<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand panchayat election news:</strong> उत्तराखंड में पंचायत चुनाव लड़ने की राह अब तीन बच्चों वाले लोगों के लिए भी आसान हो गई है. राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में लागू किए गए उस विवादित नियम में ढील दे दी है, जिसके तहत तीन या उससे अधिक बच्चों वाले अभ्यर्थियों को पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया गया था. इस नियम को लेकर वर्षों से जनता में नाराजगी और असंतोष था, जिसे अब सरकार ने दूर करने की कोशिश की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियों के बीच सरकार ने शुक्रवार को एक अहम अधिसूचना जारी की है, जिसमें तीन बच्चों वाले नियम को आंशिक रूप से शिथिल किया गया है. नए प्रावधान के अनुसार, अब वे लोग पंचायत चुनाव में भाग ले सकते हैं जिनके तीन बच्चे हैं, लेकिन यह छूट केवल उन अभ्यर्थियों को मिलेगी जिनका तीसरा बच्चा 25 जुलाई 2019 से पहले पैदा हुआ हो. इसके बाद तीसरे बच्चे के जन्म लेने पर यह पात्रता खत्म हो जाएगी और ऐसे माता-पिता चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पंचायत राजनीति में भाग लेने वालों को मिली राहत<br /></strong>यह फैसला उन लोगों के लिए राहत भरा है जो 2019 से पहले तीन बच्चों के माता-पिता बन चुके हैं और पंचायत राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं. सरकार ने इस संशोधन को अध्यादेश के रूप में लागू किया, जिसकी अधिसूचना शुक्रवार को जारी हुई. ऐसे में पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए ये राहत भरी खबर है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वर्ष 2019 में जब राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों से पहले तीन बच्चों वाले अभ्यर्थियों को चुनाव लड़ने से रोकने वाला कानून लागू किया था, तो इसका व्यापक विरोध हुआ था. यह नियम बिना किसी समयसीमा के लागू किया गया था, यानी इससे पहले जन्मे तीसरे बच्चे पर भी यह रोक प्रभावी थी. कई लोगों की चुनावी तैयारियों पर पानी फिर गया और कई नेताओं ने अपनी उम्मीदवारी की बजाय किसी और को समर्थन देकर चुनाव लड़वाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>6 साल बाद नियम संशोधन<br /></strong>सरकार तक विभिन्न माध्यमों से विरोध दर्ज कराया गया. जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने इसे अनुचित करार देते हुए इसमें सुधार की मांग की. इस फैसले से प्रभावित हजारों लोगों ने लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित महसूस किया. सरकार ने जनता की भावनाओं को समझते हुए लगभग छह साल बाद इस नियम में संशोधन किया है. अब 25 जुलाई 2019 के बाद जन्मे तीसरे बच्चे के मामलों को ही अपात्रता का आधार माना जाएगा. इससे पहले जन्मे बच्चों के मामलों में यह नियम लागू नहीं होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बदलाव को आगामी पंचायत चुनावों के मद्देनजर अहम माना जा रहा है. राज्य सरकार पर पहले से ग्रामीण क्षेत्रों में असंतोष का दबाव था, जिसे अब यह संशोधन कम कर सकता है. साथ ही सरकार यह संदेश भी देना चाहती है कि वह जनभावनाओं के अनुरूप फैसले लेती है. हालांकि, कुछ वर्गों का यह भी कहना है कि सरकार को यह बदलाव पहले ही कर देना चाहिए था, ताकि योग्य उम्मीदवारों को पिछले चुनावों में अवसर से वंचित न रहना पड़ता. फिर भी यह फैसला आने वाले पंचायत चुनावों में कई पुराने और अनुभवी चेहरों को फिर से सक्रिय राजनीति में लौटने का मौका देगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/bahraich-high-court-did-not-give-permission-for-fair-held-at-salar-masood-ghazi-dargah-2945314″>बहराइच: सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाले मेले पर जारी रहेगी रोक, हाईकोर्ट ने नहीं दी इजाजत</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand panchayat election news:</strong> उत्तराखंड में पंचायत चुनाव लड़ने की राह अब तीन बच्चों वाले लोगों के लिए भी आसान हो गई है. राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में लागू किए गए उस विवादित नियम में ढील दे दी है, जिसके तहत तीन या उससे अधिक बच्चों वाले अभ्यर्थियों को पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया गया था. इस नियम को लेकर वर्षों से जनता में नाराजगी और असंतोष था, जिसे अब सरकार ने दूर करने की कोशिश की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियों के बीच सरकार ने शुक्रवार को एक अहम अधिसूचना जारी की है, जिसमें तीन बच्चों वाले नियम को आंशिक रूप से शिथिल किया गया है. नए प्रावधान के अनुसार, अब वे लोग पंचायत चुनाव में भाग ले सकते हैं जिनके तीन बच्चे हैं, लेकिन यह छूट केवल उन अभ्यर्थियों को मिलेगी जिनका तीसरा बच्चा 25 जुलाई 2019 से पहले पैदा हुआ हो. इसके बाद तीसरे बच्चे के जन्म लेने पर यह पात्रता खत्म हो जाएगी और ऐसे माता-पिता चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पंचायत राजनीति में भाग लेने वालों को मिली राहत<br /></strong>यह फैसला उन लोगों के लिए राहत भरा है जो 2019 से पहले तीन बच्चों के माता-पिता बन चुके हैं और पंचायत राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं. सरकार ने इस संशोधन को अध्यादेश के रूप में लागू किया, जिसकी अधिसूचना शुक्रवार को जारी हुई. ऐसे में पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए ये राहत भरी खबर है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वर्ष 2019 में जब राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों से पहले तीन बच्चों वाले अभ्यर्थियों को चुनाव लड़ने से रोकने वाला कानून लागू किया था, तो इसका व्यापक विरोध हुआ था. यह नियम बिना किसी समयसीमा के लागू किया गया था, यानी इससे पहले जन्मे तीसरे बच्चे पर भी यह रोक प्रभावी थी. कई लोगों की चुनावी तैयारियों पर पानी फिर गया और कई नेताओं ने अपनी उम्मीदवारी की बजाय किसी और को समर्थन देकर चुनाव लड़वाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>6 साल बाद नियम संशोधन<br /></strong>सरकार तक विभिन्न माध्यमों से विरोध दर्ज कराया गया. जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने इसे अनुचित करार देते हुए इसमें सुधार की मांग की. इस फैसले से प्रभावित हजारों लोगों ने लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित महसूस किया. सरकार ने जनता की भावनाओं को समझते हुए लगभग छह साल बाद इस नियम में संशोधन किया है. अब 25 जुलाई 2019 के बाद जन्मे तीसरे बच्चे के मामलों को ही अपात्रता का आधार माना जाएगा. इससे पहले जन्मे बच्चों के मामलों में यह नियम लागू नहीं होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बदलाव को आगामी पंचायत चुनावों के मद्देनजर अहम माना जा रहा है. राज्य सरकार पर पहले से ग्रामीण क्षेत्रों में असंतोष का दबाव था, जिसे अब यह संशोधन कम कर सकता है. साथ ही सरकार यह संदेश भी देना चाहती है कि वह जनभावनाओं के अनुरूप फैसले लेती है. हालांकि, कुछ वर्गों का यह भी कहना है कि सरकार को यह बदलाव पहले ही कर देना चाहिए था, ताकि योग्य उम्मीदवारों को पिछले चुनावों में अवसर से वंचित न रहना पड़ता. फिर भी यह फैसला आने वाले पंचायत चुनावों में कई पुराने और अनुभवी चेहरों को फिर से सक्रिय राजनीति में लौटने का मौका देगा.</p>
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