शिमला में कैथलीघाट से ढली तक बन रहे फोरलेन निर्माण में खामियां सामने आई हैं। रविवार को हल्की बारिश में ही फोरलेन के ढंगे ढह गए और ढंगों का मलबा नीचे स्थित सेब के बगीचों में घुस गया है। पीड़ित ऋषि राठौर ने बताया कि शनिवार देर रात से हुई बारिश के कारण रविवार को यह हादसा हुआ है। उनके सेब के बगीचों को नुकसान पहुंचा है। कंपनी के प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे हैं और मामले पर चर्चा चल रही है। राठौर का कहना है कि अगर इसे जल्द ठीक नहीं किया गया तो बरसात में और नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि कंपनी से मुआवजे की मांग की जा रही है। वहीं स्थानीय लोगों का आरोप है कि मलबा रोकने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई थी। इस घटना के बाद लोगों ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए हैं। बता दें कि इस फोरलेन का निर्माण एनएचएआई द्वारा करवाया रहा है। यह परमाणु से शिमला तक बना है। और प्रोजेक्ट की अंतिम चरण केथलीघाट से ढली तक अंतिम चरण का कार्य चला हुआ है।इसकी लंबाई 28.4 किलोमीटर है। इस पर 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। यह सड़क चमयाणा, नेरी और शुकराला होते हुए ढली तक जाएगी। शिमला में कैथलीघाट से ढली तक बन रहे फोरलेन निर्माण में खामियां सामने आई हैं। रविवार को हल्की बारिश में ही फोरलेन के ढंगे ढह गए और ढंगों का मलबा नीचे स्थित सेब के बगीचों में घुस गया है। पीड़ित ऋषि राठौर ने बताया कि शनिवार देर रात से हुई बारिश के कारण रविवार को यह हादसा हुआ है। उनके सेब के बगीचों को नुकसान पहुंचा है। कंपनी के प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे हैं और मामले पर चर्चा चल रही है। राठौर का कहना है कि अगर इसे जल्द ठीक नहीं किया गया तो बरसात में और नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि कंपनी से मुआवजे की मांग की जा रही है। वहीं स्थानीय लोगों का आरोप है कि मलबा रोकने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई थी। इस घटना के बाद लोगों ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए हैं। बता दें कि इस फोरलेन का निर्माण एनएचएआई द्वारा करवाया रहा है। यह परमाणु से शिमला तक बना है। और प्रोजेक्ट की अंतिम चरण केथलीघाट से ढली तक अंतिम चरण का कार्य चला हुआ है।इसकी लंबाई 28.4 किलोमीटर है। इस पर 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। यह सड़क चमयाणा, नेरी और शुकराला होते हुए ढली तक जाएगी। हिमाचल | दैनिक भास्कर
