<p style=”text-align: justify;”><strong>Mumbai Police:</strong> डिजिटल अरेस्ट से अगर डर लगता है तो आपकी रक्षा के लिए मुंबई पुलिस ने तैनात किए हैं डिजिटल रक्षक. यह टीम आपकी तब मदद करेगी जब आपको किसी अज्ञात शख्स का कॉल आता है और वह शख्स अपने आप को किसी भी राज्य का या किसी भी एजेंसी का अधिकारी बातकर आपको गिरफ्तारी का नोटिस देता है. ऐसी सूरत में आप मुंबई पुलिस के डिजिटल रक्षक से संपर्क करेंगे तब पुलिस तुरंत उस शख्स की असलियत की पहचान कर आपको सतर्क कर देगी कि वो असली पुलिस है या नकली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुम्बई क्राइम ब्रांच के डीसीपी दत्ता नालावड़े ने बताया कि मुंबई पुलिस ने डिजिटल रक्षक नाम से एक हेल्प लाइन शुरू की है जिसमे दो मोबाइल नंबर्स हैं. मुंबई के लोगों के लिए इस हेल्पलाइन का मुख्य उद्देश्य यह है कई बार साइबर ठग खुद को सरकारी अधिकारी बात कर जैसे की सीबीआई ईडी कस्टम या फिर किसी राज्य के पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को फोन करते हैं और उन्हें डराते हैं कि उनके अकाउंट से मनी लॉन्ड्रिंग हुई है या फिर उनके नाम का कोई पार्सल आया है, जिसमें ड्रग्स था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐसा बात कर उन्हें कहते हैं कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है, ऐसा बात कर उन्हें फर्जी FIR की कॉपी भेजते हैं और इसके साथ ही उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ है, ऐसा भी बात कर वारंट की कॉपी भी व्हाट्सएप पर भेज देते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नालावडे ने बताया कि ऐसा बात कर साइबर ठग विक्टिम को एक जगह पर बैठने को कहते हैं और कहते हैं कि उसे हाउस अरेस्ट किया गया है, जिसे डिजिटल अरेस्ट का नाम दिया गया है लेकिन इस तरह का अरेस्ट का प्रावधान कानून में नहीं है अगर आपको कोई इस तरह से कहता है तो उसे आप मत मानिए और समझ जाइए कि वह साइबर ठग है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इतना ही नहीं आपको अगर वेरीफाई करना है तो मुंबई पुलिस की डिजिटल रक्षक नाम की हेल्पलाइन पर आप कॉल करिए और दिए गए नंबर पर वारंट, नोटिस और FIR की कॉपी भेज दीजिए जिसे मुंबई पुलिस वेरीफाई कर आगे की कार्रवाई करेगी. डिजिटल रक्षक की जो हेल्प लाइन नंबर है वो इस प्रकार है 7715004444 और 7400086666</p>
<p style=”text-align: justify;”>एबीपी न्यूज़ की टीम इसी डिजिटल रक्षक हेल्पलाइन के कंट्रोल रूम पहुंची, जहां पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी दत्ताराम चव्हाण से बातचीत की जिन्हें बताया कि इस हेल्पलाइन में दो पुलिस कर्मचारी और एक अधिकारी को तैनात किया गया है जो कॉलेज की कॉल को रिसीव करेंगे और उन्हें डिजिटल अरेस्ट होने से पहले ही बचा लिया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हमारे पास सिस्टम है कि जब भी हमें कोई शिकायत करता हमारे व्हाट्सएप नंबर पर साइबर ठाकुर द्वारा भेजे गए फिर नोटिस या फिर वारंट की कॉपी भेजेंगे तो हम उसे तुरंत उसे एजेंसी से बात करके वेरीफाई कर लेंगे और बताएंगे कि यह असली है या नकली, कई बार हमने देखा है कि शिकायतकर्ता किस तरह के कॉल आने के बाद ट्राॅमाटाइज हो जाते हैं डर जाते हैं ऐसी सूरत में हम उनके घर भी जाएंगे और उनके साथ खड़े रहेंगे उनके साथ अगर कोई साइबर ठग इस तरह से ठीक करने की कोशिश करता है तो हम उसे बचाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>चव्हाण ने आगे बताया कि डिजिटल अरेस्ट यह मुद्दा काफी गंभीर है अगर आंकड़ों की माने तो पिछले साल डिजिटल अरेस्ट के 195 मामले सामने आए जिसमे उनका 137 करोड़ रुपये की ठगी हुई वहीं इस साल अब तक डिजिटल अरेस्ट के कुल 70 मामले सामने आए हैं जिसमे शिजयतकर्ताओं ने 76 करोड़ रुपये गवाएं हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/hindi-language-mandatory-sanjay-nirupam-targets-raj-thackeray-mns-2927598″>एक तरफ शिंदे की मुलाकात, दूसरी तरफ शिवसेना का राज ठाकरे की पार्टी पर हमला, हिंदी पर सियासत तेज</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Mumbai Police:</strong> डिजिटल अरेस्ट से अगर डर लगता है तो आपकी रक्षा के लिए मुंबई पुलिस ने तैनात किए हैं डिजिटल रक्षक. यह टीम आपकी तब मदद करेगी जब आपको किसी अज्ञात शख्स का कॉल आता है और वह शख्स अपने आप को किसी भी राज्य का या किसी भी एजेंसी का अधिकारी बातकर आपको गिरफ्तारी का नोटिस देता है. ऐसी सूरत में आप मुंबई पुलिस के डिजिटल रक्षक से संपर्क करेंगे तब पुलिस तुरंत उस शख्स की असलियत की पहचान कर आपको सतर्क कर देगी कि वो असली पुलिस है या नकली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुम्बई क्राइम ब्रांच के डीसीपी दत्ता नालावड़े ने बताया कि मुंबई पुलिस ने डिजिटल रक्षक नाम से एक हेल्प लाइन शुरू की है जिसमे दो मोबाइल नंबर्स हैं. मुंबई के लोगों के लिए इस हेल्पलाइन का मुख्य उद्देश्य यह है कई बार साइबर ठग खुद को सरकारी अधिकारी बात कर जैसे की सीबीआई ईडी कस्टम या फिर किसी राज्य के पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को फोन करते हैं और उन्हें डराते हैं कि उनके अकाउंट से मनी लॉन्ड्रिंग हुई है या फिर उनके नाम का कोई पार्सल आया है, जिसमें ड्रग्स था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐसा बात कर उन्हें कहते हैं कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है, ऐसा बात कर उन्हें फर्जी FIR की कॉपी भेजते हैं और इसके साथ ही उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ है, ऐसा भी बात कर वारंट की कॉपी भी व्हाट्सएप पर भेज देते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नालावडे ने बताया कि ऐसा बात कर साइबर ठग विक्टिम को एक जगह पर बैठने को कहते हैं और कहते हैं कि उसे हाउस अरेस्ट किया गया है, जिसे डिजिटल अरेस्ट का नाम दिया गया है लेकिन इस तरह का अरेस्ट का प्रावधान कानून में नहीं है अगर आपको कोई इस तरह से कहता है तो उसे आप मत मानिए और समझ जाइए कि वह साइबर ठग है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इतना ही नहीं आपको अगर वेरीफाई करना है तो मुंबई पुलिस की डिजिटल रक्षक नाम की हेल्पलाइन पर आप कॉल करिए और दिए गए नंबर पर वारंट, नोटिस और FIR की कॉपी भेज दीजिए जिसे मुंबई पुलिस वेरीफाई कर आगे की कार्रवाई करेगी. डिजिटल रक्षक की जो हेल्प लाइन नंबर है वो इस प्रकार है 7715004444 और 7400086666</p>
<p style=”text-align: justify;”>एबीपी न्यूज़ की टीम इसी डिजिटल रक्षक हेल्पलाइन के कंट्रोल रूम पहुंची, जहां पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी दत्ताराम चव्हाण से बातचीत की जिन्हें बताया कि इस हेल्पलाइन में दो पुलिस कर्मचारी और एक अधिकारी को तैनात किया गया है जो कॉलेज की कॉल को रिसीव करेंगे और उन्हें डिजिटल अरेस्ट होने से पहले ही बचा लिया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हमारे पास सिस्टम है कि जब भी हमें कोई शिकायत करता हमारे व्हाट्सएप नंबर पर साइबर ठाकुर द्वारा भेजे गए फिर नोटिस या फिर वारंट की कॉपी भेजेंगे तो हम उसे तुरंत उसे एजेंसी से बात करके वेरीफाई कर लेंगे और बताएंगे कि यह असली है या नकली, कई बार हमने देखा है कि शिकायतकर्ता किस तरह के कॉल आने के बाद ट्राॅमाटाइज हो जाते हैं डर जाते हैं ऐसी सूरत में हम उनके घर भी जाएंगे और उनके साथ खड़े रहेंगे उनके साथ अगर कोई साइबर ठग इस तरह से ठीक करने की कोशिश करता है तो हम उसे बचाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>चव्हाण ने आगे बताया कि डिजिटल अरेस्ट यह मुद्दा काफी गंभीर है अगर आंकड़ों की माने तो पिछले साल डिजिटल अरेस्ट के 195 मामले सामने आए जिसमे उनका 137 करोड़ रुपये की ठगी हुई वहीं इस साल अब तक डिजिटल अरेस्ट के कुल 70 मामले सामने आए हैं जिसमे शिजयतकर्ताओं ने 76 करोड़ रुपये गवाएं हैं.</p>
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