<p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar News:</strong> बिहार के गया जिले के पटवा टोली गांव के छात्रों ने एक बार फिर अच्छा प्रदर्शन किया है और 40 से अधिक इंजीनियरिंग अभ्यर्थियों ने इस साल की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) मुख्य में सफलता हासिल की है. इसके परिणाम 19 अप्रैल को घोषित हुए थे. वृक्ष फाउंडेशन के अध्यक्ष दुगेश्वर प्रसाद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, शिक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने एक प्रेरणादायक विरासत बनाई है. ग्रामीणों के बच्चे शिक्षा के माध्यम से नयी ऊंचाइयों को छू रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वृक्ष फाउंडेशन एक गैर सरकारी संगठन है जो छात्रों को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने में मदद करता है. दुगेश्वर प्रसाद ने कहा कि हमारे वित्तीय और बुनियादी ढांचे के सहयोग से, अकेले पटवा टोली के 40 से अधिक छात्रों ने इस साल की जेईई मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की है. ये सभी छात्र अब अगले महीने होने वाली जेईई एडवांस परीक्षा में शामिल होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शरण्या को मिले 99.64 प्रतिशत अंक</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने बताया कि अच्छे अंक लाने वाले गांव के छात्रों में शरण्या ने 99.64 प्रतिशत अंक और आलोक ने 97.7 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. इसके अलावा शौर्य (97.53 प्रतिशत), यशराज (97.38 प्रतिशत), शुभम (96.7 प्रतिशत), प्रतीक (96.55 प्रतिशत) और केतन (96 प्रतिशत) ने भी अच्छे अंक प्राप्त किए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गांव के हर घर में इंजीनियर</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि पटवा टोली गांव के हर घर में इंजीनियर देखते को मिल जाएगा जिसकी शुरुआत 1991 से हुई थी. इसके बाद हर साल इस गांव से इंजीनियर बनते हैं. जिसमें वृक्ष संस्था का अहम योगदान है. साल 2013 से यह संस्थान निशुल्क इंजीनियरिंग परीक्षा की तैयारी करवाता है. 91.82 प्रतिशत अंक लाने वाली अस्मिता कुमारी बताती है कि वो गरीब घर से आती है उनके पिता बुनकर है और उनकी मां सूत काटने का काम करती है. उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. इसके बीच भी उन्होंने पढ़ाई जारी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”चंद्रशेखर ने कहा था ‘पाखंडियों का बाप’, अब जीतन राम मांझी ने किया पलटवार, ‘मैं मंदिर-मस्जिद…'” href=”https://www.abplive.com/states/bihar/union-minister-jitan-ram-manjhi-hits-back-at-rjd-leader-chandrashekhar-controversial-statement-ann-2929649″ target=”_blank” rel=”noopener”>चंद्रशेखर ने कहा था ‘पाखंडियों का बाप’, अब जीतन राम मांझी ने किया पलटवार, ‘मैं मंदिर-मस्जिद…'</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar News:</strong> बिहार के गया जिले के पटवा टोली गांव के छात्रों ने एक बार फिर अच्छा प्रदर्शन किया है और 40 से अधिक इंजीनियरिंग अभ्यर्थियों ने इस साल की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) मुख्य में सफलता हासिल की है. इसके परिणाम 19 अप्रैल को घोषित हुए थे. वृक्ष फाउंडेशन के अध्यक्ष दुगेश्वर प्रसाद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, शिक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने एक प्रेरणादायक विरासत बनाई है. ग्रामीणों के बच्चे शिक्षा के माध्यम से नयी ऊंचाइयों को छू रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वृक्ष फाउंडेशन एक गैर सरकारी संगठन है जो छात्रों को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने में मदद करता है. दुगेश्वर प्रसाद ने कहा कि हमारे वित्तीय और बुनियादी ढांचे के सहयोग से, अकेले पटवा टोली के 40 से अधिक छात्रों ने इस साल की जेईई मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की है. ये सभी छात्र अब अगले महीने होने वाली जेईई एडवांस परीक्षा में शामिल होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शरण्या को मिले 99.64 प्रतिशत अंक</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने बताया कि अच्छे अंक लाने वाले गांव के छात्रों में शरण्या ने 99.64 प्रतिशत अंक और आलोक ने 97.7 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. इसके अलावा शौर्य (97.53 प्रतिशत), यशराज (97.38 प्रतिशत), शुभम (96.7 प्रतिशत), प्रतीक (96.55 प्रतिशत) और केतन (96 प्रतिशत) ने भी अच्छे अंक प्राप्त किए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गांव के हर घर में इंजीनियर</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि पटवा टोली गांव के हर घर में इंजीनियर देखते को मिल जाएगा जिसकी शुरुआत 1991 से हुई थी. इसके बाद हर साल इस गांव से इंजीनियर बनते हैं. जिसमें वृक्ष संस्था का अहम योगदान है. साल 2013 से यह संस्थान निशुल्क इंजीनियरिंग परीक्षा की तैयारी करवाता है. 91.82 प्रतिशत अंक लाने वाली अस्मिता कुमारी बताती है कि वो गरीब घर से आती है उनके पिता बुनकर है और उनकी मां सूत काटने का काम करती है. उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. इसके बीच भी उन्होंने पढ़ाई जारी है.</p>
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