मेधा पाटकर को झटका, LG वीके सक्सेना के खिलाफ केस में नए गवाह की अर्जी कोर्ट ने खारिज की

मेधा पाटकर को झटका, LG वीके सक्सेना के खिलाफ केस में नए गवाह की अर्जी कोर्ट ने खारिज की

<p style=”text-align: justify;”><strong>Medha Patkar On LG VK Saxena:</strong> दिल्ली की एक अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के खिलाफ मानहानि केस में एक नया गवाह पेश करने की मांग की थी. अदालत ने इसे जानबूझकर मुकदमे को लंबा खींचने की कोशिश बताया और कहा कि न्यायिक प्रक्रिया को इस तरह बंधक नहीं बनाया जा सकता.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>24 साल से लंबित है मामला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला पिछले 24 वर्षों से लंबित है और मेधा पाटकर द्वारा शुरू में सूचीबद्ध सभी गवाहों की गवाही पहले ही हो चुकी है. गवाह को इतने सालों बाद पेश करने की मंशा पर गंभीर संदेह है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि पाटकर ने इससे पहले भी 18 अगस्त 2023 को एक अर्जी दाखिल की थी, लेकिन उस वक्त उन्होंने इस गवाह का जिक्र नहीं किया था. अब अचानक इस गवाह को पेश करने की मांग यह दर्शाती है कि यह मुकदमे को बेवजह लंबा करने की कोशिश है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अर्जी में कानूनी खामियां</strong><br />साकेत कोर्ट कॉम्प्लेक्स के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी राघव शर्मा ने कहा कि यह अर्जी गलत कानूनी प्रावधानों के तहत दाखिल की गई थी, लेकिन फिर भी अदालत ने इसके गुण-दोष के आधार पर फैसला सुनाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, &ldquo;अगर इस तरह बिना ठोस कारण के गवाह पेश करने की अनुमति दी जाती है, तो मुकदमे कभी खत्म ही नहीं होंगे. इससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित होगी और मुकदमों को अनावश्यक रूप से लंबा करने का गलत उदाहरण स्थापित होगा.&rdquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मेधा पाटकर के कारण पहले भी हुई है देरी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत में वीके सक्सेना के वकील ने बताया कि 20 जून 2005 से 1 फरवरी 2023 के बीच यह मामला 94 बार सिर्फ मेधा पाटकर की अनुपस्थिति और उनके स्थगन की अर्जी के कारण टला. 2005 में जब अदालत ने समन जारी किया, तो मेधा पाटकर ने 46 बार गवाही देने से इनकार किया और 7 साल तक अदालत में हाजिर ही नहीं हुईं. 2012 में पहली बार अदालत में पेश होने के बाद भी उन्होंने 20 बार मुकदमे को आगे बढ़वाया. क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान भी वह लंबे समय तक अनुपस्थित रहीं और 24 बार स्थगन की मांग की. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यह मामला अब और अधिक विलंबित नहीं किया जा सकता. इस फैसले को वीके सक्सेना के लिए बड़ी राहत और मेधा पाटकर के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-high-court-orders-hearing-against-kapil-mishra-in-assembly-election-2020-violation-in-code-of-conduct-2906563″>दिल्ली सरकार में कानून मंत्री कपिल मिश्रा को हाई कोर्ट से झटका, इस मामले में नहीं मिली राहत</a></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Medha Patkar On LG VK Saxena:</strong> दिल्ली की एक अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के खिलाफ मानहानि केस में एक नया गवाह पेश करने की मांग की थी. अदालत ने इसे जानबूझकर मुकदमे को लंबा खींचने की कोशिश बताया और कहा कि न्यायिक प्रक्रिया को इस तरह बंधक नहीं बनाया जा सकता.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>24 साल से लंबित है मामला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला पिछले 24 वर्षों से लंबित है और मेधा पाटकर द्वारा शुरू में सूचीबद्ध सभी गवाहों की गवाही पहले ही हो चुकी है. गवाह को इतने सालों बाद पेश करने की मंशा पर गंभीर संदेह है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि पाटकर ने इससे पहले भी 18 अगस्त 2023 को एक अर्जी दाखिल की थी, लेकिन उस वक्त उन्होंने इस गवाह का जिक्र नहीं किया था. अब अचानक इस गवाह को पेश करने की मांग यह दर्शाती है कि यह मुकदमे को बेवजह लंबा करने की कोशिश है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अर्जी में कानूनी खामियां</strong><br />साकेत कोर्ट कॉम्प्लेक्स के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी राघव शर्मा ने कहा कि यह अर्जी गलत कानूनी प्रावधानों के तहत दाखिल की गई थी, लेकिन फिर भी अदालत ने इसके गुण-दोष के आधार पर फैसला सुनाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, &ldquo;अगर इस तरह बिना ठोस कारण के गवाह पेश करने की अनुमति दी जाती है, तो मुकदमे कभी खत्म ही नहीं होंगे. इससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित होगी और मुकदमों को अनावश्यक रूप से लंबा करने का गलत उदाहरण स्थापित होगा.&rdquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मेधा पाटकर के कारण पहले भी हुई है देरी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत में वीके सक्सेना के वकील ने बताया कि 20 जून 2005 से 1 फरवरी 2023 के बीच यह मामला 94 बार सिर्फ मेधा पाटकर की अनुपस्थिति और उनके स्थगन की अर्जी के कारण टला. 2005 में जब अदालत ने समन जारी किया, तो मेधा पाटकर ने 46 बार गवाही देने से इनकार किया और 7 साल तक अदालत में हाजिर ही नहीं हुईं. 2012 में पहली बार अदालत में पेश होने के बाद भी उन्होंने 20 बार मुकदमे को आगे बढ़वाया. क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान भी वह लंबे समय तक अनुपस्थित रहीं और 24 बार स्थगन की मांग की. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यह मामला अब और अधिक विलंबित नहीं किया जा सकता. इस फैसले को वीके सक्सेना के लिए बड़ी राहत और मेधा पाटकर के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-high-court-orders-hearing-against-kapil-mishra-in-assembly-election-2020-violation-in-code-of-conduct-2906563″>दिल्ली सरकार में कानून मंत्री कपिल मिश्रा को हाई कोर्ट से झटका, इस मामले में नहीं मिली राहत</a></strong></p>
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