हरियाणा सरकार ने प्रोबो, स्पोर्ट्सबाजी और एमपीएल ओपिनियो जैसे ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर आधिकारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह प्रतिबंध अप्रैल से लागू हो गया है। सरकार ने एक जनहित याचिका और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद यह प्रतिबंध लागू किया है। यह नए सार्वजनिक जुआ रोकथाम अधिनियम- 2025 के तहत हुआ है। एमपीएल ओपिनियो ने इस सप्ताह की शुरुआत में हरियाणा में परिचालन बंद कर दिया है। नया कानून हरियाणा के अंदर इन ऐप्स के संचालन को अपराध बनाता है। यह उन्हें सार्वजनिक जुआ गतिविधियों के रूप में भी वर्गीकृत करता है। सार्वजनिक जुआ रोकथाम अधिनियम, 2025 केवल कौशल के खेलों को छूट देता है, लेकिन इसमें स्पष्ट रूप से फैंटेसी खेल या ओपिनियन ट्रेडिंग शामिल नहीं है। इससे कानूनी अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। यहां पढ़िए एक्ट में क्या हैं प्रावधान.. 1. मैच-स्पॉट फिक्सिंग के लिए 3 साल की जेल एक्ट में विशेष रूप से खेलों में मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। न्यूनतम 3 वर्ष की सजा है, जिसे बढ़ाकर 5 वर्ष किया जा सकता है। साथ ही जुर्माना भी है, जो कि 5 लाख रुपये से शुरू है। इतना ही नहीं बार-बार अपराध करने वालों को 7 साल तक की जेल हो सकती है। 2. सट्टेबाजी के लिए अलग से परिभाषा हरियाणा के अधिनियम में सट्टेबाजी को मोटे तौर पर मौखिक, लिखित या निहित, किसी भी तरह के समझौते के रूप में परिभाषित किया गया है। एक ऐसा समझौता जो अनिश्चित घटनाओं के नतीजों पर बेस्ड है और जहां भविष्यवाणियां असफल होने पर वित्तीय या भौतिक नुकसान होता है। ओपिनियन ट्रेडिंग ऐप भी दायरे में हैं। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट भी जारी कर चुका निर्देश
इससे पहले छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने भी हरियाणा के जैसा ही निर्देश जारी किया था, जिसमें राज्य के अंदर ऐसे प्लेटफॉर्म्स को जियो-ब्लॉकिंग अनिवार्य कर दी गई थी। प्रोबो जैसे प्लेटफॉर्म्स में निवेशकों ने बड़ी दिलचस्पी दिखाई है। प्रोबो ने पीक XV पार्टनर्स, एलिवेशन कैपिटल और द फंडामेंटल पार्टनरशिप से निवेश हासिल किया है। हरियाणा सरकार ने प्रोबो, स्पोर्ट्सबाजी और एमपीएल ओपिनियो जैसे ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर आधिकारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह प्रतिबंध अप्रैल से लागू हो गया है। सरकार ने एक जनहित याचिका और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद यह प्रतिबंध लागू किया है। यह नए सार्वजनिक जुआ रोकथाम अधिनियम- 2025 के तहत हुआ है। एमपीएल ओपिनियो ने इस सप्ताह की शुरुआत में हरियाणा में परिचालन बंद कर दिया है। नया कानून हरियाणा के अंदर इन ऐप्स के संचालन को अपराध बनाता है। यह उन्हें सार्वजनिक जुआ गतिविधियों के रूप में भी वर्गीकृत करता है। सार्वजनिक जुआ रोकथाम अधिनियम, 2025 केवल कौशल के खेलों को छूट देता है, लेकिन इसमें स्पष्ट रूप से फैंटेसी खेल या ओपिनियन ट्रेडिंग शामिल नहीं है। इससे कानूनी अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। यहां पढ़िए एक्ट में क्या हैं प्रावधान.. 1. मैच-स्पॉट फिक्सिंग के लिए 3 साल की जेल एक्ट में विशेष रूप से खेलों में मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। न्यूनतम 3 वर्ष की सजा है, जिसे बढ़ाकर 5 वर्ष किया जा सकता है। साथ ही जुर्माना भी है, जो कि 5 लाख रुपये से शुरू है। इतना ही नहीं बार-बार अपराध करने वालों को 7 साल तक की जेल हो सकती है। 2. सट्टेबाजी के लिए अलग से परिभाषा हरियाणा के अधिनियम में सट्टेबाजी को मोटे तौर पर मौखिक, लिखित या निहित, किसी भी तरह के समझौते के रूप में परिभाषित किया गया है। एक ऐसा समझौता जो अनिश्चित घटनाओं के नतीजों पर बेस्ड है और जहां भविष्यवाणियां असफल होने पर वित्तीय या भौतिक नुकसान होता है। ओपिनियन ट्रेडिंग ऐप भी दायरे में हैं। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट भी जारी कर चुका निर्देश
इससे पहले छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने भी हरियाणा के जैसा ही निर्देश जारी किया था, जिसमें राज्य के अंदर ऐसे प्लेटफॉर्म्स को जियो-ब्लॉकिंग अनिवार्य कर दी गई थी। प्रोबो जैसे प्लेटफॉर्म्स में निवेशकों ने बड़ी दिलचस्पी दिखाई है। प्रोबो ने पीक XV पार्टनर्स, एलिवेशन कैपिटल और द फंडामेंटल पार्टनरशिप से निवेश हासिल किया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
