सोनीपत में शिक्षा के मंदिर दुकानों में बदले,VIDEO:रोक के बावजूद कैंपस में बेच रहे किताबें-ड्रेस; मनमानी कीमत तय, शिक्षा अधिकारी मौन

सोनीपत में शिक्षा के मंदिर दुकानों में बदले,VIDEO:रोक के बावजूद कैंपस में बेच रहे किताबें-ड्रेस; मनमानी कीमत तय, शिक्षा अधिकारी मौन

हरियाणा के सोनीपत में प्राइवेट स्कूलों में अभिभावकों की जेब काटी जा रही है। शिक्षा निदेशालय के सख्त निर्देश और ऑर्डर जारी होने के बाद भी मनमानी जारी है। जहां प्राइवेट स्कूलों के कैम्पस में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें, ड्रेस, और स्टेशनरी जमकर बेची जा रही है। सरकार के नियमों के खिलाफ काम हो रहा है। स्कूल संचालक ही कैम्पस में अपनी दुकानें जमा कर बैठे हुए हैं। सभी प्राइवेट स्कूलों में पब्लिशर के साथ सांठ गांठ करके कमीशन का बड़ा खेल चल रहा है। प्राइवेट स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया लगातार जारी है। ऐसे में दैनिक भास्कर ने सोनीपत के करीबन आधा दर्जन से ज्यादा स्कूलों में जाकर रियलिटी चेक किया। जहां अलग-अलग स्कूल कैम्पस में स्कूल संचालकों की दुकानों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें, ड्रेस और अन्य स्टेशनरी बिक रही थी। यहां तक की शिक्षा विभागीय ग्राउंड पर जाकर चेक नहीं करता और यह हवाला दे देता है कि किसी की शिकायत नहीं मिली। इसलिए कार्रवाई नहीं करते।अभी तक शिक्षा विभाग ने किसी भी निजी स्कूल पर कार्रवाई नहीं की है। जबकि अधिकारियों को केवल स्कूल में जाकर छापेमारी करनी है, उन्हें किताबों के ढेर मिल जाएंगे। प्राइवेट स्कूलों में स्थिति यह मिली कि प्राइमरी और अन्य छोटी क्लासों की पुस्तक 10वीं और 12वीं की कक्षा से ज्यादा रेट में मिलती है। नौवीं कक्षा में एनसीईआरटी की सभी किताबें लग जाती है। लेकिन बावजूद इसके प्राइवेट पब्लिशर्स की तीन से 4 हजार की किताबें अभिभावकों पर थोपी जाती हैं। ये किताबें बाहर किसी अन्य दुकान पर नहीं मिलती। शहर के आधे दर्जन से ज्यादा स्कूलों में जाकर जानकारी ली। 1. शिवा शिक्षा सदन स्कूल इस की किताबों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ। यहां पर देखा गया कि किताबें और सिलेबस वही पुराना है। लेकिन कवर पेज का डिजाइन बदलकर इंडेक्स की सूची को ऊपर नीचे करके नए रेट बढ़ाकर अगले साल ज्यादा रेट में बेची जा रही है। यह इसलिए किया जाता है कि पुराने स्टूडेंट की किताब को नया स्टूडेंट पढ़ने के लिए यूज न कर पाएं। ताकि नए रेट की किताब से ज्यादा मुनाफा मिल सके और स्कूल प्रबंधन को भी मालूम रहेगी हमारी नई किताबें हैं। 2.साउथ प्वाइंट स्कूल, पुरखास रोड वही सोनीपत के साउथ प्वाइंट स्कूल, पुरखास रोड पर जब हमने जाकर जानकारी ली तो स्कूल में पीपी-1से लेकर 12वीं की किताबें प्राइवेट पब्लिशर्स की बिक रही थी। साउथ प्वाइंट स्कूल के कुल 3 स्कूल संचालित हो रहे हैं। प्रत्येक ब्रांच में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें, ड्रेस, और स्टेशनरी जमकर बेची जा रही है। खेल बड़े स्तर पर चलता है। कुछ अभिभावकों ने बताया कि महंगे रेट में सारी किताबें स्कूल से ही खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। स्कूल की ड्रेस से लेकर कॉपी और किताबें सभी मनमाने रेट में स्कूल वाले खुद बेच रहे हैं। स्कूल वालों पर कोई निगरानी नहीं है और न ही कार्रवाई होती है। 3.जैन विद्या मंदिर स्कूल,सब्ज़ी मंडी
जैन विद्या मंदिर स्कूल में जमकर एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ पर स्कूल के अंदर ही प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों को ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। स्कूल में अंदर बनाई गई बुक स्टॉल पर ही रेट लिस्ट चस्पा की हुई है। वहां पर एक कमरा किताबों का गोदाम बनाया हुआ नजर आया और उसकी खिड़की से पेरेंट्स किताब खरीद रहे थे। स्कूल के स्टाफ की ड्यूटी लगाकर बेचने का काम करवाया जा रहा था। जहां पर नर्सरी से 12वीं तक की किताबें करीबन 5 हजार से 7 हजार के बीच बिक रही है। इसी प्रकार अलग-अलग कक्षाओं के रेट निर्धारित है। सभी प्राइवेट पब्लिशर्स हैं। 4.ऋषिकुल वर्ल्ड एकेडमी स्कूल
ऋषिकुल वर्ल्ड एकेडमी में भी किताबें स्कूल के अंदर बिकती हुई मिली। एक टीचर से जब रेट लिस्ट के बारे में पूछा तो उन्होंने रेट लिस्ट निकालकर हमारी बातचीत के अनुसार रेट दिखाएं। रेट सुनकर हैरान होने जैसा था। जब उनसे पूछा गया कि NCRT की किताबें भी हैं तो उनका जवाब था कि बाहर से खरीदनी पड़ेगी। हमारे यहां तो प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें ही मिलती हैं। 10वीं कक्षा मैथ की पुस्तक 885 की है, व्याकरण 529 की है, इसके अतिरिक्त नोटबुक 80 रुपए से लेकर अलग-अलग रेट निर्धारित किए गए हैं। 10वीं कक्षा की किताबें 4 हजार 473 और नोटबुक में करीबन 4 हजार 905 रुपए निर्धारित किए गए हैं। इस प्रकार 10वीं का पूरा सेट करीबन 9 हजार 378 है। 5.गेटवे इंटरनेशनल स्कूल
सोनीपत के गेटवे इंटरनेशनल स्कूल में अलग ढंग का नजारा देखने को मिला। यहां पर भी प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें अंदर बिक रही है। गेट के साथ टक-शॉप बनाया गया है। जहां पर हर क्लास की किताबों, डायरी, जूते और ड्रेस सब बिक रहा है। जहां नर्सरी की किताब करीबन 3 हजार की हैं, तो ड्रैस भी 3 से 4 हजार की दी जाती हैं। कॉपी भी स्कूल के नाम से छापकर बेचकर मोटा कमीशन कमाने को धंधा हो है। क्लास पीपी -1 के लिए सिक्योरिटी राशि 8 हजार रुपए की गई है। एनुअल पैकेज 62 हजार है। पर्सनल अकाउंट टक शॉप भी बनाया गया है जिसमें 4 हजार रुपए जमा करवाने होते हैं। इसके तहत बच्चों को स्टेशनरी आइटम और दूसरे इवेंट के नाम पर पैसे लिए जाते हैं। स्कूल में छठी कक्षा की किताबों के रेट 320 रुपए से लेकर 550 रुपए तक के किताबें बिक रही है। जहां एनसीईआरटी की किताबों के मूल्य बहुत कम है तो उसकी तुलना में प्राइवेट पब्लिशर की किताबें 10 गुना महंगी बिक रही है। 6. द्रोण विद्यापीठ स्कूल
यहां पर फर्स्ट क्लास की किताबें करीबन 4 हजार 608 रुपए की है। स्पीक ईवीएस- सेमेस्टर 1- 349 रुपए, स्पीक ईवीएस सेमेस्टर -2, 349रु, वैल्यू एजुकेशन- 199 रुपए ,आर्ट वर्स- 399 रुपए, जनरल नॉलेज -299 रुपए, कम्युनिकेशन इंग्लिश- 510 रुपए, इंग्लिश ग्रामर – 325 रुपए, हिंदी सुनहरी धूप- 469 रुपए, हिंदी व्याकरण स्पर्श- 329 रुपए की है। इसी प्रकार सेकेंड क्लास की एक किताब 349 से लेकर 510 रुपए तक बिक रही है। टोटल 4 हजार 628 रुपए की किताब का सेट है। 7.ओरचीड़ इंटरनेशनल स्कूल
ओरचीड़ इंटरनेशनल स्कूल में भी नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सरकार जिला प्रशासन भी पालना करवाने में जिला प्रशासन असमर्थ साबित हो रहा है। यहां पर PP-1 कक्षा के लिए किताबों के 6 हजार 725 और यूनिफॉर्म के 8 हजार 42 रुपए निर्धारित किए गए हैं। यहां पर प्राइवेट पब्लिशर्स की ही किताबें बिक रही है। शिक्षा मंत्री बोले
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा से जब इस विषय में बातचीत की गई तो उन्होंने मामले को लेकर कहा है कि शिकायत मिलेगी तो जरूर कार्रवाई होगी और जिला शिक्षा अधिकारी को भी जांच करने के आदेश दिए जाएंगे। प्राइवेट स्कूल में अंदर किताबें बेचना सरकार की नीतियों के खिलाफ है। मामले में जांच करवाई जाएगी। जिला शिक्षा अधिकारी बोले जिला शिक्षा अधिकारी नवीन गुलिया ने कहा है कि हरियाणा शिक्षा नियमावली 2003 में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि विद्यार्थी और पेरेंट्स को किसी दुकान से किताबें या ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। प्रत्येक स्कूल को एनसीईआरटी की बुक ही रिकमेंड करनी है। उन्होंने कहा है कि किसी भी स्कूल में अगर प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें बेची जाती है या प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें खरीदने के लिए रिकमेंड किया जाता है तो वह नियमों के खिलाफ है। ऐसे स्कूलों जांच करवा कर उसकी रिपोर्ट निदेशालय में भेज कर मान्यता रद्द करवाने को लेकर कहा जाएगा। हरियाणा के सोनीपत में प्राइवेट स्कूलों में अभिभावकों की जेब काटी जा रही है। शिक्षा निदेशालय के सख्त निर्देश और ऑर्डर जारी होने के बाद भी मनमानी जारी है। जहां प्राइवेट स्कूलों के कैम्पस में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें, ड्रेस, और स्टेशनरी जमकर बेची जा रही है। सरकार के नियमों के खिलाफ काम हो रहा है। स्कूल संचालक ही कैम्पस में अपनी दुकानें जमा कर बैठे हुए हैं। सभी प्राइवेट स्कूलों में पब्लिशर के साथ सांठ गांठ करके कमीशन का बड़ा खेल चल रहा है। प्राइवेट स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया लगातार जारी है। ऐसे में दैनिक भास्कर ने सोनीपत के करीबन आधा दर्जन से ज्यादा स्कूलों में जाकर रियलिटी चेक किया। जहां अलग-अलग स्कूल कैम्पस में स्कूल संचालकों की दुकानों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें, ड्रेस और अन्य स्टेशनरी बिक रही थी। यहां तक की शिक्षा विभागीय ग्राउंड पर जाकर चेक नहीं करता और यह हवाला दे देता है कि किसी की शिकायत नहीं मिली। इसलिए कार्रवाई नहीं करते।अभी तक शिक्षा विभाग ने किसी भी निजी स्कूल पर कार्रवाई नहीं की है। जबकि अधिकारियों को केवल स्कूल में जाकर छापेमारी करनी है, उन्हें किताबों के ढेर मिल जाएंगे। प्राइवेट स्कूलों में स्थिति यह मिली कि प्राइमरी और अन्य छोटी क्लासों की पुस्तक 10वीं और 12वीं की कक्षा से ज्यादा रेट में मिलती है। नौवीं कक्षा में एनसीईआरटी की सभी किताबें लग जाती है। लेकिन बावजूद इसके प्राइवेट पब्लिशर्स की तीन से 4 हजार की किताबें अभिभावकों पर थोपी जाती हैं। ये किताबें बाहर किसी अन्य दुकान पर नहीं मिलती। शहर के आधे दर्जन से ज्यादा स्कूलों में जाकर जानकारी ली। 1. शिवा शिक्षा सदन स्कूल इस की किताबों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ। यहां पर देखा गया कि किताबें और सिलेबस वही पुराना है। लेकिन कवर पेज का डिजाइन बदलकर इंडेक्स की सूची को ऊपर नीचे करके नए रेट बढ़ाकर अगले साल ज्यादा रेट में बेची जा रही है। यह इसलिए किया जाता है कि पुराने स्टूडेंट की किताब को नया स्टूडेंट पढ़ने के लिए यूज न कर पाएं। ताकि नए रेट की किताब से ज्यादा मुनाफा मिल सके और स्कूल प्रबंधन को भी मालूम रहेगी हमारी नई किताबें हैं। 2.साउथ प्वाइंट स्कूल, पुरखास रोड वही सोनीपत के साउथ प्वाइंट स्कूल, पुरखास रोड पर जब हमने जाकर जानकारी ली तो स्कूल में पीपी-1से लेकर 12वीं की किताबें प्राइवेट पब्लिशर्स की बिक रही थी। साउथ प्वाइंट स्कूल के कुल 3 स्कूल संचालित हो रहे हैं। प्रत्येक ब्रांच में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें, ड्रेस, और स्टेशनरी जमकर बेची जा रही है। खेल बड़े स्तर पर चलता है। कुछ अभिभावकों ने बताया कि महंगे रेट में सारी किताबें स्कूल से ही खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। स्कूल की ड्रेस से लेकर कॉपी और किताबें सभी मनमाने रेट में स्कूल वाले खुद बेच रहे हैं। स्कूल वालों पर कोई निगरानी नहीं है और न ही कार्रवाई होती है। 3.जैन विद्या मंदिर स्कूल,सब्ज़ी मंडी
जैन विद्या मंदिर स्कूल में जमकर एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ पर स्कूल के अंदर ही प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों को ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। स्कूल में अंदर बनाई गई बुक स्टॉल पर ही रेट लिस्ट चस्पा की हुई है। वहां पर एक कमरा किताबों का गोदाम बनाया हुआ नजर आया और उसकी खिड़की से पेरेंट्स किताब खरीद रहे थे। स्कूल के स्टाफ की ड्यूटी लगाकर बेचने का काम करवाया जा रहा था। जहां पर नर्सरी से 12वीं तक की किताबें करीबन 5 हजार से 7 हजार के बीच बिक रही है। इसी प्रकार अलग-अलग कक्षाओं के रेट निर्धारित है। सभी प्राइवेट पब्लिशर्स हैं। 4.ऋषिकुल वर्ल्ड एकेडमी स्कूल
ऋषिकुल वर्ल्ड एकेडमी में भी किताबें स्कूल के अंदर बिकती हुई मिली। एक टीचर से जब रेट लिस्ट के बारे में पूछा तो उन्होंने रेट लिस्ट निकालकर हमारी बातचीत के अनुसार रेट दिखाएं। रेट सुनकर हैरान होने जैसा था। जब उनसे पूछा गया कि NCRT की किताबें भी हैं तो उनका जवाब था कि बाहर से खरीदनी पड़ेगी। हमारे यहां तो प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें ही मिलती हैं। 10वीं कक्षा मैथ की पुस्तक 885 की है, व्याकरण 529 की है, इसके अतिरिक्त नोटबुक 80 रुपए से लेकर अलग-अलग रेट निर्धारित किए गए हैं। 10वीं कक्षा की किताबें 4 हजार 473 और नोटबुक में करीबन 4 हजार 905 रुपए निर्धारित किए गए हैं। इस प्रकार 10वीं का पूरा सेट करीबन 9 हजार 378 है। 5.गेटवे इंटरनेशनल स्कूल
सोनीपत के गेटवे इंटरनेशनल स्कूल में अलग ढंग का नजारा देखने को मिला। यहां पर भी प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें अंदर बिक रही है। गेट के साथ टक-शॉप बनाया गया है। जहां पर हर क्लास की किताबों, डायरी, जूते और ड्रेस सब बिक रहा है। जहां नर्सरी की किताब करीबन 3 हजार की हैं, तो ड्रैस भी 3 से 4 हजार की दी जाती हैं। कॉपी भी स्कूल के नाम से छापकर बेचकर मोटा कमीशन कमाने को धंधा हो है। क्लास पीपी -1 के लिए सिक्योरिटी राशि 8 हजार रुपए की गई है। एनुअल पैकेज 62 हजार है। पर्सनल अकाउंट टक शॉप भी बनाया गया है जिसमें 4 हजार रुपए जमा करवाने होते हैं। इसके तहत बच्चों को स्टेशनरी आइटम और दूसरे इवेंट के नाम पर पैसे लिए जाते हैं। स्कूल में छठी कक्षा की किताबों के रेट 320 रुपए से लेकर 550 रुपए तक के किताबें बिक रही है। जहां एनसीईआरटी की किताबों के मूल्य बहुत कम है तो उसकी तुलना में प्राइवेट पब्लिशर की किताबें 10 गुना महंगी बिक रही है। 6. द्रोण विद्यापीठ स्कूल
यहां पर फर्स्ट क्लास की किताबें करीबन 4 हजार 608 रुपए की है। स्पीक ईवीएस- सेमेस्टर 1- 349 रुपए, स्पीक ईवीएस सेमेस्टर -2, 349रु, वैल्यू एजुकेशन- 199 रुपए ,आर्ट वर्स- 399 रुपए, जनरल नॉलेज -299 रुपए, कम्युनिकेशन इंग्लिश- 510 रुपए, इंग्लिश ग्रामर – 325 रुपए, हिंदी सुनहरी धूप- 469 रुपए, हिंदी व्याकरण स्पर्श- 329 रुपए की है। इसी प्रकार सेकेंड क्लास की एक किताब 349 से लेकर 510 रुपए तक बिक रही है। टोटल 4 हजार 628 रुपए की किताब का सेट है। 7.ओरचीड़ इंटरनेशनल स्कूल
ओरचीड़ इंटरनेशनल स्कूल में भी नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सरकार जिला प्रशासन भी पालना करवाने में जिला प्रशासन असमर्थ साबित हो रहा है। यहां पर PP-1 कक्षा के लिए किताबों के 6 हजार 725 और यूनिफॉर्म के 8 हजार 42 रुपए निर्धारित किए गए हैं। यहां पर प्राइवेट पब्लिशर्स की ही किताबें बिक रही है। शिक्षा मंत्री बोले
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा से जब इस विषय में बातचीत की गई तो उन्होंने मामले को लेकर कहा है कि शिकायत मिलेगी तो जरूर कार्रवाई होगी और जिला शिक्षा अधिकारी को भी जांच करने के आदेश दिए जाएंगे। प्राइवेट स्कूल में अंदर किताबें बेचना सरकार की नीतियों के खिलाफ है। मामले में जांच करवाई जाएगी। जिला शिक्षा अधिकारी बोले जिला शिक्षा अधिकारी नवीन गुलिया ने कहा है कि हरियाणा शिक्षा नियमावली 2003 में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि विद्यार्थी और पेरेंट्स को किसी दुकान से किताबें या ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। प्रत्येक स्कूल को एनसीईआरटी की बुक ही रिकमेंड करनी है। उन्होंने कहा है कि किसी भी स्कूल में अगर प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें बेची जाती है या प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें खरीदने के लिए रिकमेंड किया जाता है तो वह नियमों के खिलाफ है। ऐसे स्कूलों जांच करवा कर उसकी रिपोर्ट निदेशालय में भेज कर मान्यता रद्द करवाने को लेकर कहा जाएगा।   हरियाणा | दैनिक भास्कर