ऑपरेशन सिंदूर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद हरियाणा महिला आयोग के सामने पेश नहीं हुए। इस पर आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया खुद ही टीम के साथ अशोका यूनिवर्सिटी पहुंच गईं, लेकिन यहां उन्हें पुलिस का ढाई घंटे तक इंतजार करना पड़ा। उन्हें न तो महिला SHO मिलीं और न ही ACP भेजा गया। भाटिया ने इसे सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताते हुए नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि उन्हें यूनिवर्सिटी दौरे के दौरान सुरक्षा नहीं दी गई। उनका 11 बजे पहुंचने का समय तय था, लेकिन पुलिस की लापरवाही के कारण वे ढाई घंटे देर से पहुंचीं। ऑपरेशन सिंदूर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को आयोग ने 14 मई को पेश होने का आदेश दिया था। मगर, न तो वे पेश हुए और ना ही कोई जानकारी दी। अब आयोग ने प्रोफेसर को 23 मई को पंचकूला में पेश होने के निर्देश दिए हैं। आयोग अध्यक्ष की 4 अहम बातें… 1. प्रोफेसर के मन में महिलाओं के लिए विष भरा
रेनू भाटिया ने कहा कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने ऑपरेशन सिंदूर में भाग लेने वाली वर्दीधारी महिलाओं कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इससे स्पष्ट होता है कि उनके मन में महिलाओं के प्रति कितना विष भरा हुआ है। आयोग न केवल वर्दीधारी बेटियों के लिए बल्कि हर महिला के सम्मान के लिए खड़ा है। ऐसी टिप्पणियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। 2. खुद को कानून से ऊपर समझते हैं प्रोफेसर
अध्यक्ष ने कहा कि कि प्रोफेसर 14 मई को आयोग में पेश नहीं हुए। यह सिद्ध करता है कि या तो प्रोफेसर अपनी गलती स्वीकार कर चुके हैं या फिर वे खुद को कानून से ऊपर समझते हैं। यदि वे आयोग के समक्ष आकर माफी मांगते तो शायद मामला यहीं शांत हो जाता। मगर, प्रोफेसर ने अभी तक भी अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है। 3. प्रोफेसर को बचाने में लगा यूनिवर्सिटी प्रशासन
उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन प्रोफेसर को बचाने में लगा हुआ है और जानबूझकर उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया। वाइस चांसलर और रजिस्ट्रार से बातचीत की गई है। दोनों को इस मामले को लेकर आयोग के सख्त रूख के बारे में बता दिया गया है। यदि प्रोफेसर दिए गए समय में पेश नहीं होते तो उनके खिलाफ FIR कराई जाएगी। 4. यूनिवर्सिटी प्रशासन की कार्यप्रणाली भी संतोषजनक नहीं
रेनू भाटिया ने आगे कहा कि जब प्रोफेसर के सोशल मीडिया अकाउंट की जांच की गई तो उसमें कई आपत्तिजनक पोस्ट मिले, जिससे उनकी मानसिकता का पता चलता है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पूर्व में दो छात्रों को जातिसूचक टिप्पणी के मामले में सस्पेंड किया था, लेकिन देश की महिला अधिकारियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले प्रोफेसर को अब तक सस्पेंड नहीं किया गया। यूनिवर्सिटी में कंडोम मशीन और हॉस्टल नियमों पर सवाल
रेनू भाटिया ने यूनिवर्सिटी परिसर में लगी कंडोम मशीन पर एतराज जताया। उन्होंने कहा कि जब अन्य संस्थानों में सैनिटरी पैड मशीन लगाई जाती है, तो यहां 17-18 वर्ष के छात्रों के लिए कंडोम मशीन लगाना अशोभनीय है। उन्होंने सवाल किया कि इतनी कम उम्र में इस तरह की सुविधाएं देकर यूनिवर्सिटी छात्रों को किस दिशा में ले जा रही है। प्रोफेसर ने पोस्ट में ये बातें लिखीं… ऑपरेशन सिंदूर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद हरियाणा महिला आयोग के सामने पेश नहीं हुए। इस पर आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया खुद ही टीम के साथ अशोका यूनिवर्सिटी पहुंच गईं, लेकिन यहां उन्हें पुलिस का ढाई घंटे तक इंतजार करना पड़ा। उन्हें न तो महिला SHO मिलीं और न ही ACP भेजा गया। भाटिया ने इसे सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताते हुए नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि उन्हें यूनिवर्सिटी दौरे के दौरान सुरक्षा नहीं दी गई। उनका 11 बजे पहुंचने का समय तय था, लेकिन पुलिस की लापरवाही के कारण वे ढाई घंटे देर से पहुंचीं। ऑपरेशन सिंदूर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को आयोग ने 14 मई को पेश होने का आदेश दिया था। मगर, न तो वे पेश हुए और ना ही कोई जानकारी दी। अब आयोग ने प्रोफेसर को 23 मई को पंचकूला में पेश होने के निर्देश दिए हैं। आयोग अध्यक्ष की 4 अहम बातें… 1. प्रोफेसर के मन में महिलाओं के लिए विष भरा
रेनू भाटिया ने कहा कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने ऑपरेशन सिंदूर में भाग लेने वाली वर्दीधारी महिलाओं कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इससे स्पष्ट होता है कि उनके मन में महिलाओं के प्रति कितना विष भरा हुआ है। आयोग न केवल वर्दीधारी बेटियों के लिए बल्कि हर महिला के सम्मान के लिए खड़ा है। ऐसी टिप्पणियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। 2. खुद को कानून से ऊपर समझते हैं प्रोफेसर
अध्यक्ष ने कहा कि कि प्रोफेसर 14 मई को आयोग में पेश नहीं हुए। यह सिद्ध करता है कि या तो प्रोफेसर अपनी गलती स्वीकार कर चुके हैं या फिर वे खुद को कानून से ऊपर समझते हैं। यदि वे आयोग के समक्ष आकर माफी मांगते तो शायद मामला यहीं शांत हो जाता। मगर, प्रोफेसर ने अभी तक भी अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है। 3. प्रोफेसर को बचाने में लगा यूनिवर्सिटी प्रशासन
उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन प्रोफेसर को बचाने में लगा हुआ है और जानबूझकर उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया। वाइस चांसलर और रजिस्ट्रार से बातचीत की गई है। दोनों को इस मामले को लेकर आयोग के सख्त रूख के बारे में बता दिया गया है। यदि प्रोफेसर दिए गए समय में पेश नहीं होते तो उनके खिलाफ FIR कराई जाएगी। 4. यूनिवर्सिटी प्रशासन की कार्यप्रणाली भी संतोषजनक नहीं
रेनू भाटिया ने आगे कहा कि जब प्रोफेसर के सोशल मीडिया अकाउंट की जांच की गई तो उसमें कई आपत्तिजनक पोस्ट मिले, जिससे उनकी मानसिकता का पता चलता है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पूर्व में दो छात्रों को जातिसूचक टिप्पणी के मामले में सस्पेंड किया था, लेकिन देश की महिला अधिकारियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले प्रोफेसर को अब तक सस्पेंड नहीं किया गया। यूनिवर्सिटी में कंडोम मशीन और हॉस्टल नियमों पर सवाल
रेनू भाटिया ने यूनिवर्सिटी परिसर में लगी कंडोम मशीन पर एतराज जताया। उन्होंने कहा कि जब अन्य संस्थानों में सैनिटरी पैड मशीन लगाई जाती है, तो यहां 17-18 वर्ष के छात्रों के लिए कंडोम मशीन लगाना अशोभनीय है। उन्होंने सवाल किया कि इतनी कम उम्र में इस तरह की सुविधाएं देकर यूनिवर्सिटी छात्रों को किस दिशा में ले जा रही है। प्रोफेसर ने पोस्ट में ये बातें लिखीं… हरियाणा | दैनिक भास्कर
