फरीदाबाद में आज नगर निगम ने मस्जिद और अवैध निर्माणों को गिराया। ये कार्रवाई बड़खल गांव से लगी जमाई कॉलोनी में की गई। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में अवैध निर्माणों को गिराया गया। इसमें 50 वर्ष पुरानी अक्सा मस्जिद भी शामिल थी। स्थानीय निवासी मुस्ताक ने बताया कि सुबह भारी पुलिस बल और निगम की टीम पहुंची। टीम ने कुछ छोटे अवैध निर्माणों को गिराने के बाद मस्जिद को निशाना बनाया। स्थानीय निवासी मुस्ताक के अनुसार, विवादित जमीन का मालिकाना हक बड़खल गांव का है, जबकि नगर निगम भी इस पर अपना दावा करता है। यह मामला पिछले 20-25 साल से पहले हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। मस्जिद की जमीन बड़खल गांव के पूर्व सरपंच रक्का ने दी थी। कुल 600-700 गज जमीन में से मस्जिद 40×80 वर्ग गज क्षेत्र में बनी थी। बड़खल गांव की तरफ से 17-18 लोगों की एक कमेटी इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रही है। मुस्ताक ने बताया कि कुछ समय पहले नगर निगम ने क्षेत्र में बाउंड्री वॉल बनाई थी। उस समय मस्जिद को यह कहकर छोड़ दिया गया था कि इस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। उनका कहना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से कोई अंतिम फैसला नहीं आया है, तब तक की गई यह कार्रवाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। फरीदाबाद में आज नगर निगम ने मस्जिद और अवैध निर्माणों को गिराया। ये कार्रवाई बड़खल गांव से लगी जमाई कॉलोनी में की गई। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में अवैध निर्माणों को गिराया गया। इसमें 50 वर्ष पुरानी अक्सा मस्जिद भी शामिल थी। स्थानीय निवासी मुस्ताक ने बताया कि सुबह भारी पुलिस बल और निगम की टीम पहुंची। टीम ने कुछ छोटे अवैध निर्माणों को गिराने के बाद मस्जिद को निशाना बनाया। स्थानीय निवासी मुस्ताक के अनुसार, विवादित जमीन का मालिकाना हक बड़खल गांव का है, जबकि नगर निगम भी इस पर अपना दावा करता है। यह मामला पिछले 20-25 साल से पहले हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। मस्जिद की जमीन बड़खल गांव के पूर्व सरपंच रक्का ने दी थी। कुल 600-700 गज जमीन में से मस्जिद 40×80 वर्ग गज क्षेत्र में बनी थी। बड़खल गांव की तरफ से 17-18 लोगों की एक कमेटी इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रही है। मुस्ताक ने बताया कि कुछ समय पहले नगर निगम ने क्षेत्र में बाउंड्री वॉल बनाई थी। उस समय मस्जिद को यह कहकर छोड़ दिया गया था कि इस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। उनका कहना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से कोई अंतिम फैसला नहीं आया है, तब तक की गई यह कार्रवाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
