<p style=”text-align: justify;”><strong>Kashmir Tourist Evacuation Story:</strong> पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद जम्मू कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में डरे और सहमे सैलानी बस किसी तरह से अपने घर जाना चाहते हैं. महाराष्ट्र के अलग अलग जिलों से आए कई ग्रुप, अब एक जगह इकट्ठा हैं और और अपने घर जाने के लिए परेशान हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>ये वो सैलानी हैं, जो एक उम्मीद के साथ अपने घर से निकले थे कि धरती के स्वर्ग से रूबरू होंगे, लेकिन यहां आकर अब इनके माथे पर डर की लकीरें हैं. कई महिलाओं की आंखों में आंसू हैं. उनकी एक ही तमन्ना है कि किसी तरह से वापस अपने घर पहुंच सकें. दरअसल, इनमें से किसी ने एक हफ्ते बाद की टिकट बुक की है तो किसी ने 10 दिन बाद की. हालांकि, 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद अब ये लोग तुरंत वापस अपने घर जाना चाहते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अब दिक्कत यह है कि इन्हें वापस जाने के लिए साधन नहीं मिल रहे. फ्लाइट्स में टिकट उपलब्ध नहीं हैं और जहां उपलब्ध हैं, वहां किराया बहुत ज्यादा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मेरा 6 साल का बेटा रोज फोन कर के पूछता है…'</strong><br />एक सैलानी महिला ने रोते हुए बताया, “मेरा 6 साल का बेटा, मेरे घर आने का इंतजार कर रहा है. वो रोज मुझे फोन करके एक ही बात पूछता है कि मम्मी आप कब आओगे? लेकिन मुझे नहीं पता कब जा पाएंगे. अब तो मुझे ये भी डर है कि हम वापस जा भी पाएंगे कि नहीं? हमारी सरकार से अपील है कि हम सभी को सुरक्षित यहां से निकालकर, हमारे घर तक पहुंचा दें.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’अब कभी कश्मीर नहीं आऊंगी'</strong><br />एक और महिला ने बताया, “डर तो हमें बहुत ज्यादा है. नाम पूछकर मार दे रहे हैं और पुरुषों को मार रहें हैं. मेरे बच्चे मेरा घर पर इंतजार कर रहे हैं. कल से फोन आ रहें हैं कि वापस आ जाओ. मैं पहली बार कश्मीर आई हूं लेकिन ये आखिर है. इसके बाद अब कभी कश्मीर नहीं आऊंगी.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आदिल मलिक ने की सैकड़ों लोगों की मदद</strong><br />इन सैलानियों की इस आपदा में अवसर की आशा बनकर आए कश्मीर के सोपोर के रहने वाले आदिल मालिक, जो महाराष्ट्र के पुणे से चलने वाली NGO ‘सरहद’ से पिछले 10 साल से जुड़े हैं. आदिल अब ऐसे सैलानियों के लिए एक मसीहा के तौर पर सामने आए हैं और अपनी कोशिशों के चलते वो अबतक 100 ऐसे सैलानियों को कश्मीर से वापस भेज चुके हैं, जो जल्द से जल्द अपने घर वापस जाना चाहते थे. </p>
<p style=”text-align: justify;”>आदिल का कहना है, “कुछ लोगों को मैंने अपने घर में ठहराया है तो कुछ लोगों के लिए अलग से व्यस्था कराई है. अभी 150 के करीब सैलानियों ने संपर्क किया जो कश्मीर के अलग अलग इलाकों में रुके हैं, उन्हें भी हम जल्द उनके घर तक पहुंचाएंगे.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है कश्मीर'</strong><br />आदिल मालिक ने कहा, “22 अप्रैल का हमला कश्मीरियत पर एक धब्बा है, लेकिन इस हमले को धर्म के चश्मे से नहीं देखा चाहिए. हमारा कश्मीर मेहमाननवाजी के लिए ही जाना जाता है. वे दहशतगर्द थे जिनका कोई धर्म नहीं होता.” </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लोगों के हौसले तोड़ नहीं पाए दहशतगर्द</strong><br />इस समूह में कई ऐसे सैलानी भी हैं जिनके हौसले अभी भी बुलंद हैं और दहशतगर्द इनके हौसलों को तोड़ पाने में नाकाम रहे हैं. इनका कहना है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हम यहां दोबारा जरूर आएंगे.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Kashmir Tourist Evacuation Story:</strong> पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद जम्मू कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में डरे और सहमे सैलानी बस किसी तरह से अपने घर जाना चाहते हैं. महाराष्ट्र के अलग अलग जिलों से आए कई ग्रुप, अब एक जगह इकट्ठा हैं और और अपने घर जाने के लिए परेशान हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>ये वो सैलानी हैं, जो एक उम्मीद के साथ अपने घर से निकले थे कि धरती के स्वर्ग से रूबरू होंगे, लेकिन यहां आकर अब इनके माथे पर डर की लकीरें हैं. कई महिलाओं की आंखों में आंसू हैं. उनकी एक ही तमन्ना है कि किसी तरह से वापस अपने घर पहुंच सकें. दरअसल, इनमें से किसी ने एक हफ्ते बाद की टिकट बुक की है तो किसी ने 10 दिन बाद की. हालांकि, 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद अब ये लोग तुरंत वापस अपने घर जाना चाहते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अब दिक्कत यह है कि इन्हें वापस जाने के लिए साधन नहीं मिल रहे. फ्लाइट्स में टिकट उपलब्ध नहीं हैं और जहां उपलब्ध हैं, वहां किराया बहुत ज्यादा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मेरा 6 साल का बेटा रोज फोन कर के पूछता है…'</strong><br />एक सैलानी महिला ने रोते हुए बताया, “मेरा 6 साल का बेटा, मेरे घर आने का इंतजार कर रहा है. वो रोज मुझे फोन करके एक ही बात पूछता है कि मम्मी आप कब आओगे? लेकिन मुझे नहीं पता कब जा पाएंगे. अब तो मुझे ये भी डर है कि हम वापस जा भी पाएंगे कि नहीं? हमारी सरकार से अपील है कि हम सभी को सुरक्षित यहां से निकालकर, हमारे घर तक पहुंचा दें.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’अब कभी कश्मीर नहीं आऊंगी'</strong><br />एक और महिला ने बताया, “डर तो हमें बहुत ज्यादा है. नाम पूछकर मार दे रहे हैं और पुरुषों को मार रहें हैं. मेरे बच्चे मेरा घर पर इंतजार कर रहे हैं. कल से फोन आ रहें हैं कि वापस आ जाओ. मैं पहली बार कश्मीर आई हूं लेकिन ये आखिर है. इसके बाद अब कभी कश्मीर नहीं आऊंगी.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आदिल मलिक ने की सैकड़ों लोगों की मदद</strong><br />इन सैलानियों की इस आपदा में अवसर की आशा बनकर आए कश्मीर के सोपोर के रहने वाले आदिल मालिक, जो महाराष्ट्र के पुणे से चलने वाली NGO ‘सरहद’ से पिछले 10 साल से जुड़े हैं. आदिल अब ऐसे सैलानियों के लिए एक मसीहा के तौर पर सामने आए हैं और अपनी कोशिशों के चलते वो अबतक 100 ऐसे सैलानियों को कश्मीर से वापस भेज चुके हैं, जो जल्द से जल्द अपने घर वापस जाना चाहते थे. </p>
<p style=”text-align: justify;”>आदिल का कहना है, “कुछ लोगों को मैंने अपने घर में ठहराया है तो कुछ लोगों के लिए अलग से व्यस्था कराई है. अभी 150 के करीब सैलानियों ने संपर्क किया जो कश्मीर के अलग अलग इलाकों में रुके हैं, उन्हें भी हम जल्द उनके घर तक पहुंचाएंगे.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है कश्मीर'</strong><br />आदिल मालिक ने कहा, “22 अप्रैल का हमला कश्मीरियत पर एक धब्बा है, लेकिन इस हमले को धर्म के चश्मे से नहीं देखा चाहिए. हमारा कश्मीर मेहमाननवाजी के लिए ही जाना जाता है. वे दहशतगर्द थे जिनका कोई धर्म नहीं होता.” </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लोगों के हौसले तोड़ नहीं पाए दहशतगर्द</strong><br />इस समूह में कई ऐसे सैलानी भी हैं जिनके हौसले अभी भी बुलंद हैं और दहशतगर्द इनके हौसलों को तोड़ पाने में नाकाम रहे हैं. इनका कहना है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हम यहां दोबारा जरूर आएंगे.</p> जम्मू और कश्मीर PM Modi in Bihar: ढोल-बाजा नहीं बजेगा, स्वागत भी नहीं, पीएम मोदी के कार्यक्रम में हुए ये बड़े बदलाव
पहलगाम: डरे हुए लोगों के लिए मसीहा बनकर आए आदिल मलिक, सैकड़ों को कश्मीर से सुरक्षित बाहर निकाला, पहुंचाया घर
