सोनीपत के श्रेयक ने UPSC में 35वीं रैंक हासिल की:मेडिकल इंटर्नशिप के दौरान मिली प्रेरणा, सफलता के तीन सूत्र बताए

सोनीपत के श्रेयक ने UPSC में 35वीं रैंक हासिल की:मेडिकल इंटर्नशिप के दौरान मिली प्रेरणा, सफलता के तीन सूत्र बताए

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में सोनीपत के चार युवाओं ने सफलता का परचम लहराया है। इन प्रतिभाओं में डॉ. श्रेयक गर्ग ने पूरे देश में 35वीं रैंक हासिल कर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे जिले को गौरवान्वित किया है। दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, मुरथल में डीन एवं प्रो. आर.के. गर्ग के मेधावी पुत्र डॉ. श्रेयक की यह उपलब्धि एक प्रेरणादायक यात्रा है। उनकी यह यात्रा एक डॉक्टर बनने के सपने से शुरू होकर देश सेवा के दृढ़ संकल्प तक पहुंची। दैनिक भास्कर के साथ विशेष बातचीत में डॉ. श्रेयक ने अपनी इस असाधारण यात्रा के अनछुए पहलुओं को साझा किया, जो निश्चित रूप से लाखों युवाओं को प्रेरित करेगी। सिलसिलेवार पढ़िए सफलता की कहानी..
MBBS से UPSC का सफर: समाज सेवा का दृढ़ संकल्प 1.डॉ. श्रेयक गर्ग ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सोनीपत के जानकी दास स्कूल से प्राप्त की। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी श्रेयक ने अपनी स्कूली शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र के वर्धा स्थित महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। एक सफल डॉक्टर बनने का सपना देख रहे श्रेयक के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब उन्होंने अपनी मेडिकल इंटर्नशिप के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की पीड़ा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को करीब से देखा। साल 2022 में अपनी इंटर्नशिप के दौरान, उन्होंने महसूस किया कि स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने की अपार संभावनाएं हैं और वह एक बड़े पैमाने पर समाज की सेवा करना चाहते हैं। इसी अनुभव ने उन्हें पारंपरिक ‘क्यूरेटिव केयर’ (उपचारात्मक देखभाल) से हटकर ‘प्रिवेंटिव केयर’ (निवारक देखभाल) पर ध्यान केंद्रित करते हुए, प्रशासनिक स्तर पर बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने दृढ़ निश्चय के साथ यूपीएससी की तैयारी में जुट जाने का संकल्प लिया। 2.सफलता का त्रिसूत्र: कड़ी मेहनत, अनुशासन और पारिवारिक सहयोग यूपीएससी की कठिन परीक्षा में 35वां रैंक हासिल करना कोई आसान काम नहीं था। डॉ. श्रेयक अपनी इस शानदार सफलता का श्रेय कड़ी मेहनत, अटूट अनुशासन और अपने परिवार के अटूट सहयोग को देते हैं। उन्होंने मेडिकल साइंस को अपना ऑप्शनल विषय चुना, जो उनकी पूर्व शिक्षा और ज्ञान का फायदा उठाने में सहायक सिद्ध हुआ। श्रेयक ने अपनी तैयारी के दौरान घंटों की गिनती पर ध्यान देने के बजाय निरंतरता पर जोर दिया। वह रोजाना लगभग 6 से 9 घंटे नियमित रूप से पढ़ाई करते थे। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत का भी पूरा ध्यान रखा। वे नियमित रूप से दौड़ना, बैडमिंटन और क्रिकेट जैसे खेल खेलते थे और कभी-कभी टीवी पर खेल देखना भी उन्हें तरोताजा करता था। उनका मानना है कि सफलता के लिए पर्याप्त नींद भी अत्यंत आवश्यक है और उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान रोजाना 6 से 8 घंटे की नींद अवश्य ली। 3.UPSC इंटरव्यू डॉ. श्रेयक ने बताया कि 10 जनवरी को उनका यूपीएससी के लिए इंटरव्यू हुआ था, जो उनकी तैयारी के अनुरूप काफी अच्छा रहा। इंटरव्यू के दौरान उनसे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों जैसे भारत-पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मुद्दे, राष्ट्रीय महत्व के विषय और उनके मेडिकल साइंस की पढ़ाई से संबंधित प्रश्न पूछे गए थे। इसके अतिरिक्त, उनकी राय और विभिन्न परिस्थितियों पर उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए भी सवाल किए गए थे। अपनी तैयारी के स्तर को देखते हुए उन्हें पहले से ही एक अच्छे रैंक की उम्मीद थी। 4.सफलता के दो स्तंभ
डॉ. श्रेयक अपनी सफलता में अपने माता-पिता के अमूल्य योगदान को महत्वपूर्ण मानते हैं। उनके पिता, प्रोफेसर आर.के. गर्ग, जो वर्तमान में दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल में डीन और प्रोफेसर हैं, ने उन्हें अकादमिक रूप से लगातार प्रेरित और मार्गदर्शित किया। श्रेयक ने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि उनके पिताजी मेडिकल साइंस के कई कठिन अध्याय उन्हें याद कराने में मदद करते थे। वहीं, उनकी मां संध्या ने उन्हें भावनात्मक और मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा। श्रेयक का कहना है कि उनकी मां ने दोनों पहलुओं को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 5. कभी नहीं खानी पड़ी डांट डॉ. श्रेयक ने जानकीदास स्कूल में अपनी पढ़ाई के दौरान के दिनों को याद करते हुए बताया कि उन्हें कभी भी अपने अध्यापकों या माता-पिता से डांट नहीं खानी पड़ी। उन्हें बचपन से ही किताबें पढ़ने का शौक था और वे हमेशा एक मेधावी छात्र रहे। 6.मेंस की चुनौती और ओलिंपिक से प्रेरणा डॉ. श्रेयक का मानना है कि यूपीएससी परीक्षा में मेंस का एग्जाम सबसे चुनौतीपूर्ण होता है। उन्होंने बताया कि भाग्यवश उनके मेंस के एग्जाम के दौरान ओलिंपिक चल रहा था और वह उसे बहुत बारीकी से देखते थे। ओलिंपिक के खिलाड़ियों के संघर्ष और उनकी सफलता से उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी और इस दौरान ओलिंपिक देखना उनके लिए एक तरह से तनावमुक्त होने का जरिया भी था। 7.युवाओं के लिए प्रेरणादायक संदेश डॉ. श्रेयक गर्ग ने यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सबसे पहले खुद के साथ सच्चा रहना होगा। यदि उन्होंने किसी दिन अपना निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं किया है, तो उन्हें आत्मनिरीक्षण करना होगा और उसके अनुसार ही खुद में सुधार लाना होगा। उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी और यहां तक कि कई पारिवारिक आयोजनों में भी शामिल नहीं हुए। श्रेयक ने बताया कि उन्हें यूपीएससी के बारे में कोई विशेष जानकारी या मार्गदर्शन नहीं मिला था। उन्होंने साल 2022 में पहली बार सिर्फ परीक्षा की प्रक्रिया को समझने के लिए प्रयास किया था और साल 2023 में वह मेंस की परीक्षा में कुछ अंकों से चूक गए थे। मां की ममता और बेटे की मेहनत
डॉ. श्रेयक की मां संध्या ने अपने बेटे की कड़ी मेहनत को याद करते हुए बताया कि उन्होंने उसे रात भर जागकर पढ़ते हुए देखा है। वह रात को जल्दी सोता था और सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करता था। उनकी मां का कहना है कि सफलता मिलने के बाद संघर्ष का समय अक्सर भूल जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि श्रेयक ने एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए नीट में भी अच्छी रैंक हासिल की थी। बचपन से किताबों से नाता डॉ. श्रेयक के माता-पिता बताते हैं कि उनके बेटे को बचपन से ही पढ़ाई से गहरा लगाव था। उनकी मां ने एक वाकया साझा करते हुए बताया कि जब वह पीएचडी कर रही थीं, तब दो साल का श्रेयक भी उनके साथ किताब लेकर बैठ जाता था और जब तक उनकी मां पढ़ती रहती थीं, वह सोता नहीं था। उनके पिता बताते हैं कि बचपन से लेकर आज तक श्रेयक ने कभी किसी किताब को नहीं फाड़ा। उनकी मां का कहना है कि वह बहुत सीधा-सादा लड़का था और उन्होंने जो कपड़े पहना दिए, वही पहन लेता था। पिता का सपना बेटे ने किया साकार डॉ. श्रेयक के पिता मूल रूप से नरवाना के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं और बाद में नरवाना में रहने लगे थे। 12वीं पास करने के बाद वे मुरथल यूनिवर्सिटी में छात्र के तौर पर आए थे। उनके पिता बताते हैं कि श्रेयक खेल में भी बहुत अच्छा था और एक बेहतरीन लॉन टेनिस खिलाड़ी रहा है। माता-पिता का कहना है कि उनके बेटे ने उनका वह सपना पूरा कर दिया, जो गांव से आने के बाद उन्हें सिविल सेवा में जाने की प्रेरणा मिलने पर अधूरा रह गया था। आज, डॉ. श्रेयक गर्ग न केवल अपने परिवार के लिए गर्व का स्रोत हैं, बल्कि उन लाखों युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा हैं जो कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और सही दिशा में प्रयास करके किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि एक डॉक्टर का सपना भी देश सेवा के एक बड़े लक्ष्य में बदल सकता है। घर पर बधाई देने वालों का तांता
जैसे ही रिश्तेदारी,दोस्तों और शहर के लोगों को श्रेयक 35 बार रैंक यूपीएससी में हासिल करने की जानकारी हुई तो दिन बंधु छोटू राम यूनिवर्सिटी में बधाई देने वालों का ताँता लग गया और इस दौरान ने सोनीपत के मेयर राजीव जैन ने भी मौके पर पहुंचकर उन्हें मिठाई खिलाई और बधाई दी है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में सोनीपत के चार युवाओं ने सफलता का परचम लहराया है। इन प्रतिभाओं में डॉ. श्रेयक गर्ग ने पूरे देश में 35वीं रैंक हासिल कर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे जिले को गौरवान्वित किया है। दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, मुरथल में डीन एवं प्रो. आर.के. गर्ग के मेधावी पुत्र डॉ. श्रेयक की यह उपलब्धि एक प्रेरणादायक यात्रा है। उनकी यह यात्रा एक डॉक्टर बनने के सपने से शुरू होकर देश सेवा के दृढ़ संकल्प तक पहुंची। दैनिक भास्कर के साथ विशेष बातचीत में डॉ. श्रेयक ने अपनी इस असाधारण यात्रा के अनछुए पहलुओं को साझा किया, जो निश्चित रूप से लाखों युवाओं को प्रेरित करेगी। सिलसिलेवार पढ़िए सफलता की कहानी..
MBBS से UPSC का सफर: समाज सेवा का दृढ़ संकल्प 1.डॉ. श्रेयक गर्ग ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सोनीपत के जानकी दास स्कूल से प्राप्त की। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी श्रेयक ने अपनी स्कूली शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र के वर्धा स्थित महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। एक सफल डॉक्टर बनने का सपना देख रहे श्रेयक के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब उन्होंने अपनी मेडिकल इंटर्नशिप के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की पीड़ा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को करीब से देखा। साल 2022 में अपनी इंटर्नशिप के दौरान, उन्होंने महसूस किया कि स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने की अपार संभावनाएं हैं और वह एक बड़े पैमाने पर समाज की सेवा करना चाहते हैं। इसी अनुभव ने उन्हें पारंपरिक ‘क्यूरेटिव केयर’ (उपचारात्मक देखभाल) से हटकर ‘प्रिवेंटिव केयर’ (निवारक देखभाल) पर ध्यान केंद्रित करते हुए, प्रशासनिक स्तर पर बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने दृढ़ निश्चय के साथ यूपीएससी की तैयारी में जुट जाने का संकल्प लिया। 2.सफलता का त्रिसूत्र: कड़ी मेहनत, अनुशासन और पारिवारिक सहयोग यूपीएससी की कठिन परीक्षा में 35वां रैंक हासिल करना कोई आसान काम नहीं था। डॉ. श्रेयक अपनी इस शानदार सफलता का श्रेय कड़ी मेहनत, अटूट अनुशासन और अपने परिवार के अटूट सहयोग को देते हैं। उन्होंने मेडिकल साइंस को अपना ऑप्शनल विषय चुना, जो उनकी पूर्व शिक्षा और ज्ञान का फायदा उठाने में सहायक सिद्ध हुआ। श्रेयक ने अपनी तैयारी के दौरान घंटों की गिनती पर ध्यान देने के बजाय निरंतरता पर जोर दिया। वह रोजाना लगभग 6 से 9 घंटे नियमित रूप से पढ़ाई करते थे। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत का भी पूरा ध्यान रखा। वे नियमित रूप से दौड़ना, बैडमिंटन और क्रिकेट जैसे खेल खेलते थे और कभी-कभी टीवी पर खेल देखना भी उन्हें तरोताजा करता था। उनका मानना है कि सफलता के लिए पर्याप्त नींद भी अत्यंत आवश्यक है और उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान रोजाना 6 से 8 घंटे की नींद अवश्य ली। 3.UPSC इंटरव्यू डॉ. श्रेयक ने बताया कि 10 जनवरी को उनका यूपीएससी के लिए इंटरव्यू हुआ था, जो उनकी तैयारी के अनुरूप काफी अच्छा रहा। इंटरव्यू के दौरान उनसे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों जैसे भारत-पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मुद्दे, राष्ट्रीय महत्व के विषय और उनके मेडिकल साइंस की पढ़ाई से संबंधित प्रश्न पूछे गए थे। इसके अतिरिक्त, उनकी राय और विभिन्न परिस्थितियों पर उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए भी सवाल किए गए थे। अपनी तैयारी के स्तर को देखते हुए उन्हें पहले से ही एक अच्छे रैंक की उम्मीद थी। 4.सफलता के दो स्तंभ
डॉ. श्रेयक अपनी सफलता में अपने माता-पिता के अमूल्य योगदान को महत्वपूर्ण मानते हैं। उनके पिता, प्रोफेसर आर.के. गर्ग, जो वर्तमान में दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल में डीन और प्रोफेसर हैं, ने उन्हें अकादमिक रूप से लगातार प्रेरित और मार्गदर्शित किया। श्रेयक ने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि उनके पिताजी मेडिकल साइंस के कई कठिन अध्याय उन्हें याद कराने में मदद करते थे। वहीं, उनकी मां संध्या ने उन्हें भावनात्मक और मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा। श्रेयक का कहना है कि उनकी मां ने दोनों पहलुओं को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 5. कभी नहीं खानी पड़ी डांट डॉ. श्रेयक ने जानकीदास स्कूल में अपनी पढ़ाई के दौरान के दिनों को याद करते हुए बताया कि उन्हें कभी भी अपने अध्यापकों या माता-पिता से डांट नहीं खानी पड़ी। उन्हें बचपन से ही किताबें पढ़ने का शौक था और वे हमेशा एक मेधावी छात्र रहे। 6.मेंस की चुनौती और ओलिंपिक से प्रेरणा डॉ. श्रेयक का मानना है कि यूपीएससी परीक्षा में मेंस का एग्जाम सबसे चुनौतीपूर्ण होता है। उन्होंने बताया कि भाग्यवश उनके मेंस के एग्जाम के दौरान ओलिंपिक चल रहा था और वह उसे बहुत बारीकी से देखते थे। ओलिंपिक के खिलाड़ियों के संघर्ष और उनकी सफलता से उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी और इस दौरान ओलिंपिक देखना उनके लिए एक तरह से तनावमुक्त होने का जरिया भी था। 7.युवाओं के लिए प्रेरणादायक संदेश डॉ. श्रेयक गर्ग ने यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सबसे पहले खुद के साथ सच्चा रहना होगा। यदि उन्होंने किसी दिन अपना निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं किया है, तो उन्हें आत्मनिरीक्षण करना होगा और उसके अनुसार ही खुद में सुधार लाना होगा। उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी और यहां तक कि कई पारिवारिक आयोजनों में भी शामिल नहीं हुए। श्रेयक ने बताया कि उन्हें यूपीएससी के बारे में कोई विशेष जानकारी या मार्गदर्शन नहीं मिला था। उन्होंने साल 2022 में पहली बार सिर्फ परीक्षा की प्रक्रिया को समझने के लिए प्रयास किया था और साल 2023 में वह मेंस की परीक्षा में कुछ अंकों से चूक गए थे। मां की ममता और बेटे की मेहनत
डॉ. श्रेयक की मां संध्या ने अपने बेटे की कड़ी मेहनत को याद करते हुए बताया कि उन्होंने उसे रात भर जागकर पढ़ते हुए देखा है। वह रात को जल्दी सोता था और सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करता था। उनकी मां का कहना है कि सफलता मिलने के बाद संघर्ष का समय अक्सर भूल जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि श्रेयक ने एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए नीट में भी अच्छी रैंक हासिल की थी। बचपन से किताबों से नाता डॉ. श्रेयक के माता-पिता बताते हैं कि उनके बेटे को बचपन से ही पढ़ाई से गहरा लगाव था। उनकी मां ने एक वाकया साझा करते हुए बताया कि जब वह पीएचडी कर रही थीं, तब दो साल का श्रेयक भी उनके साथ किताब लेकर बैठ जाता था और जब तक उनकी मां पढ़ती रहती थीं, वह सोता नहीं था। उनके पिता बताते हैं कि बचपन से लेकर आज तक श्रेयक ने कभी किसी किताब को नहीं फाड़ा। उनकी मां का कहना है कि वह बहुत सीधा-सादा लड़का था और उन्होंने जो कपड़े पहना दिए, वही पहन लेता था। पिता का सपना बेटे ने किया साकार डॉ. श्रेयक के पिता मूल रूप से नरवाना के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं और बाद में नरवाना में रहने लगे थे। 12वीं पास करने के बाद वे मुरथल यूनिवर्सिटी में छात्र के तौर पर आए थे। उनके पिता बताते हैं कि श्रेयक खेल में भी बहुत अच्छा था और एक बेहतरीन लॉन टेनिस खिलाड़ी रहा है। माता-पिता का कहना है कि उनके बेटे ने उनका वह सपना पूरा कर दिया, जो गांव से आने के बाद उन्हें सिविल सेवा में जाने की प्रेरणा मिलने पर अधूरा रह गया था। आज, डॉ. श्रेयक गर्ग न केवल अपने परिवार के लिए गर्व का स्रोत हैं, बल्कि उन लाखों युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा हैं जो कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और सही दिशा में प्रयास करके किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि एक डॉक्टर का सपना भी देश सेवा के एक बड़े लक्ष्य में बदल सकता है। घर पर बधाई देने वालों का तांता
जैसे ही रिश्तेदारी,दोस्तों और शहर के लोगों को श्रेयक 35 बार रैंक यूपीएससी में हासिल करने की जानकारी हुई तो दिन बंधु छोटू राम यूनिवर्सिटी में बधाई देने वालों का ताँता लग गया और इस दौरान ने सोनीपत के मेयर राजीव जैन ने भी मौके पर पहुंचकर उन्हें मिठाई खिलाई और बधाई दी है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर