सोनिया-राहुल के सामने कानपुर के नेता ने किया एक्सपोज:बोले- जिसे आपने जिलाध्यक्ष बनाया, उसका एक बेटा BJP में, दूसरा सपा में है

सोनिया-राहुल के सामने कानपुर के नेता ने किया एक्सपोज:बोले- जिसे आपने जिलाध्यक्ष बनाया, उसका एक बेटा BJP में, दूसरा सपा में है

कानपुर में कांग्रेस के भीतर चल रही अंतर्कलह मंगलवार को गुजरात के अहमदाबाद में 84वें अधिवेशन में खुलकर सामने आई। दो बार कानपुर लोकसभा से उम्मीदवार रहे आलोक मिश्रा ने मौजूदा महानगर अध्यक्ष पवन गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए। आलोक ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल गांधी से कहा, मैं आपसे कहने आया हूं कि आप बीजेपी को हटाना चाहते हैं और कांग्रेस के अंदर जो बीजेपी के लोग हैं, उन्हें हटाना चाहते हैं। तो मैं पूछना चाहता हूं कि अगर कोई शहर अध्यक्ष है, जिसका एक लड़का सपा में हो और एक लड़का बीजेपी में हो…क्या वो शहर अध्यक्ष होने लायक है? आलोक मिश्रा ने सीधे तौर पर नवनियुक्त जिलाध्यक्ष पवन गुप्ता पर आरोप लगाए। पवन गुप्ता ने भी पलटवार करते हुए कहा, आलोक मिश्रा का बयान राजनैतिक हताशा और कुंठा का प्रतीक है। मेरा कोई बेटा भाजपा में नहीं है। अब विस्तार से पढ़िए… संगठन में जिन्हें नियुक्त किया, उनका इतिहास भी जानना जरूरी
आलोक मिश्रा ने कहा, एक कार्यकर्ता के तौर पर 1982 से मैंने कांग्रेस की सेवा की। पार्टी को कानपुर के अलावा आसपास के जनपदों में मजबूत किया। लेकिन, संगठन में जिन्हें नियुक्त किया है, उनका इतिहास भी जानना जरूरी है। अगर वो (पवन गुप्ता) शहर अध्यक्ष होने लायक है तो हम भी आपको स्वीकार करते हैं। लेकिन एक बात और आपसे कहना चाहते हैं आपने मुझे मौका दिया। कानपुर में मैंने 4 लाख 22 हजार वोट हासिल किए। ये मौका मुझे मिला, जो इतिहास में 1947 से किसी को नहीं मिला। मैं आज आपको कांग्रेस की दुहाई देता हूं और आपसे आह्वान करने आया हूं कि कि हम लोग बीजेपी से बाद में लड़ते हैं, पहले कांग्रेसी आपस में लड़ते हैं। एक बार तय कर लीजिए कि कोई भी फैसला, जो ऊपर से तय होकर आएगा, उसे हम सहर्ष स्वीकार करेंगे। तब तक आपस में नहीं लड़ेंगे, जब तक कांग्रेस पार्टी को सत्ता में नहीं ले आते हैं। पार्टी को सत्ता में लाकर ही दम लेंगे। आलोक मिश्रा ने कहा, हम सब को एक होकर बीजेपी के खिलाफ सड़क पर उतरना है। जिताऊ उम्मीदवार को टिकट देना है। यूपी में क्यों हार रहे चुनाव, बताया कारण
आलोक मिश्रा ने कहा, कानपुर ही नहीं बल्कि यूपी में कांग्रेस मजबूत है। पर कांग्रेसी बीजेपी के बजाय आपस में लड़ रहे हैं। इसी के कारण हम चुनाव हार रहे हैं। कानपुर में अगर कांग्रेसी नहीं लड़ते तो लोकसभा और विधानसभा में पार्टी को प्रचंड जीत मिलती। तय कीजिए, शहर या जिलाध्यक्ष चुनाव नहीं लड़ेगा
आलोक मिश्रा ने कहा, मैं आपसे अनुरोध करने आया हूं कि शहर अध्यक्षों को जो आपने सत्ता दी है, हम उसे स्वीकार करते हैं। लेकिन उसके साथ-साथ ये भी फैसला कर लीजिए कि शहर या जिला अध्यक्ष जो भी होगा, वो चुनाव के लिए आवेदन नहीं करेगा। वो सिर्फ संगठन का काम करेगा। ये भी तय कर लीजिए। वरना हर शहर अध्यक्ष और हर जिला अध्यक्ष खुद चुनाव का कैंडिडेट बन जाएगा। मैं सबकुछ छोड़ना चाहता हूं
आलोक ने कहा, जिन लोगों ने 1982 से मेरी तरह कांग्रेस नहीं छोड़ी है, मैं आपको यहां वचन देता हूं कि मैं अपना सर्वस्व न्यौछावर करना चाहता हूं, आपके लिए और कांग्रेस पार्टी की सत्ता के लिए। मैं सबकुछ छोड़ना चाहता हूं। किसी तरह कांग्रेस सत्ता में आ जाए। जब सत्ता में आ जाए तो आपस में फैसला कर लेंगे। 2024 के चुनाव में बीजेपी को दी थी कड़ी टक्कर
2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आलोक मिश्रा को कानपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया था। वे इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार थे। सपा और कांग्रेस के सहयोग से मिश्रा को 422,087 वोट मिले और दूसरे नंबर पर आए। बीजेपी के रमेश अवस्थी को 443,055 वोट मिले थे और उन्होंने 20 हजार 968 वोटों से चुनाव जीता था। इससे पहले 2019 के चुनाव में कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने चुनाव लड़ा था और 313,003 वोट हासिल किए थे। बीजेपी के सत्यदेव पचौरी को 468,937 वोट मिले थे और जीत हासिल की थी। आलोक मिश्रा दो बार विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। पहली बार विधानसभा चुनाव 2002 में कल्यापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे। आलोक मिश्रा को 43,000 वोट मिले थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्हें 2007 में फिर कल्यानपुर सीट से प्रत्याशी बनाया गया। जिसमें महज 25,000 वोट मिले थे। पवन गुप्ता बोले- स्कूलों की लूट के खिलाफ मोर्चा खोला तो आलोक नाराज हो गए
पवन गुप्ता ने आलोक पर पलटवार करते हुए बयान जारी किया। उन्होंने कहा, मेरे 2 बेटे हैं। कोई भी बेटा भाजपा में नहीं है। जिस बेटे को भाजपा में होना कहा गया है, वह पिछले 4 वर्षों से उत्तर प्रदेश कांग्रेस उद्योग व्यापार प्रकोष्ठ का प्रदेश उपाध्यक्ष है और पूरी तरह कांग्रेस पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता है। वह कानपुर की बड़ी-बड़ी धार्मिक संस्थाओं और सामाजिक संस्थाओं का अध्यक्ष है। दूसरा बेटा सपा नेता है। सपा से चुनाव लड़ा है। लेकिन 8 माह से वह सपा में सक्रिय नहीं है और पूरी तरह मेरे साथ लगकर काम कर रहा है। मेरे दोनों बेटे पूरी निष्ठा से मेरे साथ हैं। पवन गुप्ता ने आगे कहा, पद ग्रहण समारोह में आलोक मिश्रा उपस्थित थे और मेरा स्वागत भी किया था। तब इनको कोई भी शिकायत नहीं थी। मेरे द्वारा स्कूलों की लूट के खिलाफ शुरू की गई लड़ाई से आलोक मिश्रा आहत हो गए हैं। इसलिए झूठे बयान देने का कार्य कर रहे हैं। इस तरह का झूठा और स्तरहीन आरोप पूरी तरह बकवास है। अब जानिए कानपुर कांग्रेस के कुछ पुराने विवाद लोकसभा चुनाव में आलोक मिश्रा को अंदरखाने हराने के लिए कांग्रेस दक्षिण ने बिल्कुल साथ नहीं दिया। इससे कांग्रेस नेता को 4 लाख से अधिक वोट मिलने के बाद भी हार का सामना
करना पड़ा। 20 सितंबर, 2021 को प्रियंका गांधी की रैली को लेकर तिलक हॉल में बैठक हो रही थी। इसी बीच कांग्रेस कार्यकर्ता गौरव त्रिपाठी से युवक कांग्रेस के पदाधिकारियों के बीच बैठने को लेकर तूतू-मैं मैं हो गई। विवाद इतना बढ़ा कि हाथापाई तक की नौबत आ गई। 18 अप्रैल, 2023 को तिलक हॉल में मेयर प्रत्याशी आशनी अवस्थी के पति विकास अवस्थी ने मीटिंग में रोते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में गुटबाजी और पूंजीवाद की वजह से कांग्रेस पार्टी गर्त में चली गई है। उन्हें भी इसका शिकार होना पड़ रहा है। 22 जुलाई, 2024 को कांग्रेस अध्यक्ष के जन्मदिन समारोह में पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र को लेकर तिलक हाल में दो कांग्रेसी आपस में भिड़ गए। दोनों के बीच जमकर बहस हुई। इसके बाद कांग्रेसी नाराज होकर चले गए थे। ——————- यह खबर भी पढ़ें…
पत्नी बोली- तुमसे तो आत्महत्या भी नहीं हो पाएगी:लखनऊ में पति ने कर लिया सुसाइड; बातचीत का AUDIO सुनिए तुम क्या चाहती हो आत्महत्या कर लें। तुम से तो यह भी नहीं होगा। अगर परिवार से अलग नहीं हुए तो तुमको आइडिया भी नहीं होगा मैं क्या कर सकती हूं। तुम एक दिन भी अपने मां-बाप से अलग नहीं रहे हो। बच्चों से कितना अलग रहे हो? बताओ? अगर तुम उन लोगों से अलग नहीं हुए तो तुम्हें आइडिया नहीं है कि मैं क्या कर सकती हूं। जल्द से जल्द कमरा ले लो। पूरी खबर पढ़ें… कानपुर में कांग्रेस के भीतर चल रही अंतर्कलह मंगलवार को गुजरात के अहमदाबाद में 84वें अधिवेशन में खुलकर सामने आई। दो बार कानपुर लोकसभा से उम्मीदवार रहे आलोक मिश्रा ने मौजूदा महानगर अध्यक्ष पवन गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए। आलोक ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल गांधी से कहा, मैं आपसे कहने आया हूं कि आप बीजेपी को हटाना चाहते हैं और कांग्रेस के अंदर जो बीजेपी के लोग हैं, उन्हें हटाना चाहते हैं। तो मैं पूछना चाहता हूं कि अगर कोई शहर अध्यक्ष है, जिसका एक लड़का सपा में हो और एक लड़का बीजेपी में हो…क्या वो शहर अध्यक्ष होने लायक है? आलोक मिश्रा ने सीधे तौर पर नवनियुक्त जिलाध्यक्ष पवन गुप्ता पर आरोप लगाए। पवन गुप्ता ने भी पलटवार करते हुए कहा, आलोक मिश्रा का बयान राजनैतिक हताशा और कुंठा का प्रतीक है। मेरा कोई बेटा भाजपा में नहीं है। अब विस्तार से पढ़िए… संगठन में जिन्हें नियुक्त किया, उनका इतिहास भी जानना जरूरी
आलोक मिश्रा ने कहा, एक कार्यकर्ता के तौर पर 1982 से मैंने कांग्रेस की सेवा की। पार्टी को कानपुर के अलावा आसपास के जनपदों में मजबूत किया। लेकिन, संगठन में जिन्हें नियुक्त किया है, उनका इतिहास भी जानना जरूरी है। अगर वो (पवन गुप्ता) शहर अध्यक्ष होने लायक है तो हम भी आपको स्वीकार करते हैं। लेकिन एक बात और आपसे कहना चाहते हैं आपने मुझे मौका दिया। कानपुर में मैंने 4 लाख 22 हजार वोट हासिल किए। ये मौका मुझे मिला, जो इतिहास में 1947 से किसी को नहीं मिला। मैं आज आपको कांग्रेस की दुहाई देता हूं और आपसे आह्वान करने आया हूं कि कि हम लोग बीजेपी से बाद में लड़ते हैं, पहले कांग्रेसी आपस में लड़ते हैं। एक बार तय कर लीजिए कि कोई भी फैसला, जो ऊपर से तय होकर आएगा, उसे हम सहर्ष स्वीकार करेंगे। तब तक आपस में नहीं लड़ेंगे, जब तक कांग्रेस पार्टी को सत्ता में नहीं ले आते हैं। पार्टी को सत्ता में लाकर ही दम लेंगे। आलोक मिश्रा ने कहा, हम सब को एक होकर बीजेपी के खिलाफ सड़क पर उतरना है। जिताऊ उम्मीदवार को टिकट देना है। यूपी में क्यों हार रहे चुनाव, बताया कारण
आलोक मिश्रा ने कहा, कानपुर ही नहीं बल्कि यूपी में कांग्रेस मजबूत है। पर कांग्रेसी बीजेपी के बजाय आपस में लड़ रहे हैं। इसी के कारण हम चुनाव हार रहे हैं। कानपुर में अगर कांग्रेसी नहीं लड़ते तो लोकसभा और विधानसभा में पार्टी को प्रचंड जीत मिलती। तय कीजिए, शहर या जिलाध्यक्ष चुनाव नहीं लड़ेगा
आलोक मिश्रा ने कहा, मैं आपसे अनुरोध करने आया हूं कि शहर अध्यक्षों को जो आपने सत्ता दी है, हम उसे स्वीकार करते हैं। लेकिन उसके साथ-साथ ये भी फैसला कर लीजिए कि शहर या जिला अध्यक्ष जो भी होगा, वो चुनाव के लिए आवेदन नहीं करेगा। वो सिर्फ संगठन का काम करेगा। ये भी तय कर लीजिए। वरना हर शहर अध्यक्ष और हर जिला अध्यक्ष खुद चुनाव का कैंडिडेट बन जाएगा। मैं सबकुछ छोड़ना चाहता हूं
आलोक ने कहा, जिन लोगों ने 1982 से मेरी तरह कांग्रेस नहीं छोड़ी है, मैं आपको यहां वचन देता हूं कि मैं अपना सर्वस्व न्यौछावर करना चाहता हूं, आपके लिए और कांग्रेस पार्टी की सत्ता के लिए। मैं सबकुछ छोड़ना चाहता हूं। किसी तरह कांग्रेस सत्ता में आ जाए। जब सत्ता में आ जाए तो आपस में फैसला कर लेंगे। 2024 के चुनाव में बीजेपी को दी थी कड़ी टक्कर
2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आलोक मिश्रा को कानपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया था। वे इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार थे। सपा और कांग्रेस के सहयोग से मिश्रा को 422,087 वोट मिले और दूसरे नंबर पर आए। बीजेपी के रमेश अवस्थी को 443,055 वोट मिले थे और उन्होंने 20 हजार 968 वोटों से चुनाव जीता था। इससे पहले 2019 के चुनाव में कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने चुनाव लड़ा था और 313,003 वोट हासिल किए थे। बीजेपी के सत्यदेव पचौरी को 468,937 वोट मिले थे और जीत हासिल की थी। आलोक मिश्रा दो बार विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। पहली बार विधानसभा चुनाव 2002 में कल्यापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे। आलोक मिश्रा को 43,000 वोट मिले थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्हें 2007 में फिर कल्यानपुर सीट से प्रत्याशी बनाया गया। जिसमें महज 25,000 वोट मिले थे। पवन गुप्ता बोले- स्कूलों की लूट के खिलाफ मोर्चा खोला तो आलोक नाराज हो गए
पवन गुप्ता ने आलोक पर पलटवार करते हुए बयान जारी किया। उन्होंने कहा, मेरे 2 बेटे हैं। कोई भी बेटा भाजपा में नहीं है। जिस बेटे को भाजपा में होना कहा गया है, वह पिछले 4 वर्षों से उत्तर प्रदेश कांग्रेस उद्योग व्यापार प्रकोष्ठ का प्रदेश उपाध्यक्ष है और पूरी तरह कांग्रेस पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता है। वह कानपुर की बड़ी-बड़ी धार्मिक संस्थाओं और सामाजिक संस्थाओं का अध्यक्ष है। दूसरा बेटा सपा नेता है। सपा से चुनाव लड़ा है। लेकिन 8 माह से वह सपा में सक्रिय नहीं है और पूरी तरह मेरे साथ लगकर काम कर रहा है। मेरे दोनों बेटे पूरी निष्ठा से मेरे साथ हैं। पवन गुप्ता ने आगे कहा, पद ग्रहण समारोह में आलोक मिश्रा उपस्थित थे और मेरा स्वागत भी किया था। तब इनको कोई भी शिकायत नहीं थी। मेरे द्वारा स्कूलों की लूट के खिलाफ शुरू की गई लड़ाई से आलोक मिश्रा आहत हो गए हैं। इसलिए झूठे बयान देने का कार्य कर रहे हैं। इस तरह का झूठा और स्तरहीन आरोप पूरी तरह बकवास है। अब जानिए कानपुर कांग्रेस के कुछ पुराने विवाद लोकसभा चुनाव में आलोक मिश्रा को अंदरखाने हराने के लिए कांग्रेस दक्षिण ने बिल्कुल साथ नहीं दिया। इससे कांग्रेस नेता को 4 लाख से अधिक वोट मिलने के बाद भी हार का सामना
करना पड़ा। 20 सितंबर, 2021 को प्रियंका गांधी की रैली को लेकर तिलक हॉल में बैठक हो रही थी। इसी बीच कांग्रेस कार्यकर्ता गौरव त्रिपाठी से युवक कांग्रेस के पदाधिकारियों के बीच बैठने को लेकर तूतू-मैं मैं हो गई। विवाद इतना बढ़ा कि हाथापाई तक की नौबत आ गई। 18 अप्रैल, 2023 को तिलक हॉल में मेयर प्रत्याशी आशनी अवस्थी के पति विकास अवस्थी ने मीटिंग में रोते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में गुटबाजी और पूंजीवाद की वजह से कांग्रेस पार्टी गर्त में चली गई है। उन्हें भी इसका शिकार होना पड़ रहा है। 22 जुलाई, 2024 को कांग्रेस अध्यक्ष के जन्मदिन समारोह में पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र को लेकर तिलक हाल में दो कांग्रेसी आपस में भिड़ गए। दोनों के बीच जमकर बहस हुई। इसके बाद कांग्रेसी नाराज होकर चले गए थे। ——————- यह खबर भी पढ़ें…
पत्नी बोली- तुमसे तो आत्महत्या भी नहीं हो पाएगी:लखनऊ में पति ने कर लिया सुसाइड; बातचीत का AUDIO सुनिए तुम क्या चाहती हो आत्महत्या कर लें। तुम से तो यह भी नहीं होगा। अगर परिवार से अलग नहीं हुए तो तुमको आइडिया भी नहीं होगा मैं क्या कर सकती हूं। तुम एक दिन भी अपने मां-बाप से अलग नहीं रहे हो। बच्चों से कितना अलग रहे हो? बताओ? अगर तुम उन लोगों से अलग नहीं हुए तो तुम्हें आइडिया नहीं है कि मैं क्या कर सकती हूं। जल्द से जल्द कमरा ले लो। पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर