प्रेमानंद महाराज ने वृंदावन की रातें कैसे बदल दीं:रमण रेती गली में लगती है भक्तों की लंबी लाइन; आश्रम से 2KM में 300 होटल-गेस्ट हाउस

प्रेमानंद महाराज ने वृंदावन की रातें कैसे बदल दीं:रमण रेती गली में लगती है भक्तों की लंबी लाइन; आश्रम से 2KM में 300 होटल-गेस्ट हाउस

रात 2.20 बजे। संत प्रेमानंद महाराज अपने आश्रम जा रहे हैं। चाराें तरफ से उनके शिष्य घेरे हैं। भक्त उनकी एक झलक पाने के लिए दोनों तरफ राधा रानी-श्रीकृष्ण का उद्घोष कर रहे हैं। वह आशीर्वाद देते हुए निकल जाते हैं। यह दृश्य है वृंदावन के रमण रेती की गली का। कथावाचक प्रदीप मिश्रा के राधा रानी पर दिए बयान पर गुस्सा जताने वाले संत प्रेमानंद महाराज इस समय सुर्खियों में हैं। प्रेमानंद महाराज की जितनी तेजी से ख्याति बढ़ रही है, उतनी तेजी से वृंदावन में उनके आश्रम के आसपास के लोगों की आजीविका भी बढ़ने लगी है। पहले रात को सूना रहने वाला इलाका अब भीड़-भाड़ में बदल गया है। संत प्रेमानंद महाराज ने वृंदावन की गली की रातें कैसे बदल दीं, जानिए दैनिक भास्कर की स्पेशल रिपोर्ट में… संत प्रेमानंद महाराज का आश्रम केली कुंज वृंदावन के रमण रेती इलाके में है। आश्रम में जाने के दो रास्ते हैं। एक, पूरी तरह केवल महाराज और आश्रम से जुड़े लोगों के लिए है। दूसरे रास्ते से अनुयायी जाते हैं। आश्रम के अंदर फोटो-वीडियो लेने की किसी को इजाजत नहीं है। वृंदावन के रमण रेती इलाके में स्थित केली कुंज आश्रम पर जब दैनिक भास्कर की टीम पहुंची, तो यहां रास्ते में कुछ दुकान लगी दिखीं। जिन पर संत प्रेमानंद महाराज के फोटो और श्रीकृष्ण से जुड़ी वस्तुओं की बिक्री की जा रही थी। आश्रम की तरफ उनके अनुयायी आ-जा रहे थे, लेकिन दिन के समय यहां चहल-कदमी कम दिखाई दे रही थी। रात को बदला नजर आया इलाका
दिन का जायजा लेने के बाद हमारी टीम रात करीब 12 बजे रमण रेती के उसी इलाके में पहुंची, जहां संत प्रेमानंद महाराज का आश्रम है। यहां सब कुछ बदला नजर आया। सड़क किनारे स्ट्रीट वेंडर अपनी दुकान लगाए थे। कोई चाय बेच रहा था, कोई मैगी तो कोई पिज्जा। बड़ी संख्या में लोग सड़क किनारे बैठे थे, तो कुछ प्लास्टिक बिछाकर सो रहे थे। सब प्रेमानंद महाराज के आने का इंतजार कर रहे थे, ताकि उनके दर्शन कर सकें। डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं संत प्रेमानंद अपने आश्रम
संत प्रेमानंद महाराज का निवास केली कुंज आश्रम से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर वृंदावन छटीकरा रोड पर स्थित श्रीकृष्णम शरणम् अपार्टमेंट में है। यहां से वह रात 2 बजकर 20 मिनट पर अपने आश्रम के लिए हर दिन पैदल निकलते हैं। इस दौरान हजारों भक्त सड़क के दोनों तरफ खड़े होकर उनके दर्शन करते हैं। अब बात उन लोगों की, जिनको संत प्रेमानंद महाराज की वजह से मिल रहा रोजगार रोज बिकता है 500 किलो फूल
रात के समय पर श्रीकृष्णम शरणम् से लेकर केली कुंज आश्रम तक सब कुछ बदला नजर आया। यहां कुछ लोग फूल बेचते हुए नजर आए। इन्हीं में से एक अनिल बताते हैं, वह रात को 10 बजे आते हैं और 2 बजे तक फूल बेचते हैं। ग्रेजुएशन कर रहे सुरेश सैनी ने बताया कि वह दो साल से फूल बेच रहे हैं। संत प्रेमानंद महाराज उसके जीवन में वरदान बन कर आए। सुरेश ने बताया कि यहां रात में 400 से ज्यादा लोग फूल बेचते हैं। सभी फूल संत प्रेमानंद महाराज के रास्ते में उनके भक्त बिछाते हैं। होटल से लेकर रेस्टोरेंट का भी बढ़ा कारोबार
संत प्रेमानंद महाराज के रात में दर्शन देने के कारण इस इलाके में रोजगार बढ़ा है। जहां पहले 10 बजे बाद कोई नजर नहीं आता था, वहीं अब पूरी रात लोगों की भीड़ लगी रहती है। रेस्टोरेंट चला रहे दिलीप चौधरी ने बताया कि संत प्रेमानंद महाराज की वजह से डेढ़ किलोमीटर इलाके में 100 से ज्यादा रेस्टोरेंट चल रहे हैं। दिलीप के मुताबिक, एक रेस्टोरेंट पर 20 से 25 व्यक्ति काम करते हैं। उन सभी को रोजगार मिला है। गेस्ट हाउस चलाने वाले विजय मिश्रा ने बताया- आश्रम के 2 किलोमीटर इलाके में 300 से ज्यादा छोटे-बड़े गेस्ट हाउस हैं। इन सभी के कमरे रात में 4 बजे तक फुल हो जाते हैं। संत प्रेमानंद महाराज की वजह से इस दो से ढाई किलोमीटर के एरिया में करीब 6 हजार लोगों की रोजी-रोटी चल रही है। संत प्रेमानंद महाराज के सुने प्रवचन, तो छोड़ दिया शहर
संत प्रेमानंद महाराज के निवास श्रीकृष्णम शरणम् से जब आगे चले और प्रेम मंदिर के पीछे पहुंचे तो यहां एक महिला सड़क किनारे फूल बेचते नजर आई। इनसे बात की तो पता चला इनका नाम साक्षी पांडे है। वह कानपुर की रहने वाली हैं। साक्षी ने बताया कि वह संत प्रेमानंद महाराज के प्रवचन यूट्यूब पर सुनती थीं। इसके बाद घर पर मन नहीं लगा और परिवार के साथ कानपुर छोड़ वृंदावन आ गई। यहां महाराज जी और राधा रानी की सेवा के लिए फूल बेचती हैं। इससे महाराज जी के दर्शन भी हो जाते हैं और आजीविका भी चल जाती है। आश्रम के आसपास प्याज-लहसुन का उपयोग नहीं
यहां से आगे बढ़े, तो सड़क किनारे लगी खाने-पीने की दुकान पर लिखा था- नो ऑनियन नो गार्लिक। इसको देखकर हमने पिज्जा बना रहे एक दुकानदार सुमित से बात की। उन्होंने बताया- महाराज जी कहते हैं प्याज-लहसुन नहीं खाना, इसीलिए वह न खाते हैं और न ही कोई खाने-पीने की चीज बनाते हैं। 25 साल पहले वृंदावन आए और संन्यासी से बने वैष्णव संत
संत प्रेमानंद महाराज के गुरु राधा बल्लभ मंदिर के सेवायत मोहित मराल गोस्वामी हैं। हमारी टीम मोहित मराल गोस्वामी के पास पहुंची। यहां बातचीत में पता चला कि संत प्रेमानंद महाराज करीब 25 साल पहले वृंदावन आए थे। वह संन्यासी थे, लेकिन भगवान राधा बल्लभ लाल के दर्शन के लिए आते थे। इसी दौरान संत प्रेमानंद महाराज की मुलाकात मोहित मराल गोस्वामी से हुई। इसके बाद संत प्रेमानंद महाराज ने 2004 में मोहित मराल गोस्वामी से दीक्षा ली और संन्यासी से वैष्णव संत बन गए। मोहित मराल गोस्वामी ने बताया- संत प्रेमानंद महाराज से जब राधा बल्लभ के सिद्धांत और राधा रानी की महिमा बताई तो वह इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने को श्रीराधा रानी को समर्पित कर दिया। संत प्रेमानंद महाराज पहले परिक्रमा मार्ग स्थित मदन टेर, उड़िया बाबा आश्रम, अचल बिहार आदि स्थान पर रहे। फिर उन्होंने अपना आश्रम बनाया। प्रेमानंद महाराज ने 5 साल मदन टेर के बराबर स्थित बगीचा में प्रवचन किए। कोरोना काल के बाद अपने आश्रम पर शुरू कर दिए। विराट कोहली, अनुष्का शर्मा के आने के बाद बड़ी फॉलोअर्स की संख्या
संत प्रेमानंद महाराज करीब 10 साल से प्रवचन कर रहे हैं। जनवरी 2023 में भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली ने पत्नी और फिल्म अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के साथ उनके दर्शन किए। उसके बाद से उनके फॉलोअर्स की संख्या में दिन-रात इजाफा होने लगा। संत प्रेमानंद महाराज से मिलने वालों में बॉलीवुड के अलावा खेल, राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्र के बड़ी हस्तियां शामिल हैं। ये खबर भी पढ़ें… प्रदीप मिश्रा से दोगुना फॉलोअर्स हैं प्रेमानंद महाराज के:राधा रानी पर भिड़ने वाले कथावाचक और संत कैसे पहुंचे शोहरत के शिखर पर राधारानी के जन्म और श्रीकृष्ण से उनके विवाह को लेकर देश के प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा और संत प्रेमानंद महाराज में विवाद शुरू हो गया है। एक शिव के भक्त हैं, दूसरे राधा रानी के। प्रदीप मिश्रा मध्यप्रदेश के सीहोर में रहते हैं, तो प्रेमानंद जी वृंदावन में। आइए, जानते हैं दोनों के बचपन से लेकर प्रसिद्ध कथावाचक और संत बनने की कहानी… रात 2.20 बजे। संत प्रेमानंद महाराज अपने आश्रम जा रहे हैं। चाराें तरफ से उनके शिष्य घेरे हैं। भक्त उनकी एक झलक पाने के लिए दोनों तरफ राधा रानी-श्रीकृष्ण का उद्घोष कर रहे हैं। वह आशीर्वाद देते हुए निकल जाते हैं। यह दृश्य है वृंदावन के रमण रेती की गली का। कथावाचक प्रदीप मिश्रा के राधा रानी पर दिए बयान पर गुस्सा जताने वाले संत प्रेमानंद महाराज इस समय सुर्खियों में हैं। प्रेमानंद महाराज की जितनी तेजी से ख्याति बढ़ रही है, उतनी तेजी से वृंदावन में उनके आश्रम के आसपास के लोगों की आजीविका भी बढ़ने लगी है। पहले रात को सूना रहने वाला इलाका अब भीड़-भाड़ में बदल गया है। संत प्रेमानंद महाराज ने वृंदावन की गली की रातें कैसे बदल दीं, जानिए दैनिक भास्कर की स्पेशल रिपोर्ट में… संत प्रेमानंद महाराज का आश्रम केली कुंज वृंदावन के रमण रेती इलाके में है। आश्रम में जाने के दो रास्ते हैं। एक, पूरी तरह केवल महाराज और आश्रम से जुड़े लोगों के लिए है। दूसरे रास्ते से अनुयायी जाते हैं। आश्रम के अंदर फोटो-वीडियो लेने की किसी को इजाजत नहीं है। वृंदावन के रमण रेती इलाके में स्थित केली कुंज आश्रम पर जब दैनिक भास्कर की टीम पहुंची, तो यहां रास्ते में कुछ दुकान लगी दिखीं। जिन पर संत प्रेमानंद महाराज के फोटो और श्रीकृष्ण से जुड़ी वस्तुओं की बिक्री की जा रही थी। आश्रम की तरफ उनके अनुयायी आ-जा रहे थे, लेकिन दिन के समय यहां चहल-कदमी कम दिखाई दे रही थी। रात को बदला नजर आया इलाका
दिन का जायजा लेने के बाद हमारी टीम रात करीब 12 बजे रमण रेती के उसी इलाके में पहुंची, जहां संत प्रेमानंद महाराज का आश्रम है। यहां सब कुछ बदला नजर आया। सड़क किनारे स्ट्रीट वेंडर अपनी दुकान लगाए थे। कोई चाय बेच रहा था, कोई मैगी तो कोई पिज्जा। बड़ी संख्या में लोग सड़क किनारे बैठे थे, तो कुछ प्लास्टिक बिछाकर सो रहे थे। सब प्रेमानंद महाराज के आने का इंतजार कर रहे थे, ताकि उनके दर्शन कर सकें। डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं संत प्रेमानंद अपने आश्रम
संत प्रेमानंद महाराज का निवास केली कुंज आश्रम से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर वृंदावन छटीकरा रोड पर स्थित श्रीकृष्णम शरणम् अपार्टमेंट में है। यहां से वह रात 2 बजकर 20 मिनट पर अपने आश्रम के लिए हर दिन पैदल निकलते हैं। इस दौरान हजारों भक्त सड़क के दोनों तरफ खड़े होकर उनके दर्शन करते हैं। अब बात उन लोगों की, जिनको संत प्रेमानंद महाराज की वजह से मिल रहा रोजगार रोज बिकता है 500 किलो फूल
रात के समय पर श्रीकृष्णम शरणम् से लेकर केली कुंज आश्रम तक सब कुछ बदला नजर आया। यहां कुछ लोग फूल बेचते हुए नजर आए। इन्हीं में से एक अनिल बताते हैं, वह रात को 10 बजे आते हैं और 2 बजे तक फूल बेचते हैं। ग्रेजुएशन कर रहे सुरेश सैनी ने बताया कि वह दो साल से फूल बेच रहे हैं। संत प्रेमानंद महाराज उसके जीवन में वरदान बन कर आए। सुरेश ने बताया कि यहां रात में 400 से ज्यादा लोग फूल बेचते हैं। सभी फूल संत प्रेमानंद महाराज के रास्ते में उनके भक्त बिछाते हैं। होटल से लेकर रेस्टोरेंट का भी बढ़ा कारोबार
संत प्रेमानंद महाराज के रात में दर्शन देने के कारण इस इलाके में रोजगार बढ़ा है। जहां पहले 10 बजे बाद कोई नजर नहीं आता था, वहीं अब पूरी रात लोगों की भीड़ लगी रहती है। रेस्टोरेंट चला रहे दिलीप चौधरी ने बताया कि संत प्रेमानंद महाराज की वजह से डेढ़ किलोमीटर इलाके में 100 से ज्यादा रेस्टोरेंट चल रहे हैं। दिलीप के मुताबिक, एक रेस्टोरेंट पर 20 से 25 व्यक्ति काम करते हैं। उन सभी को रोजगार मिला है। गेस्ट हाउस चलाने वाले विजय मिश्रा ने बताया- आश्रम के 2 किलोमीटर इलाके में 300 से ज्यादा छोटे-बड़े गेस्ट हाउस हैं। इन सभी के कमरे रात में 4 बजे तक फुल हो जाते हैं। संत प्रेमानंद महाराज की वजह से इस दो से ढाई किलोमीटर के एरिया में करीब 6 हजार लोगों की रोजी-रोटी चल रही है। संत प्रेमानंद महाराज के सुने प्रवचन, तो छोड़ दिया शहर
संत प्रेमानंद महाराज के निवास श्रीकृष्णम शरणम् से जब आगे चले और प्रेम मंदिर के पीछे पहुंचे तो यहां एक महिला सड़क किनारे फूल बेचते नजर आई। इनसे बात की तो पता चला इनका नाम साक्षी पांडे है। वह कानपुर की रहने वाली हैं। साक्षी ने बताया कि वह संत प्रेमानंद महाराज के प्रवचन यूट्यूब पर सुनती थीं। इसके बाद घर पर मन नहीं लगा और परिवार के साथ कानपुर छोड़ वृंदावन आ गई। यहां महाराज जी और राधा रानी की सेवा के लिए फूल बेचती हैं। इससे महाराज जी के दर्शन भी हो जाते हैं और आजीविका भी चल जाती है। आश्रम के आसपास प्याज-लहसुन का उपयोग नहीं
यहां से आगे बढ़े, तो सड़क किनारे लगी खाने-पीने की दुकान पर लिखा था- नो ऑनियन नो गार्लिक। इसको देखकर हमने पिज्जा बना रहे एक दुकानदार सुमित से बात की। उन्होंने बताया- महाराज जी कहते हैं प्याज-लहसुन नहीं खाना, इसीलिए वह न खाते हैं और न ही कोई खाने-पीने की चीज बनाते हैं। 25 साल पहले वृंदावन आए और संन्यासी से बने वैष्णव संत
संत प्रेमानंद महाराज के गुरु राधा बल्लभ मंदिर के सेवायत मोहित मराल गोस्वामी हैं। हमारी टीम मोहित मराल गोस्वामी के पास पहुंची। यहां बातचीत में पता चला कि संत प्रेमानंद महाराज करीब 25 साल पहले वृंदावन आए थे। वह संन्यासी थे, लेकिन भगवान राधा बल्लभ लाल के दर्शन के लिए आते थे। इसी दौरान संत प्रेमानंद महाराज की मुलाकात मोहित मराल गोस्वामी से हुई। इसके बाद संत प्रेमानंद महाराज ने 2004 में मोहित मराल गोस्वामी से दीक्षा ली और संन्यासी से वैष्णव संत बन गए। मोहित मराल गोस्वामी ने बताया- संत प्रेमानंद महाराज से जब राधा बल्लभ के सिद्धांत और राधा रानी की महिमा बताई तो वह इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने को श्रीराधा रानी को समर्पित कर दिया। संत प्रेमानंद महाराज पहले परिक्रमा मार्ग स्थित मदन टेर, उड़िया बाबा आश्रम, अचल बिहार आदि स्थान पर रहे। फिर उन्होंने अपना आश्रम बनाया। प्रेमानंद महाराज ने 5 साल मदन टेर के बराबर स्थित बगीचा में प्रवचन किए। कोरोना काल के बाद अपने आश्रम पर शुरू कर दिए। विराट कोहली, अनुष्का शर्मा के आने के बाद बड़ी फॉलोअर्स की संख्या
संत प्रेमानंद महाराज करीब 10 साल से प्रवचन कर रहे हैं। जनवरी 2023 में भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली ने पत्नी और फिल्म अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के साथ उनके दर्शन किए। उसके बाद से उनके फॉलोअर्स की संख्या में दिन-रात इजाफा होने लगा। संत प्रेमानंद महाराज से मिलने वालों में बॉलीवुड के अलावा खेल, राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्र के बड़ी हस्तियां शामिल हैं। ये खबर भी पढ़ें… प्रदीप मिश्रा से दोगुना फॉलोअर्स हैं प्रेमानंद महाराज के:राधा रानी पर भिड़ने वाले कथावाचक और संत कैसे पहुंचे शोहरत के शिखर पर राधारानी के जन्म और श्रीकृष्ण से उनके विवाह को लेकर देश के प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा और संत प्रेमानंद महाराज में विवाद शुरू हो गया है। एक शिव के भक्त हैं, दूसरे राधा रानी के। प्रदीप मिश्रा मध्यप्रदेश के सीहोर में रहते हैं, तो प्रेमानंद जी वृंदावन में। आइए, जानते हैं दोनों के बचपन से लेकर प्रसिद्ध कथावाचक और संत बनने की कहानी…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर