भास्कर न्यूज | अमृतसर मालवा नहर निर्माण के लिए 270 एकड़ अतिरिक्त जमीन अधिग्रहण की सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट (एसआईए) रिपोर्ट 12 मई को पंजाब सरकार के जल संसाधन विभाग को सौंप दी गई। यह रिपोर्ट फरीदकोट, फिरोजपुर और श्री मुक्तसर साहिब जिलों की 7 तहसीलों में जमीन अधिग्रहण से जुड़ी है। यह अधिग्रहण 2024 में हुई 552.42 एकड़ जमीन अधिग्रहण के अतिरिक्त है, जिसकी रिपोर्ट पहले ही पंजाब सरकार द्वारा स्वीकार की जा चुकी है। वह रिपोर्ट सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध है। रिपोर्ट सौंपने का कार्यक्रम गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. करमजीत सिंह के कार्यालय में हुआ। इस मौके पर जल संसाधन विभाग के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। कुलपति ने कहा कि यह अध्ययन राज्य निर्माण और नीति क्रियान्वयन में अकादमिक समुदाय की भागीदारी का प्रमाण है। ‘मालवा नहर परियोजना पंजाब और देश के लिए रणनीतिक रूप से अहम है। इससे सिंचाई क्षमता बढ़ेगी, भूजल पर निर्भरता घटेगी, खाद्य और जल सुरक्षा मजबूत होगी और सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट में प्रभावित समुदायों की चिंताओं और पुनर्वास की जरूरतों को भी उजागर किया गया है। अध्ययन के अनुसार 25 मार्च से 4 अप्रैल के बीच तीन जिलों की सात तहसीलों के गांवों में फील्ड स्टडी और जनसुनवाई की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह परियोजना सार्वजनिक हित की शर्तों को पूरा करती है। प्रस्तावित 270 एकड़ जमीन अधिग्रहण न्यूनतम जरूरी है। नहर के मार्ग को बदलना तकनीकी, वैज्ञानिक और आर्थिक रूप से संभव नहीं है। यह रिपोर्ट अहम को-ऑर्डिनेटर प्रो. डॉ. राजेश कुमार के नेतृत्व में तैयार की गई। वे जीएनडीयू के प्रिंसिपल प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर हैं। टीम में 6 विषय विशेषज्ञों ने सहयोग दिया। इनमें प्रो. मनप्रीत सिंह भट्टी, डॉ. बिमलदीप सिंह, डॉ. स्वाति मेहता, डॉ. निर्मला देवी, डॉ. आदित्य परिहार और डॉ. शरणप्रीत कौर शामिल हैं। रिपोर्ट तैयार करने में सोशल साइंसेज और समाजशास्त्र विभाग के शोधार्थियों, फील्ड इन्वेस्टिगेटर्स और स्टाफ का भी योगदान रहा। भास्कर न्यूज | अमृतसर मालवा नहर निर्माण के लिए 270 एकड़ अतिरिक्त जमीन अधिग्रहण की सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट (एसआईए) रिपोर्ट 12 मई को पंजाब सरकार के जल संसाधन विभाग को सौंप दी गई। यह रिपोर्ट फरीदकोट, फिरोजपुर और श्री मुक्तसर साहिब जिलों की 7 तहसीलों में जमीन अधिग्रहण से जुड़ी है। यह अधिग्रहण 2024 में हुई 552.42 एकड़ जमीन अधिग्रहण के अतिरिक्त है, जिसकी रिपोर्ट पहले ही पंजाब सरकार द्वारा स्वीकार की जा चुकी है। वह रिपोर्ट सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध है। रिपोर्ट सौंपने का कार्यक्रम गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. करमजीत सिंह के कार्यालय में हुआ। इस मौके पर जल संसाधन विभाग के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। कुलपति ने कहा कि यह अध्ययन राज्य निर्माण और नीति क्रियान्वयन में अकादमिक समुदाय की भागीदारी का प्रमाण है। ‘मालवा नहर परियोजना पंजाब और देश के लिए रणनीतिक रूप से अहम है। इससे सिंचाई क्षमता बढ़ेगी, भूजल पर निर्भरता घटेगी, खाद्य और जल सुरक्षा मजबूत होगी और सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट में प्रभावित समुदायों की चिंताओं और पुनर्वास की जरूरतों को भी उजागर किया गया है। अध्ययन के अनुसार 25 मार्च से 4 अप्रैल के बीच तीन जिलों की सात तहसीलों के गांवों में फील्ड स्टडी और जनसुनवाई की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह परियोजना सार्वजनिक हित की शर्तों को पूरा करती है। प्रस्तावित 270 एकड़ जमीन अधिग्रहण न्यूनतम जरूरी है। नहर के मार्ग को बदलना तकनीकी, वैज्ञानिक और आर्थिक रूप से संभव नहीं है। यह रिपोर्ट अहम को-ऑर्डिनेटर प्रो. डॉ. राजेश कुमार के नेतृत्व में तैयार की गई। वे जीएनडीयू के प्रिंसिपल प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर हैं। टीम में 6 विषय विशेषज्ञों ने सहयोग दिया। इनमें प्रो. मनप्रीत सिंह भट्टी, डॉ. बिमलदीप सिंह, डॉ. स्वाति मेहता, डॉ. निर्मला देवी, डॉ. आदित्य परिहार और डॉ. शरणप्रीत कौर शामिल हैं। रिपोर्ट तैयार करने में सोशल साइंसेज और समाजशास्त्र विभाग के शोधार्थियों, फील्ड इन्वेस्टिगेटर्स और स्टाफ का भी योगदान रहा। पंजाब | दैनिक भास्कर
