गाजीपुर लोकसभा सीट पर कितना कारगर होगा अफजाल अंसारी का प्लान B? जानें- इस सीट के जातीय समीकरण

गाजीपुर लोकसभा सीट पर कितना कारगर होगा अफजाल अंसारी का प्लान B? जानें- इस सीट के जातीय समीकरण

<p style=”text-align: justify;”>Ghazipur पूर्वांचल की वो हाईप्रोफाइल सीट है जहां धर्म और जाति के समीकरण की चुनावी लड़ाई है. वहां दिग्गजों ने फिर हुंकार भर दी है. एक तरफ मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी हैं तो दूसरी तरफ पीएम नरेंद्र मोदी के सिपाही के रूप में ताल ठोक रहे हैं पारसनाथ राय. अफजाल अंसारी के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव चुनाव प्रचार करने गाजीपुर पहुंचे और दावा कर दिया कि पूर्वांचल की हवा बदल चुकी है. अखिलेश यादव ने कहा कि पूर्वांचल ने जो उम्मीद दिया है छठवें चरण में, मैं कह सकता हूं ये जो भाषण बदल रहे हैं, व्यवहार बदल रहे हैं जनता वोट देकर के इन्हें 7 समंदर पार फेंक देगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अखिलेश यादव ने सोमावर को रैली की तो कुछ एक दिन पहले रविवार को प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> भी गाजीपुर पहुंचे थे पारसनाथ राय के लिए वोट मांगे और पूरे पूर्वांचल को संदेश दिया था. गाजीपुर वो लोकसभा सीट है जिसे बीजेपी ने 2014 की मोदी लहर में जीत लिया था लेकिन 2019 में सपा-बसपा साथ आए तो खेल पलट गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2019 में बीजेपी प्रत्याशी मनोज सिन्हा को 4 लाख 46 हजार वोट मिले जबकि सपा-बसपा के संयुक्त प्रत्याशी अफजाल अंसारी को 5 लाख 66 हजार वोट मिलेयानि अफजाल अंसारी 1 लाख 20 हजार के भारी भरकम वोटों के अंतर से चुनाव जीत गए थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मौजूदा चुनाव में बदले हुए हैं समीकरण?</strong><br />हालांकि मौजूदा चुनाव में समीकरण बदले हुए हैं. समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन है और बसपा अलग चुनाव लड़ रही है तो क्या ये समीकरण परिणाम बदल देगा ? क्या बीजेपी 2014 वाला इतिहास दोहरा देगी? बीजेपी प्रत्याशी पारसनाथ राय का दावा है कि बीजेपी गाजीपुर सीट पर फिर से जीत हासिल करेगी.उधर, बीजेपी प्रत्याशी का दावा एक तरफ और गाजीपुर के सियासी समीकरण दूसरी तरफ क्योंकि अफजाल अंसारी को अगर अपनी जीत का भरोसा है तो इसके पीछे गाजीपुर का जातीय और धार्मिक समीकरण ही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गाजीपुर में अंसारी परिवार की सियासत अगर परवान चढ़ी तो इसके पीछे यहां का जातीय और धार्मिक समीकरण ही है. यहां मुस्लिम आबादी 2.70 लाख तो दलित मतदाता 4 लाख के आस-पास है. यादव वोटर 4.50 लाख के करीब है जो बाकी के OBC वोटर भी 4 लाख के करीब हैं. इसी समीकरण के सहारे 2004 में भी अफजाल अंसारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर से चुनाव जीते थे और एक बार फिर प्रबल दावेदार हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौजूदा चुनाव पर अफजाल ने कहा कि जनता एक बार फिर उन्हें अपना जनप्रतिनिधि चुनेगी और भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ेगा.अफजाल अंसारी 5 बार विधायक भी रह चुके हैं 2 बार के सांसद हैं और तीसरी बार दिल्ली जाने की तैयारी में हैं लेकिन सामने है बीजेपी का बैरियर जिसे पार करना इस बार बड़ी चुनौती है बीजेपी के साथ-साथ उसके सहयोगी दल भी गाजीपुर में कमल खिलाने की कोशिश कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वक्त-वक्त पर बदलता रहा है जनता का मिजाज</strong><br />गाजीपुर वो लोकसभा सीट है जहां जनता का मिजाज वक्त-वक्त पर बदलता रहा है. इस सीट पर कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई सांसद लगातार दो बार चुनाव जीता हो अगर अफजाल अंसारी इस बार चुनाव जीतते हैं तो ये गाजीपुर के लिए नया रिकॉर्ड होगा और इसका फैसला करेगी गाजीपुर की जनता. इस सीट पर लड़ाई कांटे की मानी जा रही है. अफजाल के समर्थक भले उत्साहित हों लेकिन 1 जून को होने वाली वोटिंग के लिए रास्ता अभी भी साफ नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मुख्तार का प्लान बी</strong><br />गैंगस्टर मामले में अफजाल अंसारी को MP-MLA कोर्ट 4 साल की सजा मिली थी इस हिसाब से वो चुनाव नहीं लड़ सकते हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी और इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा था कि 30 जून से पहले फैसला सुनाया जाए.इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई सोमवार को पूरी हो गई लेकिन अभी फैसला नहीं आया है. इस बीच अफजाल ने हाईकोर्ट से 5 दिन की मोहलत मांगी है.अफजाल चाहते हैं कि 1 जून को वोटिंग के बाद ही इस केस में कोर्ट कोई फैसला सुनाए.अपनी याचिका में अफजाल अंसारी ने गैंगस्टर केस में मिली सजा को रद्द करने की मांग की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अब अगर अफजाल अंसारी को हाईकोर्ट से राहत मिल गई तब तो उनके लिए ठीक नहीं तो नहीं उन्होंने अपनी बेटी से भी निर्दलीय नामांकन भरवाया है जो उनकी जगह पर चुनाव लड़ेंगी कुल मिलाकर गाजीपुर की लड़ाई इस वक्त ऐसे दोराहे पर खड़ी है जहां से कुछ भी संभव नजर आ रहा है.</p> <p style=”text-align: justify;”>Ghazipur पूर्वांचल की वो हाईप्रोफाइल सीट है जहां धर्म और जाति के समीकरण की चुनावी लड़ाई है. वहां दिग्गजों ने फिर हुंकार भर दी है. एक तरफ मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी हैं तो दूसरी तरफ पीएम नरेंद्र मोदी के सिपाही के रूप में ताल ठोक रहे हैं पारसनाथ राय. अफजाल अंसारी के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव चुनाव प्रचार करने गाजीपुर पहुंचे और दावा कर दिया कि पूर्वांचल की हवा बदल चुकी है. अखिलेश यादव ने कहा कि पूर्वांचल ने जो उम्मीद दिया है छठवें चरण में, मैं कह सकता हूं ये जो भाषण बदल रहे हैं, व्यवहार बदल रहे हैं जनता वोट देकर के इन्हें 7 समंदर पार फेंक देगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अखिलेश यादव ने सोमावर को रैली की तो कुछ एक दिन पहले रविवार को प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> भी गाजीपुर पहुंचे थे पारसनाथ राय के लिए वोट मांगे और पूरे पूर्वांचल को संदेश दिया था. गाजीपुर वो लोकसभा सीट है जिसे बीजेपी ने 2014 की मोदी लहर में जीत लिया था लेकिन 2019 में सपा-बसपा साथ आए तो खेल पलट गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2019 में बीजेपी प्रत्याशी मनोज सिन्हा को 4 लाख 46 हजार वोट मिले जबकि सपा-बसपा के संयुक्त प्रत्याशी अफजाल अंसारी को 5 लाख 66 हजार वोट मिलेयानि अफजाल अंसारी 1 लाख 20 हजार के भारी भरकम वोटों के अंतर से चुनाव जीत गए थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मौजूदा चुनाव में बदले हुए हैं समीकरण?</strong><br />हालांकि मौजूदा चुनाव में समीकरण बदले हुए हैं. समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन है और बसपा अलग चुनाव लड़ रही है तो क्या ये समीकरण परिणाम बदल देगा ? क्या बीजेपी 2014 वाला इतिहास दोहरा देगी? बीजेपी प्रत्याशी पारसनाथ राय का दावा है कि बीजेपी गाजीपुर सीट पर फिर से जीत हासिल करेगी.उधर, बीजेपी प्रत्याशी का दावा एक तरफ और गाजीपुर के सियासी समीकरण दूसरी तरफ क्योंकि अफजाल अंसारी को अगर अपनी जीत का भरोसा है तो इसके पीछे गाजीपुर का जातीय और धार्मिक समीकरण ही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गाजीपुर में अंसारी परिवार की सियासत अगर परवान चढ़ी तो इसके पीछे यहां का जातीय और धार्मिक समीकरण ही है. यहां मुस्लिम आबादी 2.70 लाख तो दलित मतदाता 4 लाख के आस-पास है. यादव वोटर 4.50 लाख के करीब है जो बाकी के OBC वोटर भी 4 लाख के करीब हैं. इसी समीकरण के सहारे 2004 में भी अफजाल अंसारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर से चुनाव जीते थे और एक बार फिर प्रबल दावेदार हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौजूदा चुनाव पर अफजाल ने कहा कि जनता एक बार फिर उन्हें अपना जनप्रतिनिधि चुनेगी और भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ेगा.अफजाल अंसारी 5 बार विधायक भी रह चुके हैं 2 बार के सांसद हैं और तीसरी बार दिल्ली जाने की तैयारी में हैं लेकिन सामने है बीजेपी का बैरियर जिसे पार करना इस बार बड़ी चुनौती है बीजेपी के साथ-साथ उसके सहयोगी दल भी गाजीपुर में कमल खिलाने की कोशिश कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वक्त-वक्त पर बदलता रहा है जनता का मिजाज</strong><br />गाजीपुर वो लोकसभा सीट है जहां जनता का मिजाज वक्त-वक्त पर बदलता रहा है. इस सीट पर कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई सांसद लगातार दो बार चुनाव जीता हो अगर अफजाल अंसारी इस बार चुनाव जीतते हैं तो ये गाजीपुर के लिए नया रिकॉर्ड होगा और इसका फैसला करेगी गाजीपुर की जनता. इस सीट पर लड़ाई कांटे की मानी जा रही है. अफजाल के समर्थक भले उत्साहित हों लेकिन 1 जून को होने वाली वोटिंग के लिए रास्ता अभी भी साफ नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मुख्तार का प्लान बी</strong><br />गैंगस्टर मामले में अफजाल अंसारी को MP-MLA कोर्ट 4 साल की सजा मिली थी इस हिसाब से वो चुनाव नहीं लड़ सकते हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी और इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा था कि 30 जून से पहले फैसला सुनाया जाए.इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई सोमवार को पूरी हो गई लेकिन अभी फैसला नहीं आया है. इस बीच अफजाल ने हाईकोर्ट से 5 दिन की मोहलत मांगी है.अफजाल चाहते हैं कि 1 जून को वोटिंग के बाद ही इस केस में कोर्ट कोई फैसला सुनाए.अपनी याचिका में अफजाल अंसारी ने गैंगस्टर केस में मिली सजा को रद्द करने की मांग की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अब अगर अफजाल अंसारी को हाईकोर्ट से राहत मिल गई तब तो उनके लिए ठीक नहीं तो नहीं उन्होंने अपनी बेटी से भी निर्दलीय नामांकन भरवाया है जो उनकी जगह पर चुनाव लड़ेंगी कुल मिलाकर गाजीपुर की लड़ाई इस वक्त ऐसे दोराहे पर खड़ी है जहां से कुछ भी संभव नजर आ रहा है.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Motihari News: गोवा सड़क दुर्घटना के दूसरे दिन दो शव पहुंचा मोतिहारी, परिवार में मचा कोहराम