामिल करने का आरोप कमल दीवान ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि गांव बैंयापुर को पहले 3 जुलाई 2015 को अधिसूचना (संख्या 18/82/2015-3C1) के तहत नगर निगम में शामिल किया गया था, लेकिन 26 जुलाई 2018 को अधिसूचना (संख्या 18/156/2018-3C1) के तहत इसे नगर निगम से बाहर कर दिया गया। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मतदान से ठीक एक दिन पहले, 1 मार्च 2025 को, गांव बैंयापुर को दोबारा नगर निगम सीमा में शामिल कर दिया गया और वहां मतदान भी कराया गया। उनका कहना है कि यह निर्णय प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से विपक्षी दल द्वारा चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के लिए लिया गया था। गिनती से वोट अलग रखने की मांग कमल दीवान ने गांव बैंयापुर के मतदान केंद्र संख्या 228, 229, 230, 231 और 232 पर पड़े वोटों को गिनती से बाहर रखने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करना है, तो इस मामले की जांच होनी चाहिए और आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए। अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या इस उपचुनाव के नतीजों पर कोई असर पड़ता है। रविवार सुबह मुनादी कर मतदान की अपील बैंयापुर गांव के 4500 मतदाताओं को शनिवार शाम को तब पता चला कि वे भी चुनाव में मतदान करने के पात्र हैं, जब गांव के सरकारी स्कूल में पांच मतदान केंद्र बनाए गए। प्रशासन ने उसी शाम वोटर स्लिप बांटना शुरू किया, जिसके बाद रविवार सुबह मुनादी कर मतदान की अपील की गई। लेकिन इस जल्दबाजी के कारण अधिकांश ग्रामीण मतदान प्रक्रिया को लेकर असमंजस में पड़ गए, जिसका सीधा असर मतदान प्रतिशत पर पड़ा। कम मतदान प्रतिशत ने प्रशासन पर उठाए सवाल जल्दबाजी और अव्यवस्थित चुनावी प्रक्रिया के चलते बैंयापुर में बेहद कम मतदान हुआ। 4500 मतदाताओं में से केवल 1200 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। ग्रामीणों का कहना है कि यदि उन्हें पहले से जानकारी होती और प्रचार किया गया होता, तो मतदान का प्रतिशत अधिक होता। गांव कब और कैसे निगम में शामिल हुआ, किसी को नहीं पता गौरतलब है कि बैंयापुर और हरसाना गांव पहले नगर निगम में शामिल किए गए थे, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के बाद इन्हें निगम से बाहर कर दिया गया था। 2020 के नगर निगम चुनावों में इन गांवों को मतदान प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया था, और 2022 में यहां पंचायत चुनाव हुए थे। तब से गांव पंचायती राज प्रणाली के अंतर्गत ही कार्य कर रहा था।अब जब नगर निगम मेयर उपचुनाव हुआ, तो अचानक गांव के लिए मतदान केंद्र बना दिए गए, लेकिन ग्रामीणों को यह स्पष्ट नहीं था कि गांव को दोबारा नगर निगम में कब और कैसे शामिल किया गया। प्रशासन की सफाई पर ग्रामीण संतुष्ट नहीं इस पूरे मामले पर प्रशासन की ओर से सफाई दी गई है। जिला उपायुक्त (डीसी) डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि बैंयापुर की जमीन नगर निगम क्षेत्र में आती है और सभी राजनीतिक दलों की मौजूदगी में मतदाता सूची तैयार की गई थी, जिसमें किसी ने आपत्ति नहीं जताई। इसलिए गांव में मतदान केंद्र बनाए गए।वहीं, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी (डीडीपीओ) जितेंद्र कुमार ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। ग्रामीणों के सवाल, जवाब मांग रहे लोग 1. गांव में पंचायत होते हुए इसे नगर निगम में क्यों शामिल किया गया? 2. अगर गांव निगम क्षेत्र में है, तो पंचायत और सरपंच का क्या औचित्य रह जाता है? 3. गांव को निगम में शामिल करने की सार्वजनिक घोषणा क्यों नहीं हुई? 4. चुनाव में कोई प्रत्याशी प्रचार करने गांव क्यों नहीं आया? 5. मतदान केंद्र इतने देरी से क्यों बनाए गए? 6. चुनाव की सूचना केवल एक दिन पहले क्यों दी गई? प्रशासन की लापरवाही ने खड़े किए सवाल बैंयापुर में हुई इस अव्यवस्थित चुनावी प्रक्रिया ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। ग्रामीण अब इस मुद्दे पर स्पष्टता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। अगर समय रहते जागरूकता फैलाई जाती और चुनाव की जानकारी पहले दी जाती, तो मतदान प्रतिशत बेहतर हो सकता था। हरियाणा के सोनीपत में कांग्रेस पार्टी के मेयर प्रत्याशी कमल दीवान ने सोनीपत में 2 मार्च 2025 को संपन्न हुए नगर निगम उपचुनाव में गड़बडिय़ों का आरोप लगाया है। उन्होंने इस संबंध में हरियाणा के मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई की मांग की है। 2 मार्च 2025 को हुए सोनीपत नगर निगम के मेयर उपचुनाव को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी कमल दीवान ने चुनाव में अनियमितताओं का आरोप लगाया है कि गांव में पहले से सरपंच मौजूद है। फिर भी गांव बैंयापुर में प्रशासन ने मिलीभगत करके वोटिंग करवाई गई। मांग की गई है कि गांव बैंयापुर में हुए मतदान को चुनाव परिणाम से अलग रखा जाए। गांव बैंयापुर का विवाद कमल दीवान ने अपने पत्र में बताया कि गांव बैंयापुर, जो कि सोनीपत-रोहतक रोड पर स्थित है, नगर निगम की सीमा से बाहर है। इस गांव में 2022 में पंचायती चुनाव हुए थे और वर्तमान में एक निर्वाचित सरपंच कार्यरत है। उन्होंने बताया कि संविधान के अनुसार, जहां पंचायती राज प्रणाली लागू हो, वहां नगर निगम चुनाव नहीं हो सकते। मतदान से ठीक पहले नगर निगम में शामिल करने का आरोप कमल दीवान ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि गांव बैंयापुर को पहले 3 जुलाई 2015 को अधिसूचना (संख्या 18/82/2015-3C1) के तहत नगर निगम में शामिल किया गया था, लेकिन 26 जुलाई 2018 को अधिसूचना (संख्या 18/156/2018-3C1) के तहत इसे नगर निगम से बाहर कर दिया गया। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मतदान से ठीक एक दिन पहले, 1 मार्च 2025 को, गांव बैंयापुर को दोबारा नगर निगम सीमा में शामिल कर दिया गया और वहां मतदान भी कराया गया। उनका कहना है कि यह निर्णय प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से विपक्षी दल द्वारा चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के लिए लिया गया था। गिनती से वोट अलग रखने की मांग कमल दीवान ने गांव बैंयापुर के मतदान केंद्र संख्या 228, 229, 230, 231 और 232 पर पड़े वोटों को गिनती से बाहर रखने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करना है, तो इस मामले की जांच होनी चाहिए और आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए। अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या इस उपचुनाव के नतीजों पर कोई असर पड़ता है। रविवार सुबह मुनादी कर मतदान की अपील बैंयापुर गांव के 4500 मतदाताओं को शनिवार शाम को तब पता चला कि वे भी चुनाव में मतदान करने के पात्र हैं, जब गांव के सरकारी स्कूल में पांच मतदान केंद्र बनाए गए। प्रशासन ने उसी शाम वोटर स्लिप बांटना शुरू किया, जिसके बाद रविवार सुबह मुनादी कर मतदान की अपील की गई। लेकिन इस जल्दबाजी के कारण अधिकांश ग्रामीण मतदान प्रक्रिया को लेकर असमंजस में पड़ गए, जिसका सीधा असर मतदान प्रतिशत पर पड़ा। कम मतदान प्रतिशत ने प्रशासन पर उठाए सवाल जल्दबाजी और अव्यवस्थित चुनावी प्रक्रिया के चलते बैंयापुर में बेहद कम मतदान हुआ। 4500 मतदाताओं में से केवल 1200 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। ग्रामीणों का कहना है कि यदि उन्हें पहले से जानकारी होती और प्रचार किया गया होता, तो मतदान का प्रतिशत अधिक होता। गांव कब और कैसे निगम में शामिल हुआ, किसी को नहीं पता गौरतलब है कि बैंयापुर और हरसाना गांव पहले नगर निगम में शामिल किए गए थे, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के बाद इन्हें निगम से बाहर कर दिया गया था। 2020 के नगर निगम चुनावों में इन गांवों को मतदान प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया था, और 2022 में यहां पंचायत चुनाव हुए थे। तब से गांव पंचायती राज प्रणाली के अंतर्गत ही कार्य कर रहा था।अब जब नगर निगम मेयर उपचुनाव हुआ, तो अचानक गांव के लिए मतदान केंद्र बना दिए गए, लेकिन ग्रामीणों को यह स्पष्ट नहीं था कि गांव को दोबारा नगर निगम में कब और कैसे शामिल किया गया। प्रशासन की सफाई पर ग्रामीण संतुष्ट नहीं इस पूरे मामले पर प्रशासन की ओर से सफाई दी गई है। जिला उपायुक्त (डीसी) डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि बैंयापुर की जमीन नगर निगम क्षेत्र में आती है और सभी राजनीतिक दलों की मौजूदगी में मतदाता सूची तैयार की गई थी, जिसमें किसी ने आपत्ति नहीं जताई। इसलिए गांव में मतदान केंद्र बनाए गए।वहीं, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी (डीडीपीओ) जितेंद्र कुमार ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। ग्रामीणों के सवाल, जवाब मांग रहे लोग 1. गांव में पंचायत होते हुए इसे नगर निगम में क्यों शामिल किया गया? 2. अगर गांव निगम क्षेत्र में है, तो पंचायत और सरपंच का क्या औचित्य रह जाता है? 3. गांव को निगम में शामिल करने की सार्वजनिक घोषणा क्यों नहीं हुई? 4. चुनाव में कोई प्रत्याशी प्रचार करने गांव क्यों नहीं आया? 5. मतदान केंद्र इतने देरी से क्यों बनाए गए? 6. चुनाव की सूचना केवल एक दिन पहले क्यों दी गई? प्रशासन की लापरवाही ने खड़े किए सवाल बैंयापुर में हुई इस अव्यवस्थित चुनावी प्रक्रिया ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। ग्रामीण अब इस मुद्दे पर स्पष्टता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। अगर समय रहते जागरूकता फैलाई जाती और चुनाव की जानकारी पहले दी जाती, तो मतदान प्रतिशत बेहतर हो सकता था। हरियाणा | दैनिक भास्कर
