झांसी में गेस्ट हाउस का बंद ताला खुलवाने के लिए पुलिस बुजुर्ग बिजनेसमैन को उनके घर से उठाकर ले गई। गेस्ट हाउस पहुंचने पर उनकी हालत अचानक बिगड़ गई। उल्टी हाेने के बाद वे बेसुध हो गए। यह देख पुलिस के हाथ-पैर फूल गए और परिजनों को बुला लिया गया। पहले उनको मोंठ सीएचसी ले जाया गया। वहां से मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। यहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। उनकी मौत से परिजन गुस्सा गए और मौत का जिम्मेदार पुलिस को ठहराते हुए हंगामा कर दिया। परिजन उनके शव का पोस्टमॉर्टम नहीं कराना चाहते थे। 3 घंटे चले हंगामे के बाद परिजन मान गए। पूरा मामला समथर कस्बे का है। बकाया रकम न देने पर पनपा विवाद
मृतक का नाम ओम प्रकाश अग्रवाल (72) था। वह समथर कस्बे के चोपड़ा बाजार में रहते थे। वह कस्बे के प्रतिष्ठित बिजनेसमैन थे। उनकी कई किराना की दुकानें और गल्ला मंडी के पास रामराजा के नाम से एक गेस्ट हाउस है। मृतक के बेटे संतोष अग्रवाल ने बताया -एक समाज के लोगों ने शनिवार को सामूहिक विवाह समारोह के लिए गेस्ट हाउस बुक कराया था। 44 हजार रुपए में बुकिंग हुई थी। 18 हजार की पेमेंट हो चुकी थी। शनिवार शाम करीब 6 बजे जब कार्यक्रम खत्म होने को हुआ तब ओम प्रकाश ने बकाया पैसा मांगा। तब लोगों ने पैसा देने से मना कर दिया। इससे नाराज ओम प्रकाश ने गेस्ट हाउस के बाहर ताला लगा दिया और घर चले गए। उस समय गेस्ट हाउस के अंदर 20 से ज्यादा लोग मौजूद थे। पुलिस ने घसीटा और धक्के मारते हुए गाड़ी में डाला
गेस्ट हाउस के अंदर बंद लोगों ने हंगामा करते हुए समथर पुलिस को सूचना दे दी। शनिवार शाम करीब 7 बजे समथर थानाध्यक्ष अजमेर सिंह भदौरिया पुलिस फोर्स के साथ ओम प्रकाश के घर जा पहुंचे। ओम प्रकाश की पत्नी ऊषा ने बताया कि पुलिस वाले घर से पति को घसीटते और धक्का मारते हुए ले गए। पति पुलिस के आगे गिड़गिड़ा रहे थे कि गेस्ट हाउस की चाबी उठा लेने दो। लेकिन, पुलिस ने एक न सुनी। ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्ति को जलील करते हुए घर से उठाकर ले गई। उल्टी होने के बाद गिर गए बिजनेसमैन
पुलिस बिजनेसमैन को लेकर सीधे गेस्ट हाउस पहुंची। गेट खोलते ही उनको उल्टी होने लगी और पूरा शरीर पसीने से भीग गया। लड़खड़ाकर वह गिर पड़े। उनकी तबीयत बिगड़ते देख शनिवार रात करीब 8 बजे उनके बेटे संतोष को सूचना दी गई। इसके बाद ओम प्रकाश को मोंठ सीएचसी ले जाया गया। जहां से ओम प्रकाश को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। पत्नी बोली- पुलिस वालों ने ले ली मेरे पति की जान
पति के शव से लिपटकर बिलख रही पत्नी ऊषा अग्रवाल सिर्फ पुलिस को ही कोस रही थी। ऊषा देवी का कहना था कि उनके पति गेस्ट हाउस से आकर घर में बैठे थे तभी कई पुलिसकर्मी धड़धड़ाते हुए घर में घुस आए। कोई कुछ भी नहीं समझ सका। पुलिस वाले मेरे पति का हाथ पकड़कर घसीटते हुए ले जा रहे थे। हम लोगों ने पूछा, लेकिन पुलिस के लोग गाली दे रहे थे। उनको पीछे से कुछ पुलिसकर्मी धक्का भी दे रहे थे। पुलिस के व्यवहार से उनको सदमा लगा। इसी वजह से उनकी जान चली गई। अगर पुलिस सामान्य तौर पर गेट खोलने को कहती तब भी वह ताला खोल देते, लेकिन घर में पहुंची पुलिस ने अभद्रता की। इस वजह से सदमे में आकर पिता की जान चली गई। एंबुलेंस भी धीमी चलाई और हम प्राइवेट अस्पताल ले जाना चाहते थे। मगर एम्बुलेंस नहीं रोकी गई। हंगामे के चलते पहुंची 6 थानों की फोर्स
परिजन और पुलिस ओम प्रकाश को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां उपचार न होने पर उनको लेकर निजी अस्पताल चले गए, लेकिन, वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। उनकी मौत से परिवार के लोग गुस्सा गए। परिजनों समेत उनके कई रिश्तेदार भी पहुंच गए। सभी पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा रहे थे। सूचना मिलने पर एसपी आरए गोपीनाथ सोनी, सीओ सिटी राजेश राय, नवाबाद, बड़ागांव, चिरगांव, रक्सा, सदर, सीपरी बाजार थाना समेत अन्य कई थानों की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गई। रात डेढ़ बजे तक हंगामा चला
परिजन उनके शव का पोस्टमॉर्टम कराने को भी राजी नहीं हो रहे थे। पुलिस अफसर नाराज परिजनों को समझाने में जुटे रहे। करीब 3 घंटे के हंगामे के बाद रात करीब डेढ़ बजे परिजन पोस्टमॉर्टम कराने के लिए राजी हुए। अब पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम की कार्रवाई शुरू कर दी है। SP ग्रामीण बोले- जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई करेंगे
एसपी ग्रामीण गोपीनाथ सोनी का कहना है कि पुलिस को गेस्ट हाउस के अंदर कुछ लोगों के बंद होने की सूचना मिली थी। इस पर पुलिस बिजनेसमैन को घर से ताला खुलवाने के लिए लाई थी। गर्मी अधिक होने की वजह से ओम प्रकाश की तबीयत खराब हो गई। तब उनको मोंठ अस्पताल ले गए। वहां से झांसी रेफर कर दिया। झांसी आते वक्त रास्ते में उनकी मौत हो गई। झांसी में गेस्ट हाउस का बंद ताला खुलवाने के लिए पुलिस बुजुर्ग बिजनेसमैन को उनके घर से उठाकर ले गई। गेस्ट हाउस पहुंचने पर उनकी हालत अचानक बिगड़ गई। उल्टी हाेने के बाद वे बेसुध हो गए। यह देख पुलिस के हाथ-पैर फूल गए और परिजनों को बुला लिया गया। पहले उनको मोंठ सीएचसी ले जाया गया। वहां से मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। यहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। उनकी मौत से परिजन गुस्सा गए और मौत का जिम्मेदार पुलिस को ठहराते हुए हंगामा कर दिया। परिजन उनके शव का पोस्टमॉर्टम नहीं कराना चाहते थे। 3 घंटे चले हंगामे के बाद परिजन मान गए। पूरा मामला समथर कस्बे का है। बकाया रकम न देने पर पनपा विवाद
मृतक का नाम ओम प्रकाश अग्रवाल (72) था। वह समथर कस्बे के चोपड़ा बाजार में रहते थे। वह कस्बे के प्रतिष्ठित बिजनेसमैन थे। उनकी कई किराना की दुकानें और गल्ला मंडी के पास रामराजा के नाम से एक गेस्ट हाउस है। मृतक के बेटे संतोष अग्रवाल ने बताया -एक समाज के लोगों ने शनिवार को सामूहिक विवाह समारोह के लिए गेस्ट हाउस बुक कराया था। 44 हजार रुपए में बुकिंग हुई थी। 18 हजार की पेमेंट हो चुकी थी। शनिवार शाम करीब 6 बजे जब कार्यक्रम खत्म होने को हुआ तब ओम प्रकाश ने बकाया पैसा मांगा। तब लोगों ने पैसा देने से मना कर दिया। इससे नाराज ओम प्रकाश ने गेस्ट हाउस के बाहर ताला लगा दिया और घर चले गए। उस समय गेस्ट हाउस के अंदर 20 से ज्यादा लोग मौजूद थे। पुलिस ने घसीटा और धक्के मारते हुए गाड़ी में डाला
गेस्ट हाउस के अंदर बंद लोगों ने हंगामा करते हुए समथर पुलिस को सूचना दे दी। शनिवार शाम करीब 7 बजे समथर थानाध्यक्ष अजमेर सिंह भदौरिया पुलिस फोर्स के साथ ओम प्रकाश के घर जा पहुंचे। ओम प्रकाश की पत्नी ऊषा ने बताया कि पुलिस वाले घर से पति को घसीटते और धक्का मारते हुए ले गए। पति पुलिस के आगे गिड़गिड़ा रहे थे कि गेस्ट हाउस की चाबी उठा लेने दो। लेकिन, पुलिस ने एक न सुनी। ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्ति को जलील करते हुए घर से उठाकर ले गई। उल्टी होने के बाद गिर गए बिजनेसमैन
पुलिस बिजनेसमैन को लेकर सीधे गेस्ट हाउस पहुंची। गेट खोलते ही उनको उल्टी होने लगी और पूरा शरीर पसीने से भीग गया। लड़खड़ाकर वह गिर पड़े। उनकी तबीयत बिगड़ते देख शनिवार रात करीब 8 बजे उनके बेटे संतोष को सूचना दी गई। इसके बाद ओम प्रकाश को मोंठ सीएचसी ले जाया गया। जहां से ओम प्रकाश को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। पत्नी बोली- पुलिस वालों ने ले ली मेरे पति की जान
पति के शव से लिपटकर बिलख रही पत्नी ऊषा अग्रवाल सिर्फ पुलिस को ही कोस रही थी। ऊषा देवी का कहना था कि उनके पति गेस्ट हाउस से आकर घर में बैठे थे तभी कई पुलिसकर्मी धड़धड़ाते हुए घर में घुस आए। कोई कुछ भी नहीं समझ सका। पुलिस वाले मेरे पति का हाथ पकड़कर घसीटते हुए ले जा रहे थे। हम लोगों ने पूछा, लेकिन पुलिस के लोग गाली दे रहे थे। उनको पीछे से कुछ पुलिसकर्मी धक्का भी दे रहे थे। पुलिस के व्यवहार से उनको सदमा लगा। इसी वजह से उनकी जान चली गई। अगर पुलिस सामान्य तौर पर गेट खोलने को कहती तब भी वह ताला खोल देते, लेकिन घर में पहुंची पुलिस ने अभद्रता की। इस वजह से सदमे में आकर पिता की जान चली गई। एंबुलेंस भी धीमी चलाई और हम प्राइवेट अस्पताल ले जाना चाहते थे। मगर एम्बुलेंस नहीं रोकी गई। हंगामे के चलते पहुंची 6 थानों की फोर्स
परिजन और पुलिस ओम प्रकाश को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां उपचार न होने पर उनको लेकर निजी अस्पताल चले गए, लेकिन, वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। उनकी मौत से परिवार के लोग गुस्सा गए। परिजनों समेत उनके कई रिश्तेदार भी पहुंच गए। सभी पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा रहे थे। सूचना मिलने पर एसपी आरए गोपीनाथ सोनी, सीओ सिटी राजेश राय, नवाबाद, बड़ागांव, चिरगांव, रक्सा, सदर, सीपरी बाजार थाना समेत अन्य कई थानों की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गई। रात डेढ़ बजे तक हंगामा चला
परिजन उनके शव का पोस्टमॉर्टम कराने को भी राजी नहीं हो रहे थे। पुलिस अफसर नाराज परिजनों को समझाने में जुटे रहे। करीब 3 घंटे के हंगामे के बाद रात करीब डेढ़ बजे परिजन पोस्टमॉर्टम कराने के लिए राजी हुए। अब पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम की कार्रवाई शुरू कर दी है। SP ग्रामीण बोले- जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई करेंगे
एसपी ग्रामीण गोपीनाथ सोनी का कहना है कि पुलिस को गेस्ट हाउस के अंदर कुछ लोगों के बंद होने की सूचना मिली थी। इस पर पुलिस बिजनेसमैन को घर से ताला खुलवाने के लिए लाई थी। गर्मी अधिक होने की वजह से ओम प्रकाश की तबीयत खराब हो गई। तब उनको मोंठ अस्पताल ले गए। वहां से झांसी रेफर कर दिया। झांसी आते वक्त रास्ते में उनकी मौत हो गई। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर