<p style=”text-align: justify;”><strong>Chhattisgarh News:</strong> छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में बालकों के सघन वन क्षेत्र में साल पेड़ पर बोरर का प्रकोप बढ़ता जा रहा था. इसकी रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली. आखिरकार विभागीय अधिकारियों ने बीमारी की जद में आ चुके करीब 12 सौ पेड़ों को चिन्हांकित कर लिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अफसरों के लगातार प्रयास के बाद केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 923 वृक्ष को काटने अनुमति प्रदान किया है. अब तक विभाग ने 497 पेड़ों की कटाई की है. जल्द पूरी तरह सूख चुके शेष पेड़ों की कटाई की जाएगी, ताकि जंगल को सुरक्षित रखा जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सूखे पेड़ों में बढ़ता जा रहा था बोरर का प्रकोप</strong><br />यदि आप बालको से काफी पाइंट की ओर जा रहे हैं, तो केशलपुर के आसपास भारी संख्या में साल के सूखे पेंड़ दिखाई देंगे. ये वृक्ष ऐसे ही नहीं सूखे हैं. दरअसल हरे भरे जंगल में नजर आने वाले सूखे पेंड़ो में बोरर का प्रकोप बढ़ता जा रहा था. तेजी से बढ़ रही बोरर कीट ने वन अफसरों की नींद उड़ा दी. अफसरों ने बोरर के प्रकोप को नियंत्रित करने योजना तैयार कर ली. योजना के मुताबिक सूख चुके पेड़ों की गणना की गई. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पूरी तरह हो सका समाप्त</strong><br />जिसमें 1200 से अधिक पेड़ को चिन्हांकित किया गया. बोरर कीट को नष्ट करने दवा का छिड़काव भी किया गया. पेड़ों के उन हिस्सों को ब्लॉक किया गया, जहां से बोरर कीट ने प्रवेश किया था. जिससे लगातार बढ़ रहे बोरर पर अंकुश तो लगा लिया गया, लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं हो सका.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पेड़ काटने अनुमति कर दिया है प्रदान</strong><br />इस पर पूरी तरह अंकुश लगाने ठोस पहल जरूरी था. लिहाजा वर्ष 2022-23 में कोरबा वन मंडल के तत्कालीन डीएफओ प्रियंका पांडेय ने 923 पेड़ों की कटाई के लिए प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भेज दिया था. वन अफसरों की लगातार प्रयास के बाद मंत्रालय ने पेड़ काटने अनुमति प्रदान कर दिया है. इसके साथ ही वन विभाग ने पेड़ों की कटाई भी शुरू कर दी है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अब तक बालको के जंगल में बोरर की जद में आ चुके 497 पेड़ों की कटाई की जा चुकी है. बताया जा रहा है आने वाले दिनों में शेष पेड़ों की कटाई पूरी कर ली जाएगी, ताकि जंगल के भीतर लगे साल वृक्षों को कीट से बचाया जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सतरेंगा व मातमार में है विशाल वृक्ष</strong><br />जानकारों की मानें तो साल वृक्ष की उम्र सामान्य तौर पर एक हजार वर्ष होता है, लेकिन कोरबा वन मंडल के सतरेंगा मे 14 सौ साल पुराना साल वृक्ष है. जिसकी ऊंचाई 28 मीटर व गोलाई 25 फीट है. इस राज्य का सबसे बड़ा वृक्ष माना जाता है. इसी तरह कोरबा वन मंडल के ही मातमार के साल वृक्ष को दूसरा सबसे बड़ा पेड़ माना जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दो प्रकार की लकड़ी कर रहे संग्रहित</strong><br />बताया जा रहा है बालको वन परिक्षेत्र के केशलपुर जंगल में बोरर से प्रभावित वृक्षों की कटाई की गई है. इस दौरान दो प्रकार के लकड़ी का संग्रहण किया जा रहा है। जिसमें जलाऊ व इमारती लकड़ी शामिल हैं. विभाग द्वारा जलाऊ लकड़ी को कोरबा तो इमारती लकड़ी को कासनियां डिपो भेजा जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है बोरर</strong><br />बोरर एक प्रकार का कीट है, जो एक बार में 300 से 500 अंडा देता है. साल बोरर मानसून समाप्त होने के बाद पेड़ पर लगता है, जो उम्र भर पेड़ पर रहता है. एक हरे भरे पेड़ को 1500 कीट घुन की तरह चट कर जाते हैं. बोरर का समाप्त करने का एकमात्र उपाय पेड़ की कटाई है, अन्यथा यह साल पेड़ में तेजी से फैल जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बालको वन परिक्षेत्राधिकारी जयंत सरकार ने बताया कि केशलपुर के आसपास बोरर की जद में आ चुके 923 वृक्ष को चिन्हांकित किया गया था. मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद 497 पेंड़ो की कटाई की जा चुकी है. शेष पेड़ों की भी कटाई की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”सियासी खेल की भेंट चढ़ रहे बस्तर के जंगल, वन अधिकार पट्टे के दुरुपयोग के लग रहे आरोप” href=”https://www.abplive.com/states/chhattisgarh/bastar-forests-are-vanishing-forest-rights-leases-distributed-to-villagers-misused-chhattisgarh-ann-2709230″ target=”_self”>सियासी खेल की भेंट चढ़ रहे बस्तर के जंगल, वन अधिकार पट्टे के दुरुपयोग के लग रहे आरोप</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Chhattisgarh News:</strong> छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में बालकों के सघन वन क्षेत्र में साल पेड़ पर बोरर का प्रकोप बढ़ता जा रहा था. इसकी रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली. आखिरकार विभागीय अधिकारियों ने बीमारी की जद में आ चुके करीब 12 सौ पेड़ों को चिन्हांकित कर लिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अफसरों के लगातार प्रयास के बाद केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 923 वृक्ष को काटने अनुमति प्रदान किया है. अब तक विभाग ने 497 पेड़ों की कटाई की है. जल्द पूरी तरह सूख चुके शेष पेड़ों की कटाई की जाएगी, ताकि जंगल को सुरक्षित रखा जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सूखे पेड़ों में बढ़ता जा रहा था बोरर का प्रकोप</strong><br />यदि आप बालको से काफी पाइंट की ओर जा रहे हैं, तो केशलपुर के आसपास भारी संख्या में साल के सूखे पेंड़ दिखाई देंगे. ये वृक्ष ऐसे ही नहीं सूखे हैं. दरअसल हरे भरे जंगल में नजर आने वाले सूखे पेंड़ो में बोरर का प्रकोप बढ़ता जा रहा था. तेजी से बढ़ रही बोरर कीट ने वन अफसरों की नींद उड़ा दी. अफसरों ने बोरर के प्रकोप को नियंत्रित करने योजना तैयार कर ली. योजना के मुताबिक सूख चुके पेड़ों की गणना की गई. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पूरी तरह हो सका समाप्त</strong><br />जिसमें 1200 से अधिक पेड़ को चिन्हांकित किया गया. बोरर कीट को नष्ट करने दवा का छिड़काव भी किया गया. पेड़ों के उन हिस्सों को ब्लॉक किया गया, जहां से बोरर कीट ने प्रवेश किया था. जिससे लगातार बढ़ रहे बोरर पर अंकुश तो लगा लिया गया, लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं हो सका.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पेड़ काटने अनुमति कर दिया है प्रदान</strong><br />इस पर पूरी तरह अंकुश लगाने ठोस पहल जरूरी था. लिहाजा वर्ष 2022-23 में कोरबा वन मंडल के तत्कालीन डीएफओ प्रियंका पांडेय ने 923 पेड़ों की कटाई के लिए प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भेज दिया था. वन अफसरों की लगातार प्रयास के बाद मंत्रालय ने पेड़ काटने अनुमति प्रदान कर दिया है. इसके साथ ही वन विभाग ने पेड़ों की कटाई भी शुरू कर दी है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अब तक बालको के जंगल में बोरर की जद में आ चुके 497 पेड़ों की कटाई की जा चुकी है. बताया जा रहा है आने वाले दिनों में शेष पेड़ों की कटाई पूरी कर ली जाएगी, ताकि जंगल के भीतर लगे साल वृक्षों को कीट से बचाया जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सतरेंगा व मातमार में है विशाल वृक्ष</strong><br />जानकारों की मानें तो साल वृक्ष की उम्र सामान्य तौर पर एक हजार वर्ष होता है, लेकिन कोरबा वन मंडल के सतरेंगा मे 14 सौ साल पुराना साल वृक्ष है. जिसकी ऊंचाई 28 मीटर व गोलाई 25 फीट है. इस राज्य का सबसे बड़ा वृक्ष माना जाता है. इसी तरह कोरबा वन मंडल के ही मातमार के साल वृक्ष को दूसरा सबसे बड़ा पेड़ माना जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दो प्रकार की लकड़ी कर रहे संग्रहित</strong><br />बताया जा रहा है बालको वन परिक्षेत्र के केशलपुर जंगल में बोरर से प्रभावित वृक्षों की कटाई की गई है. इस दौरान दो प्रकार के लकड़ी का संग्रहण किया जा रहा है। जिसमें जलाऊ व इमारती लकड़ी शामिल हैं. विभाग द्वारा जलाऊ लकड़ी को कोरबा तो इमारती लकड़ी को कासनियां डिपो भेजा जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है बोरर</strong><br />बोरर एक प्रकार का कीट है, जो एक बार में 300 से 500 अंडा देता है. साल बोरर मानसून समाप्त होने के बाद पेड़ पर लगता है, जो उम्र भर पेड़ पर रहता है. एक हरे भरे पेड़ को 1500 कीट घुन की तरह चट कर जाते हैं. बोरर का समाप्त करने का एकमात्र उपाय पेड़ की कटाई है, अन्यथा यह साल पेड़ में तेजी से फैल जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बालको वन परिक्षेत्राधिकारी जयंत सरकार ने बताया कि केशलपुर के आसपास बोरर की जद में आ चुके 923 वृक्ष को चिन्हांकित किया गया था. मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद 497 पेंड़ो की कटाई की जा चुकी है. शेष पेड़ों की भी कटाई की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”सियासी खेल की भेंट चढ़ रहे बस्तर के जंगल, वन अधिकार पट्टे के दुरुपयोग के लग रहे आरोप” href=”https://www.abplive.com/states/chhattisgarh/bastar-forests-are-vanishing-forest-rights-leases-distributed-to-villagers-misused-chhattisgarh-ann-2709230″ target=”_self”>सियासी खेल की भेंट चढ़ रहे बस्तर के जंगल, वन अधिकार पट्टे के दुरुपयोग के लग रहे आरोप</a></strong></p> छत्तीसगढ़ Patna Crime: पटना में बदमाशों ने व्यक्ति की गोली मारकर की हत्या, वारदात से इलाके में सनसनी