लखनऊ के लोहिया संस्थान में सबसे सस्ती रोबोटिक सर्जरी:अमेरिका से आई मशीन, डॉक्टर बोले- कॉर्पोरेट हॉस्पिटल से 4 से 5 गुना किफायती इलाज होगा

लखनऊ के लोहिया संस्थान में सबसे सस्ती रोबोटिक सर्जरी:अमेरिका से आई मशीन, डॉक्टर बोले- कॉर्पोरेट हॉस्पिटल से 4 से 5 गुना किफायती इलाज होगा

200 रोबोटिक सर्जरी निशुल्क की जाएगी। हमारे पास SGPGI की रेट लिस्ट है। उम्मीद है कि SGPGI से 20% तक सस्ता इलाज लोहिया संस्थान में मुहैया करा पाएंगे। निजी और कॉर्पोरेट हॉस्पिटल की तुलना में ये 4 से 5 गुना सस्ता होगा। यह दावा है लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के सर्जन डॉक्टर प्रोफेसर ईश्वर रामदयाल का। अमेरिका में बनी Da Vinci रोबोटिक मशीन अब लोहिया संस्थान में आ गई है। रोबोटिक सर्जरी के लिहाज से दुनिया की ये सबसे टॉप मशीन है, जो सर्जन मास्टर की तरह काम करती है। सर्जन कंसोल पर बैठकर डॉक्टर इसे आसानी से कंट्रोल करते हैं। 28 मार्च को पहली बार लोहिया संस्थान में 2 सर्जरी की गई। दोनों यूरोलॉजी से जुड़ी सर्जरी थीं। दैनिक भास्कर ने लोहिया संस्थान में दोनों सर्जरी करने वाले डॉक्टर प्रोफेसर ईश्वर रामदयाल से बातचीत की। रोबोट और उससे की जा रही सर्जरी के बारे में जाना। साथ ही यह भी समझा कि रोबोटिक सर्जरी के दौरान किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। डिटेल में पढ़िए पूरी बातचीत…। 2006 में दिल्ली एम्स में हुई थी पहली रोबोटिक सर्जरी प्रोफेसर ईश्वर राम ने कहा- भारत में रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत साल 2006 में हुई थी। पहली सर्जरी एम्स दिल्ली में हुई। तब भी इसी मशीन की पुरानी सीरीज से ऑपरेशन होता था। समय के साथ मशीन अपग्रेड होती गई। लोहिया संस्थान में मशीन का सबसे लेटेस्ट मॉडल आया है। साल 2007 से 2009 तक इस मशीन पर काम करने का अनुभव था। रोबोटिक सर्जरी का यह एक्सपोजर अब काम आ रहा है। बहुत जल्द बाकी सर्जन भी इसकी ट्रेनिंग लेंगे। सर्जन ही कर सकता है रोबोटिक सर्जरी प्रोफेसर रामदयाल ने कहा- रोबोटिक सर्जरी की खूबी ये है कि इससे मरीज का रिकवरी टाइम कम होता है। सर्जन के आर्म्स और हाथ का काम रोबोट करता है। रोबोट को कंट्रोल सर्जन ही करता है। बिना सर्जन के रोबोट नहीं काम कर सकता। रोबोटिक सर्जरी से पेशेंट की चीज की लंबाई बेहद कम होती है। उसे अस्पताल से छुट्टी भी जल्दी मिल जाती है। रोबोटिक सर्जरी से रिस्क फैक्टर होता कम प्रो.ईश्वर ने कहा- रोबोटिक सर्जरी से मरीज के लिए रिस्क कम होता है। इसके जरिए ‘सर्जिकल एरर’ के चांस थोड़ा कम हो जाते हैं। बस मरीज के लिहाज से ये कहा जा सकता है कि सर्जरी थोड़ी महंगी हो सकती है। पर इसके अलावा और सब कुछ मरीज के हित में होता हैं। ये भी देखना रहता है कि सर्जरी हर लिहाज से सफल हो। रोबोटिक सर्जरी करने वाल यूपी का दूसरा सरकारी संस्थान प्रो. ईश्वर राम ने बताया- लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के सरकारी संस्थानों में रोबोटिक सर्जरी की सुविधा सिर्फ SGPGI लखनऊ में हैं। पर वहां पर रोबोटिक सर्जरी के लिए लंबी वेटिंग हैं। ऐसे में लोहिया संस्थान में इस सुविधा के शुरू होने से बड़े पैमाने में मरीजों को इसका फायदा मिलेगा। अच्छी बात ये हैं कि हम ये सुविधा बेहद कम कीमत में मरीजों को मुहैया कराएंगे। अमेरिका के सभी जिला अस्पताल में मशीन प्रो.ईश्वर ने बताया- अमेरिका में इस रोबोटिक सर्जरी की मशीन को प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए ही ईजाद किया गया था। वहां पर प्रोस्टेट से जुड़ी समस्याओं के सबसे ज्यादा मरीज हैं। वहां सभी डिस्ट्रिक्ट लेवल हॉस्पिटल में रोबोटिक सर्जरी की सुविधा मौजूद हैं। 200 रोबोटिक सर्जरी निशुल्क की जाएगी। हमारे पास SGPGI की रेट लिस्ट है। उम्मीद है कि SGPGI से 20% तक सस्ता इलाज लोहिया संस्थान में मुहैया करा पाएंगे। निजी और कॉर्पोरेट हॉस्पिटल की तुलना में ये 4 से 5 गुना सस्ता होगा। यह दावा है लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के सर्जन डॉक्टर प्रोफेसर ईश्वर रामदयाल का। अमेरिका में बनी Da Vinci रोबोटिक मशीन अब लोहिया संस्थान में आ गई है। रोबोटिक सर्जरी के लिहाज से दुनिया की ये सबसे टॉप मशीन है, जो सर्जन मास्टर की तरह काम करती है। सर्जन कंसोल पर बैठकर डॉक्टर इसे आसानी से कंट्रोल करते हैं। 28 मार्च को पहली बार लोहिया संस्थान में 2 सर्जरी की गई। दोनों यूरोलॉजी से जुड़ी सर्जरी थीं। दैनिक भास्कर ने लोहिया संस्थान में दोनों सर्जरी करने वाले डॉक्टर प्रोफेसर ईश्वर रामदयाल से बातचीत की। रोबोट और उससे की जा रही सर्जरी के बारे में जाना। साथ ही यह भी समझा कि रोबोटिक सर्जरी के दौरान किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। डिटेल में पढ़िए पूरी बातचीत…। 2006 में दिल्ली एम्स में हुई थी पहली रोबोटिक सर्जरी प्रोफेसर ईश्वर राम ने कहा- भारत में रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत साल 2006 में हुई थी। पहली सर्जरी एम्स दिल्ली में हुई। तब भी इसी मशीन की पुरानी सीरीज से ऑपरेशन होता था। समय के साथ मशीन अपग्रेड होती गई। लोहिया संस्थान में मशीन का सबसे लेटेस्ट मॉडल आया है। साल 2007 से 2009 तक इस मशीन पर काम करने का अनुभव था। रोबोटिक सर्जरी का यह एक्सपोजर अब काम आ रहा है। बहुत जल्द बाकी सर्जन भी इसकी ट्रेनिंग लेंगे। सर्जन ही कर सकता है रोबोटिक सर्जरी प्रोफेसर रामदयाल ने कहा- रोबोटिक सर्जरी की खूबी ये है कि इससे मरीज का रिकवरी टाइम कम होता है। सर्जन के आर्म्स और हाथ का काम रोबोट करता है। रोबोट को कंट्रोल सर्जन ही करता है। बिना सर्जन के रोबोट नहीं काम कर सकता। रोबोटिक सर्जरी से पेशेंट की चीज की लंबाई बेहद कम होती है। उसे अस्पताल से छुट्टी भी जल्दी मिल जाती है। रोबोटिक सर्जरी से रिस्क फैक्टर होता कम प्रो.ईश्वर ने कहा- रोबोटिक सर्जरी से मरीज के लिए रिस्क कम होता है। इसके जरिए ‘सर्जिकल एरर’ के चांस थोड़ा कम हो जाते हैं। बस मरीज के लिहाज से ये कहा जा सकता है कि सर्जरी थोड़ी महंगी हो सकती है। पर इसके अलावा और सब कुछ मरीज के हित में होता हैं। ये भी देखना रहता है कि सर्जरी हर लिहाज से सफल हो। रोबोटिक सर्जरी करने वाल यूपी का दूसरा सरकारी संस्थान प्रो. ईश्वर राम ने बताया- लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के सरकारी संस्थानों में रोबोटिक सर्जरी की सुविधा सिर्फ SGPGI लखनऊ में हैं। पर वहां पर रोबोटिक सर्जरी के लिए लंबी वेटिंग हैं। ऐसे में लोहिया संस्थान में इस सुविधा के शुरू होने से बड़े पैमाने में मरीजों को इसका फायदा मिलेगा। अच्छी बात ये हैं कि हम ये सुविधा बेहद कम कीमत में मरीजों को मुहैया कराएंगे। अमेरिका के सभी जिला अस्पताल में मशीन प्रो.ईश्वर ने बताया- अमेरिका में इस रोबोटिक सर्जरी की मशीन को प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए ही ईजाद किया गया था। वहां पर प्रोस्टेट से जुड़ी समस्याओं के सबसे ज्यादा मरीज हैं। वहां सभी डिस्ट्रिक्ट लेवल हॉस्पिटल में रोबोटिक सर्जरी की सुविधा मौजूद हैं।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर