पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में चार दिन पहले दो मालगाड़ियों की टक्कर की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लोको पायलट और उनके सहायक को गाड़ी चलाते समय नींद आ गई थी। जिसके चलते वे रेड सिग्नल पर ब्रेक नहीं लगा पाए। इसी वजह से यह हादसा हुआ। हालांकि, जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इसकी चपेट में पैसेंजर ट्रेन के दो डिब्बे भी आए थे। अब इस संबंध में रेलवे की ओर से आगे की कार्रवाई की जानी है। ऐसे हुआ हादसा जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह हादसा 2 जून को सुबह करीब 3:15 बजे पंजाब के सरहिंद जंक्शन और साधुगढ़ स्टेशन के बीच हुआ। जब इंजन यूपी जीवीजीएन ने पहले खड़ी मालगाड़ी को टक्कर मारी। इसके बाद यह पटरी से उतर गई और सीधे मेन पैसेंजर लाइन पर जा गिरी। हालांकि, उस समय कोलकाता जम्मू तवी स्पेशल ट्रेन वहां से गुजर रही थी। इसकी स्पीड कम थी। यह करीब 46 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। इसके आखिरी दो डिब्बे भी इसकी चपेट में आ गए। उस समय ट्रेन के पायलट ने ब्रेक लगा दिए थे। जिसके चलते कई लोग हादसे का शिकार होने से बच गए। दोनों पायलट इंजन में फंस गए थे हादसे के बाद लोको पायलट और सहायक लोको पायलट पलटे हुए इंजन के अंदर फंस गए थे। मौके पर मौजूद रेलवे कर्मचारियों को उन्हें विंडशील्ड तोड़कर निकाला था। दोनों को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया। तीन यात्रियों को मामूली चोटें आईं। हालांकि जांच दल ने कहा है कि उन्होंने दोनों ड्राइवरों का बयान नहीं लिया क्योंकि वे घायल थे और अस्पताल में भर्ती थे। जबकि ट्रेन मैनेजर ने अपने लिखित बयान में उल्लेख किया है कि जब उन्हें इंजन से बचाया गया, तो उन्होंने कबूल लिया था कि वे गाड़ी चलाते समय सो गए थे। करीब 22 लोगों के बयान जांच टीम ने लिए हैं। आराम करके आए होते तो नहीं होता हादसा ट्रेन मैनेजर ने जांच टीम को लिखित में कहा कि अगर एलपी (लोको पायलट) और एएलपी (सहायक लोको पायलट) पूरी तरह से आराम करने के बाद ड्यूटी पर आते और गाड़ी चलाते समय सतर्क रहते, तो यह घटना टल सकती थी। लोको पायलटों के संगठन ने रेलवे पर आरोप लगाया कि उनकी कमी के कारण ट्रेन ड्राइवरों से अधिक काम करवाया जा रहा है। इन ड्राइवरों के रोस्टर चार्ट से पता चलता है कि उन्होंने अतीत में लगातार कई रात की ड्यूटी की है जो रेलवे के मानदंडों के खिलाफ है। पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में चार दिन पहले दो मालगाड़ियों की टक्कर की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लोको पायलट और उनके सहायक को गाड़ी चलाते समय नींद आ गई थी। जिसके चलते वे रेड सिग्नल पर ब्रेक नहीं लगा पाए। इसी वजह से यह हादसा हुआ। हालांकि, जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इसकी चपेट में पैसेंजर ट्रेन के दो डिब्बे भी आए थे। अब इस संबंध में रेलवे की ओर से आगे की कार्रवाई की जानी है। ऐसे हुआ हादसा जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह हादसा 2 जून को सुबह करीब 3:15 बजे पंजाब के सरहिंद जंक्शन और साधुगढ़ स्टेशन के बीच हुआ। जब इंजन यूपी जीवीजीएन ने पहले खड़ी मालगाड़ी को टक्कर मारी। इसके बाद यह पटरी से उतर गई और सीधे मेन पैसेंजर लाइन पर जा गिरी। हालांकि, उस समय कोलकाता जम्मू तवी स्पेशल ट्रेन वहां से गुजर रही थी। इसकी स्पीड कम थी। यह करीब 46 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। इसके आखिरी दो डिब्बे भी इसकी चपेट में आ गए। उस समय ट्रेन के पायलट ने ब्रेक लगा दिए थे। जिसके चलते कई लोग हादसे का शिकार होने से बच गए। दोनों पायलट इंजन में फंस गए थे हादसे के बाद लोको पायलट और सहायक लोको पायलट पलटे हुए इंजन के अंदर फंस गए थे। मौके पर मौजूद रेलवे कर्मचारियों को उन्हें विंडशील्ड तोड़कर निकाला था। दोनों को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया। तीन यात्रियों को मामूली चोटें आईं। हालांकि जांच दल ने कहा है कि उन्होंने दोनों ड्राइवरों का बयान नहीं लिया क्योंकि वे घायल थे और अस्पताल में भर्ती थे। जबकि ट्रेन मैनेजर ने अपने लिखित बयान में उल्लेख किया है कि जब उन्हें इंजन से बचाया गया, तो उन्होंने कबूल लिया था कि वे गाड़ी चलाते समय सो गए थे। करीब 22 लोगों के बयान जांच टीम ने लिए हैं। आराम करके आए होते तो नहीं होता हादसा ट्रेन मैनेजर ने जांच टीम को लिखित में कहा कि अगर एलपी (लोको पायलट) और एएलपी (सहायक लोको पायलट) पूरी तरह से आराम करने के बाद ड्यूटी पर आते और गाड़ी चलाते समय सतर्क रहते, तो यह घटना टल सकती थी। लोको पायलटों के संगठन ने रेलवे पर आरोप लगाया कि उनकी कमी के कारण ट्रेन ड्राइवरों से अधिक काम करवाया जा रहा है। इन ड्राइवरों के रोस्टर चार्ट से पता चलता है कि उन्होंने अतीत में लगातार कई रात की ड्यूटी की है जो रेलवे के मानदंडों के खिलाफ है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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