बुजुर्ग मां को काशी में फेंकने वाली बेटी-दामाद का सच:बेटी बोली- हां, छोड़ा तो क्या गलत किया; वो चिल्लाती हैं, रात में घर से भाग जाती हैं

बुजुर्ग मां को काशी में फेंकने वाली बेटी-दामाद का सच:बेटी बोली- हां, छोड़ा तो क्या गलत किया; वो चिल्लाती हैं, रात में घर से भाग जाती हैं

कानपुर के शिवाला में रहने वाली 74 साल की बुजुर्ग महिला इंदिरा देवी को बीमार हालात में उनकी बेटी और दामाद काशी में एक घाट के पास व्हीलचेयर पर छोड़ आए। काशी के एक समाजसेवी ने सोशल मीडिया पर इसका वीडियो पोस्ट किया। लिखा- कानपुर की इस बुजुर्ग मां को उनकी बेटी और दामाद फेंक कर चले गए हैं। इनको तो हम आश्रम में रखवा देंगे, लेकिन इस वीडियो को कानपुर तक इतना फैला दो कि उन लोगों को शर्म आ जाए। दैनिक भास्कर के हाथ यह वीडियो लगा, तो इस बुजुर्ग महिला के घर शिवाला की सब्जी मंडी के पास पहुंचे। इस वक्त तक लोगों को काशी में बुजुर्ग महिला को छोड़ने की जानकारी मिल चुकी थी। आक्रोशित लोग घर के पास इकट्‌ठा हो गए। घर में मौजूद बेटी ने पहले बात करने से मना कर दिया। कैमरे पर उन्हें समझ नहीं आया कि क्या जवाब दें। फिर उन्होंने खुद ही काशी में मां को छोड़कर आने की हकीकत को स्वीकार किया।पढ़िए रिपोर्ट… पहले बेटी की बात बेटी बोली- हां, ये हमारी अम्मा का वीडियो है
उनकी बेटी रीता उर्फ रंजीता घर से बाहर आईं। उन्हें बुजुर्ग महिला का वीडियो दिखाया, तो उन्होंने कहा- इन्हें मैं जानती नहीं हूं। मगर पड़ोसियों के आने के बाद वो अपनी मां को पहचानने से इनकार नहीं कर सकीं। बोलीं- हां ये तो अम्मा का वीडियो है। इसके बाद वो कैमरे और माइक पर सवालों के जवाब देने की बजाए अपने पति को फोन करने लगीं। कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। पति आदर्श ने फोन पर कहा कि कल आना, जब हम घर आएंगे, तब जवाब देंगे, लेकिन मोहल्ले के लोगों के आक्रोश और गुस्से के चलते रीता को मजबूरी में जवाब देना पड़ा। बेटी ने कहा- वो आधी रात को घर छोड़कर चली जातीं, हम परेशान हो गए थे
दैनिक भास्कर की टीम ने जब सवाल पूछा कि काशी में अपने घर की बुजुर्ग महिला को क्यों छोड़कर आ गई? रीता ने कहा- मेरी मर्जी है, हमने परेशान होकर छोड़ दिया…ठीक है। हमको हमारे हाल पर छोड़ दो। वो खुद चिल्लाती हैं, वो आधी-आधी रात को घर से बाहर निकल जाती थीं, हम लोग रात में उठ-उठ के भागते थे। एक दिन तो कुत्तों ने उन्हें घेर लिया। फिर वह अपने पड़ोसियों की तरफ देखकर बोलीं- ये सब भी तो तुम लोग बताओ। हम उन्हें आश्रम में छोड़कर आए
रीता ने कहा- हम लोगों ने उन्हें बेसहारा छोड़कर नहीं आए थे। हमने उन्हें एक आश्रम में छोड़ा था। हमने पूछा- आप लोग उन्हें किस आश्रम में और कहां पर छोड़कर आए थे? इसका वो जवाब नहीं दे सकीं। फिर उन्होंने कहा- वहां किसी व्यक्ति को दिया था। हमने पूछा कि वो कौन व्यक्ति था, जिसे आश्रम ले जाने के लिए दिया था? रीता के पास इसका भी कोई जवाब नहीं था। हमारी दादी 102 साल की थी, तो क्या हम उन्हें छोड़ आए कानपुर में पड़ोसी राहुल ने गुस्से में कहा- हमारी दादी तो 102 साल की थीं, लेकिन हम लोगों ने आखिरी सांस तक उनका साथ नहीं छोड़ा। उनकी स्थिति तो इससे भी ज्यादा गंभीर थी। वो कहीं भी पोटी कर देती थीं, कहीं भी भाग जाती थीं, वो तो दूर-दूर चली जाती थीं। हम ढूंढ़कर लाते थे। पड़ोसी संतोष कुमार ने कहा- मैं आपको पहले गाल पर तमाचा मार दूं, जब आप मारने आएं, तब मैं वीडियो बना लूं। कहने का मतलब ये है कि हो सकता है, इनके परिवार के लोग इन्हें प्रताड़ित करते हो, ये बताइए आपकी मां आपको परेशान करेंगी तो आप वीडियो बनाएंगे कि उनका इलाज करवाएंगे। मेरी मां परेशान करेंगी या पोटी करेंगी तो मैं उनकी सेवा करूंगा कि उनका वीडियो बनाऊंगा। इसके बाद बेटी रंजीता ने कहा- हमें डॉक्टर को दिखाना पड़ता है, इसलिए वीडियो भी बनाए थे। कानपुर में पड़ोसियों ने क्या कहा… अब बात काशी से… दैनिक भास्कर ने दर्द से कराह रहीं महिला को मंडलीय चिकित्सालय लाने वाले सतीश और उन्हें घाट पर देखने वाले राजू से बात की और महिला का दर्द जाना…। सफाई सुपरवाइजर बोले- उनकी पीठ, हाथ पर मार के निशान थे
मणिकर्णिका घाट पर नगर निगम की तरफ से नियुक्त सफाई सुपरवाइजर सतीश कुमार गुप्ता और उनकी टीम ने रविवार शाम से लेकर मंगलवार शाम तक कानपुर की बुजुर्ग महिला इंद्रावती देवी की सेवा की। अब उन्हें अस्पताल में लावारिस वार्ड में एडमिट कराया है। उन्होंने कहा- मैंने अपनी महिला कर्मचारियों को लगाकर उन्हें नहलवाया और उनके कपड़े बदलवाए। उनकी पीठ, हाथ हर जगह मार के निशान हैं। इसके बाद उनसे बातचीत की तो उन्होंने खुद को कानपुर के पटकापुर का बताया। लेकिन, जब उनसे यह पूछा कि आप को कौन यहां लेकर आया तो वो कुछ नहीं बोलीं। बस ताकने लगीं। इस पर हमने समाजसेवी अमन को फोन किया। फिर उन्हें हम अस्पताल ले आए। राजू बोले- वो लोग हमारे सामने इन्हें छोड़ गए
मणिकर्णिका घाट पर अपने दोस्त की दुकान पर रोजाना आने वाले राजू ने बताया-रविवार की शाम हम अपने दोस्त गणेशू की दुकान पर रोजाना की तरह बैठे थे। उसी समय एक महिला, एक पुरुष और दो बच्चे एक दादी को व्हीलचेयर पर लेकर आए। जो बेसुध दिख रहीं थीं। घाट किनारे व्हीलचेयर लगाकर उन्हें उतारा और पत्थर की टेक लगाकर बैठा दिया। इसके बाद उनका मुंह धुलाया। राजू ने बताया-15-20 मिनट बाद नजर पड़ी तो दादी अकेले बैठी मिलीं। हमने उस ओर ध्यान नहीं दिया। सोचा कि यात्री हैं साथ के लोग दर्शन को गए होंगे। ये बुजुर्ग हैं चल नहीं पा रही होंगी इसलिए नहीं गयी। वहां वो लोग भी नहीं थे जो उन्हें व्हीलचेयर पर लाए थे। न ही व्हीलचेयर थी। इसके बाद रात हुई फिर भी कोई उन्हें लेने नहीं आया। हम लोग उनके पास पहुंचे तो वो कुछ बोल नहीं पाईं। बेसुध हाल में पड़ी रहीं। इसके बाद रात हुई और घाट पर सन्नाटा हो गया। सुबह भी उसी जगह मिलीं बुजुर्ग
सोमवार यानी 14 अप्रैल की सुबह घाट के लोगों ने उसे वहीं देखा। घाट के सफाई सुपरवाइजर सतीश कुमार गुप्ता ने उनसे नाम-पता पूछा तो वो कुछ बोली नहीं। फिर उन्होंने अपनी महिला सफाई कर्मियों से उनसे बात करने को कहा तो वो शौच के लिए गईं। जहां वो खूब रोईं। देखने के बाद रोने लगीं थीं इंद्रावती
सतीश ने बताया-सुबह जब हम अपनी टीम के साथ घाट पर पहुंचे, तो बुजुर्ग महिला जिसके पैर में चोट लगी थी। उससे हमने कुछ जनाना चाहा तो वो कराह रही थी। कुछ कहना चाह रही थी। जिस पर महिला कर्मचारियों ने उससे बात पूछी तो उसने शौच जाने की बात कही। बेटी-दामाद लेकर आए थे काशी
सतीश ने बताया-जब उन्हें हमने दर्द की दवा दी तो वो थोड़ा रिलैक्स हुईं। इस पर हमने उनसे बातचीत की तो उन्होंने बताया वो कानपुर के पटकापुर की रहने वाली हैं। हमने पूछा लड़का है तो बोली नहीं एक लड़की और दामाद हैं और कोई नहीं है। उनकी एक आंख में मोतियाबिंद हैं। महिला के पास से एक बैग और एक झोला भी मिला है। जिसमें उसकी गिलास और प्लेट के अलावा कटोरी, चम्मच और कपड़े हैं। बैग में एक भी रुपया नहीं है। पूछने पर भी नहीं बताया बेटी का नाम
सतीश ने बताया-हमने उनसे पूछा कि आप की बेटी का नाम क्या है? तो उन्होंने कुछ नहीं बताया और उनकी आंखों से आंसू छलक उठा। जब हमने कहा कि आप को घर पहुंचा देंगे तो वो खामोश हो गईं और फिर कुछ नहीं बताया। उन्होंने बस अपने पति का नाम राजकुमार बताया। महिला कर्मियों ने बदले कपड़े तो सामने आया दर्द
सफाईकर्मी शालू ने बताया- माता जी को आज हमने और प्रमिला दीदी ने स्नान कराया और कपड़े बदले। उनके बदन पर चोट के ऐसे निशान हैं। जैसे उन्हें लाठी और डंडे या बेल्ट से मारा गया है। पीठ और हाथ पर चोट के निशान काले पड़ गए हैं। उसे छूने में भी वो दर्द से कराह जा रही थीं। हमने कैसे-कैसे उन्हें नहलाया और कपड़े पहनाए। मोतियाबिंद के साथ ही साथ शुगर और हाईबीपी की पेशेंट हैं इंद्रा
मंडलीय चिकित्सालय के इमरजेंसी में तैनात डॉ एके मणि ने बताया- महिला बुजुर्ग और कमजोर हैं। बीपी की शिकायत है शुगर भी है। ऐसे में उन्हें एडमिट किया गया है। एक से दो दिन में वो नार्मल हो जाएंगी। —————————- ये खबर भी पढ़ें- यूपी के 22 SP के पास खुद का घर नहीं:कन्नौज एसपी सबसे अमीर; जानिए प्रदेश के सभी कप्तानों के पास कितनी प्रॉपर्टी यूपी में तैनात IPS अफसरों में से किसी के पास आलीशान बंगले हैं, तो किसी के पास 31 एकड़ तक खेती की जमीन है। प्रदेश के 68 जिलों के पुलिस कप्तानों की प्रॉपर्टी करोड़ों में है। ये फैक्ट IPS अफसरों की केंद्र सरकार को दी गई जानकारी में सामने आए हैं। पढ़ें पूरी खबर कानपुर के शिवाला में रहने वाली 74 साल की बुजुर्ग महिला इंदिरा देवी को बीमार हालात में उनकी बेटी और दामाद काशी में एक घाट के पास व्हीलचेयर पर छोड़ आए। काशी के एक समाजसेवी ने सोशल मीडिया पर इसका वीडियो पोस्ट किया। लिखा- कानपुर की इस बुजुर्ग मां को उनकी बेटी और दामाद फेंक कर चले गए हैं। इनको तो हम आश्रम में रखवा देंगे, लेकिन इस वीडियो को कानपुर तक इतना फैला दो कि उन लोगों को शर्म आ जाए। दैनिक भास्कर के हाथ यह वीडियो लगा, तो इस बुजुर्ग महिला के घर शिवाला की सब्जी मंडी के पास पहुंचे। इस वक्त तक लोगों को काशी में बुजुर्ग महिला को छोड़ने की जानकारी मिल चुकी थी। आक्रोशित लोग घर के पास इकट्‌ठा हो गए। घर में मौजूद बेटी ने पहले बात करने से मना कर दिया। कैमरे पर उन्हें समझ नहीं आया कि क्या जवाब दें। फिर उन्होंने खुद ही काशी में मां को छोड़कर आने की हकीकत को स्वीकार किया।पढ़िए रिपोर्ट… पहले बेटी की बात बेटी बोली- हां, ये हमारी अम्मा का वीडियो है
उनकी बेटी रीता उर्फ रंजीता घर से बाहर आईं। उन्हें बुजुर्ग महिला का वीडियो दिखाया, तो उन्होंने कहा- इन्हें मैं जानती नहीं हूं। मगर पड़ोसियों के आने के बाद वो अपनी मां को पहचानने से इनकार नहीं कर सकीं। बोलीं- हां ये तो अम्मा का वीडियो है। इसके बाद वो कैमरे और माइक पर सवालों के जवाब देने की बजाए अपने पति को फोन करने लगीं। कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। पति आदर्श ने फोन पर कहा कि कल आना, जब हम घर आएंगे, तब जवाब देंगे, लेकिन मोहल्ले के लोगों के आक्रोश और गुस्से के चलते रीता को मजबूरी में जवाब देना पड़ा। बेटी ने कहा- वो आधी रात को घर छोड़कर चली जातीं, हम परेशान हो गए थे
दैनिक भास्कर की टीम ने जब सवाल पूछा कि काशी में अपने घर की बुजुर्ग महिला को क्यों छोड़कर आ गई? रीता ने कहा- मेरी मर्जी है, हमने परेशान होकर छोड़ दिया…ठीक है। हमको हमारे हाल पर छोड़ दो। वो खुद चिल्लाती हैं, वो आधी-आधी रात को घर से बाहर निकल जाती थीं, हम लोग रात में उठ-उठ के भागते थे। एक दिन तो कुत्तों ने उन्हें घेर लिया। फिर वह अपने पड़ोसियों की तरफ देखकर बोलीं- ये सब भी तो तुम लोग बताओ। हम उन्हें आश्रम में छोड़कर आए
रीता ने कहा- हम लोगों ने उन्हें बेसहारा छोड़कर नहीं आए थे। हमने उन्हें एक आश्रम में छोड़ा था। हमने पूछा- आप लोग उन्हें किस आश्रम में और कहां पर छोड़कर आए थे? इसका वो जवाब नहीं दे सकीं। फिर उन्होंने कहा- वहां किसी व्यक्ति को दिया था। हमने पूछा कि वो कौन व्यक्ति था, जिसे आश्रम ले जाने के लिए दिया था? रीता के पास इसका भी कोई जवाब नहीं था। हमारी दादी 102 साल की थी, तो क्या हम उन्हें छोड़ आए कानपुर में पड़ोसी राहुल ने गुस्से में कहा- हमारी दादी तो 102 साल की थीं, लेकिन हम लोगों ने आखिरी सांस तक उनका साथ नहीं छोड़ा। उनकी स्थिति तो इससे भी ज्यादा गंभीर थी। वो कहीं भी पोटी कर देती थीं, कहीं भी भाग जाती थीं, वो तो दूर-दूर चली जाती थीं। हम ढूंढ़कर लाते थे। पड़ोसी संतोष कुमार ने कहा- मैं आपको पहले गाल पर तमाचा मार दूं, जब आप मारने आएं, तब मैं वीडियो बना लूं। कहने का मतलब ये है कि हो सकता है, इनके परिवार के लोग इन्हें प्रताड़ित करते हो, ये बताइए आपकी मां आपको परेशान करेंगी तो आप वीडियो बनाएंगे कि उनका इलाज करवाएंगे। मेरी मां परेशान करेंगी या पोटी करेंगी तो मैं उनकी सेवा करूंगा कि उनका वीडियो बनाऊंगा। इसके बाद बेटी रंजीता ने कहा- हमें डॉक्टर को दिखाना पड़ता है, इसलिए वीडियो भी बनाए थे। कानपुर में पड़ोसियों ने क्या कहा… अब बात काशी से… दैनिक भास्कर ने दर्द से कराह रहीं महिला को मंडलीय चिकित्सालय लाने वाले सतीश और उन्हें घाट पर देखने वाले राजू से बात की और महिला का दर्द जाना…। सफाई सुपरवाइजर बोले- उनकी पीठ, हाथ पर मार के निशान थे
मणिकर्णिका घाट पर नगर निगम की तरफ से नियुक्त सफाई सुपरवाइजर सतीश कुमार गुप्ता और उनकी टीम ने रविवार शाम से लेकर मंगलवार शाम तक कानपुर की बुजुर्ग महिला इंद्रावती देवी की सेवा की। अब उन्हें अस्पताल में लावारिस वार्ड में एडमिट कराया है। उन्होंने कहा- मैंने अपनी महिला कर्मचारियों को लगाकर उन्हें नहलवाया और उनके कपड़े बदलवाए। उनकी पीठ, हाथ हर जगह मार के निशान हैं। इसके बाद उनसे बातचीत की तो उन्होंने खुद को कानपुर के पटकापुर का बताया। लेकिन, जब उनसे यह पूछा कि आप को कौन यहां लेकर आया तो वो कुछ नहीं बोलीं। बस ताकने लगीं। इस पर हमने समाजसेवी अमन को फोन किया। फिर उन्हें हम अस्पताल ले आए। राजू बोले- वो लोग हमारे सामने इन्हें छोड़ गए
मणिकर्णिका घाट पर अपने दोस्त की दुकान पर रोजाना आने वाले राजू ने बताया-रविवार की शाम हम अपने दोस्त गणेशू की दुकान पर रोजाना की तरह बैठे थे। उसी समय एक महिला, एक पुरुष और दो बच्चे एक दादी को व्हीलचेयर पर लेकर आए। जो बेसुध दिख रहीं थीं। घाट किनारे व्हीलचेयर लगाकर उन्हें उतारा और पत्थर की टेक लगाकर बैठा दिया। इसके बाद उनका मुंह धुलाया। राजू ने बताया-15-20 मिनट बाद नजर पड़ी तो दादी अकेले बैठी मिलीं। हमने उस ओर ध्यान नहीं दिया। सोचा कि यात्री हैं साथ के लोग दर्शन को गए होंगे। ये बुजुर्ग हैं चल नहीं पा रही होंगी इसलिए नहीं गयी। वहां वो लोग भी नहीं थे जो उन्हें व्हीलचेयर पर लाए थे। न ही व्हीलचेयर थी। इसके बाद रात हुई फिर भी कोई उन्हें लेने नहीं आया। हम लोग उनके पास पहुंचे तो वो कुछ बोल नहीं पाईं। बेसुध हाल में पड़ी रहीं। इसके बाद रात हुई और घाट पर सन्नाटा हो गया। सुबह भी उसी जगह मिलीं बुजुर्ग
सोमवार यानी 14 अप्रैल की सुबह घाट के लोगों ने उसे वहीं देखा। घाट के सफाई सुपरवाइजर सतीश कुमार गुप्ता ने उनसे नाम-पता पूछा तो वो कुछ बोली नहीं। फिर उन्होंने अपनी महिला सफाई कर्मियों से उनसे बात करने को कहा तो वो शौच के लिए गईं। जहां वो खूब रोईं। देखने के बाद रोने लगीं थीं इंद्रावती
सतीश ने बताया-सुबह जब हम अपनी टीम के साथ घाट पर पहुंचे, तो बुजुर्ग महिला जिसके पैर में चोट लगी थी। उससे हमने कुछ जनाना चाहा तो वो कराह रही थी। कुछ कहना चाह रही थी। जिस पर महिला कर्मचारियों ने उससे बात पूछी तो उसने शौच जाने की बात कही। बेटी-दामाद लेकर आए थे काशी
सतीश ने बताया-जब उन्हें हमने दर्द की दवा दी तो वो थोड़ा रिलैक्स हुईं। इस पर हमने उनसे बातचीत की तो उन्होंने बताया वो कानपुर के पटकापुर की रहने वाली हैं। हमने पूछा लड़का है तो बोली नहीं एक लड़की और दामाद हैं और कोई नहीं है। उनकी एक आंख में मोतियाबिंद हैं। महिला के पास से एक बैग और एक झोला भी मिला है। जिसमें उसकी गिलास और प्लेट के अलावा कटोरी, चम्मच और कपड़े हैं। बैग में एक भी रुपया नहीं है। पूछने पर भी नहीं बताया बेटी का नाम
सतीश ने बताया-हमने उनसे पूछा कि आप की बेटी का नाम क्या है? तो उन्होंने कुछ नहीं बताया और उनकी आंखों से आंसू छलक उठा। जब हमने कहा कि आप को घर पहुंचा देंगे तो वो खामोश हो गईं और फिर कुछ नहीं बताया। उन्होंने बस अपने पति का नाम राजकुमार बताया। महिला कर्मियों ने बदले कपड़े तो सामने आया दर्द
सफाईकर्मी शालू ने बताया- माता जी को आज हमने और प्रमिला दीदी ने स्नान कराया और कपड़े बदले। उनके बदन पर चोट के ऐसे निशान हैं। जैसे उन्हें लाठी और डंडे या बेल्ट से मारा गया है। पीठ और हाथ पर चोट के निशान काले पड़ गए हैं। उसे छूने में भी वो दर्द से कराह जा रही थीं। हमने कैसे-कैसे उन्हें नहलाया और कपड़े पहनाए। मोतियाबिंद के साथ ही साथ शुगर और हाईबीपी की पेशेंट हैं इंद्रा
मंडलीय चिकित्सालय के इमरजेंसी में तैनात डॉ एके मणि ने बताया- महिला बुजुर्ग और कमजोर हैं। बीपी की शिकायत है शुगर भी है। ऐसे में उन्हें एडमिट किया गया है। एक से दो दिन में वो नार्मल हो जाएंगी। —————————- ये खबर भी पढ़ें- यूपी के 22 SP के पास खुद का घर नहीं:कन्नौज एसपी सबसे अमीर; जानिए प्रदेश के सभी कप्तानों के पास कितनी प्रॉपर्टी यूपी में तैनात IPS अफसरों में से किसी के पास आलीशान बंगले हैं, तो किसी के पास 31 एकड़ तक खेती की जमीन है। प्रदेश के 68 जिलों के पुलिस कप्तानों की प्रॉपर्टी करोड़ों में है। ये फैक्ट IPS अफसरों की केंद्र सरकार को दी गई जानकारी में सामने आए हैं। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर