लोकसभा चुनाव में हार से सहमा बिश्नोई परिवार इन दिनों आदमपुर में एक्टिव है। कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई इन दिनों आदमपुर के गांव-गांव घूम रहे हैं। वह समर्थकों के घर-घर जा रहे हैं और उनके साथ ही नीचे बैठकर खाना खा रहे हैं। वहीं आदमपुर में लंबित पड़ी मांगों की लिस्ट बनाकर CMO कार्यालय के चक्कर भी लगा रहे हैं। कुछ दिन पहले ही कुलदीप बिश्नोई और विधायक बेटे भव्य बिश्नोई ने नायब सैनी से मुलाकात की थी और आदमपुर से संबंधित मांगों की लिस्ट सौंपी थी जिस पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया है। इसी कड़ी में आदमपुर के जर्जर बस स्टैंड की मरम्मत के लिए मुख्यमंत्री नायाब सैनी से मांग की गई थी। इस बस स्टैंड के लिए मुख्यमंत्री की ओर से 35 लाख 63 हजार रुपए स्वीकृत हुए हैं। भव्य बिश्नोई ने हाल ही में बस स्टैंड का दौरा किया था जिसमें देखा कि पंखे से लेकर छत तक खराब हो चुकी है और बस स्टैंड पर सुविधाओं का अभाव है। भव्य बिश्नोई ने ग्रांट जारी करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया है। 56 साल से भजनलाल परिवार का है सीट पर कब्जा भजनलाल परिवार का अभेद दुर्ग कहे जाने वाले आदमपुर में भाजपा को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। आदमपुर विधानसभा पर 56 साल से बिश्नोई परिवार का कब्जा है। इस सीट पर पहली बार भजनलाल 1968 में विधायक बने थे तब से लेकर जितने भी चुनाव हुए सभी में भजनलाल परिवार ही आदमपुर से जीतता आ रहा है। मगर इस बार भजनलाल के किले में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। स्व. भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भाजपा में हैं और उनके बेटे भव्य बिश्नोई आदमपुर में 2022 में भाजपा की टिकट पर विधायक चुने गए थे। मगर इस बार कुलदीप बिश्नोई भाजपा की नैया आदमपुर में पार नहीं लगा सके। भाजपा के हिसार से लोकसभा रणजीत चौटाला को आदमपुर में 53156 वोट मिले जबकि कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी को 59544 वोट मिले। जयप्रकाश जेपी 6384 वोट से आदमपुर से चुनाव जीत गए। बिश्नोई परिवार का आदमपुर में घटा जनाधार आदमपुर में बिश्नोई परिवार का जनाधार लगातार कम हो रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भजनलाल के पौते भव्य बिश्नोई हिसार से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे तब भाजपा के बृजेंद्र सिंह ने भव्य को आदमपुर में हराया था। अब लोकसभा चुनाव में यह दूसरा मौका है जब बिश्नोई परिवार आदमपुर में हार गया हो। वहीं दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में भाजपा की ही टिकट पर भव्य आदमपुर से चुनाव लड़े और चुनाव जीते। मगर चुनाव जीत का मार्जिन कम हो गया। भव्य 15,714 वोटों से ही चुनाव जीत पाए। बिश्नोई परिवार का आदमपुर ही नहीं आसपास की सीटों भी प्रभाव था जो कहीं देखने को नहीं मिला। बिश्नोई परिवार के लिए अब आगे क्या बार-बार पार्टी बदलने से कमजोर हुआ बिश्नोई परिवार चौधरी भजनलाल ने जहां राजनीतिक स्थिरता दी वहीं कुलदीप बिश्नोई में राजनीतिक स्थिरता का अभाव दिखा। 2007 में कांग्रेस से अलग होकर चौधरी भजनलाल ने हजकां पार्टी बनाई। मगर उनके स्वर्गवास के बाद कुलदीप बिश्नोई ने कुछ साल पार्टी को आगे बढ़ाया। हरियाणा में हजकां के 6 विधायक चुनकर आए मगर वह उनको संभाल नहीं पाए और सभी कांग्रेस में चले गए। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई की हजका का भाजपा से गठबंधन हुआ मगर वह भी ज्यादा समय नहीं चला। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई ने हजकां का कांग्रेस में विलय कर लिया। कांग्रेस में कुछ वर्ष बिताने के बाद वह फिर भाजपा में आ गए। अब हिसार लोकसभा से टिकट नहीं मिलने पर कुलदीप भाजपा से नाराज हो गए थे। लोकसभा चुनाव में हार से सहमा बिश्नोई परिवार इन दिनों आदमपुर में एक्टिव है। कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई इन दिनों आदमपुर के गांव-गांव घूम रहे हैं। वह समर्थकों के घर-घर जा रहे हैं और उनके साथ ही नीचे बैठकर खाना खा रहे हैं। वहीं आदमपुर में लंबित पड़ी मांगों की लिस्ट बनाकर CMO कार्यालय के चक्कर भी लगा रहे हैं। कुछ दिन पहले ही कुलदीप बिश्नोई और विधायक बेटे भव्य बिश्नोई ने नायब सैनी से मुलाकात की थी और आदमपुर से संबंधित मांगों की लिस्ट सौंपी थी जिस पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया है। इसी कड़ी में आदमपुर के जर्जर बस स्टैंड की मरम्मत के लिए मुख्यमंत्री नायाब सैनी से मांग की गई थी। इस बस स्टैंड के लिए मुख्यमंत्री की ओर से 35 लाख 63 हजार रुपए स्वीकृत हुए हैं। भव्य बिश्नोई ने हाल ही में बस स्टैंड का दौरा किया था जिसमें देखा कि पंखे से लेकर छत तक खराब हो चुकी है और बस स्टैंड पर सुविधाओं का अभाव है। भव्य बिश्नोई ने ग्रांट जारी करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया है। 56 साल से भजनलाल परिवार का है सीट पर कब्जा भजनलाल परिवार का अभेद दुर्ग कहे जाने वाले आदमपुर में भाजपा को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। आदमपुर विधानसभा पर 56 साल से बिश्नोई परिवार का कब्जा है। इस सीट पर पहली बार भजनलाल 1968 में विधायक बने थे तब से लेकर जितने भी चुनाव हुए सभी में भजनलाल परिवार ही आदमपुर से जीतता आ रहा है। मगर इस बार भजनलाल के किले में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। स्व. भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भाजपा में हैं और उनके बेटे भव्य बिश्नोई आदमपुर में 2022 में भाजपा की टिकट पर विधायक चुने गए थे। मगर इस बार कुलदीप बिश्नोई भाजपा की नैया आदमपुर में पार नहीं लगा सके। भाजपा के हिसार से लोकसभा रणजीत चौटाला को आदमपुर में 53156 वोट मिले जबकि कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी को 59544 वोट मिले। जयप्रकाश जेपी 6384 वोट से आदमपुर से चुनाव जीत गए। बिश्नोई परिवार का आदमपुर में घटा जनाधार आदमपुर में बिश्नोई परिवार का जनाधार लगातार कम हो रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भजनलाल के पौते भव्य बिश्नोई हिसार से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे तब भाजपा के बृजेंद्र सिंह ने भव्य को आदमपुर में हराया था। अब लोकसभा चुनाव में यह दूसरा मौका है जब बिश्नोई परिवार आदमपुर में हार गया हो। वहीं दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में भाजपा की ही टिकट पर भव्य आदमपुर से चुनाव लड़े और चुनाव जीते। मगर चुनाव जीत का मार्जिन कम हो गया। भव्य 15,714 वोटों से ही चुनाव जीत पाए। बिश्नोई परिवार का आदमपुर ही नहीं आसपास की सीटों भी प्रभाव था जो कहीं देखने को नहीं मिला। बिश्नोई परिवार के लिए अब आगे क्या बार-बार पार्टी बदलने से कमजोर हुआ बिश्नोई परिवार चौधरी भजनलाल ने जहां राजनीतिक स्थिरता दी वहीं कुलदीप बिश्नोई में राजनीतिक स्थिरता का अभाव दिखा। 2007 में कांग्रेस से अलग होकर चौधरी भजनलाल ने हजकां पार्टी बनाई। मगर उनके स्वर्गवास के बाद कुलदीप बिश्नोई ने कुछ साल पार्टी को आगे बढ़ाया। हरियाणा में हजकां के 6 विधायक चुनकर आए मगर वह उनको संभाल नहीं पाए और सभी कांग्रेस में चले गए। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई की हजका का भाजपा से गठबंधन हुआ मगर वह भी ज्यादा समय नहीं चला। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई ने हजकां का कांग्रेस में विलय कर लिया। कांग्रेस में कुछ वर्ष बिताने के बाद वह फिर भाजपा में आ गए। अब हिसार लोकसभा से टिकट नहीं मिलने पर कुलदीप भाजपा से नाराज हो गए थे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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दिग्गजों को टिकट देने के ये नुकसान… जिस सीट पर दावा करेंगे, वहां विरोध हो सकता है पार्टी भले ही दिग्गजों को चुनाव लड़ाने की सोच रही है, लेकिन इनका विरोध भी होगा। इसकी वजह यह है कि ये जहां से दावा ठोकेंगे उन सीटों पर 5 सालों से तैयारी कर रहे पार्टी के नेता नाराज हो सकते हैं। इस कारण से इन दिग्गजों का चुनाव में विरोध हो सकता है। भीतरघात की पूरी संभावना विरोध के साथ ही बीजेपी के दिग्गज नेताओं को भीतरघात भी झेलना पड़ सकता है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर पार्टी को भीतरघात के कारण हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव के बाद हारे उम्मीदवारों ने सार्वजनिक रूप से भीतरघातियों को लेकर सवाल उठाए थे। बड़ौली और रणजीत चौटाला ने तो इसकी रिपोर्ट हाईकमान को सौंपी थी। जिसके बाद पार्टी स्तर पर ऐसे कुछ भीतर घातियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई। बेटी के लिए हाईकमान का फैसला मान सकते हैं राव राव इंद्रजीत मौजूदा हालात में बेटी आरती राव को एडजेस्ट करने के लिए हाईकमान का कोई भी फैसला मान सकते हैं। राव इंद्रजीत सिंह ने बीजेपी से 6 सीटें मांगी थी। इसमें अटेली, नारनौल, कोसली, बावल, बादशाहपुर और पटौदी सीट शामिल हैं। राव इंद्रजीत की दावेदारी पर हाईकमान राव को अटेली, कोसली, बादशाहपुर और नारनौल सीट देने को तैयार है। जबकि पटौदी और बावल सीट पर पार्टी के ही किसी कार्यकर्ता जिस पर राव भी अपनी सहमति जता दे उसको लेकर बात कर रही है। राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा चुनाव के वक्त कहा था मैं लोकसभा चुनाव ही लड़ूंगा, लेकिन भविष्य में अगर पार्टी जो भी जिम्मेदारी तय करेगी उसे निभाया जाएगा।