सिरसा में स्थित चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय (सीडीएलयू) के छात्रों ने विश्वविद्यालय में फीस बढ़ोतरी के विरोध में मंगलवार दोपहर को प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। जब छात्रों से विश्वविद्यालय प्रशासन से कोई आश्वासन नहीं मिला, तो छात्र सीधे रजिस्ट्रार कार्यालय के अंदर घुस गए। जिसके बाद रजिस्ट्रार कुर्सी छोड़कर बाहर निकल गए। इस दौरान सभी छात्र-छात्राएं रजिस्ट्रार कार्यालय में ही धरने पर बैठ गए और बार-बार छात्रों की फीस न बढ़ाने की मांग करने लगे। छात्रों ने कहा कि अचानक यूनिवर्सिटी फीस बढ़ा रही है। इससे छात्रों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। ऐसे में छात्र बढ़ी हुई फीस नहीं भर पाएंगे। इस पर छात्र और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच तीखी बहस हुई। मगर रजिस्ट्रार ने एक न सुनी और अपनी कुर्सी छोड़कर बाहर निकल गए। छात्रों ने आरोप लगाया कि रजिस्ट्रार ने सभी विद्यार्थियों के नाम विश्वविद्यालय से काटने की धमकी दी है। अगर वह बाहर नहीं निकले तो पुलिस कार्रवाई करवाएंगे। लेकिन छात्र धरने पर बैठे रहे। फीस बढ़ाने की भनक लगते ही जताया रोष छात्रों ने कहा कि उनको पहले ही भनक लग गई कि यूनिवर्सिटी प्रशासन फीस बढ़ाने की तैयारी में है। इसलिए उन्होंने पहले ही रोष जताया। सभी छात्र इसके विरोध में हैं। वहीं कुछ यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ाई गई थी, वहां भी छात्रों ने प्रदर्शन किया था। इसके कुछ देर बाद यूनिवर्सिटी की सिक्योरिटी भी पहुंची और स्थिति को संभाला। प्रॉक्टर प्रो. उमेद सिंह और बाकी प्रोफेसर ने भी छात्रों को समझाने की कोशिश की, पर नहीं मानें। इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ है। उसमें छात्र आरोप लगा रहे हैं कि उनके साथ गलत किया जा रहा है। छात्र बोले-सरकार से ली जाए वित्तीय सहायता सरकार द्वारा कम बजट देने के कारण छात्रों की मांग है कि आर्थिक संकट का समाधान फीस बढ़ाकर नहीं, बल्कि राज्य सरकार से उचित वित्तीय सहायता प्राप्त करके किया जाए। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को पारदर्शिता दिखाते हुए वित्तीय संकट पर एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए और विद्यार्थियों की फीस न बढ़ाने का निर्णय लेना चाहिए। यह अधिकारों का हनन छात्र बोले कि वह इस प्रकार की धमकियों की निंदा करते हैं और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन मानते हैं। छात्र नेताओं ने स्पष्ट किया है कि यदि प्रशासन अपनी तानाशाही रवैया अपनाता रहा, तो छात्र हित में आंदोलन तेज होगा। इसमें डॉ. अंबेडकर छात्र परिषद ऑफ हरियाणा व नौजवान भारत सभा संगठन शामिल रहा। आंदोलन की दी चेतावनी छात्र संगठन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की है कि वे छात्रों के भविष्य को खतरे में डालने की बजाय उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करें और तानाशाहीपूर्ण रवैया छोड़कर समस्या का समाधान निकालें। यदि प्रशासन ने विद्यार्थियों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय किया, तो छात्र मजबूर होकर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। सिरसा में स्थित चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय (सीडीएलयू) के छात्रों ने विश्वविद्यालय में फीस बढ़ोतरी के विरोध में मंगलवार दोपहर को प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। जब छात्रों से विश्वविद्यालय प्रशासन से कोई आश्वासन नहीं मिला, तो छात्र सीधे रजिस्ट्रार कार्यालय के अंदर घुस गए। जिसके बाद रजिस्ट्रार कुर्सी छोड़कर बाहर निकल गए। इस दौरान सभी छात्र-छात्राएं रजिस्ट्रार कार्यालय में ही धरने पर बैठ गए और बार-बार छात्रों की फीस न बढ़ाने की मांग करने लगे। छात्रों ने कहा कि अचानक यूनिवर्सिटी फीस बढ़ा रही है। इससे छात्रों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। ऐसे में छात्र बढ़ी हुई फीस नहीं भर पाएंगे। इस पर छात्र और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच तीखी बहस हुई। मगर रजिस्ट्रार ने एक न सुनी और अपनी कुर्सी छोड़कर बाहर निकल गए। छात्रों ने आरोप लगाया कि रजिस्ट्रार ने सभी विद्यार्थियों के नाम विश्वविद्यालय से काटने की धमकी दी है। अगर वह बाहर नहीं निकले तो पुलिस कार्रवाई करवाएंगे। लेकिन छात्र धरने पर बैठे रहे। फीस बढ़ाने की भनक लगते ही जताया रोष छात्रों ने कहा कि उनको पहले ही भनक लग गई कि यूनिवर्सिटी प्रशासन फीस बढ़ाने की तैयारी में है। इसलिए उन्होंने पहले ही रोष जताया। सभी छात्र इसके विरोध में हैं। वहीं कुछ यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ाई गई थी, वहां भी छात्रों ने प्रदर्शन किया था। इसके कुछ देर बाद यूनिवर्सिटी की सिक्योरिटी भी पहुंची और स्थिति को संभाला। प्रॉक्टर प्रो. उमेद सिंह और बाकी प्रोफेसर ने भी छात्रों को समझाने की कोशिश की, पर नहीं मानें। इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ है। उसमें छात्र आरोप लगा रहे हैं कि उनके साथ गलत किया जा रहा है। छात्र बोले-सरकार से ली जाए वित्तीय सहायता सरकार द्वारा कम बजट देने के कारण छात्रों की मांग है कि आर्थिक संकट का समाधान फीस बढ़ाकर नहीं, बल्कि राज्य सरकार से उचित वित्तीय सहायता प्राप्त करके किया जाए। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को पारदर्शिता दिखाते हुए वित्तीय संकट पर एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए और विद्यार्थियों की फीस न बढ़ाने का निर्णय लेना चाहिए। यह अधिकारों का हनन छात्र बोले कि वह इस प्रकार की धमकियों की निंदा करते हैं और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन मानते हैं। छात्र नेताओं ने स्पष्ट किया है कि यदि प्रशासन अपनी तानाशाही रवैया अपनाता रहा, तो छात्र हित में आंदोलन तेज होगा। इसमें डॉ. अंबेडकर छात्र परिषद ऑफ हरियाणा व नौजवान भारत सभा संगठन शामिल रहा। आंदोलन की दी चेतावनी छात्र संगठन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की है कि वे छात्रों के भविष्य को खतरे में डालने की बजाय उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करें और तानाशाहीपूर्ण रवैया छोड़कर समस्या का समाधान निकालें। यदि प्रशासन ने विद्यार्थियों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय किया, तो छात्र मजबूर होकर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
