‘राशन बांटने से पांच दिन पहले सभी बोरों में पानी डाल दीजिए। तराजू पर राशन तौलने से पहले एक खाली बोरा रख दीजिए। इससे हर महीने 2 से 3 क्विंटल राशन बच जाएगा। एक दिन पहले मशीन में अंगूठा लगवा दीजिए। अटैच तराजू पर पोटली रख करके तौल दीजिए। अगले दिन दूसरे इलेक्ट्रॉनिक तराजू से रिमोट से वजन कम करके बांट दीजिए।’ यूपी में सरकारी राशन घटतौली के ये तरीके बताते हुए कोटेदार दैनिक भास्कर के हिडन कैमरे पर कैद हुए हैं। इनका कहना है कि घटतौली से कमाई का एक हिस्सा अफसरों तक जाता है। एक कोटेदार तो यूपी के खाद्य एवं रसद विभाग मंत्री सतीश चंद्र शर्मा के जिले का है। राशन चोरी रोकने के लिए सरकार के बनाए हाईटेक सिस्टम की तोड़ कोटेदारों ने निकाल ली है। हमारी टीम ने यूपी के बाराबंकी, उन्नाव, अंबेडकरनगर और कासगंज में 10 दिनों तक इन्वेस्टिगेशन की। हम कोटेदारों से यह कहकर मिले कि हमें सरकारी राशन की दुकान मिली हैं। कैसे पैसा कमाएं? पढ़िए सिलसिलेवार गरीबों के राशन पर कोटेदारों और अफसरों का डाका… राशन की घटतौली समझने के लिए हम सबसे पहले यूपी के खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री सतीश चंद्र शर्मा के जिले बाराबंकी पहुंचे। यहां से 15 किमी दूर मसौली गांव है। यहां कोटेदार राधेलाल बौद्ध मिला, वह 1986 से सरकारी राशन की दुकान चला रहा है। उसके पास कुल 1300 कार्ड के 6 हजार यूनिट हैं। महीने में 300 क्विंटल राशन बांटता है। हमने राधेलाल से कहा कि हमें भी सरकारी राशन की दुकान मिली है। उसे कैसे चलाएं कि मुनाफा हो? इस पर राधेलाल ने बताया कि तौलने के बाद एक डिब्बे से आधा किलो राशन निकाल के फेंक दीजिए। या एक आधा किलो का खाली बोरा तराजू पर रखकर तौलो, फिर राशन पन्नी में दो। रिपोर्टर: आप कबसे कोटा चला रहे हैं? मैं क्या करूं कि फायदा हो?
कोटेदार राधेलाल: मैं 36 साल से कोटा चला रहा हूं। कस्बे में 25 हजार की आबादी है। 1300 कार्ड हैं, जिसमें 6 हजार यूनिट (जिन्हें राशन दिया जाता है) हैं। कोटे पर वितरण के समय भीड़भाड़ न हो। एक मशीन चलाने के लिए, एक बांटने के लिए रखो। रिपोर्टर: आप लोग यह कैसे करते हो?
कोटेदार राधेलाल: हम तौलने के बाद राशन निकाल लेते हैं। रिपोर्टर: कोई विरोध नहीं करता?
कोटेदार राधेलाल: समझाया जाता है, क्या बच्चे की जान ले लोगे। जब पूरा मिलता ही नहीं, तो देंगे कैसे। रिपोर्टर: आप कितना निकालते हो?
कोटेदार राधेलाल: हम आधा किलो निकालते हैं। पहले तौल दिया, वह स्क्रीन देखने लगता है, एक डिब्बा रखा है, उसे भरा निकाल लिया। बांटने वाला आदमी एक्सपर्ट हो, ये ही एक रास्ता है।
कोटेदार राधेलाल: तराजू के ऊपर आधा किलो का बोरा बिछा दो, उसके ऊपर पन्नी रखके तुलवा दो। बोला- तुमको कसम है, ये तरीका किसी को मत बताना, ऐसे बचेगा 2.5 क्विंटल राशन
राधेलाल ने बताया- राशन बांटने से 5 दिन पहले बोरे खोलकर पानी का छिड़काव कर देना, जिससे तुम्हारा दो से ढाई क्विंटल राशन बढ़ जाएगा। ये बात किसी को मत बताना। बिजनेस की बात किसी से शेयर नहीं करनी है। टिल्लू पंप है। शाम को लेबर या किसी को नहीं रखना है। यह काम अपने हाथ से करना है। एक 10 लीटर की बाल्टी रख लो, उसमें पानी भर लो। एक बोरी काटो, उसमें गिलास से पानी मार दो। दूसरी बोरी काटो, उसमें भी ऐसा कर दो। ये बात किसी को न बताना। तुमको वारिस पाक की कसम। नसीहत और धमकी भी दी, ज्यादा पानी नहीं मिलाना
राधेलाल ने नसीहत भी दी। उसने कहा कि दो मिल रहा है, ढाई कर लेना, तीन न करना। अगर कोई मॉइस्चर की शिकायत कर देगा, तो दिक्कत हो जाएगी। इतने में सब एडजस्ट हो जाएगा। वितरण होने के तीन-चार दिन पहले कर देना। तत्काल न करना। अल्लाह माफ नहीं करेगा। किसी से शेयर मत करना। हम बैठे-बैठे दो मिनट में दुकान खत्म करवा देते है। कोई दिक्कत हो तो मुझे बताना। दुकान सस्पेंड हो जाए, बर्खास्त हो जाए, सब करवा देंगे। नया तराजू, मशीन और रिमोट से घटतौली, सप्लाई इंस्पेक्टर को 1500 महीना देता हूं
यही हाल अंबेडकरनगर में भी है। हम अंबेडकरनगर के जलालपुर ब्लाक में गांव भदोई के कोटेदार फेकूराम से मिले। हमने नया कोटेदार लेने के बारे में बताया और राशन की घटतौली करने का तरीका पूछा। फेकूराम ने राशन चोरी का हाईटेक तरीका बताया। फेकूराम ने कहा– आप ग्राहक का अंगूठा नई मशीन में लगवाओ, बांटो दूसरे कांटे (तराजू ) से। इसके लिए आपको एक नया कांटा (तराजू) लेना होगा। उसमें 1 हजार रुपए की मशीन लगेगी और उसके साथ रिमोट मिलेगा। रिमोट को जेब में रखकर दबाओ, 3 से 4 किलो आसानी से काटते रहो। इससे ग्राहक को भी पता नहीं चल पाएगा। स्थानीय सप्लाई इंस्पेक्टर को इसके लिए हर महीने 15 सौ रुपए देना पड़ता है। 35 से 40 हजार रुपए महीना कमा लेते हैं रिपोर्टर: हम सीतापुर में कोटा खोलने जा रहे हैं। कैसे घटतौली की जाती है, हमें भी बताइए?
कोटेदार फेकूराम: 1 यूनिट में 5 किलो मिलता है, जिसमें से 700 ग्राम का बोरा हो जाता है। एक किलो से लेकर 2 किलो तक काट लेते हैं। रिपोर्टर: कैसे ?
कोटेदार फेकूराम: यूनिट के हिसाब से पहले ही 10 किलो, 20 किलो, 30 किलो की बोरी बना कर रखते हैं। जब अंगूठा लग जाता है तब उस समय मशीन पर वही बोरी रखते हैं। फिर दूसरे तराजू पर कम तौल कर देते हैं। रिपोर्टर: कितना कमा लेते है ?
कोटेदार फेकूराम: जिनके लाल कार्ड होते हैं, उनको 35 किलो मिलता है, पर देते 32 किलो ही हैं। रिपोर्टर: तब भी 50 हजार रुपए कमा लेते होंगे ?
कोटेदार फेकूराम: नहीं फिर भी 35 से 40 हजार बच जाता है। रिपोर्टर: तो ये सब पैसा ऊपर तक जाता है क्या?
कोटेदार फेकूराम: 1500 रुपए महीने सप्लाई इंस्पेक्टर को देते हैं। महत्वपूर्ण भूमिका सप्लाई इंस्पेक्टर की होती है, इसलिए उसे देना पड़ता है। पोटली बनाकर वजन पूरा दिखाइए, दूसरे कांटे से राशन दीजिए
अब हम उन्नाव में हसनगंज ब्लॉक के ग्राम मौलाबांकीपुर गांव में कोटेदार अयोध्या प्रसाद से मिलने पहुंचे। यहां मुलाकात अयोध्या प्रसाद के बेटे दिलीप से हुई। दिलीप ने बताया हम 30 साल से कोटा चला रहे हैं। बाल्टी में राशन रख करके तौल दीजिए। एक प्लास्टिक की बाल्टी का वजन 400 से 800 ग्राम होता है, उसमें भर के देंगे तो इतना बच जाएगा। जब ग्राहक राशन लेने आए तो अंगूठा लगवाने के बाद मशीन से कनेक्ट तराजू पर पोटली रख करके पूरा वजन दिखाने के बाद राशन रिलीज कर दीजिए। फिर दूसरे तराजू से कम तौल के राशन दे दीजिए। रिपोर्टर: हमारा नया कोटा है। राशन कैसे बचाएं?
दिलीप: अगर आपको आधा-एक किलो कम देना है, तो अब तो बाल्टी आ रही है। बाल्टी में रख के एडजस्ट कर लो। 800 ग्राम और 400 ग्राम की टेंट वाली बाल्टी आती है, इससे कर लो। दिलीप: कोई-कोई ऐसा भी करता है, पहले अंगूठा लगवा लेता है। इस काटे पर वह उसी हिसाब से अनाज रखते हैं। जिस पर मशीन है वह कांटा फिक्स है, दूसरे कांटे से कम करके दे देते हैं। बाल्टी से बंट रहा था राशन इसके बाद हम हसनगंज ब्लॉक के ग्राम आलमपुर लतीफपुर उर्फ मुन्नीखेड़ा गांव के कोटेदार विनय सिंह की दुकान पर पहुंचे। इनके यहां कुल 497 कार्डधारक और 2215 रजिस्टर्ड लाभार्थी हैं। यहां पर राशन प्लास्टिक की बाल्टी में तौला जा रहा था। इसमें हर कार्ड की एक तौल पर 800 ग्राम तक कम राशन दिया जा रहा था। बेटा आपूर्ति विभाग में बाबू- पूरा ट्रक राशन बेच देते थे हमारी इन्वेस्टिगेशन में बाराबंकी में एक कोटेदार ऐसा भी मिला, जिसने पूरा ट्रक राशन बेचने का दावा किया। नवाबगंज तहसील क्षेत्र में ओबरी के कोटेदार आशीष यादव के यहां हमारी मुलाकात उसके से हुई। उन्होंने बताया कोटा हमारा बेटा आशीष चलाता है। वह खुद आपूर्ति विभाग कार्यालय में 25 नंबर कमरे में बैठते हैं। वही सब देखते हैं। उन्होंने बताया कि पहले हम राशन का पूरा ट्रक मिल ले जाकर बेच देते थे, अधिकारी सामने खड़े रहते थे। साथ ही उन्होंने सलाह दी कि तुम आशीष से मिल लो वह सब कुछ बता देंगे। कुल मिला के नुकसान नहीं होगा। (TC-07.20-07.40) कोटेदारों को भी पूरा नहीं मिलता राशन इसी तरह से कासगंज जिले में पटियाली तहसील के ग्राम द्विवरैया के निवासी और राशन डीलर विवेक कुमार हैं। इनके पिता कृपाल सिंह की भी राशन की दुकान है। कृपाल सिंह 19 साल से मझोला में दुकान चला रहे हैं। कृपाल सिंह और विवेक के पास 500 -500 कार्डों का राशन पहुंचता है। कृपाल सिंह के मुताबिक कभी-कभी जब राशन आता है तो राशन देने वाले लोग (विभाग) 45 किलो, 48 किलो और आधी भी बोरी दे देते हैं। जब राशन तराजू से मिलता है, तो सही मिल जाता है। कोटेदार विवेक ने बताया कम राशन मिलने की कोई शिकायत नहीं करता है। हमारे अकेले के कहे कुछ नहीं होगा। जैसे सबका चल रहा है, वैसे मेरा चल रहा है। अगर हम लोग कुछ कहेंगे तो हम लोगों को आड़े ले लिया जाएगा। कृपाल सिंह हमें घटतौली के बारे में बताते हैं। कृपाल सिंह: बोरा… 45 किलो का आता है, 49 किलो का आता है, 48 का भी आता है। आधी बोरी भी डाल देते हैं। तौलके आ जाता है, तो सही रहता है, अन्यथा ऐसे ही आता है। रिपोर्टर: मान लीजिए आपका 2500 किलो राशन आता है, पूरा एवरेज क्या निकलता है? विवेक: पूरी बोरी 50 किलो 600 ग्राम की होनी चाहिए। कृपाल सिंह: अगर कांटे पर कम बोरा आ गया, तो कहते हैं अरे यार सही है तुम ले जाओ। शिकायत आने पर मैनेज करते हैं अधिकारी
कोटेदार राशन चोरी से होने वाली कमाई का एक हिस्सा हर महीने अधिकारियों को भी देते हैं। अगर उनके खिलाफ कोई शिकायत हो जाती है तो अधिकारी सब संभाल लेते हैं। कृपाल सिंह और विवेक बताते हैं कि अगर कोई शिकायत करता है, तो एक-दो शिकायत अधिकारी मैनेज कर देते हैं, लेकिन बदले में उनको राशन देना पड़ता है। हालांकि इससे स्टॉक कम हो जाता है, जिसे घटतौली से पूरा करना पड़ता है। ————————————— ———————— ये खबर भी पढ़िए… UP में 3 लाख में लड़की-5 लाख में लड़का खरीदिए, बच्ची सांवली है, 30 हजार कम दे देना… कैमरे पर मासूमों का सौदा यूपी में चाइल्ड ट्रैफिकिंग गैंग मासूम बच्चों की सौदा कर रहे हैं। गैंग तक पहुंचने में दैनिक भास्कर टीम को 20 दिन लगे। हमारा रिपोर्टर नि:संतान बनकर इस गिरोह तक पहुंचा। लखनऊ में बच्ची की डिलीवरी तय की गई। गैंग की दूसरी महिला सदस्य दिल्ली से बच्ची लेकर आई। उसने कहा, ‘बच्ची सांवली है… इसको जॉनसन बेबी पाउडर लगाना, आठ दिन में गोरी हो जाएगी। इसका रेट 30 हजार कम करा देंगे। ज्यादा सुंदर बच्चा चाहिए तो मई तक रुक जाइए। हमारी एक पार्टी का सातवां महीना चल रहा है। पांच हजार रुपए में लखीमपुर से पता लगा लेंगे कि बड़ी फाइल (बेटा) है या छोटी फाइल (बेटी)।’ पढ़ें पूरी खबर ‘राशन बांटने से पांच दिन पहले सभी बोरों में पानी डाल दीजिए। तराजू पर राशन तौलने से पहले एक खाली बोरा रख दीजिए। इससे हर महीने 2 से 3 क्विंटल राशन बच जाएगा। एक दिन पहले मशीन में अंगूठा लगवा दीजिए। अटैच तराजू पर पोटली रख करके तौल दीजिए। अगले दिन दूसरे इलेक्ट्रॉनिक तराजू से रिमोट से वजन कम करके बांट दीजिए।’ यूपी में सरकारी राशन घटतौली के ये तरीके बताते हुए कोटेदार दैनिक भास्कर के हिडन कैमरे पर कैद हुए हैं। इनका कहना है कि घटतौली से कमाई का एक हिस्सा अफसरों तक जाता है। एक कोटेदार तो यूपी के खाद्य एवं रसद विभाग मंत्री सतीश चंद्र शर्मा के जिले का है। राशन चोरी रोकने के लिए सरकार के बनाए हाईटेक सिस्टम की तोड़ कोटेदारों ने निकाल ली है। हमारी टीम ने यूपी के बाराबंकी, उन्नाव, अंबेडकरनगर और कासगंज में 10 दिनों तक इन्वेस्टिगेशन की। हम कोटेदारों से यह कहकर मिले कि हमें सरकारी राशन की दुकान मिली हैं। कैसे पैसा कमाएं? पढ़िए सिलसिलेवार गरीबों के राशन पर कोटेदारों और अफसरों का डाका… राशन की घटतौली समझने के लिए हम सबसे पहले यूपी के खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री सतीश चंद्र शर्मा के जिले बाराबंकी पहुंचे। यहां से 15 किमी दूर मसौली गांव है। यहां कोटेदार राधेलाल बौद्ध मिला, वह 1986 से सरकारी राशन की दुकान चला रहा है। उसके पास कुल 1300 कार्ड के 6 हजार यूनिट हैं। महीने में 300 क्विंटल राशन बांटता है। हमने राधेलाल से कहा कि हमें भी सरकारी राशन की दुकान मिली है। उसे कैसे चलाएं कि मुनाफा हो? इस पर राधेलाल ने बताया कि तौलने के बाद एक डिब्बे से आधा किलो राशन निकाल के फेंक दीजिए। या एक आधा किलो का खाली बोरा तराजू पर रखकर तौलो, फिर राशन पन्नी में दो। रिपोर्टर: आप कबसे कोटा चला रहे हैं? मैं क्या करूं कि फायदा हो?
कोटेदार राधेलाल: मैं 36 साल से कोटा चला रहा हूं। कस्बे में 25 हजार की आबादी है। 1300 कार्ड हैं, जिसमें 6 हजार यूनिट (जिन्हें राशन दिया जाता है) हैं। कोटे पर वितरण के समय भीड़भाड़ न हो। एक मशीन चलाने के लिए, एक बांटने के लिए रखो। रिपोर्टर: आप लोग यह कैसे करते हो?
कोटेदार राधेलाल: हम तौलने के बाद राशन निकाल लेते हैं। रिपोर्टर: कोई विरोध नहीं करता?
कोटेदार राधेलाल: समझाया जाता है, क्या बच्चे की जान ले लोगे। जब पूरा मिलता ही नहीं, तो देंगे कैसे। रिपोर्टर: आप कितना निकालते हो?
कोटेदार राधेलाल: हम आधा किलो निकालते हैं। पहले तौल दिया, वह स्क्रीन देखने लगता है, एक डिब्बा रखा है, उसे भरा निकाल लिया। बांटने वाला आदमी एक्सपर्ट हो, ये ही एक रास्ता है।
कोटेदार राधेलाल: तराजू के ऊपर आधा किलो का बोरा बिछा दो, उसके ऊपर पन्नी रखके तुलवा दो। बोला- तुमको कसम है, ये तरीका किसी को मत बताना, ऐसे बचेगा 2.5 क्विंटल राशन
राधेलाल ने बताया- राशन बांटने से 5 दिन पहले बोरे खोलकर पानी का छिड़काव कर देना, जिससे तुम्हारा दो से ढाई क्विंटल राशन बढ़ जाएगा। ये बात किसी को मत बताना। बिजनेस की बात किसी से शेयर नहीं करनी है। टिल्लू पंप है। शाम को लेबर या किसी को नहीं रखना है। यह काम अपने हाथ से करना है। एक 10 लीटर की बाल्टी रख लो, उसमें पानी भर लो। एक बोरी काटो, उसमें गिलास से पानी मार दो। दूसरी बोरी काटो, उसमें भी ऐसा कर दो। ये बात किसी को न बताना। तुमको वारिस पाक की कसम। नसीहत और धमकी भी दी, ज्यादा पानी नहीं मिलाना
राधेलाल ने नसीहत भी दी। उसने कहा कि दो मिल रहा है, ढाई कर लेना, तीन न करना। अगर कोई मॉइस्चर की शिकायत कर देगा, तो दिक्कत हो जाएगी। इतने में सब एडजस्ट हो जाएगा। वितरण होने के तीन-चार दिन पहले कर देना। तत्काल न करना। अल्लाह माफ नहीं करेगा। किसी से शेयर मत करना। हम बैठे-बैठे दो मिनट में दुकान खत्म करवा देते है। कोई दिक्कत हो तो मुझे बताना। दुकान सस्पेंड हो जाए, बर्खास्त हो जाए, सब करवा देंगे। नया तराजू, मशीन और रिमोट से घटतौली, सप्लाई इंस्पेक्टर को 1500 महीना देता हूं
यही हाल अंबेडकरनगर में भी है। हम अंबेडकरनगर के जलालपुर ब्लाक में गांव भदोई के कोटेदार फेकूराम से मिले। हमने नया कोटेदार लेने के बारे में बताया और राशन की घटतौली करने का तरीका पूछा। फेकूराम ने राशन चोरी का हाईटेक तरीका बताया। फेकूराम ने कहा– आप ग्राहक का अंगूठा नई मशीन में लगवाओ, बांटो दूसरे कांटे (तराजू ) से। इसके लिए आपको एक नया कांटा (तराजू) लेना होगा। उसमें 1 हजार रुपए की मशीन लगेगी और उसके साथ रिमोट मिलेगा। रिमोट को जेब में रखकर दबाओ, 3 से 4 किलो आसानी से काटते रहो। इससे ग्राहक को भी पता नहीं चल पाएगा। स्थानीय सप्लाई इंस्पेक्टर को इसके लिए हर महीने 15 सौ रुपए देना पड़ता है। 35 से 40 हजार रुपए महीना कमा लेते हैं रिपोर्टर: हम सीतापुर में कोटा खोलने जा रहे हैं। कैसे घटतौली की जाती है, हमें भी बताइए?
कोटेदार फेकूराम: 1 यूनिट में 5 किलो मिलता है, जिसमें से 700 ग्राम का बोरा हो जाता है। एक किलो से लेकर 2 किलो तक काट लेते हैं। रिपोर्टर: कैसे ?
कोटेदार फेकूराम: यूनिट के हिसाब से पहले ही 10 किलो, 20 किलो, 30 किलो की बोरी बना कर रखते हैं। जब अंगूठा लग जाता है तब उस समय मशीन पर वही बोरी रखते हैं। फिर दूसरे तराजू पर कम तौल कर देते हैं। रिपोर्टर: कितना कमा लेते है ?
कोटेदार फेकूराम: जिनके लाल कार्ड होते हैं, उनको 35 किलो मिलता है, पर देते 32 किलो ही हैं। रिपोर्टर: तब भी 50 हजार रुपए कमा लेते होंगे ?
कोटेदार फेकूराम: नहीं फिर भी 35 से 40 हजार बच जाता है। रिपोर्टर: तो ये सब पैसा ऊपर तक जाता है क्या?
कोटेदार फेकूराम: 1500 रुपए महीने सप्लाई इंस्पेक्टर को देते हैं। महत्वपूर्ण भूमिका सप्लाई इंस्पेक्टर की होती है, इसलिए उसे देना पड़ता है। पोटली बनाकर वजन पूरा दिखाइए, दूसरे कांटे से राशन दीजिए
अब हम उन्नाव में हसनगंज ब्लॉक के ग्राम मौलाबांकीपुर गांव में कोटेदार अयोध्या प्रसाद से मिलने पहुंचे। यहां मुलाकात अयोध्या प्रसाद के बेटे दिलीप से हुई। दिलीप ने बताया हम 30 साल से कोटा चला रहे हैं। बाल्टी में राशन रख करके तौल दीजिए। एक प्लास्टिक की बाल्टी का वजन 400 से 800 ग्राम होता है, उसमें भर के देंगे तो इतना बच जाएगा। जब ग्राहक राशन लेने आए तो अंगूठा लगवाने के बाद मशीन से कनेक्ट तराजू पर पोटली रख करके पूरा वजन दिखाने के बाद राशन रिलीज कर दीजिए। फिर दूसरे तराजू से कम तौल के राशन दे दीजिए। रिपोर्टर: हमारा नया कोटा है। राशन कैसे बचाएं?
दिलीप: अगर आपको आधा-एक किलो कम देना है, तो अब तो बाल्टी आ रही है। बाल्टी में रख के एडजस्ट कर लो। 800 ग्राम और 400 ग्राम की टेंट वाली बाल्टी आती है, इससे कर लो। दिलीप: कोई-कोई ऐसा भी करता है, पहले अंगूठा लगवा लेता है। इस काटे पर वह उसी हिसाब से अनाज रखते हैं। जिस पर मशीन है वह कांटा फिक्स है, दूसरे कांटे से कम करके दे देते हैं। बाल्टी से बंट रहा था राशन इसके बाद हम हसनगंज ब्लॉक के ग्राम आलमपुर लतीफपुर उर्फ मुन्नीखेड़ा गांव के कोटेदार विनय सिंह की दुकान पर पहुंचे। इनके यहां कुल 497 कार्डधारक और 2215 रजिस्टर्ड लाभार्थी हैं। यहां पर राशन प्लास्टिक की बाल्टी में तौला जा रहा था। इसमें हर कार्ड की एक तौल पर 800 ग्राम तक कम राशन दिया जा रहा था। बेटा आपूर्ति विभाग में बाबू- पूरा ट्रक राशन बेच देते थे हमारी इन्वेस्टिगेशन में बाराबंकी में एक कोटेदार ऐसा भी मिला, जिसने पूरा ट्रक राशन बेचने का दावा किया। नवाबगंज तहसील क्षेत्र में ओबरी के कोटेदार आशीष यादव के यहां हमारी मुलाकात उसके से हुई। उन्होंने बताया कोटा हमारा बेटा आशीष चलाता है। वह खुद आपूर्ति विभाग कार्यालय में 25 नंबर कमरे में बैठते हैं। वही सब देखते हैं। उन्होंने बताया कि पहले हम राशन का पूरा ट्रक मिल ले जाकर बेच देते थे, अधिकारी सामने खड़े रहते थे। साथ ही उन्होंने सलाह दी कि तुम आशीष से मिल लो वह सब कुछ बता देंगे। कुल मिला के नुकसान नहीं होगा। (TC-07.20-07.40) कोटेदारों को भी पूरा नहीं मिलता राशन इसी तरह से कासगंज जिले में पटियाली तहसील के ग्राम द्विवरैया के निवासी और राशन डीलर विवेक कुमार हैं। इनके पिता कृपाल सिंह की भी राशन की दुकान है। कृपाल सिंह 19 साल से मझोला में दुकान चला रहे हैं। कृपाल सिंह और विवेक के पास 500 -500 कार्डों का राशन पहुंचता है। कृपाल सिंह के मुताबिक कभी-कभी जब राशन आता है तो राशन देने वाले लोग (विभाग) 45 किलो, 48 किलो और आधी भी बोरी दे देते हैं। जब राशन तराजू से मिलता है, तो सही मिल जाता है। कोटेदार विवेक ने बताया कम राशन मिलने की कोई शिकायत नहीं करता है। हमारे अकेले के कहे कुछ नहीं होगा। जैसे सबका चल रहा है, वैसे मेरा चल रहा है। अगर हम लोग कुछ कहेंगे तो हम लोगों को आड़े ले लिया जाएगा। कृपाल सिंह हमें घटतौली के बारे में बताते हैं। कृपाल सिंह: बोरा… 45 किलो का आता है, 49 किलो का आता है, 48 का भी आता है। आधी बोरी भी डाल देते हैं। तौलके आ जाता है, तो सही रहता है, अन्यथा ऐसे ही आता है। रिपोर्टर: मान लीजिए आपका 2500 किलो राशन आता है, पूरा एवरेज क्या निकलता है? विवेक: पूरी बोरी 50 किलो 600 ग्राम की होनी चाहिए। कृपाल सिंह: अगर कांटे पर कम बोरा आ गया, तो कहते हैं अरे यार सही है तुम ले जाओ। शिकायत आने पर मैनेज करते हैं अधिकारी
कोटेदार राशन चोरी से होने वाली कमाई का एक हिस्सा हर महीने अधिकारियों को भी देते हैं। अगर उनके खिलाफ कोई शिकायत हो जाती है तो अधिकारी सब संभाल लेते हैं। कृपाल सिंह और विवेक बताते हैं कि अगर कोई शिकायत करता है, तो एक-दो शिकायत अधिकारी मैनेज कर देते हैं, लेकिन बदले में उनको राशन देना पड़ता है। हालांकि इससे स्टॉक कम हो जाता है, जिसे घटतौली से पूरा करना पड़ता है। ————————————— ———————— ये खबर भी पढ़िए… UP में 3 लाख में लड़की-5 लाख में लड़का खरीदिए, बच्ची सांवली है, 30 हजार कम दे देना… कैमरे पर मासूमों का सौदा यूपी में चाइल्ड ट्रैफिकिंग गैंग मासूम बच्चों की सौदा कर रहे हैं। गैंग तक पहुंचने में दैनिक भास्कर टीम को 20 दिन लगे। हमारा रिपोर्टर नि:संतान बनकर इस गिरोह तक पहुंचा। लखनऊ में बच्ची की डिलीवरी तय की गई। गैंग की दूसरी महिला सदस्य दिल्ली से बच्ची लेकर आई। उसने कहा, ‘बच्ची सांवली है… इसको जॉनसन बेबी पाउडर लगाना, आठ दिन में गोरी हो जाएगी। इसका रेट 30 हजार कम करा देंगे। ज्यादा सुंदर बच्चा चाहिए तो मई तक रुक जाइए। हमारी एक पार्टी का सातवां महीना चल रहा है। पांच हजार रुपए में लखीमपुर से पता लगा लेंगे कि बड़ी फाइल (बेटा) है या छोटी फाइल (बेटी)।’ पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
यूपी में रिमोट कंट्रोल से राशन चुरा रहे कोटेदार:हाईटेक सिस्टम का कोटेदारों ने निकाला तोड़; भास्कर के हिडन कैमरे पर कबूलनामा
