BJP अयोध्या क्यों हारी? दो दिन प्रदेश अध्यक्ष का मंथन:पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई तो वे वोटर तक पहुंचे नहीं, लल्लू सिंह मोदी के चेहरे पर लड़े

BJP अयोध्या क्यों हारी? दो दिन प्रदेश अध्यक्ष का मंथन:पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई तो वे वोटर तक पहुंचे नहीं, लल्लू सिंह मोदी के चेहरे पर लड़े

भाजपा अयोध्या क्यों हारी? इसकी जमीनी हकीकत पता लगाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने खुद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी को अयोध्या भेजा। बुधवार की सुबह से गुरुवार शाम तक भूपेंद्र चौधरी सभी 5 विधानसभाओं में गए। अलग-अलग स्थानीय पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठकों में जो बातें उभरकर सामने आईं, उनमें बेलगाम अफसरशाही और पुराने कार्यकर्ताओं को बिल्कुल भुला देना सबसे अहम रहा। राम मंदिर और अन्य विकास कामों में जो जमीन का अधिग्रहण हुआ, उसका सही मुआवजा न दिए जाने से भी लोगों में नाराजगी रही। बैठक से क्या निकल कर सामने आया जानते हैं… पुराने जनप्रतिनिधियों की बातों को अनसुना किया
कमजोर क्षेत्रों के बारे में सूचना दिए जाने के बाद भी प्रत्याशी और संगठन की अनदेखी का मुद्दा उठा‌। क्षेत्र में पकड़ वाले जनप्रतिनिधियों की बातें अनसुनी करने जैसी बातें भी उभर कर सामने आईं। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के बावजूद इस क्षेत्र से करारी हार की टीस हर एक की जुबान पर है। अधिग्रहण के बाद सही मुआवजा न दे पाने का मुद्दा उठा
प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने सभी विधानसभा क्षेत्रों के मंडल पदाधिकारियों के साथ बैठक कर एक-एक पदाधिकारी को अपनी बात रखने का मौका दिया। अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में जीत का अंतर अप्रत्याशित रूप से घटने के पीछे के कारणों में विकास कामों के लिए अधिग्रहण, समुचित मुआवजा न देना भी रहा। विकास कामों की धीमी गति भी मुद्दा बना। प्रदेश अध्यक्ष ने पदाधिकारियों को आश्वस्त किया कि उनके प्रभाव को शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने जनप्रतिनिधियों, जिला और महानगर के पदाधिकारियों और पूर्व पदाधिकारी से भी मुलाकात की। मिल्कीपुर विधानसभा की बैठक इनायतनगर, बीकापुर विधानसभा की बैठक सहादतगंज पार्टी कार्यालय, अयोध्या विधानसभा की बैठक सर्किट हाउस, रूदौली विधानसभा की बैठक आरसीएम लॉन, दरियाबाद की बैठक स्थानीय पार्टी कार्यालय पर हुई। पुराने कार्यकर्ताओं वोटर तक पहुंचे ही नहीं
इस चुनाव में पुराने कार्यकर्ताओं से पार्टी नेतृत्व ने किनारा कर लिया। उनकी उपेक्षा हुई तो कार्यकर्ता नाराज हो गए। ऐसे में कार्यकर्ता वोटर तक गए ही नहीं। पार्टी को जीत का ओवर कॉन्फिडेंस था। क्षेत्रीय लोगों की नाराजगी को पार्टी भांप नहीं पाई। लल्लू सिंह सिर्फ मोदी के चेहरे पर लड़े
नए घाट से राम मंदिर तक सड़क को चौड़ा किया गया। सड़क के दोनों तरफ के घर और दुकानों को तोड़ा गया। कई लोगों की जमीन का अधिग्रहण हुआ। जो लोग सदियों से यहां बसे थे, उनका आशियाना टूट गया। अयोध्या के विकास के लिए जिस तरह से जमीनों का अधिग्रहण किया गया, उसे लेकर जनता में नाराजगी रही। लल्लू सिंह 2014 और 2019 में सांसद रहे। लेकिन, न तो जनता के बीच पहुंचे और न ही विकास के काम में रुचि दिखाई। वह सिर्फ पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे थे। रामजन्मभूमि, हनुमानगढ़ी में किए दर्शन पूजन
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी बुधवार देर शाम तक लोकसभा क्षेत्र की तीन विधानसभा और गुरुवार शाम तक दो विधानसभा के प्रमुख कार्यकताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में आगामी कार्यक्रम के बारे में भी चर्चा की। पदाधिकारियों से संगठनात्मक विषयों की जानकारी ली। गुरुवार को रामजन्मभूमि, हनुमानगढ़ी में दर्शन पूजन किया। कार सेवकपुरम् में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय से मुलाकात की। सभी हारी सीटों पर दो सीनियर पदाधिकारी भेजे गए
प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने बताया- भाजपा शीर्ष नेतृत्व द्वारा हारी सभी लोकसभा सीटों पर दो वरिष्ठ लोगों की टीम भेजी गई है। जोकि हार की वजह जानने की कोशिश कर रही है। जनता ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनाने का जनादेश दिया है। NDA को INDI अलायंस से ज्यादा प्रतिशत वोट मिले हैं। लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने नकारात्मक एजेंडे द्वारा जनता को भ्रमित किया है। सभी कार्यकर्ता उसका पर्दाफाश करेंगे। अयोध्या की बैठकों में क्षेत्रीय अध्यक्ष बृज क्षेत्र दिग्विजय सिंह शाक्य, अवध क्षेत्र अध्यक्ष कमलेश मिश्र, अवध क्षेत्र महामंत्री और महानगर प्रभारी विजय प्रताप सिंह, जिला प्रभारी मिथिलेश त्रिपाठी, जिला पंचायत अध्यक्ष रोली सिंह, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, विधायक राम चन्दर यादव, महानगर अध्यक्ष कमलेश श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष संजीव सिंह, लोकसभा संयोजक बांके बिहारी मणि त्रिपाठी, ओम प्रकाश सिंह आदि रहे। ये भी पढ़ें:- अयोध्या की हार पर संत बोले- लल्लू को बदलते तो जीतते​​​​​​​ अयोध्या को देखते हुए मन में सवाल उठता है, क्या राम मंदिर के निर्माण का दावा करने वाली सत्ताधारी भाजपा यहां से भी हार सकती है? भाजपा के अयोध्या में हारने की चर्चा पूरे देश में हो रही है।​​​​​​​ दैनिक भास्कर ने अयोध्या में भाजपा की हार को लेकर यहां के बड़े संतों बात की​​​​​​। जानकी घाट (बड़ा स्थान) के महंत जन्मेजय शरण ने कहा- लल्लू सिंह की जगह किसी और कैंडिडेट को टिकट मिलता तो भाजपा नहीं हारती। कई बार चुनाव जीतकर लोगों में उन्माद आ जाता है। पढ़ें संतों ने क्या कहा… अयोध्या में क्यों हारी भाजपा: लोग बोले- मंदिर से खुश, सांसद से नाराज देशभर की निगाहें जिस अयोध्या पर थीं, वहीं भाजपा चुनाव हार गई। राम नगरी में मिले इस जनमत ने सबको चौंका दिया। भाजपा को वोट क्यों नहीं पड़ा? इस पर लोग कहते हैं- लोग मोदी-योगी को पसंद करते हैं। राममंदिर से खुश हैं। मगर सांसद लल्लू सिंह से नाराज हैं। आप ऐसे समझिए कि जो 4.99 लाख वोट भाजपा को मिले हैं वे PM मोदी को मिले हैं, लल्लू सिंह को नहीं। पढ़ें पूरी खबर… भाजपा अयोध्या क्यों हारी? इसकी जमीनी हकीकत पता लगाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने खुद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी को अयोध्या भेजा। बुधवार की सुबह से गुरुवार शाम तक भूपेंद्र चौधरी सभी 5 विधानसभाओं में गए। अलग-अलग स्थानीय पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठकों में जो बातें उभरकर सामने आईं, उनमें बेलगाम अफसरशाही और पुराने कार्यकर्ताओं को बिल्कुल भुला देना सबसे अहम रहा। राम मंदिर और अन्य विकास कामों में जो जमीन का अधिग्रहण हुआ, उसका सही मुआवजा न दिए जाने से भी लोगों में नाराजगी रही। बैठक से क्या निकल कर सामने आया जानते हैं… पुराने जनप्रतिनिधियों की बातों को अनसुना किया
कमजोर क्षेत्रों के बारे में सूचना दिए जाने के बाद भी प्रत्याशी और संगठन की अनदेखी का मुद्दा उठा‌। क्षेत्र में पकड़ वाले जनप्रतिनिधियों की बातें अनसुनी करने जैसी बातें भी उभर कर सामने आईं। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के बावजूद इस क्षेत्र से करारी हार की टीस हर एक की जुबान पर है। अधिग्रहण के बाद सही मुआवजा न दे पाने का मुद्दा उठा
प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने सभी विधानसभा क्षेत्रों के मंडल पदाधिकारियों के साथ बैठक कर एक-एक पदाधिकारी को अपनी बात रखने का मौका दिया। अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में जीत का अंतर अप्रत्याशित रूप से घटने के पीछे के कारणों में विकास कामों के लिए अधिग्रहण, समुचित मुआवजा न देना भी रहा। विकास कामों की धीमी गति भी मुद्दा बना। प्रदेश अध्यक्ष ने पदाधिकारियों को आश्वस्त किया कि उनके प्रभाव को शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने जनप्रतिनिधियों, जिला और महानगर के पदाधिकारियों और पूर्व पदाधिकारी से भी मुलाकात की। मिल्कीपुर विधानसभा की बैठक इनायतनगर, बीकापुर विधानसभा की बैठक सहादतगंज पार्टी कार्यालय, अयोध्या विधानसभा की बैठक सर्किट हाउस, रूदौली विधानसभा की बैठक आरसीएम लॉन, दरियाबाद की बैठक स्थानीय पार्टी कार्यालय पर हुई। पुराने कार्यकर्ताओं वोटर तक पहुंचे ही नहीं
इस चुनाव में पुराने कार्यकर्ताओं से पार्टी नेतृत्व ने किनारा कर लिया। उनकी उपेक्षा हुई तो कार्यकर्ता नाराज हो गए। ऐसे में कार्यकर्ता वोटर तक गए ही नहीं। पार्टी को जीत का ओवर कॉन्फिडेंस था। क्षेत्रीय लोगों की नाराजगी को पार्टी भांप नहीं पाई। लल्लू सिंह सिर्फ मोदी के चेहरे पर लड़े
नए घाट से राम मंदिर तक सड़क को चौड़ा किया गया। सड़क के दोनों तरफ के घर और दुकानों को तोड़ा गया। कई लोगों की जमीन का अधिग्रहण हुआ। जो लोग सदियों से यहां बसे थे, उनका आशियाना टूट गया। अयोध्या के विकास के लिए जिस तरह से जमीनों का अधिग्रहण किया गया, उसे लेकर जनता में नाराजगी रही। लल्लू सिंह 2014 और 2019 में सांसद रहे। लेकिन, न तो जनता के बीच पहुंचे और न ही विकास के काम में रुचि दिखाई। वह सिर्फ पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे थे। रामजन्मभूमि, हनुमानगढ़ी में किए दर्शन पूजन
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी बुधवार देर शाम तक लोकसभा क्षेत्र की तीन विधानसभा और गुरुवार शाम तक दो विधानसभा के प्रमुख कार्यकताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में आगामी कार्यक्रम के बारे में भी चर्चा की। पदाधिकारियों से संगठनात्मक विषयों की जानकारी ली। गुरुवार को रामजन्मभूमि, हनुमानगढ़ी में दर्शन पूजन किया। कार सेवकपुरम् में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय से मुलाकात की। सभी हारी सीटों पर दो सीनियर पदाधिकारी भेजे गए
प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने बताया- भाजपा शीर्ष नेतृत्व द्वारा हारी सभी लोकसभा सीटों पर दो वरिष्ठ लोगों की टीम भेजी गई है। जोकि हार की वजह जानने की कोशिश कर रही है। जनता ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनाने का जनादेश दिया है। NDA को INDI अलायंस से ज्यादा प्रतिशत वोट मिले हैं। लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने नकारात्मक एजेंडे द्वारा जनता को भ्रमित किया है। सभी कार्यकर्ता उसका पर्दाफाश करेंगे। अयोध्या की बैठकों में क्षेत्रीय अध्यक्ष बृज क्षेत्र दिग्विजय सिंह शाक्य, अवध क्षेत्र अध्यक्ष कमलेश मिश्र, अवध क्षेत्र महामंत्री और महानगर प्रभारी विजय प्रताप सिंह, जिला प्रभारी मिथिलेश त्रिपाठी, जिला पंचायत अध्यक्ष रोली सिंह, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, विधायक राम चन्दर यादव, महानगर अध्यक्ष कमलेश श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष संजीव सिंह, लोकसभा संयोजक बांके बिहारी मणि त्रिपाठी, ओम प्रकाश सिंह आदि रहे। ये भी पढ़ें:- अयोध्या की हार पर संत बोले- लल्लू को बदलते तो जीतते​​​​​​​ अयोध्या को देखते हुए मन में सवाल उठता है, क्या राम मंदिर के निर्माण का दावा करने वाली सत्ताधारी भाजपा यहां से भी हार सकती है? भाजपा के अयोध्या में हारने की चर्चा पूरे देश में हो रही है।​​​​​​​ दैनिक भास्कर ने अयोध्या में भाजपा की हार को लेकर यहां के बड़े संतों बात की​​​​​​। जानकी घाट (बड़ा स्थान) के महंत जन्मेजय शरण ने कहा- लल्लू सिंह की जगह किसी और कैंडिडेट को टिकट मिलता तो भाजपा नहीं हारती। कई बार चुनाव जीतकर लोगों में उन्माद आ जाता है। पढ़ें संतों ने क्या कहा… अयोध्या में क्यों हारी भाजपा: लोग बोले- मंदिर से खुश, सांसद से नाराज देशभर की निगाहें जिस अयोध्या पर थीं, वहीं भाजपा चुनाव हार गई। राम नगरी में मिले इस जनमत ने सबको चौंका दिया। भाजपा को वोट क्यों नहीं पड़ा? इस पर लोग कहते हैं- लोग मोदी-योगी को पसंद करते हैं। राममंदिर से खुश हैं। मगर सांसद लल्लू सिंह से नाराज हैं। आप ऐसे समझिए कि जो 4.99 लाख वोट भाजपा को मिले हैं वे PM मोदी को मिले हैं, लल्लू सिंह को नहीं। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर