प्रयागराज में गाजी की मजार पर जाने वाले 75% हिंदू:लोग बोले- यहां 3 बाबा और एक सती की समाधि; चढ़ाते हलवा पूड़ी और मांस

प्रयागराज में गाजी की मजार पर जाने वाले 75% हिंदू:लोग बोले- यहां 3 बाबा और एक सती की समाधि; चढ़ाते हलवा पूड़ी और मांस

‘मैं 20 साल से मजार पर आ रहा हूं। गांव में हिंदू-मुस्लिम जैसा कुछ नहीं है। यहां एक मजार गाजी मियां की है। बाकी 4 हिंदू बुजुर्गों की समाधि है, जिन्हें लोग मजार ही कहते हैं। प्रसाद में कोई मांस चढ़ाता है, कोई हलवा-पूड़ी।’ ये कहना है राम प्रसाद केसरवानी का। वह सिकंदरा गांव में सैयद सालार मसूद गाजी की मजार पर पूजा करने पहुंचे थे। यूपी में अचानक यह मजार इसलिए सुर्खियों में आ गई, क्योंकि 6 अप्रैल को मजार पर छात्र नेता मनेंद्र प्रताप सिंह ने भगवा झंडा फहरा दिया। 8 अप्रैल को मनेंद्र ने पुलिस के सामने सरेंडर किया। गांव में PAC और पुलिस तैनात कर दी गई। मजार पर पूजा और इबादत करने वालों को रोक दिया गया है। 50 साल में पहली बार सिकंदरा गांव में तनाव है। मजार पर झंडा फहराने के 3 दिन बाद भी गांव के बाजार बंद हैं। रविवार को मेला भी नहीं लगा, इससे एक ही दिन में 25 लाख रुपए के कारोबार का नुकसान हुआ। गांव के हालात समझने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम प्रयागराज मुख्यालय से 30Km दूर सिकंदरा गांव पहुंची। क्या गांव के लोग भी तनाव में हैं? मुस्लिम पक्ष के लोग क्या सोचते हैं? मजार का इतिहास कितना पुराना है? इन सवालों के साथ गांव वालों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट… अब गांव का माहौल समझिए 2 दिन से बाजार बंद, लोगों में डर
सोरांव रोड से होते हुए हम सिकंदरा गांव पहुंचे। खेतों के बीच से संकरी रोड हमें गांव के मुख्य बाजार तक लेकर गई। यहां के सभी बाजार बंद थे। दुकानों के बाहर लगे तख्त पर बुजुर्ग लोग बैठे थे। हालात पर चर्चा कर रहे थे। हम भी इस चर्चा में शामिल हो गए। हमने एक मुस्लिम शख्स से पूछा- ये मजार को लेकर क्या विवाद हुआ? वह कहते हैं- दरगाह के अंदर 5 मजारें है। मुख्य मजार गाजी मियां की है। ये 1 हजार साल पुरानी है। उसके आसपास 4 और मजारें हैं। यह हिंदू पूर्वजों की बताई जाती हैं। यही वजह है कि मजार पर हिंदू और मुस्लिम, दोनों कम्युनिटी के लोग पहुंचते हैं। विवाद जैसा 50 साल में मैंने कुछ नहीं दिखा। गांव में टेंशन पहली बार हुई है। अब लोग डरे हुए हैं। 2 दिन से दुकानों के शटर तक नहीं खुले हैं। पहले मजार पर आने वाले हिंदुओं की बात लोग बोले- पूरे गांव में मजार से जुड़ी मान्यता पूछ लीजिए
इसके बाद हम गाजी मियां की मजार पर पहुंचे। इस मजार तक जाने के वाले रास्ते पर कई दुकानें दिखीं। मगर सभी बंद थीं। मजार के अंदर और बाहर 2-4 लोग ही दिखे। कुछ हिंदू थे, कुछ मुस्लिम। एक व्यक्ति शादी का कार्ड लेकर पहुंचे। मजार पर रखा और उन्हें प्रणाम किया। कुछ देर प्रार्थना करने के बाद वह दूसरी मजारों पर भी गए। हमने उनकी पूजा खत्म होने का इंतजार किया। बातचीत शुरू होने पर उन्होंने कहा- मेरा नाम राम प्रसाद केसरवानी है। मैं 85 Km दूर मांडा गांव से आया हूं। मैं गाजी मियां को बेटे की शादी का कार्ड देने आया हूं। हमारे परिवार में शुभ आयोजन का पहला निमंत्रण यहीं देते आ रहे हैं। एक मजार की तरफ इशारा करते हुए कहा- ये हनुमानजी की है, यही मान्यता है, आप पूरे गांव में किसी से भी पूछ लीजिए। दरगाह पर ही पूजा करते हुए हमें लाल चंद्र दिखे। बातचीत में उन्होंने कहा कि वह सोरांव के रहने वाले हैं। हमने पूछा- आप मजार पर कब से आ रहे हैं? लाल चंद्र ने कहा- हम मजार पर 13 साल से आ रहे हैं। यहां हिंदू ज्यादा आते हैं, मुस्लिम कम। ऐसा मान सकते हैं कि 75% हिंदू ही पूजा करते हैं। प्रसाद को लेकर भी कोई एक राय नहीं है। कोई मांस चढ़ाता है, कोई फूल माला के साथ हलवा-पूड़ी चढ़ाता है। रमेश बोले- दो पीढ़ियां मजार पर आ रहीं
एक समाधि स्थल पर पूजा करते हुए रमेश कुमार दिखे। रमेश ने मजार के अंदर लगे नीम के पेड़ के चबूतरे पर नारियल, बताशा और फूल रखकर प्रार्थना की। रमेश ने कहा- हमारी दो पीढ़ियां इस मजार पर आ रही हैं। इस बार रामनवमी पर नहीं आ सके थे। इसलिए अब शीतला मां को नारियल और निशान (झंडा नुमा कपड़ा) चढ़ाने आए हैं। एक दिन में 25 लाख का कारोबार होता है
किराना की दुकान चलाने वाले भइयन से हमने बाजार के हालात समझने का प्रयास किया। वह बताते हैं- यहां रविवार को मुख्य बाजार लगता है। आप समझिए कि 3 से 4 Km की रेंज छोटी-छोटी दुकानें लगाने वाले यहीं पर आ जाते हैं। कम से कम भी 25 लाख का कारोबार एक ही दिन में हो जाता होगा। अब इस रविवार को मेला नहीं लगा। गांव में टेंशन का माहौल हो गया। महंगाई में इन्हीं सस्ते बाजारों से लोगों को उम्मीद रहती है। जो हालात हैं, उनमें बुधवार को भी बाजार नहीं लगेगा। हमारी खुद की किराने की दुकान है, उससे छोटे दुकानदार सामान लेकर जाते थे। मगर इस बार खरीदारी नहीं हुई है। जाहिर है कि लोगों के साथ दुकानदार भी डरे हुए हैं। आज ही देखिए कुछ ही दुकानें खुली हैं। अब मुस्लिम लोगों की बात… मेला नहीं लगने दिया, 50 हजार लोग आते थे
लोगों ने बताया- दरगाह पर रविवार और बुधवार को मेला लगता है। दोनों दिन मेले में 50-50 हजार लोग पहुंचते हैं। दरगाह के लिए प्रसाद के साथ ही घर में इस्तेमाल और खाने-पीने की चीजें खरीदकर लेकर जाते हैं। दरगाह के आसपास 100 से ज्यादा दुकानें लगती हैं। ये ज्यादातर मुस्लिम परिवारों की हैं। बाजार बंद था, मगर यहां दुकान चलाने वाले हमनान अंसारी से मुलाकात हुई। वह कहते हैं- मेले में सब्जी, मिठाई, कास्मेटिक, प्रसाद और फूल-माला की दुकानें लगती हैं। यहां हर वो सामान बिकता है, जो लोग रोजमर्रा के लिए घरों में इस्तेमाल करते हैं। इन दुकानों से करीब 2500 परिवारों की रोजी-रोटी चलती है। अयाज ने कहा- जाने ये बिगड़े हालात कब ठीक होंगे
बाजार से गांव में अंदर की तरफ आते हुए हमारी मुलाकात अयाज अहमद से हुई। हमने मजार को लेकर सवाल किए। वह कहते हैं- हमने जब से होश संभाला मजार को इसी जगह देखते आ रहे। पूर्वजों के समय से लोग यहां आते हैं, सजदा करते हैं। हिंदू भी आते हैं, मुस्लिम भी आते हैं। लोग मन्नत भी मांगते हैं। बुधवार को ज्यादा पब्लिक आती है। सामान्य दिनों में 50 लोग तो आते ही थे। अब हालात बिगड़ गए हैं। जाने ये सब कब ठीक होगा। इसके बाद भास्कर टीम ने दरगाह कमेटी के चेयरमैन जावेद से बात की। उन्होंने कहा- रामनवमी के दिन दरगाह पर 40 लोग आए थे। यहां दीवार और मीनार पर चढ़ गए। भगवा झंडे फहराए। हम लोगों को जब मालूम हुआ, तब बड़े अफसरों से शिकायत की। ऐसा करने से एक समुदाय की भावनाओं को ठेस तो पहुंचती ही है। उम्मीद है कि आगे ऐसा कोई नहीं करेगा। मैंने सुना है कि जिन्होंने झंडा लहराया था, उन्हें पुलिस ने पकड़ा है। मजार पर झंडा फहराने से लेकर सरेंडर तक मामले को समझिए… पुलिस फोर्स तैनात थी, मगर रोक नहीं सकी
यह मामला 6 अप्रैल को शुरू हुआ। सिकंदरा गांव में दोपहर को अचानक बाइक पर सवार 25-30 भगवाधारी युवक आए। लोग कुछ समझ पाते, इससे पहले वह दरगाह के गेट से गुंबद पर चढ़ गए। नीचे खड़े बाकी लोग जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे। DJ की तेज आवाज गूंज रही थी। गुंबद पर चढ़े लोगों ने भगवा झंडा लहराना शुरू किया और नारे लगाते हुए करीब 20 मिनट तक चढ़े रहे। इलाके की थाना पुलिस को इस बात का शक पहले से था इसलिए पुलिस के एक दरोगा और 2 सिपाही पहले से दरगाह की सुरक्षा में तैनात थे। जब वह लोग पहुंचे। पुलिसकर्मियों से उन्हें रोकने की कोशिश की। मगर वह लोग दरगाह पर चढ़ गए। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। पुलिस अफसर हरकत में आए। आनन-फानन में भारी पुलिस बल और पीएसी मजार के आसपास तैनात कर दी गई। लोगों को पूजा-पाठ करने से रोक दिया गया। अब मनेंद्र प्रताप सिंह को जानिए… मौजूदा स्टूडेंट लीडर, पहले करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष रहे
मजार पर भगवा झंडा लेकर चढ़ने वाला मनेंद्र प्रताप सिंह मौजूदा समय में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट लीडर है। इसके पहले वह करणी सेना का प्रदेश अध्यक्ष रहा है। समाजवादी छात्र सभा से यूनिवर्सिटी में चुनाव लड़ चुका है। उसके खिलाफ बहरिया की पुलिस ने FIR दर्ज की है। अखिलेश यादव की टिप्पणी आने के बाद DCP कुलदीप गुणावत ने कहा था- मजार पर चढ़ने वालों को पकड़ लिया जाएगा। इधर, पुलिस का दबाव बढ़ा तो मनेंद्र प्रताप सिंह ने प्रयागराज SOG टीम के सामने सरेंडर कर दिया। …………… मनेंद्र का इंटरव्यू पढ़िए… मिट्‌टी डालकर कहीं भी चादर चढ़ा दोगे क्या:प्रयागराज में गाजी की दरगाह पर झंडा फहराने वाले मनेंद्र बोले- हम क्षत्रिय हैं, डरते नहीं ‘वक्फ बोर्ड ने मजार के नाम पर लाखों एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है। मजारें इनके प्रॉपर्टी डीलिंग का ऑफिस बन चुकी हैं। थोड़ी-सी मिट्टी डालकर चादर चढ़ा दी जाती है, धीरे-धीरे कब्जा हो जाता है।’ प्रयागराज की सैय्यद सलार मसूद गाजी की मजार पर 6 अप्रैल को भगवा झंडा फहराने वाले मनेंद्र प्रताप सिंह ऐसा दावा करते हैं। पढ़िए पूरी खबर… ‘मैं 20 साल से मजार पर आ रहा हूं। गांव में हिंदू-मुस्लिम जैसा कुछ नहीं है। यहां एक मजार गाजी मियां की है। बाकी 4 हिंदू बुजुर्गों की समाधि है, जिन्हें लोग मजार ही कहते हैं। प्रसाद में कोई मांस चढ़ाता है, कोई हलवा-पूड़ी।’ ये कहना है राम प्रसाद केसरवानी का। वह सिकंदरा गांव में सैयद सालार मसूद गाजी की मजार पर पूजा करने पहुंचे थे। यूपी में अचानक यह मजार इसलिए सुर्खियों में आ गई, क्योंकि 6 अप्रैल को मजार पर छात्र नेता मनेंद्र प्रताप सिंह ने भगवा झंडा फहरा दिया। 8 अप्रैल को मनेंद्र ने पुलिस के सामने सरेंडर किया। गांव में PAC और पुलिस तैनात कर दी गई। मजार पर पूजा और इबादत करने वालों को रोक दिया गया है। 50 साल में पहली बार सिकंदरा गांव में तनाव है। मजार पर झंडा फहराने के 3 दिन बाद भी गांव के बाजार बंद हैं। रविवार को मेला भी नहीं लगा, इससे एक ही दिन में 25 लाख रुपए के कारोबार का नुकसान हुआ। गांव के हालात समझने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम प्रयागराज मुख्यालय से 30Km दूर सिकंदरा गांव पहुंची। क्या गांव के लोग भी तनाव में हैं? मुस्लिम पक्ष के लोग क्या सोचते हैं? मजार का इतिहास कितना पुराना है? इन सवालों के साथ गांव वालों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट… अब गांव का माहौल समझिए 2 दिन से बाजार बंद, लोगों में डर
सोरांव रोड से होते हुए हम सिकंदरा गांव पहुंचे। खेतों के बीच से संकरी रोड हमें गांव के मुख्य बाजार तक लेकर गई। यहां के सभी बाजार बंद थे। दुकानों के बाहर लगे तख्त पर बुजुर्ग लोग बैठे थे। हालात पर चर्चा कर रहे थे। हम भी इस चर्चा में शामिल हो गए। हमने एक मुस्लिम शख्स से पूछा- ये मजार को लेकर क्या विवाद हुआ? वह कहते हैं- दरगाह के अंदर 5 मजारें है। मुख्य मजार गाजी मियां की है। ये 1 हजार साल पुरानी है। उसके आसपास 4 और मजारें हैं। यह हिंदू पूर्वजों की बताई जाती हैं। यही वजह है कि मजार पर हिंदू और मुस्लिम, दोनों कम्युनिटी के लोग पहुंचते हैं। विवाद जैसा 50 साल में मैंने कुछ नहीं दिखा। गांव में टेंशन पहली बार हुई है। अब लोग डरे हुए हैं। 2 दिन से दुकानों के शटर तक नहीं खुले हैं। पहले मजार पर आने वाले हिंदुओं की बात लोग बोले- पूरे गांव में मजार से जुड़ी मान्यता पूछ लीजिए
इसके बाद हम गाजी मियां की मजार पर पहुंचे। इस मजार तक जाने के वाले रास्ते पर कई दुकानें दिखीं। मगर सभी बंद थीं। मजार के अंदर और बाहर 2-4 लोग ही दिखे। कुछ हिंदू थे, कुछ मुस्लिम। एक व्यक्ति शादी का कार्ड लेकर पहुंचे। मजार पर रखा और उन्हें प्रणाम किया। कुछ देर प्रार्थना करने के बाद वह दूसरी मजारों पर भी गए। हमने उनकी पूजा खत्म होने का इंतजार किया। बातचीत शुरू होने पर उन्होंने कहा- मेरा नाम राम प्रसाद केसरवानी है। मैं 85 Km दूर मांडा गांव से आया हूं। मैं गाजी मियां को बेटे की शादी का कार्ड देने आया हूं। हमारे परिवार में शुभ आयोजन का पहला निमंत्रण यहीं देते आ रहे हैं। एक मजार की तरफ इशारा करते हुए कहा- ये हनुमानजी की है, यही मान्यता है, आप पूरे गांव में किसी से भी पूछ लीजिए। दरगाह पर ही पूजा करते हुए हमें लाल चंद्र दिखे। बातचीत में उन्होंने कहा कि वह सोरांव के रहने वाले हैं। हमने पूछा- आप मजार पर कब से आ रहे हैं? लाल चंद्र ने कहा- हम मजार पर 13 साल से आ रहे हैं। यहां हिंदू ज्यादा आते हैं, मुस्लिम कम। ऐसा मान सकते हैं कि 75% हिंदू ही पूजा करते हैं। प्रसाद को लेकर भी कोई एक राय नहीं है। कोई मांस चढ़ाता है, कोई फूल माला के साथ हलवा-पूड़ी चढ़ाता है। रमेश बोले- दो पीढ़ियां मजार पर आ रहीं
एक समाधि स्थल पर पूजा करते हुए रमेश कुमार दिखे। रमेश ने मजार के अंदर लगे नीम के पेड़ के चबूतरे पर नारियल, बताशा और फूल रखकर प्रार्थना की। रमेश ने कहा- हमारी दो पीढ़ियां इस मजार पर आ रही हैं। इस बार रामनवमी पर नहीं आ सके थे। इसलिए अब शीतला मां को नारियल और निशान (झंडा नुमा कपड़ा) चढ़ाने आए हैं। एक दिन में 25 लाख का कारोबार होता है
किराना की दुकान चलाने वाले भइयन से हमने बाजार के हालात समझने का प्रयास किया। वह बताते हैं- यहां रविवार को मुख्य बाजार लगता है। आप समझिए कि 3 से 4 Km की रेंज छोटी-छोटी दुकानें लगाने वाले यहीं पर आ जाते हैं। कम से कम भी 25 लाख का कारोबार एक ही दिन में हो जाता होगा। अब इस रविवार को मेला नहीं लगा। गांव में टेंशन का माहौल हो गया। महंगाई में इन्हीं सस्ते बाजारों से लोगों को उम्मीद रहती है। जो हालात हैं, उनमें बुधवार को भी बाजार नहीं लगेगा। हमारी खुद की किराने की दुकान है, उससे छोटे दुकानदार सामान लेकर जाते थे। मगर इस बार खरीदारी नहीं हुई है। जाहिर है कि लोगों के साथ दुकानदार भी डरे हुए हैं। आज ही देखिए कुछ ही दुकानें खुली हैं। अब मुस्लिम लोगों की बात… मेला नहीं लगने दिया, 50 हजार लोग आते थे
लोगों ने बताया- दरगाह पर रविवार और बुधवार को मेला लगता है। दोनों दिन मेले में 50-50 हजार लोग पहुंचते हैं। दरगाह के लिए प्रसाद के साथ ही घर में इस्तेमाल और खाने-पीने की चीजें खरीदकर लेकर जाते हैं। दरगाह के आसपास 100 से ज्यादा दुकानें लगती हैं। ये ज्यादातर मुस्लिम परिवारों की हैं। बाजार बंद था, मगर यहां दुकान चलाने वाले हमनान अंसारी से मुलाकात हुई। वह कहते हैं- मेले में सब्जी, मिठाई, कास्मेटिक, प्रसाद और फूल-माला की दुकानें लगती हैं। यहां हर वो सामान बिकता है, जो लोग रोजमर्रा के लिए घरों में इस्तेमाल करते हैं। इन दुकानों से करीब 2500 परिवारों की रोजी-रोटी चलती है। अयाज ने कहा- जाने ये बिगड़े हालात कब ठीक होंगे
बाजार से गांव में अंदर की तरफ आते हुए हमारी मुलाकात अयाज अहमद से हुई। हमने मजार को लेकर सवाल किए। वह कहते हैं- हमने जब से होश संभाला मजार को इसी जगह देखते आ रहे। पूर्वजों के समय से लोग यहां आते हैं, सजदा करते हैं। हिंदू भी आते हैं, मुस्लिम भी आते हैं। लोग मन्नत भी मांगते हैं। बुधवार को ज्यादा पब्लिक आती है। सामान्य दिनों में 50 लोग तो आते ही थे। अब हालात बिगड़ गए हैं। जाने ये सब कब ठीक होगा। इसके बाद भास्कर टीम ने दरगाह कमेटी के चेयरमैन जावेद से बात की। उन्होंने कहा- रामनवमी के दिन दरगाह पर 40 लोग आए थे। यहां दीवार और मीनार पर चढ़ गए। भगवा झंडे फहराए। हम लोगों को जब मालूम हुआ, तब बड़े अफसरों से शिकायत की। ऐसा करने से एक समुदाय की भावनाओं को ठेस तो पहुंचती ही है। उम्मीद है कि आगे ऐसा कोई नहीं करेगा। मैंने सुना है कि जिन्होंने झंडा लहराया था, उन्हें पुलिस ने पकड़ा है। मजार पर झंडा फहराने से लेकर सरेंडर तक मामले को समझिए… पुलिस फोर्स तैनात थी, मगर रोक नहीं सकी
यह मामला 6 अप्रैल को शुरू हुआ। सिकंदरा गांव में दोपहर को अचानक बाइक पर सवार 25-30 भगवाधारी युवक आए। लोग कुछ समझ पाते, इससे पहले वह दरगाह के गेट से गुंबद पर चढ़ गए। नीचे खड़े बाकी लोग जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे। DJ की तेज आवाज गूंज रही थी। गुंबद पर चढ़े लोगों ने भगवा झंडा लहराना शुरू किया और नारे लगाते हुए करीब 20 मिनट तक चढ़े रहे। इलाके की थाना पुलिस को इस बात का शक पहले से था इसलिए पुलिस के एक दरोगा और 2 सिपाही पहले से दरगाह की सुरक्षा में तैनात थे। जब वह लोग पहुंचे। पुलिसकर्मियों से उन्हें रोकने की कोशिश की। मगर वह लोग दरगाह पर चढ़ गए। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। पुलिस अफसर हरकत में आए। आनन-फानन में भारी पुलिस बल और पीएसी मजार के आसपास तैनात कर दी गई। लोगों को पूजा-पाठ करने से रोक दिया गया। अब मनेंद्र प्रताप सिंह को जानिए… मौजूदा स्टूडेंट लीडर, पहले करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष रहे
मजार पर भगवा झंडा लेकर चढ़ने वाला मनेंद्र प्रताप सिंह मौजूदा समय में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट लीडर है। इसके पहले वह करणी सेना का प्रदेश अध्यक्ष रहा है। समाजवादी छात्र सभा से यूनिवर्सिटी में चुनाव लड़ चुका है। उसके खिलाफ बहरिया की पुलिस ने FIR दर्ज की है। अखिलेश यादव की टिप्पणी आने के बाद DCP कुलदीप गुणावत ने कहा था- मजार पर चढ़ने वालों को पकड़ लिया जाएगा। इधर, पुलिस का दबाव बढ़ा तो मनेंद्र प्रताप सिंह ने प्रयागराज SOG टीम के सामने सरेंडर कर दिया। …………… मनेंद्र का इंटरव्यू पढ़िए… मिट्‌टी डालकर कहीं भी चादर चढ़ा दोगे क्या:प्रयागराज में गाजी की दरगाह पर झंडा फहराने वाले मनेंद्र बोले- हम क्षत्रिय हैं, डरते नहीं ‘वक्फ बोर्ड ने मजार के नाम पर लाखों एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है। मजारें इनके प्रॉपर्टी डीलिंग का ऑफिस बन चुकी हैं। थोड़ी-सी मिट्टी डालकर चादर चढ़ा दी जाती है, धीरे-धीरे कब्जा हो जाता है।’ प्रयागराज की सैय्यद सलार मसूद गाजी की मजार पर 6 अप्रैल को भगवा झंडा फहराने वाले मनेंद्र प्रताप सिंह ऐसा दावा करते हैं। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर