श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के गठन का अध्यादेश जारी, जानें अब क्या-क्या होगा बदलाव

श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के गठन का अध्यादेश जारी, जानें अब क्या-क्या होगा बदलाव

<p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> मथुरा के वृंदावन में स्थिति श्री बांके बिहारी जी मंदिर कॉरिडोर को सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद अब प्रक्रिया तेज हो गई है. अब मंदिर के प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधाओं की जिम्मेदारी श्री बांके बिहारीजी मंदिर ट्रस्ट संभालेगा और ट्रस्ट में 18 सदस्य होंगे. इसमें 11 ट्रस्टी नामित किए जाएंगे, जबकि अधिकतम 7 सदस्य पदेन हो सकेंगे. इस संबंध में &nbsp;राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की ओर से ट्रस्ट बनाने का अध्यादेश भी जारी कर दिया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यूपी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की तरफ से जारी किए गए अध्यादेश से साफ हो गया है कि अब ट्रस्ट के पदाधिकारी ही तय करेंगे कि पूजा व्यवस्था कैसी होगी और त्योहारों पर मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था कैसी रहेगी. श्री बांकेबिहारी मंदिर न्यास ट्रस्ट में 18 सदस्य ही मंदिर प्रबंधन से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं देखेंगे. इस ट्रस्ट में वैष्णव परंपरा, संप्रदाय या पीठों से संबंधित 6 लोग शामिल होंगे और 3 सदस्य शिक्षाविद्, उद्यमी, समाजसेवी होंगे. इसके अलावा मंदिर के गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पदेन सदस्यों में मथुरा के डीएम समेत ये लोग होंगे शामिल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं श्री बांके बिहारीजी मंदिर न्यास के पदेन सदस्यों में मथुरा के डीएम, एसएसपी व नगर आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ, धर्मार्थ कार्य विभाग का एक अधिकारी और एक सदस्य श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट सीईओ और राज्य सरकार की ओर से नियुक्त होगा. पदेन ट्रस्टी अपने पद के आधार पर न्यासी रहेंगे और पद की अवधि तक सदस्य रहेंगे. इसके साथ ही बोर्ड के पदेन सदस्यों को कोई मत देने का अधिकार नहीं होगा, लेकिन वे बोर्ड के विचार-विमर्श में भाग लेने और राय व्यक्त करने के हकदार होंगे. हालांकि ये भी साफ कर दिया है कि ऐसा कोई व्यक्ति जो कोर्ट द्वारा अपराधी ठहराया गया हो, वह बोर्ड में नियुक्त नहीं किया जा सकेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ट्रस्ट के पास होगा एक मुख्य खाता</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही ट्रस्ट के पास एक मुख्य खाता होगा, लेकिन विभिन्न उद्देश्यों और कार्यों के लिए एक या अधिक उप-खाते भी रखे जा सकते हैं. ट्रस्ट की कोई भी संपत्ति अन्य संपत्ति में परिवर्तित या बदली जा सकती है, बशर्ते कि वह इस अध्यादेश के उपबन्धों के अनुरूप हो. वहीं ट्रस्ट के पूर्णकालिक कर्मचारी के रूप में कम से कम एक स्थायी चार्टर्ड अकाउंटेंट और कॉस्ट अकाउंटेंट होगा. ट्रस्ट अपनी सभी संपत्तियों, देनदारियों, आय और खर्चे का पूरा और सही लेखा-जोखा रखेंगे तथा हर साल मार्च के अंतिम दिन के लिए आय व खर्चा खाता और बैलेंस शीट तैयार करेगा.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> मथुरा के वृंदावन में स्थिति श्री बांके बिहारी जी मंदिर कॉरिडोर को सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद अब प्रक्रिया तेज हो गई है. अब मंदिर के प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधाओं की जिम्मेदारी श्री बांके बिहारीजी मंदिर ट्रस्ट संभालेगा और ट्रस्ट में 18 सदस्य होंगे. इसमें 11 ट्रस्टी नामित किए जाएंगे, जबकि अधिकतम 7 सदस्य पदेन हो सकेंगे. इस संबंध में &nbsp;राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की ओर से ट्रस्ट बनाने का अध्यादेश भी जारी कर दिया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यूपी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की तरफ से जारी किए गए अध्यादेश से साफ हो गया है कि अब ट्रस्ट के पदाधिकारी ही तय करेंगे कि पूजा व्यवस्था कैसी होगी और त्योहारों पर मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था कैसी रहेगी. श्री बांकेबिहारी मंदिर न्यास ट्रस्ट में 18 सदस्य ही मंदिर प्रबंधन से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं देखेंगे. इस ट्रस्ट में वैष्णव परंपरा, संप्रदाय या पीठों से संबंधित 6 लोग शामिल होंगे और 3 सदस्य शिक्षाविद्, उद्यमी, समाजसेवी होंगे. इसके अलावा मंदिर के गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पदेन सदस्यों में मथुरा के डीएम समेत ये लोग होंगे शामिल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं श्री बांके बिहारीजी मंदिर न्यास के पदेन सदस्यों में मथुरा के डीएम, एसएसपी व नगर आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ, धर्मार्थ कार्य विभाग का एक अधिकारी और एक सदस्य श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट सीईओ और राज्य सरकार की ओर से नियुक्त होगा. पदेन ट्रस्टी अपने पद के आधार पर न्यासी रहेंगे और पद की अवधि तक सदस्य रहेंगे. इसके साथ ही बोर्ड के पदेन सदस्यों को कोई मत देने का अधिकार नहीं होगा, लेकिन वे बोर्ड के विचार-विमर्श में भाग लेने और राय व्यक्त करने के हकदार होंगे. हालांकि ये भी साफ कर दिया है कि ऐसा कोई व्यक्ति जो कोर्ट द्वारा अपराधी ठहराया गया हो, वह बोर्ड में नियुक्त नहीं किया जा सकेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ट्रस्ट के पास होगा एक मुख्य खाता</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके साथ ही ट्रस्ट के पास एक मुख्य खाता होगा, लेकिन विभिन्न उद्देश्यों और कार्यों के लिए एक या अधिक उप-खाते भी रखे जा सकते हैं. ट्रस्ट की कोई भी संपत्ति अन्य संपत्ति में परिवर्तित या बदली जा सकती है, बशर्ते कि वह इस अध्यादेश के उपबन्धों के अनुरूप हो. वहीं ट्रस्ट के पूर्णकालिक कर्मचारी के रूप में कम से कम एक स्थायी चार्टर्ड अकाउंटेंट और कॉस्ट अकाउंटेंट होगा. ट्रस्ट अपनी सभी संपत्तियों, देनदारियों, आय और खर्चे का पूरा और सही लेखा-जोखा रखेंगे तथा हर साल मार्च के अंतिम दिन के लिए आय व खर्चा खाता और बैलेंस शीट तैयार करेगा.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड कोर्ट से राहत मिलने के बाद बृजभूषण शरण सिंह की पहली प्रतिक्रिया, इन लोगों को दी चेतावनी