यूपी के मौलाना का बड़ा बयान- अजनबी मर्दों से बाजार में मेहंदी लगवाना शरीयत के खिलाफ

यूपी के मौलाना का बड़ा बयान- अजनबी मर्दों से बाजार में मेहंदी लगवाना शरीयत के खिलाफ

<p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> शादियों के इस मौसम में एक नया धार्मिक मुद्दा चर्चा में आ गया है. देवबंद के वरिष्ठ देवबंदी उलेमा और जमीयत दावातुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने एक वीडियो बयान जारी कर मुस्लिम समाज को एक अहम शरीयती मसले पर आगाह किया है. उन्होंने कहा है कि मुस्लिम महिलाओं का बाजारों में जाकर गैर-महरम (अजनबी) मर्दों से मेंहदी लगवाना इस्लाम की शरीयत के खिलाफ है और इसे तुरंत रोकने की ज़रूरत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>क़ारी गोरा ने कहा कि इस्लाम में पर्दा और नामहरम से परहेज़ को बहुत अहमियत दी गई है. किसी भी गैर-महरम मर्द को यह इजाज़त नहीं है कि वह किसी मुस्लिम महिला के हाथ को छुए, चाहे वह किसी भी मकसद से हो &ndash; चाहे मेंहदी लगाना हो या चूड़ी पहनाना. उन्होंने कहा कि आजकल यह चलन आम होता जा रहा है कि महिलाएं सजने-संवरने के नाम पर बाज़ारों में जाकर ऐसे लोगों से मेंहदी लगवाती हैं, जो शरीयत की रोशनी में सरासर गलत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फतवे का हवाला दिया</strong><br />मौलाना ने इस सिलसिले में दारुल उलूम देवबंद के फतवे का हवाला भी दिया, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि किसी भी मुस्लिम महिला को गैर-महरम पुरुष से मेंहदी लगवाना और चूड़ी पहनना मना (हराम) है. उन्होंने कहा कि यह फतवा इस्लाम के उस मूल सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें महिलाओं को परदे का हुक्म और गैर-महरम से दूरी बरतने की सख्त ताकीद की गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने समाज के सभी लोगों से खासतौर पर महिलाओं से अपील की कि वो इस्लामी शिक्षाओं और फतवों का सम्मान करें और अपनी ज़िंदगी में शरीयत के निर्देशों को लागू करें. उन्होंने कहा कि रिवायतों और फैशन की आड़ में शरीयत के खिलाफ जाना दीनदारी नहीं, बल्कि बेपरवाही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-news-cheated-for-rs-12-lakh-by-giving-fake-paper-in-assistant-professor-recruitment-exam-arrested-ann-2929029″><strong>UP News: सहायक प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में फर्जी पेपर देकर 12 लाख की ठगी करने वाले गिरफ्तार</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>क़ारी गोरा ने कहा कि वक्त की ज़रूरत है कि हम अपने दीन को गहराई से समझें, और इस्लामी तहज़ीब व अदब को अपने जीवन में अपनाएं. शादी-ब्याह जैसे मौकों पर भी शरीयत का पालन जरूरी है, ताकि समाज में सही इस्लामी परंपराएं मजबूत हो सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि दारुल उलूम देवबंद भारत का सबसे बड़ा इस्लामी शिक्षा केंद्र है, जहां से समय-समय पर शरीयत के मुद्दों पर फतवे जारी किए जाते हैं. यहां से जारी फतवों को देश-विदेश में बड़ी संजीदगी से लिया जाता है. ऐसे में क़ारी गोरा का यह बयान मुस्लिम समाज में चेतना फैलाने वाला माना जा रहा है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> शादियों के इस मौसम में एक नया धार्मिक मुद्दा चर्चा में आ गया है. देवबंद के वरिष्ठ देवबंदी उलेमा और जमीयत दावातुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने एक वीडियो बयान जारी कर मुस्लिम समाज को एक अहम शरीयती मसले पर आगाह किया है. उन्होंने कहा है कि मुस्लिम महिलाओं का बाजारों में जाकर गैर-महरम (अजनबी) मर्दों से मेंहदी लगवाना इस्लाम की शरीयत के खिलाफ है और इसे तुरंत रोकने की ज़रूरत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>क़ारी गोरा ने कहा कि इस्लाम में पर्दा और नामहरम से परहेज़ को बहुत अहमियत दी गई है. किसी भी गैर-महरम मर्द को यह इजाज़त नहीं है कि वह किसी मुस्लिम महिला के हाथ को छुए, चाहे वह किसी भी मकसद से हो &ndash; चाहे मेंहदी लगाना हो या चूड़ी पहनाना. उन्होंने कहा कि आजकल यह चलन आम होता जा रहा है कि महिलाएं सजने-संवरने के नाम पर बाज़ारों में जाकर ऐसे लोगों से मेंहदी लगवाती हैं, जो शरीयत की रोशनी में सरासर गलत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फतवे का हवाला दिया</strong><br />मौलाना ने इस सिलसिले में दारुल उलूम देवबंद के फतवे का हवाला भी दिया, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि किसी भी मुस्लिम महिला को गैर-महरम पुरुष से मेंहदी लगवाना और चूड़ी पहनना मना (हराम) है. उन्होंने कहा कि यह फतवा इस्लाम के उस मूल सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें महिलाओं को परदे का हुक्म और गैर-महरम से दूरी बरतने की सख्त ताकीद की गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने समाज के सभी लोगों से खासतौर पर महिलाओं से अपील की कि वो इस्लामी शिक्षाओं और फतवों का सम्मान करें और अपनी ज़िंदगी में शरीयत के निर्देशों को लागू करें. उन्होंने कहा कि रिवायतों और फैशन की आड़ में शरीयत के खिलाफ जाना दीनदारी नहीं, बल्कि बेपरवाही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-news-cheated-for-rs-12-lakh-by-giving-fake-paper-in-assistant-professor-recruitment-exam-arrested-ann-2929029″><strong>UP News: सहायक प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में फर्जी पेपर देकर 12 लाख की ठगी करने वाले गिरफ्तार</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>क़ारी गोरा ने कहा कि वक्त की ज़रूरत है कि हम अपने दीन को गहराई से समझें, और इस्लामी तहज़ीब व अदब को अपने जीवन में अपनाएं. शादी-ब्याह जैसे मौकों पर भी शरीयत का पालन जरूरी है, ताकि समाज में सही इस्लामी परंपराएं मजबूत हो सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि दारुल उलूम देवबंद भारत का सबसे बड़ा इस्लामी शिक्षा केंद्र है, जहां से समय-समय पर शरीयत के मुद्दों पर फतवे जारी किए जाते हैं. यहां से जारी फतवों को देश-विदेश में बड़ी संजीदगी से लिया जाता है. ऐसे में क़ारी गोरा का यह बयान मुस्लिम समाज में चेतना फैलाने वाला माना जा रहा है.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पटना में एयर शो में आने से पहले जान लें ट्रैफिक प्लान, कहां कर सकेंगे गाड़ी की पार्किंग, जानें- पूरी डिटेल