पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी है। हाईकोर्ट ने 31 मई को सरकारी नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था। इस आरक्षण के तहत जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी पर न हो और परिवार की आमदनी कम हो तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंकों का लाभ देने का प्रावधान किया गया था। इसलिए सरकार गई सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट जाने के पीछे सरकार का तर्क है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की डबल बेंच ने पहले ही सामाजिक-आर्थिक मानदंड के अंकों को सही ठहराया हुआ है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को आधार बनाया जाएगा। इतना ही नहीं खंडपीठ ने तो हरियाणा सरकार की तारीफ भी की हुई है। ऐसे में डबल बेंच के फैसले को डबल बेंच नहीं पलट सकती। यदि फैसला पलटना है तो बड़ी बेंच यानी की तीन जजों की बेंच के सामने सुनवाई होनी चाहिए थी। ऐसे में नई खंडपीठ भी दो जजों की बनाई गई थी, जिसने पहली खंडपीठ द्वारा लिए गए फैसले को बदल दिया था। HC ने आरक्षण को संविधान के खिलाफ बताया
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुरूप सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि सामाजिक आर्थिक आधार पर आरक्षण का फैसला संविधान के खिलाफ है। इस प्रावधान को रद्द करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। याचिका के निपटारे के साथ ही प्रदेश में हजारों नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है। 12 हजार युवाओं के भविष्य पर खतरा
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट रविंद्र ढुल ने बताया था कि सरकारी नौकरी में सामाजिक-आर्थिक के 5 अंक दिए जाने वाले फैसले को हाईकोर्ट ने रद कर दिया है। हरियाणा में 2017 से जो भी भर्तियां हो रही हैं, हाईकोर्ट का यह फैसला उन पर लागू होगा। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार का यह फैसला आर्टिकल 14 का वॉयलेशन करता है, यह पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है। उन्होंने यह भी बताया कि 2019 से पहले जो भी युवा नौकरी पाए हैं, उन्हें कोई भी खतरा नहीं है। हाईकोर्ट के इस फैसले का उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। CET के तहत हाल ही में हुई भर्तियों में जिन 12 हजार युवाओं को नौकरी मिली है, उनको हटाया जाएगा। अब जो भी ग्रुप सी और डी की भर्तियां हुई हैं, उनके सभी ग्रुपों का एग्जाम दोबारा लेना पड़ेगा। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि सरकार को इसके लिए 6 महीने का टाइम दिया है, जब ये प्रोसेस चलेगा, तब तक किसी को नहीं हटाया जाएगा। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी है। हाईकोर्ट ने 31 मई को सरकारी नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था। इस आरक्षण के तहत जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी पर न हो और परिवार की आमदनी कम हो तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंकों का लाभ देने का प्रावधान किया गया था। इसलिए सरकार गई सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट जाने के पीछे सरकार का तर्क है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की डबल बेंच ने पहले ही सामाजिक-आर्थिक मानदंड के अंकों को सही ठहराया हुआ है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को आधार बनाया जाएगा। इतना ही नहीं खंडपीठ ने तो हरियाणा सरकार की तारीफ भी की हुई है। ऐसे में डबल बेंच के फैसले को डबल बेंच नहीं पलट सकती। यदि फैसला पलटना है तो बड़ी बेंच यानी की तीन जजों की बेंच के सामने सुनवाई होनी चाहिए थी। ऐसे में नई खंडपीठ भी दो जजों की बनाई गई थी, जिसने पहली खंडपीठ द्वारा लिए गए फैसले को बदल दिया था। HC ने आरक्षण को संविधान के खिलाफ बताया
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुरूप सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि सामाजिक आर्थिक आधार पर आरक्षण का फैसला संविधान के खिलाफ है। इस प्रावधान को रद्द करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। याचिका के निपटारे के साथ ही प्रदेश में हजारों नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है। 12 हजार युवाओं के भविष्य पर खतरा
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट रविंद्र ढुल ने बताया था कि सरकारी नौकरी में सामाजिक-आर्थिक के 5 अंक दिए जाने वाले फैसले को हाईकोर्ट ने रद कर दिया है। हरियाणा में 2017 से जो भी भर्तियां हो रही हैं, हाईकोर्ट का यह फैसला उन पर लागू होगा। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार का यह फैसला आर्टिकल 14 का वॉयलेशन करता है, यह पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है। उन्होंने यह भी बताया कि 2019 से पहले जो भी युवा नौकरी पाए हैं, उन्हें कोई भी खतरा नहीं है। हाईकोर्ट के इस फैसले का उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। CET के तहत हाल ही में हुई भर्तियों में जिन 12 हजार युवाओं को नौकरी मिली है, उनको हटाया जाएगा। अब जो भी ग्रुप सी और डी की भर्तियां हुई हैं, उनके सभी ग्रुपों का एग्जाम दोबारा लेना पड़ेगा। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि सरकार को इसके लिए 6 महीने का टाइम दिया है, जब ये प्रोसेस चलेगा, तब तक किसी को नहीं हटाया जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर