भरतपुर के लौह स्तम्भ पर दर्ज है रियासत के राजाओं की वंशावली, क्यों पड़ा जवाहर बुर्ज नाम?

भरतपुर के लौह स्तम्भ पर दर्ज है रियासत के राजाओं की वंशावली, क्यों पड़ा जवाहर बुर्ज नाम?

<p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> राजस्थान के भरतपुर के लोहागढ़ किले के अंदर जवाहर बुर्ज पर एक लौह स्तम्भ लगा है. लौह स्तम्भ लगभग 18 फीट ऊंचा और दो फ़ीट गोलाई का लगा हुआ है. इस लौह स्तम्भ पर भरतपुर रियासत के राजपरिवार की सम्पूर्ण वंशावली दर्ज है. महाराजा बदन सिंह के पूर्वजों से लेकर उनके बाद के सभी शासकों के नामों का वर्णन किया हुआ है. इस स्तम्भ में भरतपुर रियासत के अंतिम शासक महाराजा सवाई बृजेन्द्र सिंह का नाम भी दर्ज है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>देश की ऐसी अजय रियासत जिसे मुगल मराठा व अंग्रेजों की सरकार भी फतेह नहीं कर पाई. भरतपुर रियासत का किला अजय रहा है. इसीलिए भरतपुर के किले को लोहागढ़ के नाम से भी जाना जाता है. भरतपुर किले की बाहरी रक्षा के लिए दीवर पर आठ बुर्ज बनाए गए थे. इन्ही में से एक है जवाहर बुर्ज है. इस बुर्ज का नाम महाराजा जवाहर सिंह के नाम पर रखा गया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्यों रखा गया जवाहर बुर्ज नाम?&nbsp;</strong><br />जानकारी के अनुसार, महाराजा सूरजमल की मौत स्वाभाविक नहीं थी महाराजा सूरजमल रणभूमि में शत्रुओं के हाथ शहीद हुए थे.। महाराजा सूरजमल की मौत का बदला जवाहर सिंह लेना चाहते थे. बताया जाता है कि जिन परिस्थितियों में जवाहर सिंह को राजा बनाया गया था वह प्रतिकूल नहीं थी. जवाहर सिंह इसी बुर्ज पर खड़े होकर दिल्ली पर हमला करने की योजना बनाते रहते थे. जिस दिन दिल्ली पर हमला किया था तो इसी बुर्ज से दिल्ली के लिए कूच किया था. इसीलिए इसका नाम जवाहर बुर्ज रखा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लौह स्तम्भ पर दर्ज है राजा-महाराजाओं की वंशावली&nbsp;</strong><br />जवाहर बुर्ज के एक कोने में एक गोल चबूतरा बनाया हुआ है. उसी चबूतरे के बीच में एक 18 फ़ीट ऊंचा और लगभग 2 फीट गोलाई का स्तम्भ लगा हुआ है. उस लौह स्तम्भ पर महाराजा बदन सिंह के पूर्वजों से लेकर रियासत के अंतिम शासक महराजा सवाई ब्रजेंद्र सिंह का नाम दर्ज है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जवाहर बुर्ज की देखरेख करता है पुरातत्व विभाग&nbsp;</strong><br />भरतपुर के किले की चारदीवारी सहित अंदर बने जवाहर बुर्ज की देखरेख पुरातत्व विभाग द्वारा की जाती है. यह स्थान राष्ट्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में भी है. दूर-दूर से लोग भरतपुर के लोहागढ़ किले को देखने आते है. किले के अंदर राजकीय संग्रहालय भी है जहां पर राजा महाराजाओं द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार रखे है. जिन्हें देखने के लिए पर्यटक भी काफी संख्या में पहुंचते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”उदयपुर में सूखा तो चित्तौड़गढ़ में बारिश से सड़कें लबालब, दुकानों में घुसा पानी, कुछ ऐसा होगा राजस्थान का मौसम” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/rajasthan-udaipur-chittorgarh-weather-update-today-imd-forecast-rain-alert-monsoon-update-ann-2720455″ target=”_blank” rel=”noopener”>उदयपुर में सूखा तो चित्तौड़गढ़ में बारिश से सड़कें लबालब, दुकानों में घुसा पानी, कुछ ऐसा होगा राजस्थान का मौसम</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> राजस्थान के भरतपुर के लोहागढ़ किले के अंदर जवाहर बुर्ज पर एक लौह स्तम्भ लगा है. लौह स्तम्भ लगभग 18 फीट ऊंचा और दो फ़ीट गोलाई का लगा हुआ है. इस लौह स्तम्भ पर भरतपुर रियासत के राजपरिवार की सम्पूर्ण वंशावली दर्ज है. महाराजा बदन सिंह के पूर्वजों से लेकर उनके बाद के सभी शासकों के नामों का वर्णन किया हुआ है. इस स्तम्भ में भरतपुर रियासत के अंतिम शासक महाराजा सवाई बृजेन्द्र सिंह का नाम भी दर्ज है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>देश की ऐसी अजय रियासत जिसे मुगल मराठा व अंग्रेजों की सरकार भी फतेह नहीं कर पाई. भरतपुर रियासत का किला अजय रहा है. इसीलिए भरतपुर के किले को लोहागढ़ के नाम से भी जाना जाता है. भरतपुर किले की बाहरी रक्षा के लिए दीवर पर आठ बुर्ज बनाए गए थे. इन्ही में से एक है जवाहर बुर्ज है. इस बुर्ज का नाम महाराजा जवाहर सिंह के नाम पर रखा गया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्यों रखा गया जवाहर बुर्ज नाम?&nbsp;</strong><br />जानकारी के अनुसार, महाराजा सूरजमल की मौत स्वाभाविक नहीं थी महाराजा सूरजमल रणभूमि में शत्रुओं के हाथ शहीद हुए थे.। महाराजा सूरजमल की मौत का बदला जवाहर सिंह लेना चाहते थे. बताया जाता है कि जिन परिस्थितियों में जवाहर सिंह को राजा बनाया गया था वह प्रतिकूल नहीं थी. जवाहर सिंह इसी बुर्ज पर खड़े होकर दिल्ली पर हमला करने की योजना बनाते रहते थे. जिस दिन दिल्ली पर हमला किया था तो इसी बुर्ज से दिल्ली के लिए कूच किया था. इसीलिए इसका नाम जवाहर बुर्ज रखा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लौह स्तम्भ पर दर्ज है राजा-महाराजाओं की वंशावली&nbsp;</strong><br />जवाहर बुर्ज के एक कोने में एक गोल चबूतरा बनाया हुआ है. उसी चबूतरे के बीच में एक 18 फ़ीट ऊंचा और लगभग 2 फीट गोलाई का स्तम्भ लगा हुआ है. उस लौह स्तम्भ पर महाराजा बदन सिंह के पूर्वजों से लेकर रियासत के अंतिम शासक महराजा सवाई ब्रजेंद्र सिंह का नाम दर्ज है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जवाहर बुर्ज की देखरेख करता है पुरातत्व विभाग&nbsp;</strong><br />भरतपुर के किले की चारदीवारी सहित अंदर बने जवाहर बुर्ज की देखरेख पुरातत्व विभाग द्वारा की जाती है. यह स्थान राष्ट्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में भी है. दूर-दूर से लोग भरतपुर के लोहागढ़ किले को देखने आते है. किले के अंदर राजकीय संग्रहालय भी है जहां पर राजा महाराजाओं द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार रखे है. जिन्हें देखने के लिए पर्यटक भी काफी संख्या में पहुंचते हैं.</p>
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