हिमाचल प्रदेश में विवादित संजौली मस्जिद मामला अब सेशन कोर्ट पहुंच गया है। वक्फ बोर्ड ने नगर निगम आयुक्त के पूरी मस्जिद तोड़ने के आदेशों को गलत बताते हुए चुनौती दी है। वक्फ बोर्ड के एस्टेट ऑफिसर कुतुबुद्दीन ने इसकी पुष्टि की है। देवभूमि संघर्ष समिति के सह संयोजक विजय शर्मा ने भी इस केस में कैविएट फाइल कर दी है। वक्फ बोर्ड की याचिका पर अब परसों यानी 23 मई को सुनवाई होनी है। बोर्ड की याचिका स्वीकार करने से पहले देवभूमि संघर्ष समिति का भी पक्ष जाना जाएगा। दोनों पक्ष जानने के बाद अदालत वक्फ बोर्ड की याचिका पर फैसला लेगी। 16 साल निगम कोर्ट में चला केस संजौली मस्जिद मामला पहले भी लगभग 16 साल तक नगर निगम आयुक्त के कोर्ट में चलता रहा। इस दौरान 50 से भी ज्यादा बार इस केस में सुनवाई हुई। हिमाचल हाईकोर्ट के 8 मई से पहले केस निपटाने के आदेशों पर नगर निगम शिमला आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने बीते 3 मई को इसमें फैसला सुनाया। MC आयुक्त ने मस्जिद को गैर कानूनी बताते हुए तोड़ने के आदेश दिए निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने पूरी मस्जिद को गैर कानूनी बताते हुए इसे तोड़ने के आदेश दिए। यह फैसला तब आया है, जब वक्फ बोर्ड निगम की कोर्ट में मस्जिद की जमीन पर मालिकाना हक के कागज पेश नहीं कर पाया। यही नहीं, मस्जिद का नक्शा और किसी भी तरह की NOC भी मस्जिद कमेटी ने निगम कोर्ट को नहीं दी। जबकि, वक्फ बोर्ड लंबे समय तक जमीन पर मालिकाना हक का दावा करता रहा। ऊपरी 3 मंजिलों को तोड़ने के आदेश पहले ही हो चुके निगम आयुक्त ने बीते साल 5 अक्टूबर को मस्जिद के ऊपर की 3 मंजिलों को तोड़ने के आदेश दे दिए थे। निचली 2 मंजिल को लेकर बीते 3 मई को फैसला आ गया है। इन आदेशों पर मस्जिद को तोड़ने का काम जारी है। इस बीच वक्फ बोर्ड कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका है। वक्फ बोर्ड को राहत मिलेगी या नहीं, यह कोर्ट पर निर्भर करेगा। ऐसे सुर्खियों में आया मामला संजौली मस्जिद के कारण बीते साल पूरे देश में बवाल मचा था। दरअसल, 31 अगस्त 2024 को शिमला के मेहली में 2 समुदायों में मारपीट हुई। मारपीट करने वाले एक समुदाय के लोग संजौली मस्जिद में छिप गए। इससे गुस्साए शिमला के लोगों ने 1 सितंबर को मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया। इसके बाद शिमला में कई बार हिंदू संगठनों में उग्र प्रदर्शन किया। शिमला के बाद प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों में भी लोग सड़कों पर उतरे। मस्जिद कमेटी ने खुद अवैध हिस्सा तोड़ने की पेशकश की 11 सितंबर को शिमला के संजौली में उग्र प्रदर्शन हुआ। इससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। बल प्रयोग और पानी की बौछारें डालने से हिंदू संगठन भड़क गए। संजौली के बाद दूसरी जगह भी मस्जिद को तोड़ने की मांग उठी। संजौली मस्जिद का विवाद तूल पकड़ ही रहा था, इस बीच 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी खुद निगम आयुक्त कोर्ट में पहुंची और खुद अवैध हिस्सा तोड़ने की पेशकश की। तब जाकर विवाद शांत हो पाया। हिंदू संगठनों के आरोप हिंदू संगठनों और संजौली मस्जिद के आसपास रहने वाले लोकल रेजिडेंट ने आरोप लगाया कि मस्जिद का निर्माण बिना परमिशन के किया गया। मस्जिद की जमीन भी वक्फ बोर्ड की नहीं है। मस्जिद को बनाने के लिए नगर निगम से परमिशन भी नहीं ली गई। निगम आयुक्त की सुनवाई में यह आरोप सही पाए गए। हिमाचल प्रदेश में विवादित संजौली मस्जिद मामला अब सेशन कोर्ट पहुंच गया है। वक्फ बोर्ड ने नगर निगम आयुक्त के पूरी मस्जिद तोड़ने के आदेशों को गलत बताते हुए चुनौती दी है। वक्फ बोर्ड के एस्टेट ऑफिसर कुतुबुद्दीन ने इसकी पुष्टि की है। देवभूमि संघर्ष समिति के सह संयोजक विजय शर्मा ने भी इस केस में कैविएट फाइल कर दी है। वक्फ बोर्ड की याचिका पर अब परसों यानी 23 मई को सुनवाई होनी है। बोर्ड की याचिका स्वीकार करने से पहले देवभूमि संघर्ष समिति का भी पक्ष जाना जाएगा। दोनों पक्ष जानने के बाद अदालत वक्फ बोर्ड की याचिका पर फैसला लेगी। 16 साल निगम कोर्ट में चला केस संजौली मस्जिद मामला पहले भी लगभग 16 साल तक नगर निगम आयुक्त के कोर्ट में चलता रहा। इस दौरान 50 से भी ज्यादा बार इस केस में सुनवाई हुई। हिमाचल हाईकोर्ट के 8 मई से पहले केस निपटाने के आदेशों पर नगर निगम शिमला आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने बीते 3 मई को इसमें फैसला सुनाया। MC आयुक्त ने मस्जिद को गैर कानूनी बताते हुए तोड़ने के आदेश दिए निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने पूरी मस्जिद को गैर कानूनी बताते हुए इसे तोड़ने के आदेश दिए। यह फैसला तब आया है, जब वक्फ बोर्ड निगम की कोर्ट में मस्जिद की जमीन पर मालिकाना हक के कागज पेश नहीं कर पाया। यही नहीं, मस्जिद का नक्शा और किसी भी तरह की NOC भी मस्जिद कमेटी ने निगम कोर्ट को नहीं दी। जबकि, वक्फ बोर्ड लंबे समय तक जमीन पर मालिकाना हक का दावा करता रहा। ऊपरी 3 मंजिलों को तोड़ने के आदेश पहले ही हो चुके निगम आयुक्त ने बीते साल 5 अक्टूबर को मस्जिद के ऊपर की 3 मंजिलों को तोड़ने के आदेश दे दिए थे। निचली 2 मंजिल को लेकर बीते 3 मई को फैसला आ गया है। इन आदेशों पर मस्जिद को तोड़ने का काम जारी है। इस बीच वक्फ बोर्ड कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका है। वक्फ बोर्ड को राहत मिलेगी या नहीं, यह कोर्ट पर निर्भर करेगा। ऐसे सुर्खियों में आया मामला संजौली मस्जिद के कारण बीते साल पूरे देश में बवाल मचा था। दरअसल, 31 अगस्त 2024 को शिमला के मेहली में 2 समुदायों में मारपीट हुई। मारपीट करने वाले एक समुदाय के लोग संजौली मस्जिद में छिप गए। इससे गुस्साए शिमला के लोगों ने 1 सितंबर को मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया। इसके बाद शिमला में कई बार हिंदू संगठनों में उग्र प्रदर्शन किया। शिमला के बाद प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों में भी लोग सड़कों पर उतरे। मस्जिद कमेटी ने खुद अवैध हिस्सा तोड़ने की पेशकश की 11 सितंबर को शिमला के संजौली में उग्र प्रदर्शन हुआ। इससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। बल प्रयोग और पानी की बौछारें डालने से हिंदू संगठन भड़क गए। संजौली के बाद दूसरी जगह भी मस्जिद को तोड़ने की मांग उठी। संजौली मस्जिद का विवाद तूल पकड़ ही रहा था, इस बीच 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी खुद निगम आयुक्त कोर्ट में पहुंची और खुद अवैध हिस्सा तोड़ने की पेशकश की। तब जाकर विवाद शांत हो पाया। हिंदू संगठनों के आरोप हिंदू संगठनों और संजौली मस्जिद के आसपास रहने वाले लोकल रेजिडेंट ने आरोप लगाया कि मस्जिद का निर्माण बिना परमिशन के किया गया। मस्जिद की जमीन भी वक्फ बोर्ड की नहीं है। मस्जिद को बनाने के लिए नगर निगम से परमिशन भी नहीं ली गई। निगम आयुक्त की सुनवाई में यह आरोप सही पाए गए। हिमाचल | दैनिक भास्कर
