हाईकोर्ट ने यूपी के डीजीपी से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा:वाराणसी के युवक के अपहरण मामले में पूछा-अब तक क्यों नहीं खोजा जा सका

हाईकोर्ट ने यूपी के डीजीपी से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा:वाराणसी के युवक के अपहरण मामले में पूछा-अब तक क्यों नहीं खोजा जा सका

अपहरण के मामले की सुनवाई की तारीख 12 जून तक केस में कोई प्रगति न होना ‘घृणित’ है, जबकि लापता युवक का पता लगाने के लिए 7 जून को ही एक पुलिस टीम का गठन किया गया था। यह टिप्पणी है जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस हरवीर सिंह की खंडपीठ की। जो वाराणसी में 21 साल के युवक के अपहरण मामले में की गई है। कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख 9 जुलाई को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आईपीएस राजीव कृष्ण इस संबंध में हलफनामा दाखिल करें कि उनके अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं। और अगर इस बीच अपह्त की हत्या हो गई तो क्या करेंगे। सबसे पहले जानिए पूरा मामला वाराणसी निवासी 21 साल के युवक का 31 मार्च को कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया। युवक के भाई नितेश ने 3 अप्रैल को वाराणसी में एफआईआर दर्ज कराई। नितेश ने पुलिस से भाई को खोजने की गुहार लगाई। लेकिन पुलिस युवक को नहीं खोज सकी। थक हार कर नितेश ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर भाई गुहार लगाई। जिसकी पहली सुनवाई 4 जून को हुई जिसमें कोर्ट ने अगली तारीख 12 जून लगाई और वाराणसी पुलिस आयुक्त को युवक को खोजने के लिए 7 जून तक टीम गठित करने का निर्देश दिया। 12 जून को जब सुनवाई शुरू हुई तो वाराणसी के पुलिस आयुक्त ने कहा कि अभी तक युवक को नहीं खोजा जा सका है। जिससे कोर्ट ने नाराजगी जताई और 9 जुलाई को अगली तारीख लगाते हुए यूपी के डीजीपी को व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है। अब जानिए चार जून को कोर्ट ने क्या कहा था हाईकोर्ट ने वाराणसी के नितेश कुमार की दायर रिट याचिका पर विचार कर रहा है जो अपने भाई के लापता होने के संबंध में है। जिसमें नितेश का दावा है कि वाराणसी के संबंधित पुलिस अधिकारी उसके भाई का पता नहीं लगा रहे हैं। इसी मामले में 4 जून को याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस की तीखी आलोचना की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि यदि- किसी अपहृत व्यक्ति को शीघ्र बरामद नहीं किया जाता है और देरी के कारण पीड़ित की हत्या हो जाती है तो उस पुलिस विभाग के प्रमुख पर जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए, जिसके अधिकार क्षेत्र में अपहरण या अपहरण की रिपोर्ट की गई थी। चार जून को इसी मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जेजे मुनीर व अनिल कुमार (दशम) की खंडपीठ ने अपहरण से जुड़े मामलों में पुलिस की उदासीनता पर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने कहा था कि- पुलिस अधिकारी हमेशा अपनी छवि बनाने की कोशिश में दिखते हैं लेकिन शिकायतों को लेकर संजीदा नहीं रहते। वाराणसी के पुलिस आयुक्त व अन्य पुलिस अफसरों से हलफनामा मांगा गया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि – यह पहला मामला नहीं है जब लापता लोगों का पता नहीं चल पाया है। पुलिस शिकायत दर्ज कर ध्यान देने से खुद को बचाती रही है। अब 12 जून को सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने 12 जून को प्रकरण में सुनवाई करते हुए कहा कि याची का भाई 31 मार्च 25 से लापता है, जिसके अपहरण की FIR तीन अप्रैल 2025 को दर्ज की गई, लेकिन पुलिस उदासीन रही, और उसने कुछ नहीं किया। कोर्ट ने कहा जब चार जून को सुनवाई हुई तो कहा गया था कि सात जून को अपहृत की तलाश के लिए पुलिस दल गठित कर दिया जाएगा। लेकिन आज जब सुनवाई हुई तो कोर्ट के संज्ञान में कोई प्रगति नहीं दिखाई गई। इसलिए कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी राजीव कृष्णा को निर्देश दिया कि वे मामले की पूरी जानकारी लेकर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें और बताएं कि अब तक युवक को क्यों नहीं खोजा जा सका। ————- ये खबर भी पढ़िए भास्कर गंगा यात्रा-यूपी में गंगा को मैली कर रही काली नदी:इत्र नगरी में सीवेज, औद्योगिक कचरा और केमिकल बढ़ा रहे प्रदूषण, पार्ट-3 कन्नौज शहर से 15 किलोमीटर दूर है मेहंदीघाट। एक तरफ शव जल रहे, दूसरी तरफ काली नदी और गंगा के संगम पर लोग स्नान कर रहे। गंगा स्नान कर रहे लोगों के चेहरे के भाव बता रहे हैं कि मजबूरी में उन्हें ऐसा करना पड़ रहा। दरअसल, काली नदी, जो कभी नागिन की तरह लहराती थी, कालिंदी बनकर गंगा को गले लगाती थी। दैनिक भास्कर ने अपनी गंगा यात्रा के तीसरे दिन संभल से कन्नौज तक करीब 312 किमी का सफर तय किया। हमने देखा कि कैसे एक नदी प्रदूषण, उपेक्षा और लापरवाही की भेंट चढ़ गई? पढ़िए ये खास रिपोर्ट… अपहरण के मामले की सुनवाई की तारीख 12 जून तक केस में कोई प्रगति न होना ‘घृणित’ है, जबकि लापता युवक का पता लगाने के लिए 7 जून को ही एक पुलिस टीम का गठन किया गया था। यह टिप्पणी है जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस हरवीर सिंह की खंडपीठ की। जो वाराणसी में 21 साल के युवक के अपहरण मामले में की गई है। कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख 9 जुलाई को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आईपीएस राजीव कृष्ण इस संबंध में हलफनामा दाखिल करें कि उनके अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं। और अगर इस बीच अपह्त की हत्या हो गई तो क्या करेंगे। सबसे पहले जानिए पूरा मामला वाराणसी निवासी 21 साल के युवक का 31 मार्च को कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया। युवक के भाई नितेश ने 3 अप्रैल को वाराणसी में एफआईआर दर्ज कराई। नितेश ने पुलिस से भाई को खोजने की गुहार लगाई। लेकिन पुलिस युवक को नहीं खोज सकी। थक हार कर नितेश ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर भाई गुहार लगाई। जिसकी पहली सुनवाई 4 जून को हुई जिसमें कोर्ट ने अगली तारीख 12 जून लगाई और वाराणसी पुलिस आयुक्त को युवक को खोजने के लिए 7 जून तक टीम गठित करने का निर्देश दिया। 12 जून को जब सुनवाई शुरू हुई तो वाराणसी के पुलिस आयुक्त ने कहा कि अभी तक युवक को नहीं खोजा जा सका है। जिससे कोर्ट ने नाराजगी जताई और 9 जुलाई को अगली तारीख लगाते हुए यूपी के डीजीपी को व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है। अब जानिए चार जून को कोर्ट ने क्या कहा था हाईकोर्ट ने वाराणसी के नितेश कुमार की दायर रिट याचिका पर विचार कर रहा है जो अपने भाई के लापता होने के संबंध में है। जिसमें नितेश का दावा है कि वाराणसी के संबंधित पुलिस अधिकारी उसके भाई का पता नहीं लगा रहे हैं। इसी मामले में 4 जून को याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस की तीखी आलोचना की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि यदि- किसी अपहृत व्यक्ति को शीघ्र बरामद नहीं किया जाता है और देरी के कारण पीड़ित की हत्या हो जाती है तो उस पुलिस विभाग के प्रमुख पर जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए, जिसके अधिकार क्षेत्र में अपहरण या अपहरण की रिपोर्ट की गई थी। चार जून को इसी मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जेजे मुनीर व अनिल कुमार (दशम) की खंडपीठ ने अपहरण से जुड़े मामलों में पुलिस की उदासीनता पर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने कहा था कि- पुलिस अधिकारी हमेशा अपनी छवि बनाने की कोशिश में दिखते हैं लेकिन शिकायतों को लेकर संजीदा नहीं रहते। वाराणसी के पुलिस आयुक्त व अन्य पुलिस अफसरों से हलफनामा मांगा गया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि – यह पहला मामला नहीं है जब लापता लोगों का पता नहीं चल पाया है। पुलिस शिकायत दर्ज कर ध्यान देने से खुद को बचाती रही है। अब 12 जून को सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने 12 जून को प्रकरण में सुनवाई करते हुए कहा कि याची का भाई 31 मार्च 25 से लापता है, जिसके अपहरण की FIR तीन अप्रैल 2025 को दर्ज की गई, लेकिन पुलिस उदासीन रही, और उसने कुछ नहीं किया। कोर्ट ने कहा जब चार जून को सुनवाई हुई तो कहा गया था कि सात जून को अपहृत की तलाश के लिए पुलिस दल गठित कर दिया जाएगा। लेकिन आज जब सुनवाई हुई तो कोर्ट के संज्ञान में कोई प्रगति नहीं दिखाई गई। इसलिए कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी राजीव कृष्णा को निर्देश दिया कि वे मामले की पूरी जानकारी लेकर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें और बताएं कि अब तक युवक को क्यों नहीं खोजा जा सका। ————- ये खबर भी पढ़िए भास्कर गंगा यात्रा-यूपी में गंगा को मैली कर रही काली नदी:इत्र नगरी में सीवेज, औद्योगिक कचरा और केमिकल बढ़ा रहे प्रदूषण, पार्ट-3 कन्नौज शहर से 15 किलोमीटर दूर है मेहंदीघाट। एक तरफ शव जल रहे, दूसरी तरफ काली नदी और गंगा के संगम पर लोग स्नान कर रहे। गंगा स्नान कर रहे लोगों के चेहरे के भाव बता रहे हैं कि मजबूरी में उन्हें ऐसा करना पड़ रहा। दरअसल, काली नदी, जो कभी नागिन की तरह लहराती थी, कालिंदी बनकर गंगा को गले लगाती थी। दैनिक भास्कर ने अपनी गंगा यात्रा के तीसरे दिन संभल से कन्नौज तक करीब 312 किमी का सफर तय किया। हमने देखा कि कैसे एक नदी प्रदूषण, उपेक्षा और लापरवाही की भेंट चढ़ गई? पढ़िए ये खास रिपोर्ट…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर