Thane: रेप और ट्रैफिकिंग मामले में 3 आरोपी बरी, पीड़िता की गवाही ही बनी आधार, जानें कैसे

Thane: रेप और ट्रैफिकिंग मामले में 3 आरोपी बरी, पीड़िता की गवाही ही बनी आधार, जानें कैसे

<p style=”text-align: justify;”><strong>Thane News:</strong> महाराष्ट्र के ठाणे जिले में 2015 में दर्ज एक बहुचर्चित दुष्कर्म और मानव तस्करी के मामले में विशेष अदालत ने 3 आरोपियों को बरी कर दिया है. यह फैसला विशेष न्यायाधीश डीएस देशमुख की अदालत ने सुनाया, जिसमें पीड़िता की गवाही में गंभीर विसंगतियों को प्रमुख आधार बनाया गया.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने राधिका उर्फ मुस्कान विनोद जाधव, संजीव उर्फ बंटी ध्रुव वर्मा और मुख्य फरार आरोपी प्रवीण ओमप्रकाश मिश्रा को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया. पीटीआई के अनुसार 2015 के इस केस में इन पर भारतीय दंड संहिता के साथ-साथ पॉक्सो अधिनियम और अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम के तहत गंभीर आरोप लगे थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कार्यवाही के दौरान पीड़िता के बयान में विरोधाभास</strong>&nbsp;<br />अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि अगस्त 2015 में प्रवीण मिश्रा ने एक नाबालिग लड़की का यौन शोषण किया और बाद में उसे राधिका जाधव को सौंप दिया, जिसने कथित तौर पर पीड़िता को देह व्यापार में धकेल दिया. इस प्रक्रिया में वर्मा की भी संलिप्तता बताई गई थी. हालांकि, अदालती कार्यवाही के दौरान पीड़िता की उम्र और बयान में विरोधाभास सामने आए, जिससे मामला कमजोर हो गया. अदालत ने पाया कि घटना के समय लड़की वास्तव में बालिग थी और उसके बयान अभियोजन पक्ष के दावों से मेल नहीं खाते.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पीड़िता ने इच्छा से विवाह करने की बात कबूली- जस्टिस देशमुख</strong><br />न्यायाधीश देशमुख ने फैसले में बताया कि पीड़िता ने स्वयं यह स्वीकार किया कि वह अपनी इच्छा से प्रवीण मिश्रा के साथ गई थी और उससे विवाह भी किया. इतना ही नहीं, मिश्रा के साथ संबंध बनने के बाद उसने एक बच्चे को जन्म दिया. अदालत को इस बात का भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला कि उसे जबरन वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया था. इसके विपरीत, पीड़िता ने इस तरह के किसी भी दबाव या प्रलोभन से इनकार किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पूरे मामले में पीड़िता के पिता की गवाही भी अभियोजन के पक्ष में नहीं रही. उन्होंने स्पष्ट रूप से अदालत को बताया कि उनकी बेटी घटना के समय 18 वर्ष से अधिक की थी और उन्होंने किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न या जबरन देह व्यापार के आरोपों की पुष्टि नहीं की. इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा और तीनों आरोपियों को बरी कर दिया गया. अदालत का यह फैसला 9 मई को सुनाया गया, जिसकी प्रति शुक्रवार (16 मई) को सार्वजनिक की गई.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Thane News:</strong> महाराष्ट्र के ठाणे जिले में 2015 में दर्ज एक बहुचर्चित दुष्कर्म और मानव तस्करी के मामले में विशेष अदालत ने 3 आरोपियों को बरी कर दिया है. यह फैसला विशेष न्यायाधीश डीएस देशमुख की अदालत ने सुनाया, जिसमें पीड़िता की गवाही में गंभीर विसंगतियों को प्रमुख आधार बनाया गया.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने राधिका उर्फ मुस्कान विनोद जाधव, संजीव उर्फ बंटी ध्रुव वर्मा और मुख्य फरार आरोपी प्रवीण ओमप्रकाश मिश्रा को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया. पीटीआई के अनुसार 2015 के इस केस में इन पर भारतीय दंड संहिता के साथ-साथ पॉक्सो अधिनियम और अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम के तहत गंभीर आरोप लगे थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कार्यवाही के दौरान पीड़िता के बयान में विरोधाभास</strong>&nbsp;<br />अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि अगस्त 2015 में प्रवीण मिश्रा ने एक नाबालिग लड़की का यौन शोषण किया और बाद में उसे राधिका जाधव को सौंप दिया, जिसने कथित तौर पर पीड़िता को देह व्यापार में धकेल दिया. इस प्रक्रिया में वर्मा की भी संलिप्तता बताई गई थी. हालांकि, अदालती कार्यवाही के दौरान पीड़िता की उम्र और बयान में विरोधाभास सामने आए, जिससे मामला कमजोर हो गया. अदालत ने पाया कि घटना के समय लड़की वास्तव में बालिग थी और उसके बयान अभियोजन पक्ष के दावों से मेल नहीं खाते.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पीड़िता ने इच्छा से विवाह करने की बात कबूली- जस्टिस देशमुख</strong><br />न्यायाधीश देशमुख ने फैसले में बताया कि पीड़िता ने स्वयं यह स्वीकार किया कि वह अपनी इच्छा से प्रवीण मिश्रा के साथ गई थी और उससे विवाह भी किया. इतना ही नहीं, मिश्रा के साथ संबंध बनने के बाद उसने एक बच्चे को जन्म दिया. अदालत को इस बात का भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला कि उसे जबरन वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया था. इसके विपरीत, पीड़िता ने इस तरह के किसी भी दबाव या प्रलोभन से इनकार किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पूरे मामले में पीड़िता के पिता की गवाही भी अभियोजन के पक्ष में नहीं रही. उन्होंने स्पष्ट रूप से अदालत को बताया कि उनकी बेटी घटना के समय 18 वर्ष से अधिक की थी और उन्होंने किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न या जबरन देह व्यापार के आरोपों की पुष्टि नहीं की. इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा और तीनों आरोपियों को बरी कर दिया गया. अदालत का यह फैसला 9 मई को सुनाया गया, जिसकी प्रति शुक्रवार (16 मई) को सार्वजनिक की गई.</p>  महाराष्ट्र मुश्किल में पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव! सीवान कोर्ट ने जारी किया इश्तेहार, जानिए क्या है मामला?