आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। आपको बताते हैं शंखयोग के बारे में। वैसे तो इस नाम का कोई योग नहीं है, लेकिन वाराणसी के राम जनम योगी 30 मिनट तक शंख बजाने की क्षमता रखते हैं। इसे ही लोग काशी में शंखयोग कहने लगे हैं। मंगलवार को वाराणसी दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा गंगा आरती के शंखनाद को सुन सरप्राइज थे। 3 मिनट तक लगातार शंख बजता रहा। ये शंख 63 साल के राम जनम योगी बजा रहे थे। हर कोई हैरान था कि एक ही बार में इतना देर तक कैसे कोई सांस रोके रह सकता है। दैनिक भास्कर से बातचीत में राम जनम योगी ने बताया- तीन मिनट के शंखवादन में कम से कम 10-12 सांस लेते छोड़ते हैं, लेकिन किसी को पता नहीं चलता। ये ट्रिक मुझे 10 साल की उम्र में मिली। पिताजी से किसी का किस्सा सुन रखा था कि 10 मिनट तक शंख बजा लेता है। मैंने भी हनुमान जी से प्रार्थना की कि प्रभु मेरे अंदर ऐसी शक्ति कब आएगी। उसी दौरान मैंने दादा जी का शंख उठाया और बजाना शुरू कर दिया। 6 महीने की प्रैक्टिस ने मुझे एक नया और सबसे अलग प्रतिभा मिल गई। जिसकी वजह से देश-विदेश और सुपरस्टारों के बीच रहने और प्रोग्राम करने का अवसर मिला। साल 2021 में कोविड हुआ तो लोगों ने डरा दिया कि फेफड़ा प्रभावित हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। 24 साल पहले आधे घंटे तक बजाया था शंख
राम जनम योगी ने बताया- साल 2000 में तो उन्होंने एक चैनल के कार्यक्रम में लगातार 30 मिनट तक शंखवादन किया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी जब बनारस आते थे तो राम जनम योगी का शंखवादन जरूर सुनते। 10 साल पहले एक बार लक्सा पर एक कार्यक्रम था। शंखवादन के लिए बुलाया गया था। मंच पर शंख बजाना शुरू किया तो एक माइक फट गई। यानी कि उसकी आवाज ही गायब हो गई। आयोजक ने मुझसे हाथ जोड़कर कहा- “अब जाएदा, महाराज।” राम जनम योगी बताते हैं कि कोविड की दूसरी लहर में वे संक्रमित हो गए थे। हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। फिर घर पर 20 दिन क्वारंटाइन रहे। लोगों ने कहा- अब आपका फेफड़ा कमजोर हो जाएगा। आप अब 1 मिनट भी शंख नहीं बजा पाएंगे। लेकिन, कोविड का कोई असर ही नहीं पड़ा। कोविड के अलावा, किसी भी तरह की गंभीर बीमारी नहीं रही। शंख बजाना भी सांस का योग
राम जनम योगी बताते हैं- शंख बजाना भी सांस का योग है। इसमें तीन क्रिया एक साथ होती है। सांस लेना, सांस रोकना और सांस छोड़ना। योग में इसे कुंभक-रेचक आसन या क्रिया कहा जाता है। शंख बजाने के दौरान ये तीनों काम होता है। ये इतनी सफाई से होता है कि किसी को पता ही नहीं चलता कि कब सांस लिए और कब छोड़ दिए। काशी के एक और योगी को जानिए- 128 साल के शिवानंद बाबा इस साल योग नहीं कर पाए
सुप्रसिद्ध योग गुरु 128 साल के स्वामी शिवानंद बीमार हैं। इस साल उन्होंने योग नहीं किया। आज प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में किसी आश्रम में आराम कर रहे हैं। योग इतिहास में ऐसा पहली बार है कि शिवानंद स्वामी इस बार योग में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं। उनके सहयोगी संजय ने बताया कि स्वामी जी अगले साल से योग करेंगे। इस बार वे जरा भी योग वाली मुद्रा में नहीं हैं। 2 साल पहले योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वाराणसी में कबीरनगर इलाके के रहने वाले बाबा शिवानंद अपने घर के थर्ड फ्लोर पर रहते हैं। जिस बिल्डिंग में वह रहते हैं, वहां पर लिफ्ट भी नहीं है। दिन भर में दो बार बिना किसी सहारे के वो सीढ़ियां चढ़ते-उतरते हैं। काशी में ओंकारानंद से ली शिक्षा
शिवानंद बाबा के आधार कार्ड पर जन्मतिथि 8 अगस्त 1896 दर्ज है। उनका जन्म बंगाल के श्रीहट्टी जिले में हुआ था। भूख की वजह से उनके माता-पिता की मौत हो गई थी, जिसके बाद से बाबा आधा पेट भोजन ही करते हैं। माता-पिता की मौत के बाद बाबा बंगाल से काशी आ गए और यहां पर गुरु ओंकारानंद से दीक्षा ली। 1925 में अपने गुरु के आदेश पर वह दुनिया भ्रमण पर निकले और करीब 34 साल तक देश-विदेश घूमते रहे। आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। आपको बताते हैं शंखयोग के बारे में। वैसे तो इस नाम का कोई योग नहीं है, लेकिन वाराणसी के राम जनम योगी 30 मिनट तक शंख बजाने की क्षमता रखते हैं। इसे ही लोग काशी में शंखयोग कहने लगे हैं। मंगलवार को वाराणसी दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा गंगा आरती के शंखनाद को सुन सरप्राइज थे। 3 मिनट तक लगातार शंख बजता रहा। ये शंख 63 साल के राम जनम योगी बजा रहे थे। हर कोई हैरान था कि एक ही बार में इतना देर तक कैसे कोई सांस रोके रह सकता है। दैनिक भास्कर से बातचीत में राम जनम योगी ने बताया- तीन मिनट के शंखवादन में कम से कम 10-12 सांस लेते छोड़ते हैं, लेकिन किसी को पता नहीं चलता। ये ट्रिक मुझे 10 साल की उम्र में मिली। पिताजी से किसी का किस्सा सुन रखा था कि 10 मिनट तक शंख बजा लेता है। मैंने भी हनुमान जी से प्रार्थना की कि प्रभु मेरे अंदर ऐसी शक्ति कब आएगी। उसी दौरान मैंने दादा जी का शंख उठाया और बजाना शुरू कर दिया। 6 महीने की प्रैक्टिस ने मुझे एक नया और सबसे अलग प्रतिभा मिल गई। जिसकी वजह से देश-विदेश और सुपरस्टारों के बीच रहने और प्रोग्राम करने का अवसर मिला। साल 2021 में कोविड हुआ तो लोगों ने डरा दिया कि फेफड़ा प्रभावित हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। 24 साल पहले आधे घंटे तक बजाया था शंख
राम जनम योगी ने बताया- साल 2000 में तो उन्होंने एक चैनल के कार्यक्रम में लगातार 30 मिनट तक शंखवादन किया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी जब बनारस आते थे तो राम जनम योगी का शंखवादन जरूर सुनते। 10 साल पहले एक बार लक्सा पर एक कार्यक्रम था। शंखवादन के लिए बुलाया गया था। मंच पर शंख बजाना शुरू किया तो एक माइक फट गई। यानी कि उसकी आवाज ही गायब हो गई। आयोजक ने मुझसे हाथ जोड़कर कहा- “अब जाएदा, महाराज।” राम जनम योगी बताते हैं कि कोविड की दूसरी लहर में वे संक्रमित हो गए थे। हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। फिर घर पर 20 दिन क्वारंटाइन रहे। लोगों ने कहा- अब आपका फेफड़ा कमजोर हो जाएगा। आप अब 1 मिनट भी शंख नहीं बजा पाएंगे। लेकिन, कोविड का कोई असर ही नहीं पड़ा। कोविड के अलावा, किसी भी तरह की गंभीर बीमारी नहीं रही। शंख बजाना भी सांस का योग
राम जनम योगी बताते हैं- शंख बजाना भी सांस का योग है। इसमें तीन क्रिया एक साथ होती है। सांस लेना, सांस रोकना और सांस छोड़ना। योग में इसे कुंभक-रेचक आसन या क्रिया कहा जाता है। शंख बजाने के दौरान ये तीनों काम होता है। ये इतनी सफाई से होता है कि किसी को पता ही नहीं चलता कि कब सांस लिए और कब छोड़ दिए। काशी के एक और योगी को जानिए- 128 साल के शिवानंद बाबा इस साल योग नहीं कर पाए
सुप्रसिद्ध योग गुरु 128 साल के स्वामी शिवानंद बीमार हैं। इस साल उन्होंने योग नहीं किया। आज प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में किसी आश्रम में आराम कर रहे हैं। योग इतिहास में ऐसा पहली बार है कि शिवानंद स्वामी इस बार योग में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं। उनके सहयोगी संजय ने बताया कि स्वामी जी अगले साल से योग करेंगे। इस बार वे जरा भी योग वाली मुद्रा में नहीं हैं। 2 साल पहले योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वाराणसी में कबीरनगर इलाके के रहने वाले बाबा शिवानंद अपने घर के थर्ड फ्लोर पर रहते हैं। जिस बिल्डिंग में वह रहते हैं, वहां पर लिफ्ट भी नहीं है। दिन भर में दो बार बिना किसी सहारे के वो सीढ़ियां चढ़ते-उतरते हैं। काशी में ओंकारानंद से ली शिक्षा
शिवानंद बाबा के आधार कार्ड पर जन्मतिथि 8 अगस्त 1896 दर्ज है। उनका जन्म बंगाल के श्रीहट्टी जिले में हुआ था। भूख की वजह से उनके माता-पिता की मौत हो गई थी, जिसके बाद से बाबा आधा पेट भोजन ही करते हैं। माता-पिता की मौत के बाद बाबा बंगाल से काशी आ गए और यहां पर गुरु ओंकारानंद से दीक्षा ली। 1925 में अपने गुरु के आदेश पर वह दुनिया भ्रमण पर निकले और करीब 34 साल तक देश-विदेश घूमते रहे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर