इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को आरक्षण नहीं मिलेगा। हालांकि, कोर्ट ने माना है कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के समय यूपी में EWS आरक्षण लागू किया जा चुका था। ऐसे में सरकार को इस भर्ती प्रक्रिया में EWS आरक्षण लागू करना चाहिए था। कोर्ट ने कहा- सभी 69 हजार पदों पर भर्ती हो चुकी है, चयनित उम्मीदवार वर्षों से नौकरी कर रहे हैं। ऐसे में नियुक्त अभ्यर्थियों को हटाकर EWS आरक्षण के तहत नई सूची बनाकर भर्ती करना व्यावहारिक और न्यायसंगत नहीं होगा। यही नहीं, चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति को चुनौती भी नहीं दी गई। यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने शिवम पांडे और दर्जनों अन्य अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। 18 फरवरी 2019 को EWS आरक्षण लागू हुआ
याचियों ने एकल पीठ के समक्ष EWS के तहत आरक्षण लागू करने की मांग की थी। इसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ याचियों ने खंडपीठ का रुख किया। दावा किया कि साल 2020 में शिक्षक भर्ती विज्ञापन के समय EWS आरक्षण लागू हो चुका था। उन्होंने कहा- केंद्र की ओर से 103वां संविधान संशोधन 12 जनवरी 2019 को पारित किया गया। राज्य सरकार ने 18 फरवरी 2019 को शासनादेश जारी कर इसे लागू कर दिया था। कोर्ट के समक्ष प्रमुख रूप से तीन प्रश्न थे कि EWS योजना 18 फरवरी 2019 से लागू मानी जाएगी या 31 अगस्त 2020 को एक्ट लागू होने की तिथि से माना जाएगा। इसी प्रकार से कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया विज्ञापन जारी होने की तिथि से मानने पर भी विचार किया। कोर्ट के समक्ष तीसरा प्रश्न था कि क्या याची कोई राहत पाने के हकदार हैं। शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी करते समय आरक्षण लागू करना था
कोर्ट ने EWS आरक्षण 18 फरवरी 2019 से लागू माना। एकल न्याय पीठ के इस मत को स्वीकार नहीं किया कि आरक्षण एक्ट लागू होने की तिथि से लागू माना जाएगा। इसी प्रकार से कोर्ट ने विज्ञापन जारी किए जाने की तिथि 17 मई 2020 से नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू माना। खंडपीठ का कहना था कि इस हिसाब से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने के समय EWS आरक्षण लागू हो चुका था। राज्य सरकार को 69 हजार सहायक शिक्षक नियुक्ति का विज्ञापन जारी करते समय इसे लागू करना चाहिए था। आवेदन करते समय किसी भी अभ्यर्थी ने EWS का विवरण नहीं दिया
मगर, याचियों को वर्तमान परिस्थितियों में 10% EWS आरक्षण देने के प्रश्न पर खंडपीठ का कहना था कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी 69 हजार नियुक्तियां की जा चुकी है। याचिकाओं में चयनित अभ्यार्थियों को पक्षकार नहीं बनाया गया है। ना ही चयन प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। पीठ का कहना था कि 10% आरक्षण का लाभ किसको दिया जाए, इसके लिए मेरिट लिस्ट बनानी होगी। मगर, रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ नहीं है। आवेदन करते समय किसी भी अभ्यर्थी ने अपने EWS स्टेटस का विवरण नहीं दिया है। इसलिए अब तय करना मुश्किल है कि कौन अभ्यर्थी EWS की श्रेणी में आएगा। पीठ का कहना था कि यदि ऐसा विवरण एकत्र भी कर लिया जाए तो इस स्तर पर आरक्षण देने के लिए पहले से चयनित हो चुके लोगों को बाहर करना होगा। मगर, वह इन याचिकाओं में पक्षकार नहीं है। कोर्ट ने सभी अपीलें खारिज कर दीं। राज्य सरकार के अधिवक्ता ने दलील दी- भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत एक दिसंबर 2018 को उस शासनादेश से हुई थी जिसमें 69 हजार पदों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। उनके अनुसार, यह प्रक्रिया EWS आरक्षण लागू होने से पहले शुरू हो चुकी थी, इसलिए इसका लाभ नहीं दिया जा सकता। ——————- ये खबर भी पढ़िए- इमरान मसूद ने पूछा-अमेरिका हमारा बाप है क्या?: सीजफायर करना अपमान नहीं तो क्या, पहलगाम के कातिल अब भी जिंदा भारत-पाकिस्तान के बीच 10 मई की शाम 5 बजे संघर्ष विराम हो गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। इसके बाद विपक्ष केंद्र सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है। सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने पूछा- हमारे पीएम तो अमेरिका के दबाव में आकर सीजफायर करके बैठ गए हैं। पहलगाम के आतंकी अभी जिंदा हैं, हमने युद्ध विराम क्यों कर दिया? हमारे 26 लोगों को मारने वालों को सजा मिलनी चाहिए। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को आरक्षण नहीं मिलेगा। हालांकि, कोर्ट ने माना है कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के समय यूपी में EWS आरक्षण लागू किया जा चुका था। ऐसे में सरकार को इस भर्ती प्रक्रिया में EWS आरक्षण लागू करना चाहिए था। कोर्ट ने कहा- सभी 69 हजार पदों पर भर्ती हो चुकी है, चयनित उम्मीदवार वर्षों से नौकरी कर रहे हैं। ऐसे में नियुक्त अभ्यर्थियों को हटाकर EWS आरक्षण के तहत नई सूची बनाकर भर्ती करना व्यावहारिक और न्यायसंगत नहीं होगा। यही नहीं, चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति को चुनौती भी नहीं दी गई। यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने शिवम पांडे और दर्जनों अन्य अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। 18 फरवरी 2019 को EWS आरक्षण लागू हुआ
याचियों ने एकल पीठ के समक्ष EWS के तहत आरक्षण लागू करने की मांग की थी। इसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ याचियों ने खंडपीठ का रुख किया। दावा किया कि साल 2020 में शिक्षक भर्ती विज्ञापन के समय EWS आरक्षण लागू हो चुका था। उन्होंने कहा- केंद्र की ओर से 103वां संविधान संशोधन 12 जनवरी 2019 को पारित किया गया। राज्य सरकार ने 18 फरवरी 2019 को शासनादेश जारी कर इसे लागू कर दिया था। कोर्ट के समक्ष प्रमुख रूप से तीन प्रश्न थे कि EWS योजना 18 फरवरी 2019 से लागू मानी जाएगी या 31 अगस्त 2020 को एक्ट लागू होने की तिथि से माना जाएगा। इसी प्रकार से कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया विज्ञापन जारी होने की तिथि से मानने पर भी विचार किया। कोर्ट के समक्ष तीसरा प्रश्न था कि क्या याची कोई राहत पाने के हकदार हैं। शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी करते समय आरक्षण लागू करना था
कोर्ट ने EWS आरक्षण 18 फरवरी 2019 से लागू माना। एकल न्याय पीठ के इस मत को स्वीकार नहीं किया कि आरक्षण एक्ट लागू होने की तिथि से लागू माना जाएगा। इसी प्रकार से कोर्ट ने विज्ञापन जारी किए जाने की तिथि 17 मई 2020 से नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू माना। खंडपीठ का कहना था कि इस हिसाब से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने के समय EWS आरक्षण लागू हो चुका था। राज्य सरकार को 69 हजार सहायक शिक्षक नियुक्ति का विज्ञापन जारी करते समय इसे लागू करना चाहिए था। आवेदन करते समय किसी भी अभ्यर्थी ने EWS का विवरण नहीं दिया
मगर, याचियों को वर्तमान परिस्थितियों में 10% EWS आरक्षण देने के प्रश्न पर खंडपीठ का कहना था कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी 69 हजार नियुक्तियां की जा चुकी है। याचिकाओं में चयनित अभ्यार्थियों को पक्षकार नहीं बनाया गया है। ना ही चयन प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। पीठ का कहना था कि 10% आरक्षण का लाभ किसको दिया जाए, इसके लिए मेरिट लिस्ट बनानी होगी। मगर, रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ नहीं है। आवेदन करते समय किसी भी अभ्यर्थी ने अपने EWS स्टेटस का विवरण नहीं दिया है। इसलिए अब तय करना मुश्किल है कि कौन अभ्यर्थी EWS की श्रेणी में आएगा। पीठ का कहना था कि यदि ऐसा विवरण एकत्र भी कर लिया जाए तो इस स्तर पर आरक्षण देने के लिए पहले से चयनित हो चुके लोगों को बाहर करना होगा। मगर, वह इन याचिकाओं में पक्षकार नहीं है। कोर्ट ने सभी अपीलें खारिज कर दीं। राज्य सरकार के अधिवक्ता ने दलील दी- भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत एक दिसंबर 2018 को उस शासनादेश से हुई थी जिसमें 69 हजार पदों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। उनके अनुसार, यह प्रक्रिया EWS आरक्षण लागू होने से पहले शुरू हो चुकी थी, इसलिए इसका लाभ नहीं दिया जा सकता। ——————- ये खबर भी पढ़िए- इमरान मसूद ने पूछा-अमेरिका हमारा बाप है क्या?: सीजफायर करना अपमान नहीं तो क्या, पहलगाम के कातिल अब भी जिंदा भारत-पाकिस्तान के बीच 10 मई की शाम 5 बजे संघर्ष विराम हो गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। इसके बाद विपक्ष केंद्र सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है। सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने पूछा- हमारे पीएम तो अमेरिका के दबाव में आकर सीजफायर करके बैठ गए हैं। पहलगाम के आतंकी अभी जिंदा हैं, हमने युद्ध विराम क्यों कर दिया? हमारे 26 लोगों को मारने वालों को सजा मिलनी चाहिए। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
69000 सहायक शिक्षक भर्ती में EWS को आरक्षण नहीं मिलेगा:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- नौकरी कर रहे टीचर को हटाना, नई सूची बनाकर फिर भर्ती करना उचित नहीं
