हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी विमल नेगी केस की जांच:परिजनों की याचिका पर आदेश; SIT जांच पर DGP ने ही उठाए ​​​​​​​थे सवाल

हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी विमल नेगी केस की जांच:परिजनों की याचिका पर आदेश; SIT जांच पर DGP ने ही उठाए ​​​​​​​थे सवाल

हिमाचल हाईकोर्ट ने पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले की जांच CBI को सौंप दी है। विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने याचिका दायर कर केस केंद्रीय एजेंसी को देने का आग्रह किया था। इसमें दलील दी गई कि उन्हें शिमला पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है। अब इस केस की जांच सीबीआई करेगी। वहीं इस केस में डीजीपी अतुल वर्मा की ओर से कोर्ट में दायर हलफनामे में शिमला पुलिस की एसआईटी और एसपी शिमला की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए हैं। डीजीपी की रिपोर्ट में कहा गया कि इस मामले में अभी तक की जांच में कई सवाल हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि एसआईटी इस मामले की जांच को आत्महत्या की ओर ले जा रही है। इस पर न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने सभी पक्षों को सुनने के बाद टिप्पणी की कि डीजीपी और एसपी के आपसी टकराव की वजह से मामले में न्याय मिलने में देरी हो रही है। कोर्ट ने कहा, न्याय होना ही नहीं चाहिए, बल्कि व्यावहारिकता में दिखना भी चाहिए। उन्होंने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ता पक्ष के वकील राजीव रॉय ने कहा कि DGP-SP की रिपोर्ट से लग रहा है, दोनों एक-दूसरे पर ब्लेम गेम कर रहे हैं। एडवोकेट आरके बावा ने कहा, इस मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस), डीजीपी और एसपी शिमला ने स्टेट्स रिपोर्ट अदालत में दी है। इस पर आज अदालत में दोनों पक्षों की बहस हुई है। उन्होंने कहा, हमारा कहना था कि अभी तक की जांच निष्पक्ष नहीं है। सबूतों से छेड़छाड़ की गई। क्रूशल एविडेंस प्रीजर्व नहीं किए गए। डीजीपी के एफिडेविट में भी ये चीजें हाईलाइट हुई हैं। डीजीपी-एसपी की रिपोर्ट पर विरोधाभास है। वह जांच पर सवाल उठा रही है। ASI द्वारा पेन ड्राइव रखने की बात सामने आई अदालत में आज की बहस में मालूम पड़ा कि विमल नेगी की जेब से बरामद पेन ड्राइव ASI पंकज ने अपनी जेब में रख दी थी। DGP की रिपोर्ट में भी यह सवाल उठाए गए हैं। इस पर आज SP शिमला संजीव गांधी ने अदालत में बताया कि उन्होंने खुद इसका पता लगाया कि पंकज ने पेन ड्राइव जेब में रख दी थी। इसके बाद उसे सस्पेंड किया गया। एसआईटी ने जांच को मांगा समय- अनूप एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने कहा, मामले की जांच कर रही एसआईटी ने दो सप्ताह का समय मांगा है, ताकि जांच पूरी हो सके। उन्होंने कहा, 15 मार्च को डीजीपी की ओर से पहली एसआईटी गठित की गई। 18 मार्च को बिलासपुर में ASI पंकज ने पेन ड्राइव छिपाई। यह पेन ड्राइव विमल नेगी के पास थी। इसमें मौजूद 15 हजार डॉक्यूमेंट रिकवर कर दिए हैं। कोर्ट ने पूछा- CBI जांच कराने में क्या परेशानी कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए सरकार से पूछा कि सीबीआई जांच करवाने में क्या परेशानी है? इस पर एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने कहा, ऐसा करने से पुलिस का मोरल डाउन होगा। दरअसल, विमल नेगी के परिजनों ने यह केस सीबीआई को देने की मांग की है। इन वजह से नेगी के परिजनों को पुलिस जांच पर भरोसा नहीं विमल नेगी 10 मार्च से लापता थे, जबकि पोस्टमॉर्टम में उनकी मौत तीन दिन बाद बताई गई। ऐसे में तीन दिन तक वह कहां रहे, शिमला पुलिस इस बात का पता नहीं लगा पाई। हाईकोर्ट से पावर कॉरपोरेशन के डायरेक्टर देसराज की बेल रिजेक्ट होने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया। डायरेक्टर देसराज जब अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो हिमाचल सरकार की ओर से कोई भी वकील सुप्रीम कोर्ट में उसकी बेल का विरोध करने के लिए खड़ा नहीं हुआ। जब विमल नेगी का शव मिला, तो परिजनों को मौके पर नहीं बुलाया गया। इस वजह से विमल नेगी के परिजनों को शिमला पुलिस पर भरोसा नहीं है। इस सब सवालों का जवाब नहीं मिले से नेगी के परिजनों का पुलिस जांच से भरोसा उठ गया है। देसराज और 2 IAS के खिलाफ एफआईआर विमल नेगी के परिजनों ने पावर कॉरपोरेशन के एमडी हरिकेश मीणा, डायरेक्टर देसराज और दूसरे डायरेक्टर शिवम प्रताप सिंह पर प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। परिजनों द्वारा विमल नेगी के शव के साथ 19 मार्च को पावर कॉरपोरेशन कार्यालय के बाहर प्रदर्शन के बाद पुलिस ने डायरेक्टर देसराज के खिलाफ न्यू शिमला पुलिस थाना में एफआईआर की। इसके अलावा एमडी और डायरेक्टर पर्सनल के खिलाफ भी एफआईआर की गई। इसके बाद पुलिस जांच जारी हैं। हिमाचल हाईकोर्ट ने पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले की जांच CBI को सौंप दी है। विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने याचिका दायर कर केस केंद्रीय एजेंसी को देने का आग्रह किया था। इसमें दलील दी गई कि उन्हें शिमला पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है। अब इस केस की जांच सीबीआई करेगी। वहीं इस केस में डीजीपी अतुल वर्मा की ओर से कोर्ट में दायर हलफनामे में शिमला पुलिस की एसआईटी और एसपी शिमला की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए हैं। डीजीपी की रिपोर्ट में कहा गया कि इस मामले में अभी तक की जांच में कई सवाल हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि एसआईटी इस मामले की जांच को आत्महत्या की ओर ले जा रही है। इस पर न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने सभी पक्षों को सुनने के बाद टिप्पणी की कि डीजीपी और एसपी के आपसी टकराव की वजह से मामले में न्याय मिलने में देरी हो रही है। कोर्ट ने कहा, न्याय होना ही नहीं चाहिए, बल्कि व्यावहारिकता में दिखना भी चाहिए। उन्होंने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ता पक्ष के वकील राजीव रॉय ने कहा कि DGP-SP की रिपोर्ट से लग रहा है, दोनों एक-दूसरे पर ब्लेम गेम कर रहे हैं। एडवोकेट आरके बावा ने कहा, इस मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस), डीजीपी और एसपी शिमला ने स्टेट्स रिपोर्ट अदालत में दी है। इस पर आज अदालत में दोनों पक्षों की बहस हुई है। उन्होंने कहा, हमारा कहना था कि अभी तक की जांच निष्पक्ष नहीं है। सबूतों से छेड़छाड़ की गई। क्रूशल एविडेंस प्रीजर्व नहीं किए गए। डीजीपी के एफिडेविट में भी ये चीजें हाईलाइट हुई हैं। डीजीपी-एसपी की रिपोर्ट पर विरोधाभास है। वह जांच पर सवाल उठा रही है। ASI द्वारा पेन ड्राइव रखने की बात सामने आई अदालत में आज की बहस में मालूम पड़ा कि विमल नेगी की जेब से बरामद पेन ड्राइव ASI पंकज ने अपनी जेब में रख दी थी। DGP की रिपोर्ट में भी यह सवाल उठाए गए हैं। इस पर आज SP शिमला संजीव गांधी ने अदालत में बताया कि उन्होंने खुद इसका पता लगाया कि पंकज ने पेन ड्राइव जेब में रख दी थी। इसके बाद उसे सस्पेंड किया गया। एसआईटी ने जांच को मांगा समय- अनूप एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने कहा, मामले की जांच कर रही एसआईटी ने दो सप्ताह का समय मांगा है, ताकि जांच पूरी हो सके। उन्होंने कहा, 15 मार्च को डीजीपी की ओर से पहली एसआईटी गठित की गई। 18 मार्च को बिलासपुर में ASI पंकज ने पेन ड्राइव छिपाई। यह पेन ड्राइव विमल नेगी के पास थी। इसमें मौजूद 15 हजार डॉक्यूमेंट रिकवर कर दिए हैं। कोर्ट ने पूछा- CBI जांच कराने में क्या परेशानी कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए सरकार से पूछा कि सीबीआई जांच करवाने में क्या परेशानी है? इस पर एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने कहा, ऐसा करने से पुलिस का मोरल डाउन होगा। दरअसल, विमल नेगी के परिजनों ने यह केस सीबीआई को देने की मांग की है। इन वजह से नेगी के परिजनों को पुलिस जांच पर भरोसा नहीं विमल नेगी 10 मार्च से लापता थे, जबकि पोस्टमॉर्टम में उनकी मौत तीन दिन बाद बताई गई। ऐसे में तीन दिन तक वह कहां रहे, शिमला पुलिस इस बात का पता नहीं लगा पाई। हाईकोर्ट से पावर कॉरपोरेशन के डायरेक्टर देसराज की बेल रिजेक्ट होने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया। डायरेक्टर देसराज जब अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो हिमाचल सरकार की ओर से कोई भी वकील सुप्रीम कोर्ट में उसकी बेल का विरोध करने के लिए खड़ा नहीं हुआ। जब विमल नेगी का शव मिला, तो परिजनों को मौके पर नहीं बुलाया गया। इस वजह से विमल नेगी के परिजनों को शिमला पुलिस पर भरोसा नहीं है। इस सब सवालों का जवाब नहीं मिले से नेगी के परिजनों का पुलिस जांच से भरोसा उठ गया है। देसराज और 2 IAS के खिलाफ एफआईआर विमल नेगी के परिजनों ने पावर कॉरपोरेशन के एमडी हरिकेश मीणा, डायरेक्टर देसराज और दूसरे डायरेक्टर शिवम प्रताप सिंह पर प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। परिजनों द्वारा विमल नेगी के शव के साथ 19 मार्च को पावर कॉरपोरेशन कार्यालय के बाहर प्रदर्शन के बाद पुलिस ने डायरेक्टर देसराज के खिलाफ न्यू शिमला पुलिस थाना में एफआईआर की। इसके अलावा एमडी और डायरेक्टर पर्सनल के खिलाफ भी एफआईआर की गई। इसके बाद पुलिस जांच जारी हैं।   हिमाचल | दैनिक भास्कर